'हालांकि अभी यह बेह्ड़ा अपनी शैशवास्था मे ही है फिर भी इसे देखने आसपास के काफी लोग रोज आते हैं और श्री दीपक अग्रवाल द्वारा किए जा रहे इस समाजसेवी कदम की सराहना करते हुए और उन्हें आशीर्वाद देते हुए ही वापस लौटते हैं।'
- दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। सही ही कहा जाता है कि मां-बाप से बड़ा रिश्ता जिंदगी में कोई नही होता। इनका कर्ज जिंदगी भर नहीं चुकाया जा सकता। माता-पिता सारी उम्र अपने बच्चों के अरमान पूरे करने के लिए मेहनत करते हैं ताकि उनके बच्चे अपने जीवन में आगे बढ़ सकें और उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी न हो, लेकिन वही बच्चे बड़े होकर मां-बाप की फिक्र नहीं करते और अपना परिवार बस जाने पर कुछ बेटे अपने तो रिश्तों में ही उलझे रहते है और बूढे मां-बाप की तरफ ध्यान ही नहीं देते। ऐसे में इन बुजुर्गों की परेशानी का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। बुजुर्गों की सेवा के लिए समर्पित सामाजिक संस्था 'पहल' के चेयरमैन दीपक अग्रवाल ने विजयपुर के सलमेरी गांव में बजुर्गों दा बेह्ड़ा बनाने की शुरुआत कर युवाओं को प्रेरणा देने की कोशिश की है कि वे अपने बुजुर्गों को अनाथ न छोड़ें तथा जिन्होंने उनके लिए अपना पूरा जीवन कष्ट में बिता दिया, उनके लिए भी युवाओं का कुछ कर्तव्य बनता है।
बुजुर्गों के लिए निर्माणाधीन इस बेह्डे में बुजुर्गों की सुख-सुविधाओं के साथ-साथ मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिनमें कई ऐसी नायाब चीजों का समावेश किया जा रहा है जो आम तौर पर दुर्लभ हैं। पानी में खेलती, अठखेलियां करती बत्तखों को देखकर बुजुर्ग कुछ समय के लिए अपने सभी परेशानियों को भूल जाएंगे। वहीं विदेशों से आए मुर्गे, तीतर व बटेर उनका भरपूर मनोरंजन करेंगे।
जम्मू। सही ही कहा जाता है कि मां-बाप से बड़ा रिश्ता जिंदगी में कोई नही होता। इनका कर्ज जिंदगी भर नहीं चुकाया जा सकता। माता-पिता सारी उम्र अपने बच्चों के अरमान पूरे करने के लिए मेहनत करते हैं ताकि उनके बच्चे अपने जीवन में आगे बढ़ सकें और उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी न हो, लेकिन वही बच्चे बड़े होकर मां-बाप की फिक्र नहीं करते और अपना परिवार बस जाने पर कुछ बेटे अपने तो रिश्तों में ही उलझे रहते है और बूढे मां-बाप की तरफ ध्यान ही नहीं देते। ऐसे में इन बुजुर्गों की परेशानी का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। बुजुर्गों की सेवा के लिए समर्पित सामाजिक संस्था 'पहल' के चेयरमैन दीपक अग्रवाल ने विजयपुर के सलमेरी गांव में बजुर्गों दा बेह्ड़ा बनाने की शुरुआत कर युवाओं को प्रेरणा देने की कोशिश की है कि वे अपने बुजुर्गों को अनाथ न छोड़ें तथा जिन्होंने उनके लिए अपना पूरा जीवन कष्ट में बिता दिया, उनके लिए भी युवाओं का कुछ कर्तव्य बनता है।
बुजुर्गों के लिए निर्माणाधीन इस बेह्डे में बुजुर्गों की सुख-सुविधाओं के साथ-साथ मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिनमें कई ऐसी नायाब चीजों का समावेश किया जा रहा है जो आम तौर पर दुर्लभ हैं। पानी में खेलती, अठखेलियां करती बत्तखों को देखकर बुजुर्ग कुछ समय के लिए अपने सभी परेशानियों को भूल जाएंगे। वहीं विदेशों से आए मुर्गे, तीतर व बटेर उनका भरपूर मनोरंजन करेंगे।
'बजुर्गों दा बेह्ड़ा' में स्वच्छंद विचरण करते पक्षी |
श्री दीपक अग्रवाल ने बताया कि यदि युवा कुछ छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखें इस बुजुर्गों को दुविधा से निकाला जा सकता है जिनके अपनाने से आपके मम्मी-पापा के चेहरे पर खुशी झलक जाएगी। बच्चों को चाहिए कि वे मां-बाप को कभी भी पलट कर जवाब न दें क्योंकि वे हमेशा ऐसी बात ही कहेंगे जिसमें आपकी भलाई हो। कोई भी काम करने से पहले मां-बाप, बुजुर्ग की राय जरूर लें। इससे उन्हें अच्छा लगेगा।
हालांकि अभी यह बेह्ड़ा अपनी शैशवास्था मे ही है फिर भी इसे देखने आसपास के काफी लोग रोज आते हैं।
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