रायपुर।
छत्तीसगढ़ में बेमौत मारी गई गायों को लेकर राजनीति गरमा गयी है। राज्य में साल 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके चलते दुर्ग के धमधा में बीजेपी नेता की गोशाला में मारी गयी गायों को लेकर बवाल इस कदर बढ़ गया है कि राज्य भर में बीजेपी के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है। धमधा के राजपुर इलाके के लोगों का दावा है कि गोशाला में 200 से ज्यादा गाय मारी गईं, जबकि प्रशासन ने तमाम दावों को खारिज करते हुए मात्र 30 गाय के मारे जाने की पुष्टि की है।
प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया है कि गायों की मौत भूख से हुई। बवाल मचने के बाद बीजेपी नेता हरीश वर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। उधर गायों को नयी गोशालाओं में भेजा जा रहा है, ताकि उनकी अच्छी देखभाल हो और उनकी जान बचाई जा सके। ये नजारा दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक के राजपुर गांव का है। इस गांव के आखरी मुहाने पर स्थित है यह शगुन गोशाला। वैसे तो इस गोशाला में लगभग दो ढाई सौ गायों को रखने की व्यवस्था है, लेकिन गोशाला संचालको ने इसकी क्षमता से तीन गुनी से ज्यादा गायों को यहां रख दिया।बताया जा रहा है कि इस गोशाला में साढ़े छ सौ से ज्यादा गायों को रखा गया था। इतना ही नहीं, गायों को कभी कभार ही दाना पानी मिलता था। यह गोशाला चारो ओर से दीवारों से घिरी हुई है। लिहाजा गायों के लिए ये गोशाला किसी जेल से कम नहीं है। भूखी प्यासी गायें इस गोशाला से बाहर नहीं निकल पाईं। वरना उन्हें भूख प्यास के मारे अपनी जान नहीं गवानी पड़ती और तो और गोशाला का गेट बंद होने के बाद दो-चार दिनों से यहां के किसी भी कर्मचारी ने भीतर जाकर देखने की जहमत भी नहीं उठाई।
ना तो किसी ने गेट खोला और ना ही किसी ने गायों की ओर देखा। नतीजतन एक के बाद एक कई गाय मरती चली गई। दो-चार दिनों से बंद गोशाला की ओर जब स्थानीय ग्रामीणों की नजर पड़ी, तो उन्होंने गायों के मारे जाने की सुचना स्थानीय प्रशासन को दी। शिकायत के कई घंटो बाद प्रशासन हरकत में आया। बवाल मचने के बाद पुलिस और प्रशासन के आला अफसर इस गोशाला का दौरा किया। प्रशासन ने प्राथमिक जांच में पाया कि इस गोशाला में गायों की रक्षा और देखभाल के लिए कोई जिम्मेदार व्यक्ति तैनात नहीं था।
क्षमता से तीन गुनी ज्यादा गाय रखने के बावजूद गोशाला प्रबंधन ने मात्र तीन-चार व्यक्तियों को ही गायों की देखभाल के लिए रखा था। ये व्यक्ति भी कभी कभार इस गोशाला का रुख करते थे। सबसे गंभीर बात यह थी कि तमाम गायों की मौत भूख प्यास से हुई। गोशाला में ना गायों के लिए पीने का पानी था और ना ही खाने के लिए चारा। भोजन के बिना गायों की हालत दिनों दिन पतली होते चली गयी। प्राथमिक जांच रिपोर्ट मिलते ही प्रशासन ने इस गोशाला के संचालक हरीश वर्मा की खोजबीन शुरू कर दी।
चंद घंटो के भीतर ही पुलिस ने उसे धर दबोचा। उसे धमधा पुलिस थाने के लॉकअप रूम में रखा गया है। पुलिस के मुताबिक पूछताछ के बाद उसे अदालत में पेश किया जाएगा। हरीश वर्मा के राजनैतिक रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो बीजेपी का आम कार्यकर्ता नहीं बल्कि भिलाई की जामुल नगर पालिका परिषद् का उपाध्यक्ष भी है। उसकी एक नहीं बल्कि तीन गोशालाएं है। उधर मामले के तूल पकडऩे के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य की सभी सरकारी अनुदान प्राप्त गोशालाओ का परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने गोहत्या के इस मामले को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है।
छत्तीसगढ़ में बेमौत मारी गई गायों को लेकर राजनीति गरमा गयी है। राज्य में साल 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके चलते दुर्ग के धमधा में बीजेपी नेता की गोशाला में मारी गयी गायों को लेकर बवाल इस कदर बढ़ गया है कि राज्य भर में बीजेपी के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है। धमधा के राजपुर इलाके के लोगों का दावा है कि गोशाला में 200 से ज्यादा गाय मारी गईं, जबकि प्रशासन ने तमाम दावों को खारिज करते हुए मात्र 30 गाय के मारे जाने की पुष्टि की है।
प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया है कि गायों की मौत भूख से हुई। बवाल मचने के बाद बीजेपी नेता हरीश वर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। उधर गायों को नयी गोशालाओं में भेजा जा रहा है, ताकि उनकी अच्छी देखभाल हो और उनकी जान बचाई जा सके। ये नजारा दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक के राजपुर गांव का है। इस गांव के आखरी मुहाने पर स्थित है यह शगुन गोशाला। वैसे तो इस गोशाला में लगभग दो ढाई सौ गायों को रखने की व्यवस्था है, लेकिन गोशाला संचालको ने इसकी क्षमता से तीन गुनी से ज्यादा गायों को यहां रख दिया।बताया जा रहा है कि इस गोशाला में साढ़े छ सौ से ज्यादा गायों को रखा गया था। इतना ही नहीं, गायों को कभी कभार ही दाना पानी मिलता था। यह गोशाला चारो ओर से दीवारों से घिरी हुई है। लिहाजा गायों के लिए ये गोशाला किसी जेल से कम नहीं है। भूखी प्यासी गायें इस गोशाला से बाहर नहीं निकल पाईं। वरना उन्हें भूख प्यास के मारे अपनी जान नहीं गवानी पड़ती और तो और गोशाला का गेट बंद होने के बाद दो-चार दिनों से यहां के किसी भी कर्मचारी ने भीतर जाकर देखने की जहमत भी नहीं उठाई।
ना तो किसी ने गेट खोला और ना ही किसी ने गायों की ओर देखा। नतीजतन एक के बाद एक कई गाय मरती चली गई। दो-चार दिनों से बंद गोशाला की ओर जब स्थानीय ग्रामीणों की नजर पड़ी, तो उन्होंने गायों के मारे जाने की सुचना स्थानीय प्रशासन को दी। शिकायत के कई घंटो बाद प्रशासन हरकत में आया। बवाल मचने के बाद पुलिस और प्रशासन के आला अफसर इस गोशाला का दौरा किया। प्रशासन ने प्राथमिक जांच में पाया कि इस गोशाला में गायों की रक्षा और देखभाल के लिए कोई जिम्मेदार व्यक्ति तैनात नहीं था।
क्षमता से तीन गुनी ज्यादा गाय रखने के बावजूद गोशाला प्रबंधन ने मात्र तीन-चार व्यक्तियों को ही गायों की देखभाल के लिए रखा था। ये व्यक्ति भी कभी कभार इस गोशाला का रुख करते थे। सबसे गंभीर बात यह थी कि तमाम गायों की मौत भूख प्यास से हुई। गोशाला में ना गायों के लिए पीने का पानी था और ना ही खाने के लिए चारा। भोजन के बिना गायों की हालत दिनों दिन पतली होते चली गयी। प्राथमिक जांच रिपोर्ट मिलते ही प्रशासन ने इस गोशाला के संचालक हरीश वर्मा की खोजबीन शुरू कर दी।
चंद घंटो के भीतर ही पुलिस ने उसे धर दबोचा। उसे धमधा पुलिस थाने के लॉकअप रूम में रखा गया है। पुलिस के मुताबिक पूछताछ के बाद उसे अदालत में पेश किया जाएगा। हरीश वर्मा के राजनैतिक रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो बीजेपी का आम कार्यकर्ता नहीं बल्कि भिलाई की जामुल नगर पालिका परिषद् का उपाध्यक्ष भी है। उसकी एक नहीं बल्कि तीन गोशालाएं है। उधर मामले के तूल पकडऩे के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य की सभी सरकारी अनुदान प्राप्त गोशालाओ का परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने गोहत्या के इस मामले को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है।
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