बुधवार, अप्रैल 04, 2018

बेरुखी का शिकार हो रहा सरकार का कमाऊ पुत्र 'वेयर हाउस'

  • सरकारी उपेक्षाओं के बावजूद पुश्तैनी पेशा अपना रही चौथी पीढ़ी

  • वेयर हाउस में नहीं दिख रही डिजिटल इंडिया की चमक

  • परिवार बढ़ा, सामान बढ़ा, जगह वही की वही


दीपाक्षर टाइम्स संबाददाता
जम्मू।
जिस पुराने ढांचे से सन् 1958 में जम्मू के तत्कालीन राज्यशासक बख्शी गुलाम मुहम्मद द्वारा वेयर हाउस की स्थापना की गई थी। 21वीं सदी में भी राज्य का खाद्य भंडार वेयर हाउस जम्मू अपनी दशकों पुरानी अवस्था में है। वेयर हाउस ही सरकार का ऐसा कमाऊ पुत्र है, जिससे सरकार के राजस्व में अरबों रुपये के भंडार भर रहे हैं। वेयर हाउस जम्मू में छोटे-बड़े करीब चार सौ से अधिक व्यापार के अड्डे स्थापित हैं। इन स्थापित व्यापार के अड्डों से सैकड़ों परिवारों के पेट पलते हैं। होलसेल व्यापारियों से लेकर पल्लेदार सदस्यों तक, हर कोई वेयर हाउस के विकास और खुशहाली को लेकर परेशान है। यहां तक कि बाहरी राज्यों से अपने आयात निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जम्मू पहुंचने वाले उद्योगपति भी वेयर हाउस के विकास को लेकर अपनी तरजीह देते हैं। सरकार को चहिए कि जेडीए के माध्यम से वेयर हाउस के विकास और खुशहाली को नई दिशा दी जाए, ताकि व्यापारी वर्ग की लंबित समस्याऔं का स्थायी समाधान हो सके।
वेयर हाउस के किए गए निरीक्षण के बाद व्यापारियों, पल्लेदार व ग्राहकों से बातचीत करने के बाद पाया गया कि जेडीए ने पिछले साठ सालों से वेयर हाउस व्यापारियों को उनकी दुकानों के न तो मालिकाना हक दिए, और न ही बेहतर दुकानदारी के मूलभूत ढांचे को उपलब्ध करवाया। एक किराएदार की तरह व्यापारी वर्ग वेयर हाउस में अपने रोजगार को पाल रहे हैं, और सरकार के खजानों को भर रहे हैं। एक तरफ  सरकार नए युग की स्थापना करते हुए समूचे भारतवर्ष को डिजिटल इंडिया बनाने पर तरजीह दे रही है, लेकिन वहीं दशकों पुराने वेयर हाउस ढांचे के विस्तारीकरण का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
दशकों पुराने वेयर हाउस खाद्यान, दुकानें, शैड व अन्य मूलभूत ढांचा वर्तमान समय में किसी जर्जर खंडहरों से कम नहीं हैं। व्यापारियों के पास पहुंचने वाले सामान को सुरक्षित जगहों, खाद्यानों में रखने के बेहतर प्रबंध न होने से हर मौसम में कीमती सामान बाहर खुले आसमान के तले ही रहने से कीमती सामान के खराब होने का खतरा भी बना रहता है।चूंकि सरकार द्वारा आधुनिक और पारदर्शी तरीके से कामकाज करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और हर काम कम्प्यूटर द्वारा किए जाने की हिदायत दी जा रही है ताकि हर तरह की पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन, यह कैसे संभव है, जब इतनी बड़ी मंडी में भी बिजली के कट लगातार चल रहे हों?
वेयर हाउस में काम कर रही व्यापारियों की चौथी पीढ़ी, जो आज के समय में आधुनिक शिक्षा के ज्ञान से लैस है, उस पीढ़ी का पुराने नक्शेकदम पर चल पाना आसान नहीं बन रहा। नई पीढ़ी की शैक्षिक तकनीक और उनकी मौजूदा समय की जरूरतों का पूरा होना ही 21वीं सदी का विकास माना जाएगा। सरकार को व्यापारियों की चौथी पीढ़ी का आभारी होना चहिए कि अच्छी पढ़ाई के साथ नई शैक्षिक तकनीक का ज्ञान प्राप्त होने के बाद भी वह सरकार पर नौकरियों का बोझ बढ़ाने के वजाय अपने पुश्तैनी व्यापार के रोजगार को बढावा दे रहे हैं।
पानी, जो कि हर-एक इंसान की मूलभूत जरूरत है, उसकी तरफ भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा और वेयर हाउस के एक व्यापारी का कहना है कि सरकार की तरफ से यहां पर पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कुछ नहीं किया गया है और कोई हैंडपंप तक नहीं लगवाया जिससे लोगों को कुछ राहत मिल सके। वेयर हाउस के व्यापारियों ने ही एक हैंडपंप वेयर हाउस और एक हैंडपंप नेहरू मार्किट में लगवाया है, जो दूरदराज क्षेत्रों से हजारों की संख्या में यहां आने वाले लोगों के लिए नाकाफी साबित होते हैं। गर्मियों के दिनों में तो यह परेशानी और बढ़ जाती है।
जेडीए ने पिछले कई सालों से एक असमंजस की तलवार को व्यापारियों के सिर पर लटका रखा है। इस लटकी हुई असमंजस की तलवार से किसी भी किस्म की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही। जेडीए वेयर हाउस कांप्लेक्स को शिफ्ट कर किसी दूसरी जगह पर स्थापित करने की योजना बना रहा है। नई जगह पर शिफ्ट होने वाले वेयर हाउस कांप्लेक्स से स्थानीय व्यापारियों की दिक्कतों में भी बढ़ोतरी होने के आसार बन रहे हैं। आने वाले कुछ दिनों में वेयर हाउस नेहरू मार्किट व्यापारी संगठन की नई समिति का गठन होने जा रहा है। नए व्यापारी संगठन के गठन से वेयर हाउस के विकास, खुशहाली और लंबित मांगों व समस्याओं के समाधान की उम्मीद भी लगाई जा रही है।

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