दीपाक्षर टाइम्स संबाददाता
जम्मू।
पंजाब की धरती पर जन्मे -पले अजीत पाल शर्मा आज सुरों के बेताज बादशाह बनकर हर तरफ अपनी अदाओं के जलवे बिखेर रहे हैं। स्कूल की चारदिवारी तथा गली नुक्कडों से शुरू हुआ उनकी जिंदगी का सफर आज कामयाबी की राहों पर है। कम समय में अपनी विशेष पहचान कायंम कर चुके अजीत पाल शर्मा उन बुलंदियों को छूना चाहते हैं, जिनको समाज प्रेरणा की नजर से देखता है। पडोसी राज्य पंजाब के गांव जीरा फिरोजपुर में अजीत पाल शर्मा का सन् पन्द्रहं जनवरी 1974 को जन्म हुआ। सन् 1986 के दौराण छठी कक्षा में श्री सावन मल अगरवाल पब्लिक स्कूल जीरा फिरोजपुर के स्टेज-शो गायकी के सफर में अपना पहला कदम रखा।
स्कूली समारोह में अपनी सुरीली आवाज की छटा बिखेरने वाले अजीत पाल शर्मा को पढाई के दोराण गायकी, नुक्कड़ नाटकों में अपनी अदाकारी की प्रतिभा को दर्शाने का मौका मिलता रहा। फिरोजपुर जिले के इसी स्कूल से सन् 1993 में बाहरवीं की कक्षा उतीर्ण करने के बाद उन्होंने गायकी, कलाकारी, अदाकारी और समाजसेवा के कार्यों को विशेष महत्व दिया। सन् 1984 में पंजाब के बिगडे हालातों के दौराण उनके पिता श्री राम दास का निधन हो गया। पिता के निधन के बाद परिवार अकेला पड़ गया और सन् 1993 में माता पूरो देवी अपने परिवार को लेकर पुशतैनी गांव सहजादपुर रामगढ़ पहुंच गईं। सहजादपुर में पहुंचने पर अजीत पाल शर्मा ने समाजसेवा हेतू पहले ग्रामीण यूथ सेवा क्लब का चयन कर उसका नेेतृत्व संभाला।
समाजसेवा के साथ उन्होंने अपने अदाकारी, कलाकारी और गायकी के जज्वे को ठंडा नहीं पडने दिया। गांव स्तर, पंचायत स्तर, ब्लाक स्तर, तहसील स्तर पर जहां भी उनको अपनी प्रतिभा को दर्शाने का कोई मौका मिला, उस मौके को उन्होंने बेकार नहीं जाने दिया। वर्ष 2012 के दौराण प्रादेशिक संस्कृतिक अकादमी जम्मू ने उनको अपने स्तर पर बाबा सिद्ध गोरिया स्थल स्वांखा में भक्ति रस कार्यक्रम के आयोजन का मौका दिया। अजीत पाल शर्मा को मिले इस मौके से उनकी जिंदगी का पांसा ही पलट गया। देखते ही देखते उनको एक शहर से दूसरे शहर, जिला स्तर, राज्य स्तर पर आयाजित होने वाले समाजिक, धार्मिक कार्यक्रमों, जागरूक्ता कैंपों, किसान मेलों में अपनी प्रतिभा के जलवे बिखेरने के मौके मिलते रहे। अकादमी व प्रशासन की तरफ से मिले इन विशेष मौकों से उनको अब तक चालीस प्रोत्साहन पत्र मिल चुके हैं। यही नहीं विशेष अदाकार, गायक, कलाकार एवं प्रायोजक के तौर पर भी उनको विशेष सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। हाल ही में राज्य स्तर पर आयोजित किए गए किसान मेले राजोरी में उनको भाजपा सांसद जुगल किशोर शर्मा द्वारा विशेष तौर पर सम्मानित भी किया गया। मंत्रियों, विधायकों, प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से भी उनको दर्जनों पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। जहां राज्य जम्मू-कश्मीर के कोने-कोने में अजीत पाल शर्मा ने अपनी प्रतिभा के रंग बिखेरे, वहीं बाहरी राज्य पंजाब, तामिलनाडू, पांडीचेरी, महाराष्ट्र में भी उन्होंने प्रादेशिक संस्कृतिक अकादमी की तरफ से अपने विशेष कार्यक्रम पेश किए हैं। छोटे से गांव में रहने वाले अजीत पाल शर्मा ने अपनी प्रतिभा के बल पर आज एक बडी पहचान प्राप्त की है। उनकी इसी पहचान को लोग विशेष सम्मान देते हैं। अपने जिंदगी के सफर को मुकांम तक पहुंचाने का संकल्प ले चुके अजीत पाल शर्मा भी यही चाहते हैं, कि उनके आदर्श, संस्कार और जागरूक्ता के प्रसार से समाज को एक नई दिशा मिले। उनका सपना है कि देश के लिए कुछ ऐसा किया जाए, जिससे समूचा भारतवर्ष एक महान और अमनप्रस्त देश बन सके।
जम्मू।
पंजाब की धरती पर जन्मे -पले अजीत पाल शर्मा आज सुरों के बेताज बादशाह बनकर हर तरफ अपनी अदाओं के जलवे बिखेर रहे हैं। स्कूल की चारदिवारी तथा गली नुक्कडों से शुरू हुआ उनकी जिंदगी का सफर आज कामयाबी की राहों पर है। कम समय में अपनी विशेष पहचान कायंम कर चुके अजीत पाल शर्मा उन बुलंदियों को छूना चाहते हैं, जिनको समाज प्रेरणा की नजर से देखता है। पडोसी राज्य पंजाब के गांव जीरा फिरोजपुर में अजीत पाल शर्मा का सन् पन्द्रहं जनवरी 1974 को जन्म हुआ। सन् 1986 के दौराण छठी कक्षा में श्री सावन मल अगरवाल पब्लिक स्कूल जीरा फिरोजपुर के स्टेज-शो गायकी के सफर में अपना पहला कदम रखा।
स्कूली समारोह में अपनी सुरीली आवाज की छटा बिखेरने वाले अजीत पाल शर्मा को पढाई के दोराण गायकी, नुक्कड़ नाटकों में अपनी अदाकारी की प्रतिभा को दर्शाने का मौका मिलता रहा। फिरोजपुर जिले के इसी स्कूल से सन् 1993 में बाहरवीं की कक्षा उतीर्ण करने के बाद उन्होंने गायकी, कलाकारी, अदाकारी और समाजसेवा के कार्यों को विशेष महत्व दिया। सन् 1984 में पंजाब के बिगडे हालातों के दौराण उनके पिता श्री राम दास का निधन हो गया। पिता के निधन के बाद परिवार अकेला पड़ गया और सन् 1993 में माता पूरो देवी अपने परिवार को लेकर पुशतैनी गांव सहजादपुर रामगढ़ पहुंच गईं। सहजादपुर में पहुंचने पर अजीत पाल शर्मा ने समाजसेवा हेतू पहले ग्रामीण यूथ सेवा क्लब का चयन कर उसका नेेतृत्व संभाला।
समाजसेवा के साथ उन्होंने अपने अदाकारी, कलाकारी और गायकी के जज्वे को ठंडा नहीं पडने दिया। गांव स्तर, पंचायत स्तर, ब्लाक स्तर, तहसील स्तर पर जहां भी उनको अपनी प्रतिभा को दर्शाने का कोई मौका मिला, उस मौके को उन्होंने बेकार नहीं जाने दिया। वर्ष 2012 के दौराण प्रादेशिक संस्कृतिक अकादमी जम्मू ने उनको अपने स्तर पर बाबा सिद्ध गोरिया स्थल स्वांखा में भक्ति रस कार्यक्रम के आयोजन का मौका दिया। अजीत पाल शर्मा को मिले इस मौके से उनकी जिंदगी का पांसा ही पलट गया। देखते ही देखते उनको एक शहर से दूसरे शहर, जिला स्तर, राज्य स्तर पर आयाजित होने वाले समाजिक, धार्मिक कार्यक्रमों, जागरूक्ता कैंपों, किसान मेलों में अपनी प्रतिभा के जलवे बिखेरने के मौके मिलते रहे। अकादमी व प्रशासन की तरफ से मिले इन विशेष मौकों से उनको अब तक चालीस प्रोत्साहन पत्र मिल चुके हैं। यही नहीं विशेष अदाकार, गायक, कलाकार एवं प्रायोजक के तौर पर भी उनको विशेष सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। हाल ही में राज्य स्तर पर आयोजित किए गए किसान मेले राजोरी में उनको भाजपा सांसद जुगल किशोर शर्मा द्वारा विशेष तौर पर सम्मानित भी किया गया। मंत्रियों, विधायकों, प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से भी उनको दर्जनों पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। जहां राज्य जम्मू-कश्मीर के कोने-कोने में अजीत पाल शर्मा ने अपनी प्रतिभा के रंग बिखेरे, वहीं बाहरी राज्य पंजाब, तामिलनाडू, पांडीचेरी, महाराष्ट्र में भी उन्होंने प्रादेशिक संस्कृतिक अकादमी की तरफ से अपने विशेष कार्यक्रम पेश किए हैं। छोटे से गांव में रहने वाले अजीत पाल शर्मा ने अपनी प्रतिभा के बल पर आज एक बडी पहचान प्राप्त की है। उनकी इसी पहचान को लोग विशेष सम्मान देते हैं। अपने जिंदगी के सफर को मुकांम तक पहुंचाने का संकल्प ले चुके अजीत पाल शर्मा भी यही चाहते हैं, कि उनके आदर्श, संस्कार और जागरूक्ता के प्रसार से समाज को एक नई दिशा मिले। उनका सपना है कि देश के लिए कुछ ऐसा किया जाए, जिससे समूचा भारतवर्ष एक महान और अमनप्रस्त देश बन सके।
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