शुक्रवार, फ़रवरी 02, 2018

इस बार क्यों नहीं दी मिडल क्लास को टैक्स में छूट : अरुण जेटली


नई दिल्ली
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में मिडल क्लास को कोई राहत नहीं देने के सवाल पर कहा है कि उन्होंने अलग-अलग तरीकों से छोटे करदाताओं को राहत दी है। जेटली ने अपने कार्यकाल में दी गई विभिन्न राहतों का जिक्र करते हुए कहा कि यह जरूरी नहीं कि मध्य वर्ग के लोगों की राहत के लिए टैक्स स्लैब ही बदलें।
सिर्फ भारत में 5% का टैक्स स्लैब
उन्होंने कहा कि छोटे टैक्सपेयर्स को टैक्स के दायरे में लाने के लिए पिछले साल 2.5 लाख से 5 लाख रुपये वाले स्लैब पर टैक्स की दर 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी थी। जेटली ने कहा, '5 प्रतिशत का स्लैब दुनिया के सिर्फ एक ही देश में हैं- वह है भारत। यह दुनिया का न्यूनतम टैक्स स्लैब है।' विभिन्न मीडिया घरानों के प्रतिनधियों के साथ ओपन हाउस मीटिंग में जेटली ने कहा, 'हमने 50, 60, 70 हजार रुपये महीना आमदनीवाले छोटे कर दाताओं को राहत देने के ये अलग-अलग तरीके अपनाए। हमने इन परोक्ष तरीकों से उनके पॉकिट में ज्यादा पैसे डालने की कोशिश की। छोटे करदाताओं को राहत देने के लिए यह जरूरी नहीं है कि टैक्स स्लैब को ही बदलें।'
पहले 2 लाख था, 3 लाख कर दिया टैक्स फ्री
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में टैक्स वसूलना और टैक्स पेयर्स की तादाद बढ़ाना एक गंभीर चुनौती है। इसलिए उनके पिछले चार-पांच बजट का पूरा हिसाब-किताब करने पर पता चलेगा कि करीब-करीब सभी बजट में छोटे टैक्स पेयर्स को चरणबद्ध तरीके से राहत दी गई है। उन्होंने कहा, 'जब मैं वित्त मंत्री बना तो टैक्स छूट की सीमा 2 लाख रुपये थी। मैंने इसे 3 लाख रुपये कर दी। दरअसल, दो साल बाद मैंने कहा कि अगले 50 हजार रुपये के लिए आपको कोई टैक्स नहीं देना है। तो छोटे टैक्स पेयर्स के लिए टैक्स छूट की प्रभावी सीमा 3 लाख रुपये हो गई।'
क्या है जेटली का मतलब?
दरअसल, जेटली का कहना यह है कि उन्होंने टैक्स छूट का स्लैब 2 लाख से बढ़ाकर 2.50 लाख कर दिया और 2017-18 के बजट में 3.5 लाख तक की सालाना आमदनी वालों को टैक्स में 2,500 रुपये की छूट दे दी। ऐसे में 3 लाख रुपये तक की कमाई वालों को टैक्स से पूरी तरह मुक्ति मिल गई क्योंकि 2.50 लाख रुपये की कमाई टैक्स फ्री है। बाकी के 50 हजार रुपये पर 5 प्रतिशत से 2,500 रुपये का जो टैक्स लगता, वह फ्री हो गया। ऐसे में 3 लाख रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री हो गई जबकि 3.5 लाख तक की सालाना आमदनी पर महज 2500 रुपये का टैक्स देना पड़ रहा है।
सेविंग्स पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाईः जेटली
वित्त मंत्री ने बचत पर भी टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'हमने बचत के लिए 50 हजार रुपये की अतिरिक्त छूट फिर से दी। अब सेविंग्स पर 1 लाख की छूट 1.5 लाख रुपये हो गई। फिर मैंने हाउजिंग लोन रीपेमेंट्स पर 50 हजार की अतिरिक्त छूट दी। 1.50 लाख रुपये बढ़कर 2 लाख रुपये हो गई।' जेटली ने कहा कि ये सारे कदम ईमानदार कर दाताओं को राहत देने के लिए उठाए गए हैं।' मिडल इनकम प्रफेशनल्स को दी राहतः जेटली
जेटली ने मिडल इनकम वाले प्रफेशनल्स की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, 'सभी कैटिगरीज के प्रफेशनल्स के लिए 50 लाख रुपये तक की आमदनी वालों को कोई अकाउंट बुक मेंटेन करने से मुक्ति दे दी। इसमें 50 प्रतिशत को खर्च मान लिया जाएगा और आधी आमदनी को इनकम मान कर टैक्स देना होगा।'
 छोटे व्यापारियों को दी राहतें गिनाईं
वित्त मंत्री छोटे व्यापारियों और कारोबारियों के हित में उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, '1.5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली ट्रेडिंग कम्यूनिटी के लिए जीएसटी में हमने कहा कि टर्नओवर का सिर्फ 1 प्रतिशत कंपोजिशन दीजिए। अब 2 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों और कारोबारियों की बात कर लें। ये भी छोटे कारोबारी होते हैं। मैंने कहा कि अगर आप बुक मेंटेन नहीं कर सकते तो 6 प्रतिशत को हम प्रीजंप्टिव इनकम मानेंगे। आप आमदनी के सिर्फ इसी हिस्से पर टैक्स दीजिए।'
वरिष्ठ नागरिकों के हित में उठाए कदमः जेटली
जेटली ने वरिष्ठ नागरिकों को दी गई राहतों के बारे में कहा कि सरकार ने उनकी कई मोर्चों पर मदद की। उन्होंने कहा, 'हमने अलग-अलग तरीके से वरिष्ठ नागरिकों को राहत दी है। दो साल पहले ट्रांसपोर्ट अलाउंस के रूप में 800 रुपये का डिडक्शन हुआ करता था। हमने इसे दोगुना कर 1600 रुपये कर दिया। इस बार हमने कहा कि आप 40 हजार रुपये का एकमुश्त डिडक्शन ले लीजिए।'
जेटली के सवाल
जेटली ने सैलरीड क्लास और छोटे व्यापारियों को राहत नहीं दिए जाने के सवाल पर हैरानी जातई और कहा, 'मैं सच में पर्याप्त जानकारी के अभाव में पूछे गए इस सवाल को लेकर दंग हूं। जब डायरेक्ट टैक्स में 5 प्रतिशत और इनडायरेक्ट टैक्स में 1 प्रतिशत का स्लैब हो तब सवाल उठता है कि अब आप इसे कितना कम कर सकते हैं? क्या हमें सेना के जवानों की तादाद कम कर दें क्योंकि हम इसे अफोर्ड नहीं कर सकते? क्या हम अस्पताल नहीं बनाएं या हेल्थकेयर की सुविधा नहीं दें