शुक्रवार, अगस्त 25, 2017

एनडीए में शामिल होगी जेडीयू


पटना।
पटना में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शनिवार को हुई बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया है। पार्टी ने सर्वसम्मति से तय किया है कि वो एनडीए में शामिल होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर हुई पार्टी की बैठक में यह फैसला लिया गया है। वहीं दूसरी तरफ पटना में शरद यादव समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं और नीतीश कुमार के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि जदयू की बैठक में इस बैठक में शरद यादव को लेकर कोई बड़ा फैसला हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ शरद यादव भी पार्टी नेताओं की एक बैठक आज ही बुलाई है। इसके बाद यह दिलचस्प होगा कि जदयू का कौन सा नेता किसा तरफ जाता है। बैठक से पहले शहर की सड़कों पर पोस्टर वार छिड़ती दिखी। नीतीश और शरद यादव दोनों के ही समर्थकों ने अपने-अपने होर्डिंग लगाकर खुद को असली जदयू बताया है।
बैठक में जाने से पहले पार्टी के नात केसी त्यागी ने कहा कि इसके लिए शरद यादव को भी निमंत्रण भेजा गया है, वो बैठक में आकर मतभेद सुलझा सकते हैं। वहीं खबर है कि इस बैठक में शरद यादव शामिल नहीं होंगे।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद राष्ट्रीय परिषद का खुला अधिवेशन दोपहर बाद तीन बजे वीरचंद पटेल पथ स्थित रवींद्र भवन में होगा। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुला अधिवेशन को मुख्य रूप से संबोधित करेंगे। कई राज्यों से जदयू के प्रतिनिधि खुला अधिवेशन में शामिल होंगे।
11 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी दिल्ली यात्रा के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भेंट की थी। अमित शाह ने मुख्यमंत्री को अपने आवास पर आमंत्रित किया था। उसी मुलाकात के दौरान शाह ने नीतीश को राजग में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद शाह ने इस आशय का ट्वीट भी किया था।
जदयू के राजग में शामिल होने से बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव का प्लेटफॉर्म तैयार हो रहा है। इसका असर यह भी संभव है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नीतीश कुमार को राजग का संयोजक बना दिया जाए। पूर्व में जदयू के जार्ज फर्नांडिस राजग के संयोजक रहे हैं। जदयू नेता संजय झा ने कहा कि जब बिहार में भाजपा और जदयू की सरकार है तो यह स्वाभाविक है कि जदयू अब राजग का हिस्सा हो जाएगा। लोकसभा चुनाव में इसका काफी असर दिखेगा।
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के एक दिन पहले शुक्रवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों की बैठक मुख्यमंत्री आवास में हुई। बैठक में शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लिए जाने वाले राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक प्रस्तावों के साथ-साथ बागी तेवर अख्तियार किए शरद यादव पर भी चर्चा हुई। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने बैठक के बाद कहा कि अगर 27 तारीख की राजद की रैली में शरद यादव लालू प्रसाद के साथ मंच साझा करते हैं तो यह बर्दाश्त नहीं होगा। पार्टी तुरंत कठोर निर्णय लेगी।
इस बीच पटना में अपने जन अदालत सम्मेलन के लिए कृष्ण मेमोरियल हॉल पहुंचे शरद यादव ने कहा कि मैं किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि बिहार के लोगों के साथ हूं। बिहार के लोग दुखी हैं। इसके साथ ही उन्होंने सम्मेलन में शामिल नेताओं से कहा कि जो भी मंच पर बोले आए वे किसी का नाम लिए बिना ही अपनी बात रखें।
वहीं शरद यादव कैंप भी भरपूर समर्थन का दावा कर रहा है। शरद समर्थक अरुण श्रीवास्वत कहते है,  हम असली जनता दल है। हम दावा करने के लिए लड़ाई करेंगे। हमारे पास ज्यादा समर्थन है। बिहार से बाहर नीतीश को किसी का समर्थन नहीं है। ये वो बीजेपी नहीं है, जिससे हमने गठबंधन किया था। हम मंदिर और आर्टिकल 370  पर समझौता नहीं कर सकते। अगर लालू भ्रष्टाचारी थे, तब नीतीश ने चुनाव जीतने के लिए उनसे हाथ क्यों मिलाया?
दरअसल शरद यादव अब इंतजार कर रहे हैं कि नीतीश कुमार पार्टी से बगावत के बाद उन्हें कब बाहर का रास्ता दिखाते हैं। सूत्रों की मानें तो उसके बाद शरद यादव चुनाव आयोग में जेडीयू का असली उत्तराधिकारी होने का वैसे ही दावा पेश करेंगे, जैसे मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी पर अपने वर्चस्व को लेकर चुनाव आयोग में दावा किया था।
इसमें फर्क सिर्फ इतना है कि जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी पर अपने वर्चस्व का दावा किया था, तब कांग्रेस मुलायम सिंह यादव के खिलाफ और अखिलेश यादव के पक्ष में खड़ी थी और आखिर में फैसला अखिलेश यादव के पक्ष में आया था, लेकिन इस बार कांग्रेस शरद यादव के साथ और नीतीश कुमार के खिलाफ खड़ी होगी। इतना तय है कि आने वाले दिनो में कांग्रेस शरद यादव के कंधों का इस्तेमाल करके नीतीश कुमार को निशाना बनाएगी और बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करेगी।
शरद यादव और नीतीश कुमार की जेडीयू पर वर्चस्व की लड़ाई में बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिलेगी। साथ ही चुनाव आयोग में बीजेपी और कांग्रेस के कानून के जानकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की चुटीली नोकझोंक का नजारा देखने को भी मिलेगा। असल में शरद यादव के समर्थकों का कहना कि साल 1999 में नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नाडिस ने अपने राजनैतिक फायदे के लिए अपनी समता पार्टी का विलय शरद यादव की जेडीयू में किया था।
इसलिए शरद यादव के समर्थकों का यह भी कहना है कि शरद यादव ही जेडीयू के असली उतराधिकारी हैं। अगर किसी को जेडीयू से बाहर जाना है, तो नीतीश कुमार और उनके समर्थकों को जाना चाहिए। शरद यादव को जेडीयू से बाहर किए जाने के बाद उनकी और नीतीश कुमार की लड़ाई का अखाड़ा चुनाव आयोग ही होगा।गी जेडीयू

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