शनिवार, अगस्त 26, 2017

'छोटे कद के भारतीयों का बड़ा कारनामा

शीर्षक से तो आप लोग जान ही गए हैं, कि आज हम 'छोटे कद या बौने की बात करेंगे। छोटे कद या बौने होने से काम के छोटा होने की कोई गारंटी नहीं है, यह तो आप बोनज़ाई वृक्षों को देखकर ही समझ गए होंगे। कितना सौंदर्य होता है बोनज़ाई वृक्षों नें और कितना क्रेज़ होता है लोगों को घर में बोनज़ाई वृक्ष लगाने का! बात बोनज़ाई वृक्षों की चल निकली है, तो आइए हम पहले बोनज़ाई वृक्ष की बात ही सुन लेते हैं-
'हम हैं बौने तो फिर क्या है!
हम भी हरियाली के हैं वाहक,
फल-फूलों-पत्तों से सज्जित,
खुशहाली के हम संचालक।
सच है बोनज़ाई वृक्ष की इसी अहमियत को देखकर लोग अपने घरों को बोनज़ाई वृक्षों से सज्जाते हैं। बोनज़ाई वृक्षों के बाद हम अपने ब्लॉग के शीर्षक 'छोटे कद के भारतीयों का बड़े कारनामों की कर लेते हैं। वर्ल्ड ड्वॉर्फ गेम्स का मतलब तो आप समझ ही गए होंगे, नहीं तो हम भी बताए देते हैं- 'छोटे कद
भारतीय प्रतिभागियों ने विश्व ड्वॉर्फ गेम्स में रेकॉर्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। भारतीय दल में शामिल खिलाडिय़ों ने निजी समस्याओं और आर्थिक परेशानियों को दरकिनार करते हुए 24 देशों के इस टूर्नमेंट में शानदार प्रदर्शन किया। भारतीय दल 10वें स्थान पर रहा। जब भारतीय दल वहां गया था, तब शायद ही किसी ने उनसे इतने अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की थी। यह टूर्नमेंट 12 अगस्त को कनाडा में समाप्त हुआ।
भारतीय दल ने कुल 36 मेडल अपने नाम किए। इसमें 14 गोल्ड, 10 सिल्वर और 12 ब्रॉन्ज मेडल थे। यह वर्ल्ड गेम में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। चार साल में एक बार होने वाले इस इवेंट में 24 देशों के 400 खिलाडिय़ों ने भाग लिया।
कर्नाटक के फर्राटा धावक देवप्पा मोरे की बात जानकर आप क्या प्रतिक्रिया देंगे, यह हम सहज ही समझ सकते हैं।  उनके मुताबिक 'कर्नाटक के हमारे किसी भी क्वॉलिफाइड ऐथलीट को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली थी। अपना खर्च निकालने के लिए मैंने अपनी जमीन गिरवी रखकर दो लाख रुपये का बंदोबस्त किया। मोरे ने 100 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल और 200 मीटर में सिल्वर मेडल जीता था। देवप्पा मोरे को हमारी ओर से बहुत-बहुत मुबारकें।
यहां हम आपको यह भी बताते चलें। कि भारत की कामयाबी में कर्नाटक के ऐथलीट्स का बड़ा योगदान रहा। यहां के सात प्रतिभागियों ने कुल 16 पदक जीते। इसमें नौ गोल्ड, चार सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल शामिल थे। भारत की ओर से जॉबी मैथ्यू ने भारत की ओर से सबसे ज्यादा पदक जीते। भारत के कुल 37 पदक में से 2 गोल्ड और तीन सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता। जॉबी मैथ्यू के साथ-साथ 'छोटे कद के भारतीयों का बड़े कारनामे करने वालों को हमारी ओर से कोटिश: बधाइयां।
वैसे कोई भी छोटी चीज़ या बात बहुत महत्त्वपूर्ण भी हो सकती है। अब देखिए न! छोटी-छोटी चिडिय़ाएं सुबह ची-चीं करके हमें कितना बड़ा संदेश देती हैं। चिडिय़ाओं का कहना है-
  मत समझो हम ची-चीं करतीं,
हम हरि के गुण गाती हैं,
मुक्त उड़ान की नेमत दी है,
उसका शुक्र मनाती हैं।
हो गया न यह चिडिय़ाओं के ट्वीट जैसा। ट्वीट की बात निकली है, तो हम तेजस्वी के ट्वीट को भला कैसे नजऱ अंदाज़ कर सकते हैं? असल में तेजस्वी ने ट्वीट में सुबह 5।30 बजे ट्वीट में  लिखा था, कि वे औरंगाबाद पहुंचे हैं, अभी-अभी डिनर किया है। बस इस छोटी-सी बात से ट्वीट के चाहने वालों ने खूब मौज ली। उन्होंने लिखा-  रात का बचा खाना दे दिया भाई को।  बाकी आप खुद ही पढ़ लीजिए।
इसी तरह एक छोटा-सा अनमोल वचन कितनी बड़ी सीख दे देता है। अब देखिए न!
 खुद से बहस करोगे, तो सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे,
दूसरों से बहस करोगे, तो और नए सवाल खड़े हो जाएंगे।
इस अनमोल वचन से सारे सवाल हल हो जाएंगे। सवालों की बात चली है, तो हम सवालों की बात कर लेते हैं। आसान हैं पर दिमाग घुमा देंगे मैथ्स के ये 10 सवाल। इसमें एक सवाल है-
1= 5
2= 25
3= 325
4= 4325
5= ?
बस थोड़ा-सा दिमाग (जो कि बहुत छोटा-सा होता है) लड़ाइए और बड़े-से-बड़े सवाल हल हो जाएंगे। छोटा तो किसी को समझना ही नहीं है न! दुश्मन को छोटा और कमज़ोर समझ लिया तो गए काम से। अब देखिए न!
 उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन बॉर्डर पर चीन सैनिकों ने भारतीय चरवाहों को धमकाकर भगा दिया।
अगर हम चीन की इस छोटी-सी हरकत पर ध्यान नहीं देंगे, तो कल चीन पूरे भारत पर अपना हक जता सकता है। बात हरकत की आई है, तो एक मज़ेदार और उपयोगी हरकत की बात कर लेते हैं।
 डिजिटल प्लैटफॉर्म रोपोसो ने ऐसा प्लैटफार्म तैयार किया है जहां लोग खुद के विडियो शेयर कर सकते हैं। ये विडियोज़ प्लैटफॉर्म पर बने कुछ खास चैनलों के अंतर्गत प्रसारित किए जाएंगे। भारतीय प्रोग्रामर्स की एक टीम ने 'मेक इन इंडिया मुहिम को साकार बनाते हुए एक ऐसा डिजिटल प्लैटफॉर्म तैयार किया है, जो कि दुनिया के दिग्गज प्लैटफॉर्म्स व नेटवर्क्स को टक्कर देने का दम रखता है।
यह हरकत तो मज़ेदार और उपयोगी थी, पर कोई-कोई हरकत तो समझ में आने लायक ही नहीं होती, जैसे- एक ही कुर्सी के लिए भिड़ गए निगम के दो बाबू। नगर निगम के हेल्थ विभाग में शुक्रवार को एक ही कुर्सी पर बैठने के लिए दो कर्मचारी आपस में भिड़ गए। इस दौरान दोनों के बीच जमकर लात-घूंसे चले। किसी तरह अन्य कर्मचारियों ने उन्हें शांत कराया। मारपीट की यह घटना नगर निगम के हेल्थ विभाग में तैनात कर्मचारी प्रदीप योगाचार्य और मोहन कुमार के बीच हुई।
एक छोटा-सा दोहा कितनी बड़ी बात कह देता है!
 माला फेरत जुग गया, मिटा ना मन का फेर ।
कर का मन का डारि दे, मन का मनका फेर ॥
बिहारीलाल या बिहारी हिंदी के रीति काल के प्रसिद्ध कवि थे। उन्हों  बिहारी सतसई  लिखी।  बिहारी सतसई  के इन 700 दोहों के लिए कहा जाता है-
 सतसइया के दोहरे अरु नावक के तीर ।
देखन में छोटन लगें घाव करें गंभीर॥
इसी तरह एक छोटा-सा गाना नहीं, बल्कि 'साइलंट सॉन्ग आजकल धूम मचा रहा है। आईट्यून्स पर धूम मचा रहा है यह 'साइलंट सॉन्ग
हम गाने सुनते हैं कभी म्यूजिक के लिए तो कभी लिरिक्स के लिए। लेकिन, आईट्यून्स चार्ट पर लगातार ऊपर चढ़ते जा रहे एक गाने में दोनों ही नहीं हैं। लगभग 60 रुपये में अवेलेबल इस गाने में कुछ है तो वह है 10 मिनट का सन्नाटा। फिर आखिर क्यों समीर मिजराही के इस गाने की मांग बढ़ती ही जा रही है?
वालों के गेम्स या खेल। ये गेम्स कनाडा में हुए थे।

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