पंडित श्री निवास शर्मा ने की तारीफ व युवाओं के लिए आदर्श बताया |
जम्मू। विजयपुर के सलमेरी गांव में श्री दीपक अग्रवाल द्वारा बनवाए जा रहे बजुर्गों दा बेह्डे में अब रौनक होना शुरू हो गई है और प्रतिदिन कई लोग यहां घूमने आने लगे हैं। इनमें बच्चों तथा बुजुर्गों की संख्या अधिक है। बुजुर्गों के लिए एक अनोखी जगह बनाने के लिए आने वाले बुजुर्ग श्री दीपक अग्रवाल का धन्यवाद करते नहीं थकते।
ऐसे ही एक 92 वर्षीय बुजुर्ग पंडित श्री निवास शर्मा बेह्ड़े में घूमने आए तो उनसे बातचीत का सिलसिला प्रारंभ हो गया। उन्होंने अपने बारे में बताया कि पास ही के गांव संगवाल से आए हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने साथियों से इस बेह्ड्े के बारे में काफी चर्चाएं सुनी थीं इसलिए अपने आपको रोक न सके। उन्होंने बताया कि उनका जन्म 1925 में संगवाल गांव में श्री चंदराम के घर हुआ था। उनके पिता गेहंू चावल व्यापारियों से खरीदकर बेचने का काम करते थे। पंडित श्री निवास शर्मा ने केवल पांचवी तक ही शिक्षा ग्रहण की है, लेकिन उन्हें अनुभव इतना है कि वे हकीमी का काम भी करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता ने मुबारक मंडी जम्मू में करियाना की दुकान खोली तो वे अपने पिता के साथ जम्मू आ गए और आरएसएस के शाखाओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। 13 वर्ष की आयु में वे दंड चलाना तथा आत्मरक्षा के सभी गुणों से संपन्न हो गए।
युवावस्था तक पहुंचते-पहुंचते वे काफी परिपक्व हो गए। उल्लेखनीय यह है कि यह वह दौर था, जब पाकिस्तान की ओर से जम्मू क्षेत्र में लगातार कबाइली हमले हो रहे थे। उस समय पं. श्री निवास अपने गांव संगवाल आ गए तथा अपने गांव तथा आसपास के गांवों की रक्षा की जिम्मेदारी संभाली। वे गांव में सुरक्षा चौकी बनाकर रात को पहरा देते तथा अपने नाम पर स्थापित श्री निवास चौकी पर रहकर गांव की सुरक्षा करते।
इसी दौरान उन्हें एक संत का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। श्रीनिवास जी से प्रसन्न होकर संत ने उन्हें हकीमी के गुर सिखाए। श्री निवास जी ने दो साल में ही योग की सभी क्रियाओं को करने में निपुणता हासिल कर ली। योग की नेती तथा धोती क्रियाओं पर उनकी अच्छी पकड़ थी तथा ये क्रियाएं लंबी आयु तक स्वस्थ रहने में काफी सहायक होती हैं। वर्तमान काल में चंद योगी ही इन क्रियाओं को करते हैं। वैद्यगिरी के काम में भी श्री निवास जी लिकोरिया, नपुंसकता तथा शीघ्रपतन जैसे गंभीर रोगों के माहिर वैद्य बन गए तथा हजारों लोगों को इन समस्याओं से मुक्ति दिलाई।अपनी तंदुरुस्ती का राज बताते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में उन्होंने कभी कोई नशा नहीं किया, बुरी संगत से दूर रहे। यहां तक कि उन्होंने चाय का सेवन भी पूरे जीवन में कभी नहीं किया। दूध, दही, लस्सी, घी का सेवन 80 वर्ष की आयु तक किया, लेकिन बाद में पाचन क्रिया कमजोर होने के कारण इनका सेवन बंद करना पड़ा।
पंडित श्री निवास शर्मा ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि वे शिक्षा जरूर ग्रहण करें। उन्होंने कहा कि अच्छी सेहत रखने वाली वस्तुओं का ही उपयोग करें। पाश्चात्य खानपान जैसे जंक फूड तथा जल्द सेहत बनाने वाले फार्मूले कभी इस्तेमाल न करें क्योंकि इनके दूरगामी दुष्परिणाम ही देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में अच्छा देखो, अच्छा सुनो तथा नेक काम करो। समाज के निर्माण में युवा अपना योगदान जरूर दें तभी समाज अच्छा बन पाएगा। अपने बुजुर्गों का सम्मान करें तभी आप सम्मान के हकदार होंगे।
जब श्री निवास शर्मा से पूछा गया कि बजुर्गों दा बेह्ड़े में आकर कैसा लग रहा है, तो उनका जवाब था कि 'पहल' संस्था द्वारा स्थापित 'बजुर्गों दा बेह्ड़ा' का निर्माण पहल संस्था के संस्थापक श्री दीपक अग्रवाल द्वारा आने वाले समय को देखते हुए एक बड़ी पहल तथा उत्कृष्ट कार्य है, जो आज की पीढ़ी को एक पॉजिटिव संदेश दे रहा है। उन्होंने कहा कि आज बहुत से बुजुर्ग दुर्भाग्यवश अपनी ही औलाद तथा परिवार से तंग हैं। वे अपने बच्चों तथा परिवार की अनदेखी तथा दुव्र्यवहार से दुखी हैं। उन्हे ऐसे स्थान पर आकर लगता है कि मानो उनके सारे गम दूर हो गए हों।
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