मात्र 10 साल की उम्र से ही खेल रहे हैं क्रिकेट
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाताजम्मू।
जम्मू-कश्मीर एक ऐसा राज्य है, जहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है। खेल जगत में राज्य के कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम कमा रहे हैं। ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं कन्हैया बधावन, जो क्रिकेट जगत में जम्मू शहर की उभरती प्रतिभाओं में शामिल हैं। कन्हैया 21 अगस्त से बेंगलौर में आयोजित होने वाले नेशनल क्रिकेट एकेडमी के शिविर के लिए चयनित किए गए हैं, जो जम्मू से चुने गए इकलौते खिलाड़ी हैं।
उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक रहा है और वे मात्र 10 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस शिविर में पूरे भारत से मात्र 22 खिलाडिय़ों का चयन किया गया है जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य से दो खिलाड़ी शामिल हैं।
कन्हैया ने अपने बारे में बताया कि उन्होंने 11 वर्ष की उम्र में उन्होंने नेशनल ध्रुव पांडव क्रिकेट ट्राफी में जम्मू-कश्मीर टीम की ओर से खेला। इसके बाद 2014-15 में इसी ट्राफी के लिए जम्मू-कश्मीर की टीम ने कन्हैया के नेतृत्व में खेला। इस टूर्नामेंट में कन्हैया ने बतौर विकेटकीपर खेलते हुए 10 कैच पकड़े और 400 से अधिक रन बनाए, जो पूरे उत्तर में सबसे अधिक रन थे।
इसके बाद कन्हैया वर्ष 2015-16 में विजय मर्चेन्ट ट्राफी में जम्मू-कश्मीर की टीम की ओर से खेले। इसके बाद इस वर्ष भी विजय मर्चेंट ट्राफी में खेलते हुए चार मैचों में 300 रन बनाकर इन्होंने जम्मू के नाम को खेल जगत में रोशन किया।
इस प्रदर्शन के बाद कन्हैया जोनल क्रिकेट एकेडमी के लिए चुने गए जिसमें पूरे उत्तर भारत से 25 खिलाड़ी चुने गए थे। इस एकेडमी के लिए कन्हैया को विकेट कीपर-बल्लेबाज की भूमिका के लिए चुना गया। इसके बाद पांच क्षेत्रों की क्रिकेट प्रतियोगिता में इन्होंने भाग लिया जिसमें नार्थ जोन की टीम से खेलते हुए चार मैचों में 85 के औसत से 160 रन बनाए और बतौर विकेट कीपर 11 कैच पकड़े।
कन्हैया ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्हें अपने भाई जतिन बधावन से क्रिकेट खेलने की प्रेरणा मिली और वह उनको अपना आदर्श मानते हैं, जो पिछले आठ वर्षों से राज्य के लिए खेल रहे हैं। कन्हैया ने बताया कि बड़े भाई के क्रिकेट खेलने के कारण उन्हें घर से भी पूरा समर्थन मिला। उन्होंने बताया कि प्रेक्टिस के लिए इन्होंने घर पर ही नेट और बॉलिंग मशीन लगाई हुई है जिस पर वे अपने साथियों के साथ कड़ा अभ्यास करते हैं। वे विकेटकीपर भी हैं। कन्हैया अपने कोच रणधीर सिंह मनहास के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहते हैं कि उनके कड़े अनुशासन और दिशा-निर्देशों के बल पर ही वे खुद के प्रदर्शन को इतना निखार पाए हैं। कन्हैया विकेटकीपिंग के गुर रमन थपलू से सीख रहे हैं, जो उन्हें हर तरीके से मदद कर विकेटकीपिंग की बारीकियां सिखा रहे हैं। कन्हैया की दिली ख्वाहिश है कि वे अंडर-19 में भारत देश के लिए क्रिकेट खेलने के साथ-साथ रणजी ट्राफी भी खेलना चाहते है। कोच रणधीर सिंह मनहास का मानना है कि कन्हैया में एक अच्छे क्रिकेटर बनने के सारे गुण मौजूद हैं और वह कड़ा अभ्यास कर अपना खेल निखार रहा है तथा खेल जगत में उसका भविष्य उज्जवल है।
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