इसलिए नहीं है अमरनाथ ज्योॢतलिंग
अमरनाथ तीर्थ का नाम लेते ही एक ऐसी गुफा का ध्यान हो आता है जहां भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास माना जाता है। कश्मीर की मनोरम पहाडिय़ों के बीच बसी यह गुफा न जाने कितने रहस्यों को समेटे हुए है। कहते हैं कि शिव-पार्वती यहां आज भी कबूतर के एक जोड़ के रूप में वास करते हैं। इस गुफा में साल के कुछ महीनों में एक अदभुत शिवङ्क्षलंग प्रकट होता है जो हिम का बना होता है। इसलिए बाबा अमरनाथ को भक्त बाबा बर्फानी के नाम से भी जाने जाते हैं।
अमरनाथ तीर्थ के बारे में कहा जाता है कि यहां पर भगवान शिव ने देवी पार्वती को एक दिव्य कथा सुनाई थी जिसे सुनने के बाद मृत्यु नहीं आती यानी व्यक्ति अमर हो जाता है। इस घटना की याद दिलाने के लिए अमरनाथ तीर्थ के यात्रा मार्ग में कई निशानियां मौजूद हैं। माना तो यह भी जाता है कि जो व्यक्ति अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करता है उसके पाप कट जाते हैं और व्यक्ति को शिव लोक की प्राप्ति होती है। इतनी खूबियों और शक्तियों के बावजूद अमरनाथ तीर्थ को ज्योर्तिलिंग के रुप में मान्यता प्राप्त नहीं है। आइये जानें आखिर इसकी क्या वजह है।
अमरनाथ ज्योर्तिलिंग नहीं है इसे जानने से पहले यह भी जानना जरुरी है कि ज्योर्तिलिंग कौन-कौन हैं तो सबसे पहले इनके नाम जान लीजिए- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, द्वाकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी विश्वनाथ, त्रयम्बकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घृष्णेश्वर। इन सभी ज्योर्तिलिंगों में एक बात समान है जो अमरनाथ में नहीं है।
अमरनाथ शिवङ्क्षलंग की उत्पत्ति किसी भक्त की श्रद्धा और भक्ति से नहीं हुई है। अमरनाथ में शिव और देवी पार्वती अपनी इच्छा से अमर कथा सुनने-सुनाने आए थे। जिसका प्रतीक चिन्ह है हिमङ्क्षलंग। जबकि सभी ज्योर्तिलिंग शिव के भक्तों की प्रार्थना और तपस्या से प्रकट हुआ है जैसे सोमनाथ चन्द्रमा की तपस्या से, केदारनाथ भगवान विष्णु के नर नारायण रूप की तपस्या से, रामेश्वरम भगवान श्री राम की तपस्या से।
दूसरी बात जो सभी ज्योर्तिलिंग में समान है वह यह है कि सभी ज्योर्तिलिंग नित्य हैं यानी हमेशा कायम रहते हैं। जबकि अमरनाथ में ऐसा नहीं है यहां कुछ समय के लिए ही हिम का ङ्क्षलग निॢमत होता है और विलीन हो जाता है। ज्योर्तिलिंग होने की दूसरी शर्त यह है कि लिंग नित्य और स्थायी होना चाहिए।
ज्योर्तिलिंग के बारे में शिव पुराण में बताया गया है कि यह भक्तों की भक्ति से प्रकट होता है। सृष्टि में जब पहली बार भगवान शिव प्रकट हुए तो वह अनंत स्तभ वाले ज्योति रूप में प्रकट हुए थे। इसके आदि अंत का पता भगवान विष्णु और ब्रह्मा भी नहीं लगा पाए थे। उसी समय भगवान शिव ने कहा था कि वह भक्तों के कल्याण के लिए उनकी प्रार्थना पर प्रकट होंगे। जहां-जहां भगवान शिव इस तरह प्रकट हुए वह ज्योर्तिलिंग कहलाया।
ज्योर्तिलिंग की सबसे बड़ी बात यह है कि यह साक्षात शिव स्वरूप होता है क्योंकि और ऐसा भक्तों को दिए गए वरदान के कारण है जबकि अमरनाथ ऐसा नहीं है वह शिव पार्वती का प्रतीक चिन्ह है। यह शिव का स्थायी निवास न होकर अस्थायी निवास है।
अमरनाथ तीर्थ के बारे में कहा जाता है कि यहां पर भगवान शिव ने देवी पार्वती को एक दिव्य कथा सुनाई थी जिसे सुनने के बाद मृत्यु नहीं आती यानी व्यक्ति अमर हो जाता है। इस घटना की याद दिलाने के लिए अमरनाथ तीर्थ के यात्रा मार्ग में कई निशानियां मौजूद हैं। माना तो यह भी जाता है कि जो व्यक्ति अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करता है उसके पाप कट जाते हैं और व्यक्ति को शिव लोक की प्राप्ति होती है। इतनी खूबियों और शक्तियों के बावजूद अमरनाथ तीर्थ को ज्योर्तिलिंग के रुप में मान्यता प्राप्त नहीं है। आइये जानें आखिर इसकी क्या वजह है।
अमरनाथ ज्योर्तिलिंग नहीं है इसे जानने से पहले यह भी जानना जरुरी है कि ज्योर्तिलिंग कौन-कौन हैं तो सबसे पहले इनके नाम जान लीजिए- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, द्वाकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी विश्वनाथ, त्रयम्बकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घृष्णेश्वर। इन सभी ज्योर्तिलिंगों में एक बात समान है जो अमरनाथ में नहीं है।
अमरनाथ शिवङ्क्षलंग की उत्पत्ति किसी भक्त की श्रद्धा और भक्ति से नहीं हुई है। अमरनाथ में शिव और देवी पार्वती अपनी इच्छा से अमर कथा सुनने-सुनाने आए थे। जिसका प्रतीक चिन्ह है हिमङ्क्षलंग। जबकि सभी ज्योर्तिलिंग शिव के भक्तों की प्रार्थना और तपस्या से प्रकट हुआ है जैसे सोमनाथ चन्द्रमा की तपस्या से, केदारनाथ भगवान विष्णु के नर नारायण रूप की तपस्या से, रामेश्वरम भगवान श्री राम की तपस्या से।
दूसरी बात जो सभी ज्योर्तिलिंग में समान है वह यह है कि सभी ज्योर्तिलिंग नित्य हैं यानी हमेशा कायम रहते हैं। जबकि अमरनाथ में ऐसा नहीं है यहां कुछ समय के लिए ही हिम का ङ्क्षलग निॢमत होता है और विलीन हो जाता है। ज्योर्तिलिंग होने की दूसरी शर्त यह है कि लिंग नित्य और स्थायी होना चाहिए।
ज्योर्तिलिंग के बारे में शिव पुराण में बताया गया है कि यह भक्तों की भक्ति से प्रकट होता है। सृष्टि में जब पहली बार भगवान शिव प्रकट हुए तो वह अनंत स्तभ वाले ज्योति रूप में प्रकट हुए थे। इसके आदि अंत का पता भगवान विष्णु और ब्रह्मा भी नहीं लगा पाए थे। उसी समय भगवान शिव ने कहा था कि वह भक्तों के कल्याण के लिए उनकी प्रार्थना पर प्रकट होंगे। जहां-जहां भगवान शिव इस तरह प्रकट हुए वह ज्योर्तिलिंग कहलाया।
ज्योर्तिलिंग की सबसे बड़ी बात यह है कि यह साक्षात शिव स्वरूप होता है क्योंकि और ऐसा भक्तों को दिए गए वरदान के कारण है जबकि अमरनाथ ऐसा नहीं है वह शिव पार्वती का प्रतीक चिन्ह है। यह शिव का स्थायी निवास न होकर अस्थायी निवास है।
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