अकबर के एक खास दरबारी ख्वाजा सरा को अपनी विद्या और बुद्धि पर बहुत अभिमान था। बीरबल को तो वे अपने सामने निरा बालक और मूर्ख समझते थे। लेकिन अपने ही मानने से तो कुछ होता नहीं! दरबार में बीरबल की ही तूती बोलती और ख्वाजा साहब की बात ऐसी लगती थी जैसे नक्कारखाने में तूती की आवाज़। ख्वाजा साहब की चलती तो वे बीरबल को हिंदुस्तान से निकलवा देते लेकिन निकलवाते कैसे!
एक दिन ख्वाजा ने बीरबल को मूर्ख साबित करने के लिए बहतु सोचे -विचार कर कुछ मुश्किल प्रश्न सोच लिए। उन्हें विश्वास था कि बादशाह के उन प्रश्नों को सुनकर बीरबल के छक्के छूट जाएँगे और वह लाख कोशिश करके भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाएगा। फिर बादशाह मान लेगा कि ख्वाजा सरा के आगे बीरबल कुछ नहीं है।
ख्वाजा साहब अचकन-पगड़ी पहनकर दाढ़ी सहलाते हुए अकबर के पास पहुँचे और सिर झुकाकर बोले, बीरबल बड़ा बुद्धिमान बनता है। आप भी उसकी लंबी-चौड़ी बातों के धोखे में आ जाते हैं। मैं चाहता हूँ कि आप मेरे तीन सवालों के जवाब पूछकर उसके दिमाग की गहराई नाप लें। उस नकली अक्ल-बहादुर की कलई खुल जाएगी।
ख्वाजा के अनुरोध करने पर अकबर ने बीरबल को बुलाया और उनसे कहा, बीरबल! परम ज्ञानी ख्वाजा साहब तुमसे तीन प्रश्न पूछना चाहते हैं। क्या तुम उनके उत्तर दे सकोगे?
बीरबल बोले, जहाँपनाह! ज़रूर दूँगा। खुशी से पूछें।
ख्वाजा साहब ने अपने तीनों सवाल लिखकर बादशाह को दे दिए।
अकबर ने बीरबल से ख्वाजा का पहला प्रश्न पूछा, संसार का केंद्र कहाँ है?
बीरबल ने तुरंत ज़मीन पर अपनी छड़ी गाड़कर उत्तर दिया, यही स्थान चारों ओर से दुनिया के बीचों-बीच पड़ता है। यदि ख्वाजा साहब को विश्वास न हो तो वे फ़ीते से सारी दुनिया को नापकर दिखा दें कि मेरी बात गलत है।
अकबर ने दूसरा प्रश्न किया, आकाश में कितने तारे हैं?
बीरबल ने एक भेड़ मँगवाकर कहा, इस भेड़ के शरीर में जितने बाल हैं, उतने ही तारे आसमान में हैं। ख्वाजा साहब को इसमें संदेह हो तो वे बालों को गिनकर तारों की संख्या से तुलना कर लें।
अब अकबर ने तीसरा सवाल किया, संसार की आबादी कितनी है?
बीरबल ने कहा, जहाँपनाह! संसार की आबादी पल-पल पर घटती-बढ़ती रहती है क्योंकि हर पल लोगों का मरना-जीना लगा ही रहता है। इसलिए यदि सभी लोगों को एक जगह इक_ा किया जाए तभी उनको गिनकर ठीक-ठीक संख्या बताई जा सकती है।
बादशाह तो बीरबल के उत्तरों से संतुष्ट हो गया लेकिन ख्वाजा साहब नाक-भौंह सिकोड़कर बोले, ऐसे गोलमोल जवाबों से काम नहीं चलेगा जनाब!
बीरबल बोले, ऐसे सवालों के ऐसे ही जवाब होते हैं। पहले मेरे जवाबों को गलत साबित कीजिए, तब आगे बढि़ए।
ख्वाजा साहब से फिर कुछ बोलते नहीं बना।
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