अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ भारत ने हमेशा दोस्ती कायम रखने की नीतियों को प्राथमिकता दी है, लेकिन पाकिस्तान ने भारत की उन्हीं नीतियों के विपरीत जाते हुए हमेशा छल की नीतियों को प्राथमिकता देकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे की साजिशें रची हैं। भारत-पाक सरहद पर पिछले कई वर्षों से लगातार पाकिस्तानी रेंजरों की तरफ से संघर्ष विराम का उल्लंघन करने की हरकतों को अंजाम दिया जा रहा है। इन्हीं संघर्ष विराम नियमों के उल्लंघन की गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए इसी माह दिनांक बारह जून मंगलवार को चमलियाल जीरो लाइन क्षेत्र में नापाक रेजरों ने ऐसी हरकत को अंजाम दिया, जिसने पूरे भारतवर्ष के संयम को झकझोर कर रख दिया।
सांबा सेक्टर के चमलियाल जीरो लाइन क्षेत्र में पाक रेंजरों ने बीएसएफ. जवानों की गश्ती पार्टी पर धावा बोलकर सात जवानों को घायल कर दिया। घायल हुए बीएसएफ जवानों में से चार ने जख्मों की ताव न सहते हुए वीरगति प्राप्त कर ली और तीन जवान अभी भी गंभीरावस्था में हैं। राज्य जम्मू-कश्मीर सरकार के आग्रह पर केंद्र सरकार ने रमजान जैसे पवित्र माह में सरहद के अलावा आतंकी प्रभावित जिलों में भी अपना संघर्ष विराम लागू कर दिया। रमजान जैसे पवित्र माह की एहमियत को देखते हुए भारत देश ने जिस महानता के साथ हर तरफ संघर्ष विराम को यकीनी बनाया, उस संघर्ष विराम की आड़ में पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों की मदद से हर तरफ अपनी नापाक करतूतों को अंजाम देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जहां एक तरफ आतंक की आग से झुलसने वाली वादी कश्मीर में आतंकी घटनाएं होती रहीं और मासूमों का खून बहता रहा। वहीं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लागू संघर्ष विराम नियम का भी नापाक पड़ोसी ने पालन करना गवारा नहीं समझा। संघर्ष विराम के दौरान पाक रेंजरों द्वारा सरहद पर की गई इस नापाक हरकत से फिर एक बार पाकिस्तान का वो चेहरा सामने आया है, जो बार-बार भारत के हाथों मिली हार का सामना करने से शर्मसार हुआ है। नापाक पड़ोसी की बढ़ती नापाक हरकतों को देखते हुए अब भारत को भी यही विचार बनाना चहिए कि दोस्ती की अहमियत को न समझने वाले पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाए। भारत ने पाकिस्तान के साथ हमेशा अपने बेहतर रिश्ते बनाए रखने पर बल दिया। लेकिन भारत की इस सोच का पाकिस्तान ने हमेशा गलत फायदा उठाया। भारत जैसे महान देश का पड़ोसी होना पाकिस्तान के लिए सबसे बड़े गर्व की बात थी। लेकिन पाकिस्तान ने बजाय गर्व महसूस करने के, उल्टे जलन की भावना पाल ली। ऐसा करके पाकिस्तान ने अपने कदम उन रास्तों की तरफ बढा लिए हैं, जहां से विनाश की शुरूआत होती है। भारत-पाक विभाजन से लेकर वर्तमान समय तक भारत देश ने अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ हमेशा अच्छे सबंध और भविष्य के मजबूत रिश्तों को बनाए रखने की पहल की है। बीते सात दशकों से भी अधिक समय में भारत ने पाकिस्तान के साथ ऐसे कई दोस्ताना प्रस्ताव रखे। लेकिन नापाक पड़ोसी हमेशा बेगुनाहों के लहु की मुहर लगाकर अपनी कायराना हरकतों का सबूत देते हुए भारत के इन दोस्ताना प्रस्तावों को नकारता आया है। पूरा विश्व जानता है कि भारत के आगे पाकिस्तान की कोई ऐसी औकात नहीं जिसके बल पर वह कुछ कर दिखाने का माद्दा रखता हो। सन् 1965 तथा 1971 भारत-पाक युद्धों में भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। बार-बार मुंह की खाने वाले पाकिस्तान को अपनी गलतियों से सबक लेते हुए भारत से अपने सबंध बेहतर बनाए रखने पर बल देने की जरूरत थी। लेकिन नापाक राहों पर निकलने वाले पाकिस्तान ने हमेशा भारत को आघात पहुंचाने के अपने नए-नए हथकंडे अपनाए। आमने-सामने की हिम्मत ना जुटाने वाले पाकिस्तान ने छिपकर वार करने की नीतियों को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया। पाकिस्तान द्वारा अपने स्तर पर ऐसे कई आतंकी संगठनों का समर्थन कर भारत को आघात पहुंचाने की योजनाएं तैयार की गईं। हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा पाकिस्तान के साथ मजबूत रिश्तों की नई शुरूआत करते हुए दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू करवा कर नया इतिहास कायम किया। वहीं वर्ष 1999 के दौरान पाकिस्तान ने भारत की पीठ पीछे वार करने के उद्देश्य से कारगिल युद्ध शुरू कर दिया। पाकिस्तान द्वारा रचा गया कारगिल युद्ध का षड्यंत्र पूरे विश्व में उसकी नापाक करतूतों का सबसे बड़ा सबूत उभर कर सामने आया।
आतंकियों की मदद से भारत की सरहदों को पार कर कारगिल क्षेत्र में अपना कब्जा जमाकर भारत को आघात पहुंचाने के मंसूबे पालने वाले पाक रेंजरों का भारतीय सैनिकों ने नामों निशां मिटा डाला। इस युद्ध की मंशा रखने वाले पाकिस्तान को यह एहसास नहीं था कि जिस देश के साथ वह मुकाबला करने निकला है, उसके आगे उसका यह षड्यंत्र कोई प्रभाव नहीं छोडेगा। कारगिल जैसे युद्ध को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान द्वारा खुद के रचाए गए षड्यंत्र उसी पर भारी पडे और भारत के हाथों एक बार फिर पाक को मुंह की खानी पड़ी। अभी जिस तरह से आतंकवाद, सरहद के तनाव तथा आतंकियों को घुसपैठ करवाने के लिए पाकिस्तान बार-बार भारत के संयम की परीक्षा ले रहा है। कहीं ऐसा न हो कि भारत के सब्र का बांध टूट जाए, और पाक का विश्व के नक्शे से नामों निशां मिट जाए।
सांबा सेक्टर के चमलियाल जीरो लाइन क्षेत्र में पाक रेंजरों ने बीएसएफ. जवानों की गश्ती पार्टी पर धावा बोलकर सात जवानों को घायल कर दिया। घायल हुए बीएसएफ जवानों में से चार ने जख्मों की ताव न सहते हुए वीरगति प्राप्त कर ली और तीन जवान अभी भी गंभीरावस्था में हैं। राज्य जम्मू-कश्मीर सरकार के आग्रह पर केंद्र सरकार ने रमजान जैसे पवित्र माह में सरहद के अलावा आतंकी प्रभावित जिलों में भी अपना संघर्ष विराम लागू कर दिया। रमजान जैसे पवित्र माह की एहमियत को देखते हुए भारत देश ने जिस महानता के साथ हर तरफ संघर्ष विराम को यकीनी बनाया, उस संघर्ष विराम की आड़ में पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों की मदद से हर तरफ अपनी नापाक करतूतों को अंजाम देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जहां एक तरफ आतंक की आग से झुलसने वाली वादी कश्मीर में आतंकी घटनाएं होती रहीं और मासूमों का खून बहता रहा। वहीं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लागू संघर्ष विराम नियम का भी नापाक पड़ोसी ने पालन करना गवारा नहीं समझा। संघर्ष विराम के दौरान पाक रेंजरों द्वारा सरहद पर की गई इस नापाक हरकत से फिर एक बार पाकिस्तान का वो चेहरा सामने आया है, जो बार-बार भारत के हाथों मिली हार का सामना करने से शर्मसार हुआ है। नापाक पड़ोसी की बढ़ती नापाक हरकतों को देखते हुए अब भारत को भी यही विचार बनाना चहिए कि दोस्ती की अहमियत को न समझने वाले पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाए। भारत ने पाकिस्तान के साथ हमेशा अपने बेहतर रिश्ते बनाए रखने पर बल दिया। लेकिन भारत की इस सोच का पाकिस्तान ने हमेशा गलत फायदा उठाया। भारत जैसे महान देश का पड़ोसी होना पाकिस्तान के लिए सबसे बड़े गर्व की बात थी। लेकिन पाकिस्तान ने बजाय गर्व महसूस करने के, उल्टे जलन की भावना पाल ली। ऐसा करके पाकिस्तान ने अपने कदम उन रास्तों की तरफ बढा लिए हैं, जहां से विनाश की शुरूआत होती है। भारत-पाक विभाजन से लेकर वर्तमान समय तक भारत देश ने अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ हमेशा अच्छे सबंध और भविष्य के मजबूत रिश्तों को बनाए रखने की पहल की है। बीते सात दशकों से भी अधिक समय में भारत ने पाकिस्तान के साथ ऐसे कई दोस्ताना प्रस्ताव रखे। लेकिन नापाक पड़ोसी हमेशा बेगुनाहों के लहु की मुहर लगाकर अपनी कायराना हरकतों का सबूत देते हुए भारत के इन दोस्ताना प्रस्तावों को नकारता आया है। पूरा विश्व जानता है कि भारत के आगे पाकिस्तान की कोई ऐसी औकात नहीं जिसके बल पर वह कुछ कर दिखाने का माद्दा रखता हो। सन् 1965 तथा 1971 भारत-पाक युद्धों में भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। बार-बार मुंह की खाने वाले पाकिस्तान को अपनी गलतियों से सबक लेते हुए भारत से अपने सबंध बेहतर बनाए रखने पर बल देने की जरूरत थी। लेकिन नापाक राहों पर निकलने वाले पाकिस्तान ने हमेशा भारत को आघात पहुंचाने के अपने नए-नए हथकंडे अपनाए। आमने-सामने की हिम्मत ना जुटाने वाले पाकिस्तान ने छिपकर वार करने की नीतियों को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया। पाकिस्तान द्वारा अपने स्तर पर ऐसे कई आतंकी संगठनों का समर्थन कर भारत को आघात पहुंचाने की योजनाएं तैयार की गईं। हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा पाकिस्तान के साथ मजबूत रिश्तों की नई शुरूआत करते हुए दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू करवा कर नया इतिहास कायम किया। वहीं वर्ष 1999 के दौरान पाकिस्तान ने भारत की पीठ पीछे वार करने के उद्देश्य से कारगिल युद्ध शुरू कर दिया। पाकिस्तान द्वारा रचा गया कारगिल युद्ध का षड्यंत्र पूरे विश्व में उसकी नापाक करतूतों का सबसे बड़ा सबूत उभर कर सामने आया।
आतंकियों की मदद से भारत की सरहदों को पार कर कारगिल क्षेत्र में अपना कब्जा जमाकर भारत को आघात पहुंचाने के मंसूबे पालने वाले पाक रेंजरों का भारतीय सैनिकों ने नामों निशां मिटा डाला। इस युद्ध की मंशा रखने वाले पाकिस्तान को यह एहसास नहीं था कि जिस देश के साथ वह मुकाबला करने निकला है, उसके आगे उसका यह षड्यंत्र कोई प्रभाव नहीं छोडेगा। कारगिल जैसे युद्ध को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान द्वारा खुद के रचाए गए षड्यंत्र उसी पर भारी पडे और भारत के हाथों एक बार फिर पाक को मुंह की खानी पड़ी। अभी जिस तरह से आतंकवाद, सरहद के तनाव तथा आतंकियों को घुसपैठ करवाने के लिए पाकिस्तान बार-बार भारत के संयम की परीक्षा ले रहा है। कहीं ऐसा न हो कि भारत के सब्र का बांध टूट जाए, और पाक का विश्व के नक्शे से नामों निशां मिट जाए।