बुधवार, जून 21, 2017

मुख्यमंत्री महबूबा ने फिर की बातचीत की वकालत

कहा- बंदूक से समाधान संभव नहीं
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
श्रीनगर।
 
जम्मू कश्मीर में बार-बार हो रहे विरोध प्रदर्शन और पत्थरबाजी के बीच मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य को हिंसा से निकालने के लिए बातचीत का आह्वान किया है। सीएम मुफ्ती ने राज्य विधानसभा में कहा, अतीत में जो कुछ हुआ वह पुरानी बात हो गई, अब जम्मू कश्मीर के हालात को सुधारने का रास्ता बातचीत से ही निकलेगा।
सीएम महबूबा मुफ्ती ने चरमपंथियों और प्रदर्शनकारियों से हथियार छोड़कर बातचीत की मेज पर आने की अपील करते हुए कहा, 'बातचीत ही किसी शिकायत को दूर करने का एकमात्र रास्ता है... बंदूकों और हिंसा से समस्या नहीं सुलझती।
उन्होंने कहा, 'हम लोग परेशान हैं, हमारे सैनिक मर रहे हैं। आज दोनों पक्षों के लोग मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीरियों की मुश्किलें दूर करने के लिए हमें साथ बैठना होगा। जब हम साथ मिलकर चलेंगे, तभी हम साथ आगे बढ़ेंगे।
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी में हिंसा और अशांति के हालातों के बीच बातचीत की वकालत की। मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में दिए एक बयान में कहा कि सीमा पर हमारे सैनिक मर रहे हैं। बंदूक और फौजी ताकतें किसी समस्या का हल नहीं हो सकता। बातचीत से ही मुद्दे सुलझाए जा सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री ने कहा, हम जानते हैं कि सीमा पर लड़ रहे हमारे जवान रोज शहीद हो रहे हैं। घाटी में इस वक्त हिंसा के हालात हैं। यह भी सच है कि आतंकी घटनाओं और हिंसा के रास्ते कभी भी मसले नहीं सुलझाए जा सकते। मुद्दों पर बातचीत के जरिए ही समाधान निकाला जा सकता है। वहीं, नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस शहीदों का अपमान करने का आरोप राज्य सरकार पर लगा रही है।
महबूबा ने कहा, 65 की जंग हुई, 71 की जंग हुई, क्या हासिल हुआ? जंग में दोनों तरफ के गरीब लोग ही मारे जाते हैं। जब तक एक साथ बैठेंगे नहीं, मुद्दों पर बात नहीं करेंगें तब तक मसले नहीं सुलझाए जा सकते। बहुत लोग कहते हैं कि स्टेट टेररिज्म हैं। ऐसा तब होता था जब गांव में एनकाउंटर होता था तो पूरे के पूरे गांव खाली हो जाते थे। लोग डरकर भाग जाते थे। उन्होंने कहा कि आज एनकाउंटर होते हैं तो 12 साल के जवान 14 साल के लड़के एनकाउंटर करने वालों पर पत्थर फेंकने लगते हैं।
बता दें कि मुफ्ती का बयान ऐसे वक्त में सामने आया है जब शुक्रवार को ही सुरक्षा बलों ने इनामी आतंकी जुनैद मट्टू को मार गिराया। अनंतनाग में लश्कर-ए-तैयबा के
आतंकियों ने पुलिस की एक जीप पर हमला बोल दिया जिसमें 6 जवान शहीद हो गए। वहीं, शनिवार को भी बौखलाए आतंकी संगठनों ने बिहजबेड़ा के सीआरपीएफ कैंप में आतंकी हमला कर दिया। ऐसे वक्त में जब कश्मीर में सीमा पार से लगातार आतंकी वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है मुफ्ती की बातचीत वाले बयान पर विवाद हो सकता है।
शनिवार को ही 6 आतंकी जवानों की शहादत पर आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा था कि हम नागरिक अधिकारों की चिंता करते हैं। आर्मी चीफ ने कहा था, मानवाधिकारों का सेना सम्मान करती है और उसकी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर है। दक्षिणी कश्मीर के जिन हिस्सों में हिंसक घटनाएं हो रही हैं, वहां शांति बहाल करने के लिए सेना हर जरूरी कदम उठाएगी।

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