शिमला
मानवीय संवेदनाओं के साथ न्याय तंत्र को निष्पक्ष न्याय प्रदान करना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने यह विचार प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा शनिवार को आयोजित व्याख्यानमाला के तीसरे व्याख्यान भारतीय संविधान के विभिन्न पहलु विषय के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रणाली से जुड़े लोगों को न्याय की आशा रखने वाले समाज के बड़े वर्ग तक पहुंचने की आवश्यकता है। न्याय सदैव समाज के हित में होना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक प्राधिकरण व राज्य विधिक प्राधिकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि प्राधिकरण द्वारा समाज के कमजोर वर्गों को विधिक व न्यायिक सहायता प्रदान की जा रही है। समाज के कमजोर और अंतिम व्यक्ति को न्याय मिल सके, इसके लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने चाहिएं। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को न्याय प्राप्त हो, इसके लिए न्यायिक शिक्षा के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक समाज का अभिन्न अंग है, हमें यह अवश्य विचार करना चाहिए कि हमने समाज को क्या दिया है। न्यायमूर्ति ने कहा कि भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों का सर्वांगीण विकास व अधिकार सुनिश्चित करता है। भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए भारत को धर्म निरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणतंत्र बताया। उन्होंने भारत को सभी धर्मों को आमंत्रित करने वाला महान राष्ट्र बताया, जिसमें धर्म की आजादी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश ने वर्षों से विभिन्न धर्मों व संप्रदायों को आत्मसात किया है, हमारे समाज ने हमेशा एकता का परिचय दिया। उन्होंने शनिवार को एडवोकेट चैंबर का उद्घाटन भी किया तथा बार एसोसिएशन की डायरेक्टरी का विमोचन भी किया। अध्यक्षीय भाषण में प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यकारी न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यकाल को याद करते हुए उस समय को न्याय प्रदान प्रक्रिया के स्वर्णिम समय की संज्ञा दी। उन्होंने बताया कि न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के कार्यकाल में प्रेक्षा गृह निर्माण, न्यायिक अकादमी निर्माण व नए भवन के निर्माण के अतिरिक्त अन्य कई बड़े कार्यों के प्रति निर्णय लिए गए, जो आज हमारे लिए एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने अपने कार्यकाल में युवा अधिवक्ताओं को बेहतर अधिवक्ता बनने के लिए प्रोत्साहित भी किया।
इस अवसर पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी न्यायमूर्ति त्रिलोक सिंह चौहान, न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा, न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बारोवालिया, मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश वीसी फारका, नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट, उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरके महाजन, डीडी सूद, एसएस ठाकुर, कुलदीप सिंह कंवर, एडवोकेट जनरल श्रवण डोगरा, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया अशोक शर्मा, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बीपी शर्मा, प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वीके शर्मा, राज्य उपभोक्ता फार्म के अध्यक्ष पीएस राणा, हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के सदस्य डीके शर्मा, रजिस्ट्रार जनरल राजीव भारद्वाज, रजिस्ट्रार विजिलेंस अरविंद मल्होत्रा, रजिस्ट्रार ज्यूडीशियल जेके शर्मा, रजिस्ट्रार एडमिनिस्ट्रेशन पुरेंद्र वैद्य, रजिस्ट्रार रूल्स प्रेम पाल रांटा, सीपीसी डा. परविंद्र सिंह अरोड़ा, रजिस्ट्रार एस्टेब्लिशमेंट प्यार चंद, सदस्य सचिव प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण यशवंत सिंह चोगल, प्रशासनिक अधिकारी प्रदेश विधिक सेवा अधिकारी गौरव महाजन, निदेशक न्यायिक अकादमी राकेश कैंथला, उप निदेशक अविनाश चंद्र के अलावा अन्य कानून विद्यालय, विश्वविद्यालय व अन्य स्कूलों के लगभग 200 छात्रों तथा उच्च न्यायालय के अधिकारी व कर्मचारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
मानवीय संवेदनाओं के साथ न्याय तंत्र को निष्पक्ष न्याय प्रदान करना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने यह विचार प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा शनिवार को आयोजित व्याख्यानमाला के तीसरे व्याख्यान भारतीय संविधान के विभिन्न पहलु विषय के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रणाली से जुड़े लोगों को न्याय की आशा रखने वाले समाज के बड़े वर्ग तक पहुंचने की आवश्यकता है। न्याय सदैव समाज के हित में होना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक प्राधिकरण व राज्य विधिक प्राधिकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि प्राधिकरण द्वारा समाज के कमजोर वर्गों को विधिक व न्यायिक सहायता प्रदान की जा रही है। समाज के कमजोर और अंतिम व्यक्ति को न्याय मिल सके, इसके लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने चाहिएं। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को न्याय प्राप्त हो, इसके लिए न्यायिक शिक्षा के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक समाज का अभिन्न अंग है, हमें यह अवश्य विचार करना चाहिए कि हमने समाज को क्या दिया है। न्यायमूर्ति ने कहा कि भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों का सर्वांगीण विकास व अधिकार सुनिश्चित करता है। भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए भारत को धर्म निरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणतंत्र बताया। उन्होंने भारत को सभी धर्मों को आमंत्रित करने वाला महान राष्ट्र बताया, जिसमें धर्म की आजादी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश ने वर्षों से विभिन्न धर्मों व संप्रदायों को आत्मसात किया है, हमारे समाज ने हमेशा एकता का परिचय दिया। उन्होंने शनिवार को एडवोकेट चैंबर का उद्घाटन भी किया तथा बार एसोसिएशन की डायरेक्टरी का विमोचन भी किया। अध्यक्षीय भाषण में प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यकारी न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यकाल को याद करते हुए उस समय को न्याय प्रदान प्रक्रिया के स्वर्णिम समय की संज्ञा दी। उन्होंने बताया कि न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के कार्यकाल में प्रेक्षा गृह निर्माण, न्यायिक अकादमी निर्माण व नए भवन के निर्माण के अतिरिक्त अन्य कई बड़े कार्यों के प्रति निर्णय लिए गए, जो आज हमारे लिए एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने अपने कार्यकाल में युवा अधिवक्ताओं को बेहतर अधिवक्ता बनने के लिए प्रोत्साहित भी किया।
इस अवसर पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी न्यायमूर्ति त्रिलोक सिंह चौहान, न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा, न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बारोवालिया, मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश वीसी फारका, नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट, उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरके महाजन, डीडी सूद, एसएस ठाकुर, कुलदीप सिंह कंवर, एडवोकेट जनरल श्रवण डोगरा, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया अशोक शर्मा, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बीपी शर्मा, प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वीके शर्मा, राज्य उपभोक्ता फार्म के अध्यक्ष पीएस राणा, हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के सदस्य डीके शर्मा, रजिस्ट्रार जनरल राजीव भारद्वाज, रजिस्ट्रार विजिलेंस अरविंद मल्होत्रा, रजिस्ट्रार ज्यूडीशियल जेके शर्मा, रजिस्ट्रार एडमिनिस्ट्रेशन पुरेंद्र वैद्य, रजिस्ट्रार रूल्स प्रेम पाल रांटा, सीपीसी डा. परविंद्र सिंह अरोड़ा, रजिस्ट्रार एस्टेब्लिशमेंट प्यार चंद, सदस्य सचिव प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण यशवंत सिंह चोगल, प्रशासनिक अधिकारी प्रदेश विधिक सेवा अधिकारी गौरव महाजन, निदेशक न्यायिक अकादमी राकेश कैंथला, उप निदेशक अविनाश चंद्र के अलावा अन्य कानून विद्यालय, विश्वविद्यालय व अन्य स्कूलों के लगभग 200 छात्रों तथा उच्च न्यायालय के अधिकारी व कर्मचारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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