शनिवार, जून 24, 2017

पाक ने आतंक को बढ़ावा देकर जम्मू-कश्मीर के पर्यटन को पहुंचाया आर्थिक नुकसान

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
श्रीनगर।

उग्रवादियों की बढ़ती गतिविधियों और नियंत्रण रेखा के साथ पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से संघर्ष विराम के उल्लंघनों में वृद्धि होने से जम्मू-कश्मीर के पर्यटन को काफी आर्थिक हानि पहुंची है। उत्पन्न हुई स्थिति से निपटने के लिए विपक्ष के कुछ संगठनों विशेषकर नैशनल कान्फ्रैंस (नैकां) ने यह मांग शुरू कर दी है कि ताकत का प्रयोग करने की बजाय सभी संबंधित दावेदारों से बातचीत द्वारा समस्याओं का समाधान तलाशा जाए। इस मुद्दे पर सत्ताधारी भाजपा के नेताओं की ओर से कहा जा रहा है कि बातचीत के लिए वह तैयार हैं लेकिन पहले खून-खराबा बंद होना चाहिए, बंदूक और पत्थरों के साए में तो कोई अर्थपूर्ण बातचीत नहीं हो सकती है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि कश्मीर में जो कुछ हो रहा है, यह सब कुछ नया नहीं है। यह उसी छदम युद्ध का भाग है जो पाकिस्तान ने 3 युद्धों में मात खाने के पश्चात 80 के दशक के अंतिम वर्षों ऑप्रेशन टोपैक के अंतर्गत शुरू किया था। पाक ने आतंक को बढ़ावा देकर कश्मीर के पर्यटन और आर्थिक स्थिति को अधिक से अधिक हानि पहुंचाई है। पाकिस्तान की अपनी स्थिति यह बनी है कि वहां का प्रधानमंत्री यह नहीं जानता कि वह कहां खड़ा है और सेना के साथ वहां धार्मिक कट्टरपंथियों का हुजूम शांति नहीं चाहता है। वहीं भाजपा वाले कहते हैं कि नैशनल कान्फ्रैंस और कांग्रेसी अब राजनीतिक समाधान की बात करते हैं लेकिन उन्होंने 60 साल राज करने पर ऐसा क्यों नहीं किया। यह रोग तो उन्हीं के शासनकाल में उत्पन्न हुए थे।

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