'लहू के दो रंग, 'हमरा दारू ना मेहरारू चाही जैसी भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकी मशहूर भोजपुरी अभिनेत्री और मॉडल अंजली श्रीवास्तव ने कथित तौर पर पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, अंजली के परिवारवाले उन्हें रविवार रात से ही इलाहाबाद से फोन करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें फोन पर जवाब नहीं मिला। ऐसा लग रहा है कि अंजली ने आत्महत्या की है। पुलिस ने पूरे घर की तलाशी ली लेकिन उसे ना तो कोई सुसाइड नोट मिला और ना ही कुछ अन्य ऐसा जिसे असामान्य कहा जाए। उनकी आत्महत्या के सही वजह का अभी पता तो नहीं चला है, लेकिन अंजली को जाननेवाले कहते हैं कि वह एक साल से काफी तनाव में थी। एक ओर उसे कोई फिल्म नहीं मिल रही थी दूसरी ओर घरवालों ने शादी तय कर दी थी। अंजली की सुरक्षा को लेकर चिंतित परिजन ने उनके मकान मालिक को फोन किया। मकान मालिक ने इसके बाद पुलिस को फोन किया। पुलिस ने जुहू रोड के परिमल सोसाइटी की पांचवीं मंजिल पर स्थित उनके अपार्टमेंट को डुप्लिकेट चाबी से खोला। घर में पुलिस ने 29 साल की अभिनेत्री को साड़ी से बने फंदे में पंखे से लटकता हुआ पाया।
पुलिस ने अंजली के शव को पोस्टमार्टम के लिए आर. एन. कूपर अस्पताल भेज दिया है। कई भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकी अंजली की आखिरी फिल्म 'केहु ता दिलमें बा
भोजपुरी इंडस्ट्री के लोगों के अनुसार अंजली फिल्म में आने से पहले इलाहाबाद में रहती थी। वह लोकल लेवल पर बनने वाले वीडियो एलबम में डांस करती थी। अंजली पर यहीं से फिल्म एक्ट्रेस बनने का जुनून सवार हुआ और वह इलाहाबाद छोड़कर मुंबई आ गई। मुंबई में जीना अंजली के लिए इलाहाबाद की तरह आसान न था। न परिवार का सपोर्ट था और न फिल्मी दुनिया के लोगों से करीबी जान पहचान। अंजली ने मुंबई आकर काफी संघर्ष किया। फिल्म में छोटे- मोटे रोल तक जो मिले वह स्वीकार कर लेती थी। इसी बीच अंजली को भोजपुरी इंडस्ट्री के लोगों से थोड़ी पहचान हुई तो कच्चे धागे और लहू के दो रंग समेत भोजपुरी की कई फिल्में की
थी, जो हाल ही में रिलीज हुई थी।
पुलिस ने अंजली के शव को पोस्टमार्टम के लिए आर. एन. कूपर अस्पताल भेज दिया है। कई भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकी अंजली की आखिरी फिल्म 'केहु ता दिलमें बा
भोजपुरी इंडस्ट्री के लोगों के अनुसार अंजली फिल्म में आने से पहले इलाहाबाद में रहती थी। वह लोकल लेवल पर बनने वाले वीडियो एलबम में डांस करती थी। अंजली पर यहीं से फिल्म एक्ट्रेस बनने का जुनून सवार हुआ और वह इलाहाबाद छोड़कर मुंबई आ गई। मुंबई में जीना अंजली के लिए इलाहाबाद की तरह आसान न था। न परिवार का सपोर्ट था और न फिल्मी दुनिया के लोगों से करीबी जान पहचान। अंजली ने मुंबई आकर काफी संघर्ष किया। फिल्म में छोटे- मोटे रोल तक जो मिले वह स्वीकार कर लेती थी। इसी बीच अंजली को भोजपुरी इंडस्ट्री के लोगों से थोड़ी पहचान हुई तो कच्चे धागे और लहू के दो रंग समेत भोजपुरी की कई फिल्में की
थी, जो हाल ही में रिलीज हुई थी।
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