
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विनोद कुमार ने 2013 में मानेसर पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। इसके बाद दो साल तक नौकरी की। विनोद जब कभी गांव आते और पिता को खेतों में काम करते देखते तो उनका भी मन गांव आने का होता। उधर प्राइवेट नौकरी में बेहद कम सैलरी मिलने के चलते भी विनोद का रुझान खेती की ओर हो रहा था।
इसी बीच विनोद ने काफी दिनों तक इंटरनेट पर खेती के तरीके और फायदे कमाने के गुर सीखे। इसके बाद वे नौकरी छोड़कर गांव आ गए। पहले तो मां-पिता ने उनके इस फैसले के प्रति नाराजगी जताई। गांव आकर विनोद ने मोती की खेती शुरू की। खेती शुरू करने से पहले विनोद ने सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर (सीफा) भुवनेश्वर में जाकर एक सप्ताह ट्रेनिंग ली।
उन्होंने मेरठ, अलीगढ़ व साउथ से 5 रुपए से 15 रुपए में सीप खरीदी। इन सीप को 10 से 12 महीने तक पानी के टैंक में रखा जाता है। जब सीप का कलर सिल्वर हो जाता है तो मानो मोती तैयार हो गया है। इस खेती को शुरू करने में 60 हजार रुपए खर्च हुआ। विनोद ने बताया कि मोती की कीमत उसकी क्वालिटी देकर तय की जाती है। एक मोती की कीमत 300 रुपए से शुरू होकर 1500 रुपए तक है। उन्होंने बताया कि वे हर साल करीब 2000 सीप पैदा कर लेते हैं, जिससे उन्हें पांच लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है। विनोद ने कहा कि जो भी पढ़े-लिखे युवा हैं वे केवल नौकरी पर आश्रित न रहें, वे अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल व्यवसाय और खेती के लिए करें।
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