दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।
लद्दाख में चीन की चुनौती का सामना कर रहे सैनिकों का हौसला बढ़ाने पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सेना देश के सामने आने वाली किसी भी चुनौती का डटकर सामना करने के लिए तैयार रहे। लद्दाख स्काउट्स रेजीमेंटल सेंटर में लद्दाख स्काउट्स व इसकी पांच बटालियनों को फ्लैग व राष्ट्रपति कलर्स प्रदान करने के बाद उन्होंने जवानों को शपथ दिलाई कि वे हर हाल में देश की संप्रभुता को बचाएंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद उनका यह पहला दौरा देश की सीमाओं की रक्षा कर रही सेना को समर्पित रहा।
लेह में लद्दाख स्काउट्स के जवानों की बहादुरी की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बर्फीले रेगिस्तान व सियाचिन में मातृभूमि की खातिर उनकी कुर्बानियों का देश कायल है। लेह में राष्ट्रपति ने महावीर चक्र विजेता कर्नल सोनम वांगचुक के जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री भी जारी की।
उन्होंने लद्दाख की वीर नारियों व पदक विजेताओं से भी बातचीत की। इस मौके पर जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह और थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत भी मौजूद थे। राष्ट्रपति सोमवार सुबह लेह एयरपोर्ट पहुंचे जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर पेश किया। डोकलाम विवाद के चलते राष्ट्रपति का यह दौरा लद्दाख में बुरी नीयत रखने वाले चीन को भी स्पष्ट संकेत है कि वह अपनी हद में रहे। लद्दाख में पाकिस्तान व चीन के सामने सीना ताने खड़ी सेना का हौसला बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति ने लेह में जवानों के साथ चाय भी पी। राष्ट्रपति दिल्ली लौटने से पहले लेह के महाबोधी इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर भी गए। उन्होंने सेंटर के विद्यार्थियों को संबोधित करने के साथ विश्व शांति के लिए बुद्धा पार्क का नींव पत्थर भी रखा। राष्ट्रपति के दौरे से पहले थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत रविवार को ही पहुंच गए थे।
लद्दाख स्काउट्स का गठन 1948 में नोबरा गा?र्ड्स के रूप में हुआ था। कारगिल युद्ध में वीरता की मिसाल बने लद्दाख स्काउट्स का 2000 में पुनर्गठन कर इसे इंफैंट्री रेजीमेंट का दर्जा दिया गया था। लद्दाख स्काउट्स को 605 वीरता पदक मिले हैं।
जम्मू।
लद्दाख में चीन की चुनौती का सामना कर रहे सैनिकों का हौसला बढ़ाने पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सेना देश के सामने आने वाली किसी भी चुनौती का डटकर सामना करने के लिए तैयार रहे। लद्दाख स्काउट्स रेजीमेंटल सेंटर में लद्दाख स्काउट्स व इसकी पांच बटालियनों को फ्लैग व राष्ट्रपति कलर्स प्रदान करने के बाद उन्होंने जवानों को शपथ दिलाई कि वे हर हाल में देश की संप्रभुता को बचाएंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद उनका यह पहला दौरा देश की सीमाओं की रक्षा कर रही सेना को समर्पित रहा।
लेह में लद्दाख स्काउट्स के जवानों की बहादुरी की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बर्फीले रेगिस्तान व सियाचिन में मातृभूमि की खातिर उनकी कुर्बानियों का देश कायल है। लेह में राष्ट्रपति ने महावीर चक्र विजेता कर्नल सोनम वांगचुक के जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री भी जारी की।
उन्होंने लद्दाख की वीर नारियों व पदक विजेताओं से भी बातचीत की। इस मौके पर जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह और थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत भी मौजूद थे। राष्ट्रपति सोमवार सुबह लेह एयरपोर्ट पहुंचे जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर पेश किया। डोकलाम विवाद के चलते राष्ट्रपति का यह दौरा लद्दाख में बुरी नीयत रखने वाले चीन को भी स्पष्ट संकेत है कि वह अपनी हद में रहे। लद्दाख में पाकिस्तान व चीन के सामने सीना ताने खड़ी सेना का हौसला बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति ने लेह में जवानों के साथ चाय भी पी। राष्ट्रपति दिल्ली लौटने से पहले लेह के महाबोधी इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर भी गए। उन्होंने सेंटर के विद्यार्थियों को संबोधित करने के साथ विश्व शांति के लिए बुद्धा पार्क का नींव पत्थर भी रखा। राष्ट्रपति के दौरे से पहले थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत रविवार को ही पहुंच गए थे।
लद्दाख स्काउट्स का गठन 1948 में नोबरा गा?र्ड्स के रूप में हुआ था। कारगिल युद्ध में वीरता की मिसाल बने लद्दाख स्काउट्स का 2000 में पुनर्गठन कर इसे इंफैंट्री रेजीमेंट का दर्जा दिया गया था। लद्दाख स्काउट्स को 605 वीरता पदक मिले हैं।
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