एक राजा था। उसकी एक छोटी-सी बेटी थी। वह उसे बहुत प्यार करता था। एक बार राजकुमारी बीमार पड़ गई। कई डॉक्टर बुलाए गए लेकिन कोई भी उसका इलाज नहीं कर सका, क्योंकि उसकी बीमारी का ही पता नहीं चल पा रहा था। एक दिन राजा उदास हो कर राजकुमारी से बोला, समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं? तुम्हारे इलाज के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं।
यह सुनकर राजकुमारी झट से बोली, फिर मेरे लिए चांद मंगवा दीजिए। मैं उससे खेलूंगी तो मेरी तबीयत ठीक हो जाएगी। राजा ने खुश होकर कहा, ठीक है, मैं तुम्हारे लिए चांद मंगवाने का प्रबंध करता हूं।
राजा के दरबार में बहुत से योग्य व्यक्ति थे। सबसे पहले उसने अपने प्रधानमंत्री को बुलाया और धीरे से कहा, रानी बेटी को खेलने के लिए चांद चाहिए। आज नहीं तो कल रात तक जरूर आ जाना चाहिए।
चांद! प्रधानमंत्री ने आश्चर्य से कहा। उसके माथे पर पर पसीना आ गया। थोड़ी देर बाद वह बोला, महाराज, मैं दुनिया के किसी भी कोने से कोई भी चीज मंगा सकता हूं लेकिन चांद लाना मुश्किल है।
राजा ने प्रधानमंत्री को तुरंत दरबार से जाने का आदेश दिया और कहा, प्रधान सेनापति को मेरे पास भेजो।
प्रधान सेनापति के आने पर राजा ने उससे भी चांद लाने के लिए कहा पर प्रधान सेनापति ने भी अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए कई तर्क दिए और अंत में बोला, चांद को कोई भी नहीं ला सकता। वह यहां से डेढ़ लाख मील दूर है।
राजा ने उसे भी चले जाने के लिए कहा। उसके बाद उसने अपने खजांची को बुलाया। वह भी राजकुमारी की मदद करने में असमर्थ रहा।
जाओ, यहां से जाओ! राजा चीखा, और दरबारी जोकर को भेजो।
जोकर ने आते ही झुक कर सलाम किया और पूछा, सरकार, आप ने मुझे बुलाया?
हां, राजा रो पड़ा, जब तक रानी बेटी को चांद नहीं मिलेगा, तब तक उसकी तबीयत ठीक नहीं होगी। क्या तुम चांद ला सकते हो?
हां, क्यों नहीं, लेकिन पहले यह पता लगाना होगा कि राजकुमारी कितना बड़ा चांद चाहती है। कोई बात नहीं, मैं खुद उससे जाकर पूछ लेता हूं, जोकर बोला और सीधे राजकुमारी के कमरे में जा पहुंचा।
राजकुमारी ने जोकर को देखकर पूछा, क्या तुम चांद ले आए? अभी नहीं लेकिन जल्द ही ला दूंगा। पर यह तो बताओ कि चांद कितना बड़ा है?
राजकुमारी ने कहा, मेरे अंगूठे के नाखून के बराबर, क्योंकि जब मैं आंख के सामने अंगूठे का नाखून कर देती हूं तो वह दिखाई नहीं देता।
अछा, यह और बता दो कि चांद किसी चीज का बना है और कितनी ऊंचाई पर है? चांद सोने का बना है, राजकुमारी बोली, और पेड़ के बराबर ऊंचाई पर है! ठीक है, आज रात को मैं पेड़ पर चढ़कर चांद उतार लाऊंगा, जोकर ने कहा और खुश होकर राजा के पास लौट आया।
उसने राजा से कहा, मैं कल तक राजकुमारी के लिए चांद खिलौना ले आऊंगा। और उसने अपनी योजना राजा को बता दी। राजा योजना सुनकर बहुत खुश हुआ। अगले दिन दरबारी जोकर सुनार से एक सोने का चांद बनवा कर ले आया। उसने यह चांद राजकुमारी को दे दिया। राजकुमारी बहुत खुश हुई। उसने चांद को जंजीर में डालकर गले में लटका लिया। उसकी तबीयत ठीक हो गई। लेकिन राजा को यह चिंता खाए जा रही थी कि जब राजकुमारी खिड़की से आसमान में चांद देखेगी तो क्या कहेगी? वह सोचेगी कि उसके पिता ने उससे झूठा वादा किया था।
रात को जब चांद निकला तो राजकुमारी उसे देखने लगी। राजा और जोकर उसके कमरे में खड़े थे। जोकर ने राजकुमारी से पूछा, अछा राजकुमारी, जरा यह तो बताओ कि जब चांद तुम्हारे गले में लटका है तो फिर आसमान में कैसे निकल आया? राजकुमारी हंसकर बोली, तुम मूर्ख हो। जब मेरा एक दांत टूट जाता है तो दूसरा निकल आता है। उसी तरह दूसरा चांद निकला है।
यह सुनकर राजा ने राहत की सांस ली और खुशीखुशी राजकुमारी के साथ उसके खिलौनों से खेलने लगा।
यह सुनकर राजकुमारी झट से बोली, फिर मेरे लिए चांद मंगवा दीजिए। मैं उससे खेलूंगी तो मेरी तबीयत ठीक हो जाएगी। राजा ने खुश होकर कहा, ठीक है, मैं तुम्हारे लिए चांद मंगवाने का प्रबंध करता हूं।
राजा के दरबार में बहुत से योग्य व्यक्ति थे। सबसे पहले उसने अपने प्रधानमंत्री को बुलाया और धीरे से कहा, रानी बेटी को खेलने के लिए चांद चाहिए। आज नहीं तो कल रात तक जरूर आ जाना चाहिए।
चांद! प्रधानमंत्री ने आश्चर्य से कहा। उसके माथे पर पर पसीना आ गया। थोड़ी देर बाद वह बोला, महाराज, मैं दुनिया के किसी भी कोने से कोई भी चीज मंगा सकता हूं लेकिन चांद लाना मुश्किल है।
राजा ने प्रधानमंत्री को तुरंत दरबार से जाने का आदेश दिया और कहा, प्रधान सेनापति को मेरे पास भेजो।
प्रधान सेनापति के आने पर राजा ने उससे भी चांद लाने के लिए कहा पर प्रधान सेनापति ने भी अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए कई तर्क दिए और अंत में बोला, चांद को कोई भी नहीं ला सकता। वह यहां से डेढ़ लाख मील दूर है।
राजा ने उसे भी चले जाने के लिए कहा। उसके बाद उसने अपने खजांची को बुलाया। वह भी राजकुमारी की मदद करने में असमर्थ रहा।
जाओ, यहां से जाओ! राजा चीखा, और दरबारी जोकर को भेजो।
जोकर ने आते ही झुक कर सलाम किया और पूछा, सरकार, आप ने मुझे बुलाया?
हां, राजा रो पड़ा, जब तक रानी बेटी को चांद नहीं मिलेगा, तब तक उसकी तबीयत ठीक नहीं होगी। क्या तुम चांद ला सकते हो?
हां, क्यों नहीं, लेकिन पहले यह पता लगाना होगा कि राजकुमारी कितना बड़ा चांद चाहती है। कोई बात नहीं, मैं खुद उससे जाकर पूछ लेता हूं, जोकर बोला और सीधे राजकुमारी के कमरे में जा पहुंचा।
राजकुमारी ने जोकर को देखकर पूछा, क्या तुम चांद ले आए? अभी नहीं लेकिन जल्द ही ला दूंगा। पर यह तो बताओ कि चांद कितना बड़ा है?
राजकुमारी ने कहा, मेरे अंगूठे के नाखून के बराबर, क्योंकि जब मैं आंख के सामने अंगूठे का नाखून कर देती हूं तो वह दिखाई नहीं देता।
अछा, यह और बता दो कि चांद किसी चीज का बना है और कितनी ऊंचाई पर है? चांद सोने का बना है, राजकुमारी बोली, और पेड़ के बराबर ऊंचाई पर है! ठीक है, आज रात को मैं पेड़ पर चढ़कर चांद उतार लाऊंगा, जोकर ने कहा और खुश होकर राजा के पास लौट आया।
उसने राजा से कहा, मैं कल तक राजकुमारी के लिए चांद खिलौना ले आऊंगा। और उसने अपनी योजना राजा को बता दी। राजा योजना सुनकर बहुत खुश हुआ। अगले दिन दरबारी जोकर सुनार से एक सोने का चांद बनवा कर ले आया। उसने यह चांद राजकुमारी को दे दिया। राजकुमारी बहुत खुश हुई। उसने चांद को जंजीर में डालकर गले में लटका लिया। उसकी तबीयत ठीक हो गई। लेकिन राजा को यह चिंता खाए जा रही थी कि जब राजकुमारी खिड़की से आसमान में चांद देखेगी तो क्या कहेगी? वह सोचेगी कि उसके पिता ने उससे झूठा वादा किया था।
रात को जब चांद निकला तो राजकुमारी उसे देखने लगी। राजा और जोकर उसके कमरे में खड़े थे। जोकर ने राजकुमारी से पूछा, अछा राजकुमारी, जरा यह तो बताओ कि जब चांद तुम्हारे गले में लटका है तो फिर आसमान में कैसे निकल आया? राजकुमारी हंसकर बोली, तुम मूर्ख हो। जब मेरा एक दांत टूट जाता है तो दूसरा निकल आता है। उसी तरह दूसरा चांद निकला है।
यह सुनकर राजा ने राहत की सांस ली और खुशीखुशी राजकुमारी के साथ उसके खिलौनों से खेलने लगा।
0 टिप्पणियाँ :
एक टिप्पणी भेजें