बात करना कौन नहीं चाहता! जी हां, हम सब बात करना चाहते हैं। एक बार जब बात करना शुरु करते हैं, तो बातें खत्म होने को ही नहीं आतीं। चलिए हम भी बातें शुरु कर देते हैं। पहले बातें कल की। गत सप्ताह हम सबके लिए एक ख़ास दिन था। स्वतंत्रता की 71वीं सालगिरह के साथ-साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी भी थी यानी, देश की स्वतंत्रता का जन्मदिन, रण भूमि में 'श्रीमद्भगवद्गीता
जम्मू-कश्मीर में एक शहीद के बेटी से झंडारोहण करवाया गया। एक सरकारी स्कूल में एक शरारती बंदर ने झंडे के डंडे पर चढ़कर तिरंगा झंडा लहरा दिया। जश्न-ए-आजादी की उमंग में बाढ़ में डूबकर भी तिरंगे झंडे को सलामी दी गई। लोग झंडा लहराने और झंडारोहण में भाग लेने के लिए नाव पर चढ़कर भी आए। अमेरिकी राजदूत जनता के वोट के साथ गईं और उन्होंने इस समारोह के लिए कांजीवरम साड़ी पहनी। पीएम मोदी ने किसी नई योजना ऐलान नहीं किया, बल्कि पहले की योजनाओं को और अधिक गंभीरता से पूरा करने का संकल्प जताया यानी संकल्प से सिद्धि तक पहुंचने का मंत्र बताया। विराट कोहली ने श्रीलंका में तिरंगा फहराया। एक युवक ट्रैफिक में कर रहा था स्टंट, उस सुपरबाइकर की इहलीला समाप्त हो गई। डोकलाम के बाद लद्दाख में चीन ने की घुसपैठ की कोशिश, भारतीय सेना ने खदेड़ा। भारतीय सेना को बधाई व शुभकामनाएं।
जो लोग अपने हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स में फंसे हुए हैं, उनके लिए एक अच्छी खबर आई है- हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स पूरे करने के लिए बेची जाएंगी बिल्डरों की दूसरी ऐसेट्स! वहा भाई, छकाने वालों को खूब छकाया। एक सुर अच्छी खबर- बेंगलुरु में खुलेंगी 101 कैंटीन, मिलेगा 5 रुपये में खाना मिलेगा। कोई भूखा न रहे मेरे भारत में। 15 अगस्त पर उड़ाई गईं पतंगें। हमने भी पतंग उड़ाई-
मैंने एक पतंग उड़ाने का प्रयास किया है,
आरोपों-प्रत्यारोपों को उड़ा दिया है,
भ्रष्टाचार को, अत्याचार को, आतंकवाद को,
नकारने का सुदृढ़ संकल्प लिया है।
70 साल की आजादी के भाषण अखबारों पर छाए रहे। चीफ जस्टिस बोले खरी बात, दलित राष्ट्रपति और चायवाला बना पीएम, यही है स्वतंत्रता। जन्माष्टमी पर दिखे प्यारे-प्यारे कान्हा और उनकी मनमोहक छवि ने मन मोह लिया।
महज 5 घंटों में बेंगलुरु में हुई महीने भर की बारिश। इस समाचार पर एक पाठक महेश शर्मा ने बहुत अच्छी प्रतिक्रिया लिखी- इस पानी को स्टोर करके रखें ,गर्मी मे परेशानी नहीं होगी। बिहार में लगातार भीषण हो रही बाढ़ की विभीषिका पैदा हो गई है, अब तक लगभग 100 लोगों की मौत हो गई है। बाढ़ के कारण असम में अब तक लाखों लोग बेघर हो चुके हैं और कई जानें जा चुकी हैं। यहां के हाथी, गैंडे और भी कई जानवर इस बाढ़ के पानी में फंसे हुए हैं। ब्रह्मपुत्र नदी के जलीय जीव तक इस बाढ़ के कहर से अछूते नहीं हैं। बाढ़ में फंसी एक बड़ी मछली, नदी से हाइवे पर पहुंची। हाइवे पर पानी की तेज और गहरी धार के बीच खड़े लोगों की नजर उस मछली पर पड़ी तो उसे पकडऩे को आगे बढ़े। मछली इतनी बड़ी थी, कि उसे काबू में करने के लिए 2-3 लोगों की जरूरत पड़ी।
महाराष्ट्र के खड़की गांव के लोगों ने इस स्वतंत्रता दिवस पर सरकार को गांधीगिरी के जरिये संदेश देने का मन बनाया है। यह गांव चंद्रपुर जिले के माणिकगढ़ पहाड़ी पर बसा है। माणिकगढ़ में दशकों से कोलाम आदिवासी रहते हैं। उन तक विकास अब तक नहीं पहुंच पाया है। आजादी के 6 दशक के बाद भी उनका गांव सड़क संपर्क से मरहूम है। ग्रामीणों को अपने घर पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते 5 नदियों को पार करना पड़ता है। अब जब पूरा देश आजादी के 70वें साल का जश्न मना रहा है तब कुछ एनजीओ 3 किलोमीटर लम्बी सड़क बनाने जा रहे हैं। उन्होंने यह सड़क सरकार को तोहफे में देने का फैसला किया है। यह हुई न अपना हाथ जगन्नाथ वाली बात! बधाई हो।
वहीं यूपी का एक गांव ऐसा भी है, जहां स्वतंत्रता दिवस नहीं मना। वजह महाराष्ट्र के खड़की गांव से बिलकुल उल्टी है। आजादी के 70 साल पूरे होने के बाद भी यह गांव समझ नहीं पा रहा कि वह किस बात का जश्न मनाए। बुनियादी सुविधाएं भी न होने की वजह से मैलानी के चौधीपुर गांव के लोगों ने यह फैसला किया है। सोचने वाली बात है।
अब आपकी मुलाकात 2 गांवों से करा रहे हैं, जिन्हें आजादी के 70 साल बाद अंधेरे से आजादी मिली है। देश की आजादी की 70वीं वर्षगांठ से ठीक पहले दिल्ली से महज 260 किलोमीटर और लखनऊ से 10 घंटे की दूरी पर स्थित बिजनौर जिले का हल्दू खाटा गांव को बिजली की सौगात मिली है। हल्दू खाटा से कुछ दूरी पर ही जाफराबाद गांव है। इस गांव को भी हल्दू खाटा के साथ ही अंधकार से मुक्ति मिली है। बधाई हो।
बात-बात पर पुरानी बात की याद आ ही जाती है। हमने जब जन्माष्टमी के अवसर पर बनने वाले धनिए के विशेष प्रसाद को खाया, तो हमें अचानक अपनी बहुत पुरानी सहकर्मी सुषमा अरोड़ा की याद आ गई। उसकी सोसाइटी में जन्माष्टमी के अवसर पर धनिए का यह विशेष प्रसाद नहीं बनता था। उसे यह प्रसाद बहुत अच्छा लगता था, अत: मैं उसके लिए अगले दिन यह विशेष प्रसाद लेकर जाती थी, वह बहुत खुश हो जाती थी। किसी को खुशी देकर हमारा खुश होना भी स्वाभाविक है।
कैप्टन विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री के नेतृत्व में टीम इंडिया ने श्रीलंका में ही स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया। टीम इंडिया ने कैंडी में तिरंगा फहराकर 71वें स्वतंत्रता दिवस को सेलिब्रेट किया। कोहली ने इसके बाद अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक इमोशनल विडियो भी शेयर किया। इसमें उन्होंने अपने बचपन की यादें बताईं। भारतीय टीम ने ठीक एक दिन पहले ही टेस्ट सीरीज में श्रीलंका का 3-0 से सफाया कर भारत को स्वतंत्रता दिवस का तोहफा दिया है। कोहली को अपने बचपन की याद आ गई। कोहली ने कहा कि जब वह बच्चे थे तो दिल्ली में अपने परिवार के साथ इस दिन पतंगे उड़ाया करते थे। उन्होंने कहा कि चारों तरफ लहर रहा तिरंगा उनके और तमाम भारतीयों को गर्व की अनुभूति देता है। कोहली ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस एक और वजह से उनके लिए खास है। टीम इंडिया के कैप्टन विराट ने कहा कि 15 अगस्त को ही उनके पिता का भी जन्मदिन होता है। इसलिए यह दिन उनके लिए और खास बन जाता है। कोहली जी, हमारे लिए भी यह दिन दोहते मेहुल का जन्मदिन होने के कारण और खास हो जाता है। बधाई आपको भी, हमको भी।
एक और समाचार से हमें बचपन की एक कहानी याद आ गई। एक धनवान पिता का एक बेटा धन खर्चता नहीं था, उड़ाता था। उसे सबक सिखाने के एक दिन पिता ने अचानक उसे कुछ कमाकर लाने के लिए कहा। वह बड़ी मुश्किल से शाम तक एक रुपया कमा पाया। पिता ने उसे एक रुपए को कुंएं में डाल आने के लिए कहा। बेटा बहुत उदास और हताश हो गया। बड़ी मुश्किल से मेहनत से कमाया हुआ वह एक रुपया भी उसके लिए बेशकीमती था। इसके बाद उसे धन की कीमत समझ मेंआ गई। ऐसा ही आज के ज़माने में भी हुआ।
अरबों की कंपनी हरे कृष्णा डायमंड एक्सपोर्ट्स के मालिक घनश्याम ढोलकिया के बेटे हितार्थ ढोलकिया हैदराबाद में एक आम आदमी की तरह जिंदगी बिताई। एक महीने के लिए दुनिया के सभी ऐशो-आराम छोड़कर हितार्थ ने आम आदमी की जिंदगी की तकलीफों और कठिनाइयों का सामना किया। आईपीएस अधिकारी राजीव त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हितार्थ के नजरिए की तारीफ की।
बात नहीं हम काम करेंगे,
जग में देश का नाम करेंगे,
शुभ संकल्प का संबल लेकर,
सिद्धि को हम सलाम करेंगे।
के उन्नायक श्री कृष्ण का भी जन्मदिन था। सभी लोग पूरा दिन समारोह की तैयारी और समारोह की रौनक में डूबकर आनंद लेने में व्यस्त रहे। सुबह दिल्ली के लाल किले से लेकर देश के सभी राज्यों की राजधानियों, शहरों, गांवों, स्कूलों, सभा-समितियों, स्कूलों-पंचायतों-सोसाइटियों में तिरंगे झंडे के लहराने की धूम मची रही। दोपहर में दही हांडी का समारोह और शाम से लेकर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कीर्तनों की बहार छाई रही। रात को एक बजे सोने के बारे में सोचा गया। विदेशों से भी ऐसे समारोहों के समाचार आते रहे। इसमें भी कुछ ख़ास बातें-
जम्मू-कश्मीर में एक शहीद के बेटी से झंडारोहण करवाया गया। एक सरकारी स्कूल में एक शरारती बंदर ने झंडे के डंडे पर चढ़कर तिरंगा झंडा लहरा दिया। जश्न-ए-आजादी की उमंग में बाढ़ में डूबकर भी तिरंगे झंडे को सलामी दी गई। लोग झंडा लहराने और झंडारोहण में भाग लेने के लिए नाव पर चढ़कर भी आए। अमेरिकी राजदूत जनता के वोट के साथ गईं और उन्होंने इस समारोह के लिए कांजीवरम साड़ी पहनी। पीएम मोदी ने किसी नई योजना ऐलान नहीं किया, बल्कि पहले की योजनाओं को और अधिक गंभीरता से पूरा करने का संकल्प जताया यानी संकल्प से सिद्धि तक पहुंचने का मंत्र बताया। विराट कोहली ने श्रीलंका में तिरंगा फहराया। एक युवक ट्रैफिक में कर रहा था स्टंट, उस सुपरबाइकर की इहलीला समाप्त हो गई। डोकलाम के बाद लद्दाख में चीन ने की घुसपैठ की कोशिश, भारतीय सेना ने खदेड़ा। भारतीय सेना को बधाई व शुभकामनाएं।
जो लोग अपने हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स में फंसे हुए हैं, उनके लिए एक अच्छी खबर आई है- हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स पूरे करने के लिए बेची जाएंगी बिल्डरों की दूसरी ऐसेट्स! वहा भाई, छकाने वालों को खूब छकाया। एक सुर अच्छी खबर- बेंगलुरु में खुलेंगी 101 कैंटीन, मिलेगा 5 रुपये में खाना मिलेगा। कोई भूखा न रहे मेरे भारत में। 15 अगस्त पर उड़ाई गईं पतंगें। हमने भी पतंग उड़ाई-
मैंने एक पतंग उड़ाने का प्रयास किया है,
आरोपों-प्रत्यारोपों को उड़ा दिया है,
भ्रष्टाचार को, अत्याचार को, आतंकवाद को,
नकारने का सुदृढ़ संकल्प लिया है।
70 साल की आजादी के भाषण अखबारों पर छाए रहे। चीफ जस्टिस बोले खरी बात, दलित राष्ट्रपति और चायवाला बना पीएम, यही है स्वतंत्रता। जन्माष्टमी पर दिखे प्यारे-प्यारे कान्हा और उनकी मनमोहक छवि ने मन मोह लिया।
महज 5 घंटों में बेंगलुरु में हुई महीने भर की बारिश। इस समाचार पर एक पाठक महेश शर्मा ने बहुत अच्छी प्रतिक्रिया लिखी- इस पानी को स्टोर करके रखें ,गर्मी मे परेशानी नहीं होगी। बिहार में लगातार भीषण हो रही बाढ़ की विभीषिका पैदा हो गई है, अब तक लगभग 100 लोगों की मौत हो गई है। बाढ़ के कारण असम में अब तक लाखों लोग बेघर हो चुके हैं और कई जानें जा चुकी हैं। यहां के हाथी, गैंडे और भी कई जानवर इस बाढ़ के पानी में फंसे हुए हैं। ब्रह्मपुत्र नदी के जलीय जीव तक इस बाढ़ के कहर से अछूते नहीं हैं। बाढ़ में फंसी एक बड़ी मछली, नदी से हाइवे पर पहुंची। हाइवे पर पानी की तेज और गहरी धार के बीच खड़े लोगों की नजर उस मछली पर पड़ी तो उसे पकडऩे को आगे बढ़े। मछली इतनी बड़ी थी, कि उसे काबू में करने के लिए 2-3 लोगों की जरूरत पड़ी।
महाराष्ट्र के खड़की गांव के लोगों ने इस स्वतंत्रता दिवस पर सरकार को गांधीगिरी के जरिये संदेश देने का मन बनाया है। यह गांव चंद्रपुर जिले के माणिकगढ़ पहाड़ी पर बसा है। माणिकगढ़ में दशकों से कोलाम आदिवासी रहते हैं। उन तक विकास अब तक नहीं पहुंच पाया है। आजादी के 6 दशक के बाद भी उनका गांव सड़क संपर्क से मरहूम है। ग्रामीणों को अपने घर पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते 5 नदियों को पार करना पड़ता है। अब जब पूरा देश आजादी के 70वें साल का जश्न मना रहा है तब कुछ एनजीओ 3 किलोमीटर लम्बी सड़क बनाने जा रहे हैं। उन्होंने यह सड़क सरकार को तोहफे में देने का फैसला किया है। यह हुई न अपना हाथ जगन्नाथ वाली बात! बधाई हो।
वहीं यूपी का एक गांव ऐसा भी है, जहां स्वतंत्रता दिवस नहीं मना। वजह महाराष्ट्र के खड़की गांव से बिलकुल उल्टी है। आजादी के 70 साल पूरे होने के बाद भी यह गांव समझ नहीं पा रहा कि वह किस बात का जश्न मनाए। बुनियादी सुविधाएं भी न होने की वजह से मैलानी के चौधीपुर गांव के लोगों ने यह फैसला किया है। सोचने वाली बात है।
अब आपकी मुलाकात 2 गांवों से करा रहे हैं, जिन्हें आजादी के 70 साल बाद अंधेरे से आजादी मिली है। देश की आजादी की 70वीं वर्षगांठ से ठीक पहले दिल्ली से महज 260 किलोमीटर और लखनऊ से 10 घंटे की दूरी पर स्थित बिजनौर जिले का हल्दू खाटा गांव को बिजली की सौगात मिली है। हल्दू खाटा से कुछ दूरी पर ही जाफराबाद गांव है। इस गांव को भी हल्दू खाटा के साथ ही अंधकार से मुक्ति मिली है। बधाई हो।
बात-बात पर पुरानी बात की याद आ ही जाती है। हमने जब जन्माष्टमी के अवसर पर बनने वाले धनिए के विशेष प्रसाद को खाया, तो हमें अचानक अपनी बहुत पुरानी सहकर्मी सुषमा अरोड़ा की याद आ गई। उसकी सोसाइटी में जन्माष्टमी के अवसर पर धनिए का यह विशेष प्रसाद नहीं बनता था। उसे यह प्रसाद बहुत अच्छा लगता था, अत: मैं उसके लिए अगले दिन यह विशेष प्रसाद लेकर जाती थी, वह बहुत खुश हो जाती थी। किसी को खुशी देकर हमारा खुश होना भी स्वाभाविक है।
कैप्टन विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री के नेतृत्व में टीम इंडिया ने श्रीलंका में ही स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया। टीम इंडिया ने कैंडी में तिरंगा फहराकर 71वें स्वतंत्रता दिवस को सेलिब्रेट किया। कोहली ने इसके बाद अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक इमोशनल विडियो भी शेयर किया। इसमें उन्होंने अपने बचपन की यादें बताईं। भारतीय टीम ने ठीक एक दिन पहले ही टेस्ट सीरीज में श्रीलंका का 3-0 से सफाया कर भारत को स्वतंत्रता दिवस का तोहफा दिया है। कोहली को अपने बचपन की याद आ गई। कोहली ने कहा कि जब वह बच्चे थे तो दिल्ली में अपने परिवार के साथ इस दिन पतंगे उड़ाया करते थे। उन्होंने कहा कि चारों तरफ लहर रहा तिरंगा उनके और तमाम भारतीयों को गर्व की अनुभूति देता है। कोहली ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस एक और वजह से उनके लिए खास है। टीम इंडिया के कैप्टन विराट ने कहा कि 15 अगस्त को ही उनके पिता का भी जन्मदिन होता है। इसलिए यह दिन उनके लिए और खास बन जाता है। कोहली जी, हमारे लिए भी यह दिन दोहते मेहुल का जन्मदिन होने के कारण और खास हो जाता है। बधाई आपको भी, हमको भी।
एक और समाचार से हमें बचपन की एक कहानी याद आ गई। एक धनवान पिता का एक बेटा धन खर्चता नहीं था, उड़ाता था। उसे सबक सिखाने के एक दिन पिता ने अचानक उसे कुछ कमाकर लाने के लिए कहा। वह बड़ी मुश्किल से शाम तक एक रुपया कमा पाया। पिता ने उसे एक रुपए को कुंएं में डाल आने के लिए कहा। बेटा बहुत उदास और हताश हो गया। बड़ी मुश्किल से मेहनत से कमाया हुआ वह एक रुपया भी उसके लिए बेशकीमती था। इसके बाद उसे धन की कीमत समझ मेंआ गई। ऐसा ही आज के ज़माने में भी हुआ।
अरबों की कंपनी हरे कृष्णा डायमंड एक्सपोर्ट्स के मालिक घनश्याम ढोलकिया के बेटे हितार्थ ढोलकिया हैदराबाद में एक आम आदमी की तरह जिंदगी बिताई। एक महीने के लिए दुनिया के सभी ऐशो-आराम छोड़कर हितार्थ ने आम आदमी की जिंदगी की तकलीफों और कठिनाइयों का सामना किया। आईपीएस अधिकारी राजीव त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हितार्थ के नजरिए की तारीफ की।
बात नहीं हम काम करेंगे,
जग में देश का नाम करेंगे,
शुभ संकल्प का संबल लेकर,
सिद्धि को हम सलाम करेंगे।
के उन्नायक श्री कृष्ण का भी जन्मदिन था। सभी लोग पूरा दिन समारोह की तैयारी और समारोह की रौनक में डूबकर आनंद लेने में व्यस्त रहे। सुबह दिल्ली के लाल किले से लेकर देश के सभी राज्यों की राजधानियों, शहरों, गांवों, स्कूलों, सभा-समितियों, स्कूलों-पंचायतों-सोसाइटियों में तिरंगे झंडे के लहराने की धूम मची रही। दोपहर में दही हांडी का समारोह और शाम से लेकर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कीर्तनों की बहार छाई रही। रात को एक बजे सोने के बारे में सोचा गया। विदेशों से भी ऐसे समारोहों के समाचार आते रहे। इसमें भी कुछ ख़ास बातें-
0 टिप्पणियाँ :
एक टिप्पणी भेजें