शुक्रवार, मार्च 23, 2018

नवरात्रों में 'पहल वाटिका' में बढ़ी बच्चों की रौनक

बुजुर्गों के आदर-सम्मान बनाए रखने के लिए पहल वाटिका का निर्माण: दीपक अग्रवाल 

 बच्चों को लुभा रहे विदेशी पक्षी


 दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। नेशनल हाइवे 17वें मील से महज डेढ़ किमी. दूरी पर गांव सलमेरी में स्थित 'बजुर्गांं दा बेह्ड़ा' पहल वाटिका में नवरात्रों के पावन अवसर पर हर तरफ रौनक का आलम बन रहा है। परीक्षाओं के तनाव से राहत पा चुके स्कूली बच्चे भी 'पहल वाटिका' में पहुंच कर मनोरंजन का पूरा लुत्फ उठा रहे हैं। विजयपुर क्षेत्र के कई प्रसिद्ध स्कूलों तथा टयुशन केंन्द्रों के बच्चे हर दिन 'बजुर्गां दा बेह्डा' पहल वाटिका में पहुंच रहे हैं।

पहल वाटिका पहुंचने वाले बच्चे जहां अपनी मौज मस्ती करने में व्यस्त रह रहे हैं, वहीं उनको कुछ नया सीखने समझने का मौका भी मिल रहा है। स्कूल प्रबंधन व 'बुजुर्गों दा बेह्ड़ा' प्रबंधन स्कूली बच्चों को अपनी तरफ से हर बेहतर सेवाएं और सुविधाएं उपलब्घ करवा रहे हैं।

'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' स्थित पहल वाटिका में पहुंचने वाले निजी चाड़क ट्यूटोरियल सेंटर के बच्चे जिनमें रिया चाड़क, संयोगिता चाड़क, गौरव, नितिश, रिशव, अदिति, अक्षिता, वंशिका, श्रीधर, काव्या, अंबिका, त्रिशना, श्रुति, रूची, रूबी, विशाली, चंदन ने कहा कि 'बजुर्गां का बेह्ड़ा' मनोरंजन का खास जरिया बनरहा है। अपने निजी क्षेत्र में इस तरह के मनोरंजन के जरिये का होना उनके लिए एक सौभाग्य की बात है। पहले हर साल गर्मियों की छुटिटयों, परीक्षाओं के खत्म होने के बाद के दिनों में उनको दूर-दराज शहरों व क्षेत्रों में स्थित मनोरंजन के ठिकानों तक पहुंचने में कई परेशानियां झेलनी पड़ती थी। माता-पिता भी उनको दूर शहरों व क्षेत्रों में इस तरह घूमने के लिए जाने का मौका कम ही देते थे। लेकिन यहां नजदीक में इस तरह के आकर्षक स्थल का होना उनको एक विशेष सौगात देता है। बच्चों का कहना है कि इस आकर्षण के केन्द्र 'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' में वह कभी भी और किसी भी वक्त पहुंच कर अपना मनोरंजन कर सकते हैं। ट्यूटोरियल के संचालक बख्तावर सिंह ने भी इस नजदीकी सेवा और मनोरंजन के जरिये को खास करार दिया। दिन व दिन 'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' पहल वाटिका की प्रसिद्धता बढ़ रही है और हर दिन यहां बच्चों के मेले लग रहे हैं।



बुजुर्गों के आदर-सम्मान को बनाए रखने के लिए पहल वाटिका स्थल का निर्माण: दीपक अग्रवाल

बुजुर्गां दा बेहडा संचालक समाजसेवी दीपक अग्रवाल के अनुसार उनका यही मकसद था कि समाज के लिए कुछ अलग किया जाए, ताकि उनके किए कार्यों की बदौलत समाज को एक नई दिशा मिले। जिस तरह से आज के दौर में बुजुर्गों का अपने घरों में आदर-सम्मान कम हो रहा है। उस कम होते बुजुर्गों के आदर-सम्मान को बनाए रखने के लिए उन्होंने 'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' पहल वाटिका स्थल का निर्माण करवाया। पहल वाटिका स्थल पर पहुंच कर जहां बुजुर्ग सदस्य अपना सम्मान प्राप्त कर रहे हैं, वहीं उनके साथ आने वाले बच्चे भी उनका आदर सम्मान करना सीख रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस मकसद के साथ उन्होंने 'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' पहल वाटिका स्थल का निर्माण करवाया है, उसे कामयाब बनाने की कवायद जारी है। भविष्य में भी वह समाज के लिए कुछ ऐसा करने की चाह रखेंगे, जिससे बुजुर्गों तथा परिवारिक सदस्यों के बीच के रिश्ते मजबूत बने रहें।

 बच्चों को लुभा रहे विदेशी पक्षी

'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' पहल वाटिका के छोटे से चिडियाघर में रखे गए विदेशी पक्षी स्कूली बच्चों को लुभाने का काम कर रहे हैं। अमेरिका का टर्की, फ्रांस के कबूतर, रूस के सिल्की कॉक, जापान के बटेर, अंगूरा ब्रांड के भारतीय खरगोश सहित अन्य प्रजातियों के पक्षी, बत्तखें तथा हंस आदि बच्चों को आकर्षित कर रहे हैं। इन पक्षियों की प्रजातियों को देखकर बच्चे गदगद हो रहे हैं, और उनके बारे में विस्तृत जानकारियां भी प्राप्त कर रहे हैं।



 

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