सोमवार, मार्च 20, 2017

रोहिंग्याओं के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी


 'अमरनाथ आंदोलन' की तर्ज पर रोहिंग्याओं के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी 

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।  
रोहिंग्याओं के खिलाफ जम्मू में बड़े आंदोलन की तैयारी की जा रही है। वर्ष 2008 के अमरनाथ भूमि आंदोलन की तर्ज पर रोहिंग्याओं को रियासत की सीमा से बाहर करने के लिए आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है। इसके लिए विभिन्न राजनीतिक दलों, हिंदुवादी संगठनों से लेकर जागरूक नागरिकों को एक प्लेटफार्म पर लाने की कोशिशों का मकसद मुद्दे पर सरकार को घेरना है।
सूत्रों का कहना है कि अगले 10-15 दिनों में रोहिंग्याओं के खिलाफ आंदोलन के लिए एक प्लेटफार्म तय हो जाएगा। संयुक्त बैनर के तहत ही व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा। जनांदोलन के लिए दिल्ली से लेकर रियासत तक प्रयास किए जा रहे हैं। संघ के इंद्रेश कुमार के साथ ही भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी और एनएसए अजीत डोभाल से इस मुद्दे पर बात कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है।
पीएमओ राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ ही रियासती सरकार के मंत्रियों को भी इस मुद्दे पर साथ लाने की कोशिशें हो रही हैं। हाईकोर्ट में भी रोहिंग्याओं केे खिलाफ पीआईएल दाखिल की गई है। हालांकि अभी इसमें सरकार का पक्ष नहीं आया है। इस बीच 23 रोहिंग्याओं ने भी याचिका दायर कर उन्हें सुनने की अपील की है।
आंदोलन को मूर्त रूप देने में जुटे जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के वकील अंकुर शर्मा का कहना है कि जागरूकता के लिए कई बैठकें की जा चुकी हैं।
जम्मू के साथ ही कठुआ में भी लोगों को लामबंद किया जा रहा है। लोग अब यह समझने लगे हैं कि रोहिंग्या तथा बांग्लादेशी मुस्लिम रियासत की डेमोग्राफी के लिए खतरा हैं।
राज्य विधानसभा में पेश सरकारी आंकड़ों के अनुसार 5743 रोहिंग्या जम्मू और सांबा इलाके में रहते हैं। नरवाल बाला, गोल मस्जिद और बाड़ी ब्राह्मणा रेलवे स्टेशन के पास चल रहे तीन मदरसों से इनकी मदद की जाती है। इनमें 24 शिक्षक कार्यरत हैं जिनमें स्थानीय और म्यांमार के भी हैं। रियासत में 38 रोहिंग्याओं के खिलाफ 18 प्राथमिकी दर्ज है।
शेखावत, एसआर इंस्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट, दाजी और सेव द चिल्ड्रेन आदि सामाजिक संस्थाओं की ओर से इनकी आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर मदद की जाती है। ज्ञात हो कि भाजपा विधायक सत शर्मा और राजेश गुप्ता विधानसभा में मुद्दा उछाल चुके हैं। पैंथर्स पार्टी की ओर से डोगरा सम्मान की रक्षा के लिए रोहिंग्याओं को निकालने संबंधी पोस्टर चस्पा किए जा रहे हैं। हिंदुवादी संगठन विहिप, शिवसेना तथा व्यापारिक संगठन चैंबर आफ कामर्स भी मामले पर आपत्ति जता चुके हैं।
रोहिंग्याओं के खिलाफ बढ़ते जनाक्रोश तथा केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इस खतरे के प्रति आगाह किए जाने के बाद राज्य सरकार ने रोहिंग्याओं का डाटाबेस तैयार करना शुरू किया है। सूत्रों के अनुसार पुलिस तथा प्रशासन और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को इनका सर्वे करने को कहा गया है। इनकी दैनिक गतिविधियों की रिपोर्ट मांगी गई है।
आपराधिक पृष्ठभूमि, किसी मामले में मुकदमा या सजा हुई हो तो उसका ब्योरा भी देने को कहा गया है। यह भी ब्योरा जुटाने को कहा गया है कि इनके पास कोई वैधानिक दस्तावेज तो नहीं है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने पहले ही कह चुके है कि रोहिंग्या को बसाने के लिए कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस जिम्मेदार है। इन दलों की एक अनुषंगी (फ्रिंज) पार्टी भी इस मामले में बराबर की दोषी है। उनका इशारा पैंथर्स पार्टी की ओर था। उन्होंने कहा कि इस पूरे मसले की जांच होनी चाहिए।
आज जो लोग यह पूछ रहे हैं कि किस बात की जांच होनी चाहिए, दरअसल वही लोग रोहिंग्या मामले के लिए जिम्मेदार रहे हैं। डा. सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रियासत में कांग्रेस 2002 से 2014 तक सत्ता में रही है। नेशनल कांफ्रेंस 2008 से 2014 तक सत्ता पर काबिज रही। जम्मू की एक फ्रिंज पार्टी 2002 के बाद से मंत्रिमंडल में रही और 2008 से 2014 तक मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का इंतजार करती रही। विदेशियों के बसाने की प्रक्रिया इन्हीं पार्टियों द्वारा पूरी की गई।
यह वोट बैंक राजनीति के तहत हुआ। सत्ता से बाहर होने के बाद यही दल डेमोग्राफी की बात करने लगे हैं जो डेमोग्राफी बिगाडऩे के जिम्मेदार रहे हैं। डा. सिंह ने कहा कि ऐसे दलों की सियासत का पर्दाफाश हो गया है। रोहिंग्या मसले पर कैसा षड्यंत्र हुआ और उन्हें किसने बसाया, इस बात की जांच होनी चाहिए।

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