शनिवार, अगस्त 12, 2017

भारत को जंग की ओर धकेल रहा मोदी का सख्त रवैया, वे जुआ खेल रहे हैं : चीन


 मोदी सरकार का ये सख्त रवैया ना ही कानून पर टिका है और ना ही उनकी ताकत पर।
 बीजिंग।
चीन के सरकारी न्यूज पेपर ग्लोबल टाइम्स ने अपने एडिटोरियल में एक बार फिर डोकलाम विवाद को लेकर भारत के खिलाफ तीखी टिप्पणी की है। ग्लोबल टाइम्स ने एडिटोरियल में कहा, 'मोदी हमारे लिए हार्ड लाइन स्टैंड अपनाकर अपनी अवाम की किस्मत के साथ जुआ खेल रहे हैं और भारत को जंग की ओर धकेल रहे हैं। मोदी को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की जबरदस्त ताकत का अंदाजा होना चाहिए, जो डोकलाम में भारतीय सेनाओं को कुचलने में का माद्दा रखती है।
बता दें कि सिक्किम सेक्टर में भूटान ट्राइजंक्शन के पास चीन एक सड़क बनाना चाहता है और भारत इसका विरोध कर रहा है। करीब 2 महीने से इस इलाके में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं।
एडिटोरियल में कहा गया, भारत ने ऐसे देश को चैलेंज किया है, जो उससे ताकत में कहीं ज्यादा आगे है। ये एक ऐसी जंग होगी, जिसका नतीजा सभी को मालूम है। भारत की इस लापरवाही ने चीन को चौंका दिया है। नरेंद्र मोदी सरकार को पीएलए की जबरदस्त ताकत का अंदाजा होना चाहिए। भारतीय बॉर्डर सेनाओं का चीन की फील्ड फोर्सेस से कोई मुकाबला नहीं है। अगर जंग छिड़ी तो पीएलए बॉर्डर इलाके से भारतीय सेनाओं को खदेडऩे की ताकत रखती हैं।
मोदी सरकार का ये सख्त रवैया ना ही कानून पर टिका है और ना ही उनकी ताकत पर। ये सरकार लापरवाही से इंटरनेशनल लॉ को तोड़ रहा है और भारत के राष्ट्रीय गौरव और शांतिपूर्ण विकास को मुश्किल में डाल रहा है। ये रीजनल सिक्युरिटी के लिए बेहद गैरजिम्मेदाराना कदम है। वे भारत की किस्मत और अवाम की बेहतरी से जुआ खेल रहे हैं। अगर मोदी सरकार रुकती नहीं है तो ये देश को ऐसी जंग में धकेल देगी, जो उसके कंट्रोल में नहीं होगी। भारत साउथ एशिया में चीन को उस तरह से नहीं धमका सकता है, जैसे दूसरों को धमकाता है।
पीएलए जंग के लिए तैयार थी, लेकिन वो शांति चाहती है इसलिए खुद पर कंट्रोल रखा। हम शांति को एक मौका देना चाहते हैं और ये भी चाहते हैं कि भारत इन गंभीर परिस्थितियों को पहचान ले। पीएलए ने पिछले महीने तब हमला नहीं बोला, जब भारतीय सेनाओं ने चीन के इलाके में घुसपैठ की। मोदी सरकार चीन की भलमनसाहत को उसकी कमजोरी के तौर पर देख रही है, उसकी ये लापरवाही उसे बर्बादी की ओर ले जाएगी।
सिक्किम के डोकलाम एरिया पर भारत से जारी विवाद के बीच चीन के एक एक्सपर्ट ने बीजिंग की तरफ से छोटे पैमाने पर मिलिट्री ऑपरेशन की आशंका जताई है। एक्सपर्ट ने कहा है, 'चीन डोकलाम में लंबे वक्त तक गतिरोध बने रहने की इजाजत नहीं दे सकता, इसलिए वहां से भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए 2 हफ्तों के भीतर छोटे पैमाने पर मिलिट्री ऑपरेशन किया जा सकता है।
हू झियॉन्ग ने अपने दावे के सपोर्ट में तिब्बत में हाल ही में चीन द्वारा की गई लाइव फायर एक्सरसाइज का तर्क दिया है। इनका यह भी कहना है, भारत ने हाल के वर्षों में चीन को लेकर एक अपरिपक्व नीति अपनाई है। भारत में चीन जैसा विकास नहीं हो पाया है और यह देश इस इलाके में सिर्फ विवाद पैदा करना चाहता है जबकि असल में कोई विवाद है ही नहीं। इसके पीछे भारत की मंशा चीन के साथ सौदेबाजी करना है।
झानवू ने कहा, उम्मीद है कि सीमा विवाद से एक तर्कसंगत और रचनात्मक तरीके से निपटा जाएगा। साथ ही इसे जल्द से जल्द सुलझा लिया जाएगा।" उन्होंने कहा, चीन और भारत के बीच मतभेद हैं, लेकिन ये भाई-बहन के मतभेदों की तरह ही हैं, अगर आपका रिश्ता भाई-बहन जैसा है तो मतभेद तो होंगे ही। आपके अपने माता-पिता के साथ भी मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप उनके साथ रह नहीं सकते। मतभेद होने का मतलब ये नहीं है कि आप अपने भाई या बहन के साथ दूसरे मुद्दों पर काम करना बिलकुल बंद कर देंगे।
बता दें कि भारत की फॉरेन मिनिस्टर सुषमा स्वराज ने डोकलाम विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने पर जोर देते हुए कहा था कि दोनों देश पहले अपने सैनिकों को वापस बुलाएं, उसके बाद बातचीत होगी।
चीन सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क बना रहा है। डोकलाम के पठार में ही चीन, सिक्किम और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। भूटान और चीन इस इलाके पर दावा करते हैं। भारत भूटान का साथ देता है। भारत में यह इलाका डोकलाम और चीन में डोंगलोंग कहलाता है।
चीन ने जून की शुरुआत में यह सड़क बनाना शुरू किया। भारत ने विरोध जताया तो चीन ने घुसपैठ कर दी। चीन ने भारत के दो बंकर तोड़ दिए। तभी से तनाव है।
दरअसल, सिक्किम का मई 1975 में भारत में विलय हुआ था। चीन पहले तो सिक्किम को भारत का हिस्सा मानने से इनकार करता था। लेकिन 2003 में उसने सिक्किम को भारत के राज्य का दर्जा दे दिया। हालांकि, सिक्किम के कई इलाकों को वह अपना बताता रहा है।
विवाद की वजह 1890 का वह समझौता है, जो ब्रिटिश शासन ने चीन के चिंग राजवंश के साथ किया था। उसमें अलग-अलग जगहों पर बॉर्डर दिखाई गई थीं। उसके मुताबिक, एक बड़े हिस्से पर भूटान का कंट्रोल है, जहां भारत का उसे सपोर्ट और मिलिट्री कोऑपरेशन हासिल है।
इसी समझौते के हिस्से में आने वाले डोकलाम के पठार पर भारत और चीन के जवान शून्य डिग्री से नीचे के तापमान में तैनात हैं। ये तैनाती नॉर्मल नहीं है। दोनों देश सैनिकों की वापसी पर अड़ गए हैं।
चीन जहां सड़क बना रहा है, उसी इलाके में 20 किमी हिस्सा सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी हिस्से से जोड़ता है। यह 'चिकेन नेक
अगर चीन ने सड़क को बढ़ाया तो वह न सिर्फ भूटान के इलाके में घुस जाएगा, बल्कि वह भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के सामने भी खतरा पैदा कर देगा।
दरअसल, 200 किमी लंबा और 60 किमी चौड़ा सिलीगुड़ी कॉरिडोर ही पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी राज्यों से जोड़ता है। इसलिए भारत नहीं चाहेगा कि यह चीन की जद में आए।

0 टिप्पणियाँ :

एक टिप्पणी भेजें