नई दिल्ली।
नई दिल्ली। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक ढ़ांचा है, देश में हर वक्त कहीं ना कहीं चुनाव चल रहे होते हैं। यही वजह है कि कई बार विभिन्न चुनाव एक साथ करवाए जाते हैं। देश के संविधान में इस बात की इजाजत है कि चुनाव आयोग अपनी सुविधानुसार चाहे तो चुनाव 'समय पूर्वÓ करवा सकता है। आगामी चुनाव की खबरों पर विश्वास करें तो अगले साल के अंत में होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ ही साथ 2019 के लोकसभा चुनाव भी करवाए जा सकते हैं।
एक अखबार में छपी खबर के मुताबिक अधिक से अधिक राज्यों में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाए जाने की संभावनाओं पर चर्चा होनी शुरू हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि इसके चलते अगले लोकसभा चुनाव साल के अंतिम दो महीनों (नवंबर-दिसंबर 2018) में करवाए जा सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी कई बार यह राय जाहिर कर चुके हैं कि लगातार होने वाले विधानसभा चुनावों से न सिर्फ सरकार की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है बल्कि इससे देश पर आर्थिक भार भी पड़ता है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते समय भी देश में चुनाव सुधारों की वकालत की थी। प्रणब ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाए।
नई दिल्ली। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक ढ़ांचा है, देश में हर वक्त कहीं ना कहीं चुनाव चल रहे होते हैं। यही वजह है कि कई बार विभिन्न चुनाव एक साथ करवाए जाते हैं। देश के संविधान में इस बात की इजाजत है कि चुनाव आयोग अपनी सुविधानुसार चाहे तो चुनाव 'समय पूर्वÓ करवा सकता है। आगामी चुनाव की खबरों पर विश्वास करें तो अगले साल के अंत में होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ ही साथ 2019 के लोकसभा चुनाव भी करवाए जा सकते हैं।
एक अखबार में छपी खबर के मुताबिक अधिक से अधिक राज्यों में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाए जाने की संभावनाओं पर चर्चा होनी शुरू हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि इसके चलते अगले लोकसभा चुनाव साल के अंतिम दो महीनों (नवंबर-दिसंबर 2018) में करवाए जा सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी कई बार यह राय जाहिर कर चुके हैं कि लगातार होने वाले विधानसभा चुनावों से न सिर्फ सरकार की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है बल्कि इससे देश पर आर्थिक भार भी पड़ता है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते समय भी देश में चुनाव सुधारों की वकालत की थी। प्रणब ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाए।
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