कश्मीर यूं ही नहीं जल उठता
जम्मू।
पिछले वर्ष आतंकी बुरहान बानी के सफाए के बाद कश्मीर घाटी सुलग उठी थी। करीब 115 दिनों तक घाटी में जनजीवन बेपटरी हो गया था। आम लोग घरों में कैद होने के लिए मजबूर थे। जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती आम लोगों से शांति बहाली की अपील कर रहीं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत की हिफाजत करना सरकार की जिम्मेदारी है। कश्मीर, भारत का ताज है और उस ताज को बचाए रखने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है। लेकिन क्या आपको पता है कि कश्मीर की सड़कों पर पत्थरबाजी करने वालों का आतंकी बुरहान बानी से किसी तरह का लगाव नहीं था, बल्कि वो उन अलगाववादी नेताओं के इशारे पर काम कर रहे थे, जो पाकिस्तान की सरपरस्ती में साजिश रचते हैं।
उजली दाढ़ी और शराफत का चेहरा लेकर आजादी का राग अलापने वाले गिलानी उनके अगुवा थे। गिलानी के नापाक मंसूबों की पोल परत दर परत खुल रही है। जांच एजेंसी एनआइए के हाथ एक कैलेंडर लगा है, जिससे साफ है कि गिलानी किस तरह का खेल करते रहे हैं। सबसे पहले ये जानने की कोशिश करते हैं कि गिलानी के दस्तखत वाले कैलेंडर में क्या कुछ है।
4 अगस्त 2016- सेना और सुरक्षाबलों के खिलाफ प्रदर्शन की अपील।
6 अगस्त - को लोगों से अलग-अलग इलाकों में इकठ्ठा होकर धरना प्रदर्शन की अपील की गई।
8 अगस्त- श्रीनगर जाने वाली सभी सड़कों को ब्लॉक करने की अपील के साथ लोगों से ये कहा गया कि वो अपने दफ्तरों में न जाएं।
9 अगस्त- औरतों से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की गई थी। इसके साथ ही घाटी के अलग-अलग इलाकों में इस्लामिक और आजादी के गानों को बजाने की अपील की गई।
10 अगस्त- घाटी के लोगों से कहा गया कि वो सुरक्षाबलों को खत दें, जिसमें ये लिखा जाए कि वो घाटी को छोड़ दें।
14 अगस्त - पाकिस्तान दिवस दिन के विशेष कार्यक्रम हों, सभी मस्जिदों में 14 अगस्त को आजादी के गाने बजाए जाएं।
15 अगस्त- कश्मीर में काला दिवस मनाने के साथ घरों, चौराहों पर काले झंडे लगाए जाएं।
पैंथर्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भीम सिंह ने कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार को ठोस नीति की घोषणा करनी चाहिए। आप एक झंडा और एक विधान के बगैर कश्मीर की समस्या का हल नहीं निकाल सकते हैं। टुकड़ो में किए जा रहे प्रयासों का कोई अर्थ नहीं है। केंद्र सरकार और भाजपा धारा 370 के बारे में स्पष्ट राय क्यों नहीं रख रही है। जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन के साथ साथ केंद्र में भी भाजपा की सरकार है। केंद्र सरकार चाहे तो कन्याकुमारी में जो कानून लागू है वो जम्मू-जम्मू-कश्मीर में भी लागू कर सकती है।
उजली दाढ़ी और शराफत का चेहरा लेकर आजादी का राग अलापने वाले गिलानी उनके अगुवा थे। गिलानी के नापाक मंसूबों की पोल परत दर परत खुल रही है। जांच एजेंसी एनआइए के हाथ एक कैलेंडर लगा है, जिससे साफ है कि गिलानी किस तरह का खेल करते रहे हैं। सबसे पहले ये जानने की कोशिश करते हैं कि गिलानी के दस्तखत वाले कैलेंडर में क्या कुछ है।
4 अगस्त 2016- सेना और सुरक्षाबलों के खिलाफ प्रदर्शन की अपील।
6 अगस्त - को लोगों से अलग-अलग इलाकों में इकठ्ठा होकर धरना प्रदर्शन की अपील की गई।
8 अगस्त- श्रीनगर जाने वाली सभी सड़कों को ब्लॉक करने की अपील के साथ लोगों से ये कहा गया कि वो अपने दफ्तरों में न जाएं।
9 अगस्त- औरतों से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की गई थी। इसके साथ ही घाटी के अलग-अलग इलाकों में इस्लामिक और आजादी के गानों को बजाने की अपील की गई।
10 अगस्त- घाटी के लोगों से कहा गया कि वो सुरक्षाबलों को खत दें, जिसमें ये लिखा जाए कि वो घाटी को छोड़ दें।
14 अगस्त - पाकिस्तान दिवस दिन के विशेष कार्यक्रम हों, सभी मस्जिदों में 14 अगस्त को आजादी के गाने बजाए जाएं।
15 अगस्त- कश्मीर में काला दिवस मनाने के साथ घरों, चौराहों पर काले झंडे लगाए जाएं।
पैंथर्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भीम सिंह ने कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार को ठोस नीति की घोषणा करनी चाहिए। आप एक झंडा और एक विधान के बगैर कश्मीर की समस्या का हल नहीं निकाल सकते हैं। टुकड़ो में किए जा रहे प्रयासों का कोई अर्थ नहीं है। केंद्र सरकार और भाजपा धारा 370 के बारे में स्पष्ट राय क्यों नहीं रख रही है। जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन के साथ साथ केंद्र में भी भाजपा की सरकार है। केंद्र सरकार चाहे तो कन्याकुमारी में जो कानून लागू है वो जम्मू-जम्मू-कश्मीर में भी लागू कर सकती है।
गिलानी के हस्ताक्षर वाला कैलेंडर अलगाववादी नेता अल्ताफ शाह के घर से मिला था। इसमें सुरक्षाबलों के खिलाफ लोगों को भड़काने की साजिश का पूरा खाका है। कैलेंडर अगस्त 2016 का बताया जा रहा है। इससे पहले भी जांच एजेंसियों के हाथ कई जानकारियां लगी थीं, जिनमें हुर्रियत और आतंकी गुटों के बीच फंडिंग की जानकारी सामने आई थी। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है। कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं मसलन अलगाववादी नेताओं के पास अकूत संपत्ति है। इन अलगाववादी नेताओं को सीमापार और हवाला के जरिए पैसे मिलते हैं।
एनआइए ने रविवार को गिलानी के करीबी वकील देविंदर सिंह बहल के जम्मू स्थित घर पर छापा मारा। एनआइए अधिकारियों का मानना है कि कैलेंडर से ये साफ है कि सोची समझी रणनीति के तहत गिलानी सेना और सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की रणनीति पर काम कर रहे थे। सेना और सुरक्षाबलों पर कब और कहां निशाना बनाना है, इसका खाका पहले ही तैयार किया जाता है। सुरक्षाबलों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए लोगों को उकसाया जाता है।
एनआइए ने गिलानी के दूसरे बेटे नसीम को समन कर पूछताछ के लिए बुलाया है। इसके अलावा उसके दामाद और पेशे से सर्जन नयीम से भी पूछताछ हुई है। वो 11 साल बाद 2010 में पाकिस्तान से वापस भारत आया था। उसे गिलानी का उत्तराधिकारी भी माना जाता है। गिलानी के एक दामाद अल्ताफ अहमद शाह की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है।
एनआइए ने रविवार को गिलानी के करीबी वकील देविंदर सिंह बहल के जम्मू स्थित घर पर छापा मारा। एनआइए अधिकारियों का मानना है कि कैलेंडर से ये साफ है कि सोची समझी रणनीति के तहत गिलानी सेना और सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की रणनीति पर काम कर रहे थे। सेना और सुरक्षाबलों पर कब और कहां निशाना बनाना है, इसका खाका पहले ही तैयार किया जाता है। सुरक्षाबलों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए लोगों को उकसाया जाता है।
एनआइए ने गिलानी के दूसरे बेटे नसीम को समन कर पूछताछ के लिए बुलाया है। इसके अलावा उसके दामाद और पेशे से सर्जन नयीम से भी पूछताछ हुई है। वो 11 साल बाद 2010 में पाकिस्तान से वापस भारत आया था। उसे गिलानी का उत्तराधिकारी भी माना जाता है। गिलानी के एक दामाद अल्ताफ अहमद शाह की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है।
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