शनिवार, दिसंबर 23, 2017

चारा घोटाले पर फैंसला आज

आज चारा घोटाले में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्र समेत अन्य पर फैसला सुनाया जाएगा। 

नई दिल्ली
21 साल पहले बिहार में हुए एक घोटाले की धमक पूरे देश की सियासत में सुनी गई। नाम था चारा घोटाला और फंसे थे तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव और पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र। सीबीआई की विशेष अदालत आज चारा घोटाले में देवघर के सरकारी कोषागार से 84.53 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में दोनों पूर्व सीएम और अन्य के खिलाफ अपना फैसला देने वाली है। इससे पहले लालू और जगन्नाथ मिश्र को चाईबासा कोषागार से 45 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में सजा सुनाई जा चुकी है। आइए एक नजर डालते हैं देश को हिला देने वाले इस घोटाले की टाइमलाइन पर...


जनवरी 1996: करीब 950 करोड़ का चारा घोटाला उजागर हुआ। तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों पर छापा मारा। ऐसे दस्तावेज मिले, जिनसे पता चला कि 1990 के दशक में ऐसी कंपनियों को सरकारी कोषागार से चारा आपूर्ति के नाम पर पैसे जारी किए गए, जो थी हीं नहीं।

मार्च 1996: पटना हाई कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच का आदेश दिया, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगाई।

मई 1997: सीबीआई ने लालू के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए बिहार के राज्यपाल से औपचारिक अनुरोध किया।

जून 1997: राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद 23 जून को सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया। इसमें लालू समेत 55 लोगों को आरोपी बनाया गया। आईपीसी के सेक्शन 420 (धोखाधड़ी), 120बी (आपराधिक षडयंत्र) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13बी के तहत 63 केस दर्ज किए गए।

जुलाई 1997: लालू प्रसाद ने सीबीआई कोर्ट के सामने सरेंडर किया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

अगस्त 1998: लालू के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया।

अप्रैल 2000: राबड़ी देवी का नाम भी सह-अभियुक्त के तौर पर शामिल हुआ हालांकि उन्हें जमानत मिल गई।

अक्टूबर 2001: नया राज्य बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को झारखंड को ट्रांसफर कर दिया।

फरवरी 2002: रांची की विशेष सीबीआई अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई।

दिसंबर 2006: नवंबर में बहस खत्म होने के बाद आय से अधिक संपत्ति मामले में लालू और राबड़ी को बरी कर दिया गया। 
मई 2007: 31 मई को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने लालू के दो भतीजों सहित 58 में से 57 दोषियों को सजा सुनाई। नब्बे के दशक में धोखाधड़ी करके चाइबासा कोषागार से 48 करोड़ रुपये निकालने के केस नंबर आरसी 66 ए/96 के इन दोषियों को 2.5 से 6 साल तक की सजा सुनाई गई।

मार्च 2012: चारा घोटाले से जुड़े एक केस में 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। सीबीआई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र, जहानाबाद के तत्कालीन जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा समेत 31 के खिलाफ बांका और भागलपुर कोषागार में हुई धोखाधड़ी मामले में आरोप तय किए।

अगस्त 2013: लालू ने इस मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के जज के ट्रांसफर की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया।

सितंबर 2013: 17 सितंबर को रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा।

सितंबर 2013: 30 सितंबर को लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत 45 को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी ठहराया।

अक्टूबर 2013: रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने 3 अक्टूबर को चाइबासा कोषागार से फर्जी निकासी मामले में लालू, जगन्नाथ मिश्र समेत अन्य को सजा सुनाई। लालू को 5 साल और जगन्नाथ मिश्र को 4 साल की जेल हुई। लालू की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई और सजा पूरी होने के 6 साल बाद तक उनपर चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई।

दिसंबर 2017: 23 दिसंबर यानी आज चारा घोटाले में देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्र समेत अन्य पर फैसला सुनाया जाएगा।

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