शनिवार, नवंबर 11, 2017

राम नाम के बीच यूपी में भगवान कृष्ण की प्रतिमा बनकर तैयार हो गई

'राम' के दौर में अखिलेश यादव ने बनवाई कृष्ण की प्रतिमा

लखनऊ
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के गृह नगर सैफ ई में कांसे की बनी भगवान कृष्ण की 50 फुट ऊंची प्रतिमा लगाई गई है। रथ का पहिया उठाने वाली मुद्रा में बनी इस प्रतिमा को यादव बहुल इलाके में लगाने का विचार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का था। यह प्रतिमा ऐसे समय पर लगाई गई है, जब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार अयोध्या में भगवान राम की विशालकाय मूर्ति लगाने की योजना बना रही है। भगवान कृष्ण की प्रतिमा बनकर तैयार हो गई है और अखिलेश यादव वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले लालू यादव समेत अन्य विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में इसका अनावरण करेंगे। पिछले छह महीने से बेहद गोपनीय तरीके से बनाई जा रही इस मूर्ति को योजनाबद्ध तरीके से बनाया जा रहा है। इसके लिए पैसा सैफई महोत्सव आयोजित करने वाली सैफई महोत्सव कमिटी ने दिया है। इसके अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हैं और अखिलेश यादव सदस्य हैं। समाजशास्त्रियों और राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यादव कुल में जन्मे भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करवाकर अखिलेश यादवों और ओबीसी जातियों में एक संदेश भेजना चाहते हैं ताकि इनमें उनकी स्थिति और मजबूत हो जाए। सूत्रों ने बताया कि इस मूर्ति में भगवान कृष्ण को रथ का पहिया उठाए दिखाया गया है और इसका भी एक संदेश है।
एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, 'वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावी रण से पहले अखिलेश का इस विषय वस्तु पर मूर्ति बनवाना उनके इरादों का स्पष्ट संकेत देता है।'
बता दें, हाल ही में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी सरकार ने अयोध्या में 100 मीटर ऊंची भगवान राम की मूर्ति लगवाने का प्रस्ताव राज्यपाल राम नाईक को सौंपा है। हालांकि अभी यह परियोजना शुरू नहीं हुई है।

 

फारूक अब्दुल्ला का पी ओ के पर विवादित बयान, कहा पाक अधिकृत कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा

श्रीनगर
जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पाकिस्तान का हिस्सा है और उसे पाकिस्तान से कोई छीन नहीं सकता। उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि कश्मीर का जो हिस्सा भारत के पास है, वह भारत का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि चाहे कितनी भी जंग क्यों न हो जाए, ये नहीं बदलने वाला है।
अब्दुल्ला ने मांग की कि दोनों ही देशों में कश्मीर की जनता को स्वायत्तता दी जानी चाहिए। फारूक ने कहा कि आजादी की मांग बेमानी है। कश्मीर चारों तरफ से जमीन और परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्रों से घिरा है। इसलिए आजादी की मांग उचित नहीं है।
फारूक ने केंद्र सरकार के वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा की बातचीत पर कहा, 'मैं इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकता हूं। उन्होंने बातचीत की है लेकिन केवल बातचीत समाधान नहीं है। यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच का है। भारत सरकार को पाकिस्तान की सरकार के साथ बातचीत करनी चाहिए क्योंकि कश्मीर का एक हिस्सा उनके पास भी है।'
एनसी नेता ने कहा, 'पाकिस्तान के एक मंत्री ने बिल्कुल ठीक कहा है कि आप उस हिस्से को भूल गए हो जो पाकिस्तान के पास है।' नैशनल कांफ्रेंस नेता ने कहा कि यदि आप अपने हिस्से की बात करते हो तो दूसरे का भी ध्यान रखना चाहिए।
फारूक ने कहा कि अगर कश्मीर में भारत सरकार अमन चैन चाहती है तो उसे पाकिस्तान के साथ भी बातचीत करनी होगी। इसमें कश्मीर के दोनों ही हिस्सों को स्वायत्तता देनी होगी। बता दें कि फारूक अबदुल्ला के विपरीत भारत सरकार का मानना है कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।

ऑड-ईवन रद्द, दिल्ली सरकार इस मामले पर फिर से एनजीटी का रूख करेगी

नई दिल्ली
दिल्ली में ऑड-ईवन स्कीम अब सोमवार से लागू नहीं होगी। एनजीटी की शर्तों के बाद दिल्ली सरकार ने यू-टर्न लेते हुए फिलहाल इस योजना को टालते हुए सोमवार को लागू नहीं करने का फैसला किया है। यह बात दिल्ली के ट्रांसपोर्ट मंत्री कैलाश गहलोत ने कही। उन्होंने कहा कि यह फैसला सोमवार से लागू नहीं होगा। बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार सोमवार को इस मामले पर फिर से एनजीटी का रूख करेगी और फैसले पर पुनर्विचार और टू-वीलर्स एवं महिलाओं को छूट देने की मांग करेगी। यदि एनजीटी इस पर कुछ राहत देती है तो फैसले को लागू करने पर फिर से विचार किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि इसमें टू-वीलर्स और महिलाओं को छूट न मिलने से दिल्ली सरकार इस फैसले से पीछे हटी है। सरकार का कहना है कि उनके पास पर्याप्त साधन नहीं हैं, वहीं महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा भी अहम है।
बता दें कि नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) ने दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन स्कीम को हरी झंडी दे दी थी, लेकिन ट्राइब्यूनल ने इसे लागू करने में कुछ शर्तें भी लगाई थीं। जैसे इस स्कीम में टू-वीलर्स, महिलाओं और सरकारी कर्मचारियों को छूट नहीं दी जाएगी। इसमें ऐंबुलेंस और इमरजेंसी सर्विसेज के लिए छूट रहेगी। ऑड-ईवन को शर्तों के साथ एनजीटी की मंजूरी मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार ने अहम बैठक की। बैठक में सरकार यह तय करेगी कि फिलहाल वह एनजीटी की शर्तों के मुताबिक ऑड ईवन को 13 नवंबर से लागू करने की स्थिति में है या नहीं। बता दें कि इस बार ऑड ईवन स्कीम को लागू करने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया, जिसके लिए दिल्ली सरकार को एनजीटी से फटकार भी सुननी पड़ी। महिलाओं और टू वीलर्स को छूट नहीं देने के एनजीटी के आदेश के बाद दिल्ली सरकार की चुनौतियां बढ़ गई हैं क्योंकि इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर और ज्यादा भार बढ़ेगा।
इससे पहले NGT ने दिल्ली सरकार के इस फैसले पर कई सवाल दागे थे। ट्राइब्यूनल ने पूछा था कि आखिर यह फैसला इतनी जल्दबाजी में क्यों लिया गया। सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड और दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चार पहिया वाहनों के मुकाबले टू-वीलर्स से ज्यादा प्रदूषण होता है। कुल प्रदूषण में 20 प्रतिशत योगदान टू-वीलर्स से ही होता है। एनजीटी का मानना है कि पानी का छिड़काव प्रदूषण को नियंत्रित करने का बेहतर आइडिया है। ट्राइब्यूनल ने यूपी सरकार से भी पूछा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन करने वाले कितने लोगों के चालान काटे गए।

शुक्रवार, नवंबर 10, 2017

नोटबंदी को अपनी 'भारी गलती के रूप में स्वीकार करें पीएम नरेंद्र मोदी: मनमोहन सिंह

चुनाव प्रचार के लिए गुजरात दौरे पर निकले पूर्व प्रधानमंत्री
नई दिल्ली। 
 पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र सरकार पर जमकर कटाक्ष किए। उन्होंने नोटबंदी को 'विनाशकारी आर्थिक नीति यानी कैटस्ट्रॉफिक इकोनॉमी पॉलिसी करार देते कहा कि इससे असमानता बढ़ सकती है और भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में यह अब तक की सबसे बड़ी सामाजिक विपत्ति साबित होगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि इस 'भारी गलती' को स्वीकार करें और अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए आम सहमति की दिशा में काम करें।
उन्होंने ब्लूमबर्गक्विंट डॉटकॉम से कहा, नोटबंदी एक विनाशकारी आर्थिक नीति साबित होने जा रही है। इसके कारण कई तरह की आर्थिक, सामाजिक, प्रतिष्ठात्मक और संस्थागत क्षति हुई है। जीडीपी का गिरना आर्थिक नुकसान का महज एक संकेतक है। इसका हमारे समाज के गरीब तबकों पर तथा व्यापार पर जो असर हुआ है, वह किसी आर्थिक सूचक की तुलना में कहीं अधिक हानिकारक है।पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि नोटबंदी का तुरंत असर नौकरियों पर पड़ा है। हमारे देश की तीनचौथाई गैर-कृषि रोजगार छोटे और मझोले उद्यमों के क्षेत्र में हैं। नोटबंदी से इस क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इसलिए नौकरियां चली गईं और नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं। उन्होंने कहा, मैं नोटबंदी के दीर्घकालिक असर के बारे में चिंतित हूं। हालांकि जीडीपी में हाल की गिरावट के बाद सुधार दिख रही है लेकिन हमारे आर्थिक विकास की प्रकृति के लिए बढ़ती असमानता एक बड़ा खतरा है। नोटबंदी इसे बढ़ा सकती है, जिसे भविष्य में सुधारना कठिन होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी और कहा था कि इससे काले धन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा और आतंकवादियों के वित्त पोषण पर रोक लगेगी। हालांकि बाद में उन्होंने यह कहा किया कि इसका उद्देश्य नकदी लेन-देन को कम करने तथा अर्थव्यवस्था को डिजिटल भुगतान की तरफ ले जाना है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि यह लक्ष्य प्रशंसनीय हैं लेकिन सरकार को आर्थिक प्राथमिकताओं को दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह साफ नहीं है कि नकदीरहित अर्थव्यवस्था का लक्ष्य छोटे उद्योग को बड़ा बनाने में सक्षम होगा ही जबकि यह हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।
कुछ इन्हीं मुद्दों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मंगलवार को गुजरात का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान वे जीएसटी तथा अन्य आर्थिक मुद्दों पर गुजरात के कारोबारियों से बात करेंगे। वे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता को भी संबोधित करेंगे।  

नोटबंदी से भी कम नहीं हुईं हैं घाटी में आतंकी घटनाएं

जम्मू।
नोटबंदी से आतंकवाद पर लगाम लगाने में सफलता मिलने के सरकारी दावे के उलट कश्मीर में लगातार आतंकी हमले जारी हैं। लोग पत्थरबाजी का सहारा ले रहे हैं ताकि मुठभेड़ वाली जगहों से आतंकियों को भागने में मदद मिल सके। यह साफ है कि ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) और आतंकियों के समर्थकों का तगड़ा नेटवर्क अभी भी मौजूद है। इसकी वजह से इन्हें पैसों की लगातार सप्लाई मिल रही है।
भले ही बेहतर सुरक्षा निगरानी से आतंकियों के लिए आम लोगों से चंदे के जरिए खुलेआम पैसा जुटाना आसान नहीं रहा है, लेकिन सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि कश्मीर में आतंकियों से सहानुभूति रखने वालों और ओजीडब्ल्यू के जरिए फंडिंग लगातार जारी है। 1990 के दशक में आतंकी खुलेआम आम लोगों से चंदा इक_ा किया करते थे।
अधिकारियों के मुताबिक, आतंकी संगठनों से जुडऩे वाले युवाओं की संख्या पर कोई लगाम नहीं लगी है और नोटबंदी से घाटी में आतंकवाद की घटनाओं पर कोई रोक नहीं लगी है। गृह मंत्रालय और जम्मू और कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 में 53 सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए थे और 67 आतंकी मारे गए थे। 2014 में यह संख्या क्रमश: 47 और 110 थी। 2015 में यह आंकड़ा 39 और 108 का था। 2016 में यह एक बार फिर बढ़कर 82 और 150 पर पहुंच गया।इस साल अब तक 160 आतंकी मारे गए हैं, जबकि शहीद होने वाले सुरक्षा बलों के जवानों की संख्या 40 पर पहुंच गई है। पुलिस महानिदेशक एस। पी। वैद्य ने कहा कि जनवरी से अब तक शहीद होने वाले सुरक्षा बलों में 24 पुलिस के जवान हैं।
सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, नोटबंदी के बाद आतंकवादियों को कुछ वक्त के लिए पैसों की तंगी हुई, इसके चलते वे बैंकों में डकैती डालने के लिए मजबूर हुए, लेकिन इनकी फंडिंग का मुख्य जरिया स्थानीय कारोबार हैं। पुलिस ने पहले खुलासा किया था बैंकों में डकैतियों के पीछे कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों का हाथ है।
10 सितंबर को सरकारी बलों ने शोपियां के बारबुग इलाके में हिजबुल के दो आतंकियों को मार गिराया, जबकि तीसरे आतंकवादी ने आत्मसमर्पण कर दिया। एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मारे गए आतंकवादियों में तारिक अहमद बट्ट इस साल 16 फरवरी को शोपियां के तर्कवांगम इलाके में बैंक में लूट की घटना में शामिल था।
मास्क लगाए हुए चार बंदूकधारियों ने एक बैंक से तीन लाख रुपए लूट लिए थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, साउथ कश्मीर के शोपियां, कुलगाम और पुलवामा में बैंक लूट की घटनाओं में खासी बढ़ोतरी हुई। अधिकारियों के मुताबिक, शोपियां में बैंक लूट की कम से कम छह घटनाएं हुईं, कुलगाम में भी इस तरह की करीब आधा दर्जन घटनाएं हुईं।लेकिन, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आतंकवादी हथियारों और पैसों के लिए बड़े पैमाने पर ओजीडब्ल्यू पर निर्भर हैं। 24 सितंबर को सुरक्षा बलों को तारिक को साउथ कश्मीर में मार गिराने के कुछ दिनों बाद ही हिजबुल के लिए काम करने वाले दो युवा गिरफ्तार किए गए।

इनका नाम वाहीद अहमद बट्ट और मुहम्मद शफी मीर है। ये हिजबुल के डिवीजनल कमांडर परवेज अहमद वानी के लिए काम करते थे। वानी को कश्मीर के सोपोर में सितंबर में मार गिराया गया था। पुलिस को इनके कब्जे से हैंड ग्रेनेड्स और अन्य गोला-बारूद भी मिला।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'ओजीडब्ल्यू न केवल हथियारों एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते हैं, बल्कि ये आतंकियों को कुछ घरों में टिकने का बंदोबस्त भी करते हैं और उनके लिए पैसों का इंतजाम करते हैं।

अधिकारियों का कहना है कि गुजरे एक साल में हिजबुल आतंकी कमांडर बुरहान मुजफ्फर वानी के मारे जाने के बाद आतंकियों के लिए लोगों का सपोर्ट बढ़ा ही है, जिसके चलते इन्हें अपने समर्थकों का नेटवर्क बढ़ाने में मदद मिली है।

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शोपियां के एसपी ए। एस। दिनकर ने कहा, 'आतंकियों के पास पैसों की किल्लत है, लेकिन वे इसके लिए खुद से सहानुभूति रखने वालों पर निर्भर हैं। नोटबंदी एक फैक्टर था जिसकी वजह से आंशिक तौर पर उनके लिए कैश की कमी पैदा हुई, लेकिन हकीकत में बड़े आतंकवादियों के मारे जाने से इन्हें पैसों की तंगी हो रही है। पैसों की डील्स आतंकी कमांडर करते हैं। हमने कई कमांडरों को मार गिराया है, जिसके चलते इन्हें फंड की किल्लत हो रही है।
जम्मू एंड कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के पूर्व चीफ कमांडर जावेद अहमद मीर ने कहा, 'कश्मीर में आजादी का आंदोलन पब्लिक सपोर्ट पर चल रहा है।Ó उन्होंने कहा कि जब 1989 में आतंकवाद की शुरुआत हुई, उसके बाद से यह आंदोलन लोगों के दिए जाने वाले कैश के बूते चल रहा है।
मीर 1979 में स्टूडेंट्स लीग से जुड़कर अलगाववादी आंदोलन का हिस्सा बने। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के लिए पब्लिक सपोर्ट कमजोर नहीं पड़ा है और ये फंड के लिए अपने समर्थकों पर निर्भर हैं।



राजनाथ सिंह के दावों में नहीं है सच्चाई

उन्होंने कहा, 'गृह मंत्री राजनाथ सिंह गलत कह रहे हैं कि नोटबंदी के बाद कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी आई है। दमनात्मक नीतियों का कश्मीर पर कोई असर नहीं होगा। सशस्त्र संघर्ष कई दशकों से जारी है और इस पर कोई असर नहीं पड़ा है।

1989 से पांच साल तक मीर जेकेएलएफ आतंकी के तौर पर सक्रिय रहे, उसके बाद लिबरेशन फ्रंट ने युद्धविराम का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा, 'जेकेएलएफ का लोगों से पैसे लेने का रिकॉर्ड है।।।क्योंकि हम आजादी चाहते थे।

पूर्व हिजबुल कमांडर जफर अकबर बट्ट ने कहा, 'पब्लिक सपोर्ट के बूते ही मौजूदा आंदोलन आगे बढ़ रहा है। मुजाहिदों के लिए हमेशा समर्थन रहा है। बट्ट मारे गए आतंकी कमांडर अब्दुल माजिद डार की अगुवाई वाले ग्रुप का हिस्सा थे।

इस ग्रुप ने भारत सरकार के साथ 2000 में युद्धविराम कर लिया था। बट्ट हिजबुल के 22 साल तक सक्रिय आतंकी रहे। यह धड़ा पाकिस्तान के साथ विलय की वकालत करता था। बट्ट उन चुनिंदा कमांडरों में हैं जो कि 1989 में आतंकवाद की शुरुआत के बाद से इससे जुड़े रहे।

मार्च 2021 तक जम्मू से श्रीनगर पहुंचेगी रेल

जम्मू।
केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने शुक्रवार को कहा कि मार्च 2021 तक सीधे जम्मू से श्रीनगर तक रेल  पहुंच जाएगी। इसका काम तेजी से चल रहा है। चिनाब नदी पर बन रहे विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल का काम भी जुलाई 2019 तक पूरा हो जाएगा।
जम्मू मे 150 करोड़ के केद्र प्रायोजित प्रोजेक्टों की समीक्षा करने के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने के निर्देश दिए गए है। ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक के बारे मे उन्होने कहा कि इसमे विश्र्व का सबसे ऊंचा पुल बनाने के साथ-साथ 38 टनल और 927 छोटे-बड़े पुल बन रहे है। यह अपने आप मे एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि इसी मार्ग पर भारतीय रेलवे इतिहास का पहला केबल ब्रिज भी बनाने जा रहा है। इसके बनने से जम्मू-कश्मीर बारह महीने देश के अन्य भागो के साथ जुड़ा रहेगा।
जम्मू-ऊधमपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के फोरलेन प्रोजेक्ट की समीक्षा करते हुए उन्होने कहा कि 64.5 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर 2619 करोड़ रुपये खर्च आए। उन्होंने कहा कि इस मार्ग पर केवल एक किलोमीटर सड़क का निर्माण शेष है। वह भी भूमि अधिग्रहण के कारण रुका है। इसका काम जल्द शुरू होगा। गोयल ने बताया कि उन्होंने इस काम का खुद जाकर जायजा भी लिया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ऊधमपुर से चिनैनी, नाशरी से रामबन और रामबन से बनिहाल तक फोरलेन का काम भी समय पर पूरा होगा।
केंद्रीय मंत्री ने एक हजार मेगावाट के पकलदूल इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, 220 केवी के श्रीनगर-लेह ट्रांसमिशन सिस्टम, 624 मेगावाट के किरू प्रोजेक्ट की भी समीक्षा की। उन्होने कहा कि कुछ प्रोजेक्टो का काम भूमि अधिग्रहण के कारण देरी से शुरू हुआ, लेकिन इन्हे भी जल्द पूरा किया जाएगा। उन्होंने सांसदो के लोकल एरिया डेवलपमेट स्कीम की समीक्षा करते हुए जिला अधिकारियो को फंड का सही उपयोग करने को कहा। उन्होने कहा कि राज्य के विकास के लिए यह जरूरी है कि सभी प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो। इनसे स्थानीय युवाओ को भी रोजगार मिल रहा है। उन्होंने राज्य सरकार से सभी प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए सहयोग करने को कहा।

'कश्मीर की आजादी का पक्षधर नहीं पाकिस्तान

पाक प्रधानमंत्री के बदले सुर
लंदन।  
कश्मीर मुद्दे पर अब पाकिस्तान ने पैंतरा बदल लिया है। पाक प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में बड़ा बयान देते कहा  कि पाकिस्तान कश्मीर की आजादी का पक्षधर नहीं है और इस मुद्दे का समाधान केवल बातचीत से हो सकता है।
अब्बासी साउथ एशियन सैंटर में फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान 2017 कार्यक्रम में भाग लेने   पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि उनका देश बातचीत का समर्थक है, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि दोनों के बीच वार्ता जल्द होने जा रही है।
पाक में अगले साल आम चुनाव होने जा रहे हैं जबकि भारत उसके अगले साल यानी 2019 में आम चुनावों का सामना करेगा। ऐसे में दोनों मुल्क चुनावी व्यस्तता के चलते कश्मीर समस्या के समाधान की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक कश्मीर विवाद का कोई सार्थक हल नहीं निकलता, दोनों देशों के बीच संबंध तल्ख बने रहेंगे।
 एक सवाल के जवाब में उन्होंने साफ इन्कार किया कि उनका मुल्क कश्मीर की स्वतंत्रता के लिए धरातल पर सहायता कर रहा है। उनका कहना था कि इस तरह की बातें फैलाई जा रही हैं, लेकिन उनका मानना है कि संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद का फार्मूला कश्मीर के समाधान के लिए लागू किया जाना चाहिए। इसके तहत व्यवस्था है कि वहां रहने वाले लोगों से रायशुमारी की जाए। उनका यह भी कहना था कि तमाम उठापटक के बीच  पाकिस्तान में आज स्थायित्व है। वहां लोकतंत्र मजबूत स्थिति में है।
 

शुक्रवार, नवंबर 03, 2017

करेंसी की वैधता पर सवाल

आरबीआई को नहीं है 2000 और 200 के नोट छापने का अधिकार!
मुंबई। 
देश के सबसे बड़े बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है। भारतीय बैंको की नियामक संस्था के रूप में काम करने वाली क्रक्चढ्ढ के पास नए नोट जारी करने का अधिकार ही नहीं है। सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए जवाबों से यह बात सामने आई है।
एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है कि आरबीाअई के पास ऐसे कोई कागजात नहीं है जो यह बता सकें कि नोटबंदी के बाद उनके पास 2,000 रुपए और 200 रुपए की नई करेंसी जारी करने का अधिकार था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नए नोट छापने के लिए कोई सर्कुलर भी नहीं जारी किया गया था। इस विषय में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मुंबई के एमएस रॉय ने जानकारी मांगी थी। क्रञ्जढ्ढ में मिली जानकारी के अनुसार नोटबंदी से करीब 6 महीने पहले 19 मई 2016 के दस्तावेज के मुताबिक आरबीआई के कार्यकारी निदेशक ने 18 मई 2016 को पेश किए गए प्रस्ताव को निदेशक मंडल ने मंजूरी दी थी।
मंजूर किया गया प्रस्ताव नए बैंक नोटों के डिजाइन, मूल्य और उनके पैमानों से जुड़ा था। इस प्रस्ताव को मंजूर करने के लिए 8 जुलाई 1993 को भी तात्कालीन सरकार के पास भेजा गया था। प्रस्ताव में 10,20,50 100 और 500 रुपए के साइज को कम कर के नए नोटों को शुरू करने की बात शामिल थी।
आरटीआई एक्टिविस्ट रॉय के अनुसार आरबीआई बोर्ड के प्रस्ताव में 1,000 रुपए (विमुद्रीकरण के बाद से चलन में नहीं), 2000 रुपए और बाद में 200 रुपए के करेंसी के डिजाइन या महात्मा की तस्वीर को प्रकाशित करने की कोई चर्चा नहीं हुई। जिससे यह स्पष्ट है कि किसी भी प्रकार की आधिकारिक मंजूरी नहीं दी गई तो आखिर इन नोटों को किसने डिजाइन किया और बिना मंजूर हुए प्रकाशित कैसे हुए?
रॉय के अनुसार आरबीआई बोर्ड ने सार्वजनिक तौर पर किसी भी प्रकार की कोई मंजूरी नहीं दी और ना ही ऐसे कोई दस्तावेज मौजूद हैं, जिससे 200 और 2,000 रुपए की करेंसी की कानूनी वैधता पर बड़ा सवाल है। रॉय ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए।
इससे पहले 27 फरवरी 2017 को रॉय ने एक अन्य आरटीआई दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने 1 रुपए के नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर ना छापे जाने के दस्तावेज मांगे थे। जवाब में आरबीआई ने 15 जुलाई 1993, 13 जुलाई 1994 और 19 मई 2016 की बोर्ड बैठक के प्रस्ताव की प्रतियां उपलब्ध कराई थीं। हालांकि, ये प्रस्ताव केवल 10, 20, 50, 100 और 500 रुपए के लिए डिजाइन के बारे में बताते हैं, जिन पर महात्मा गांधी की तस्वीर छपी है।क्रक्चढ्ढ बोर्ड के प्रस्ताव के में 1000, 2000 रुपए और हाल में जारी 200 रुपए के नोट डिजाइन की विशेषताओं या महात्मा गांधी की तस्वीर के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
 

बेगूसराय से सीपीआई के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं कन्हैया

पटना।
जेएनयू में कथित तौर पर देशविरोधी नारेबाजी कर सुर्खियों में आये और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार समेत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगातार हमलावर रहनेवाले कन्हैया कुमार अपने गृहनगर बेगूसराय से वर्ष 2019 में होनेवाले लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। सीपीआई बिहार प्रदेश के सचिव सत्यनारायण ने इस बात के संकेत दिये हैं।
वामपंथी दलों का मानना है कि कन्हैया कुमार अभी से ही चुनाव की तैयारियों में जुट गये हैं। वह लोकसभा के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा भी कर रहे हैं। हालांकि, उनके चुनाव लडऩे का आखिरी फैसला गठबंधन के सभी दल मिल कर करेंगे। उम्मीद जतायी जा रही है कि वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव वामपंथी दल बिहार में राजद और कांग्रेस के साथ मिल कर लड़ सकते हैं। ऐसे में वामपंथी दल को पसंदीदा सीट मिलना मुश्किल होगा। इसके बावजूद कन्हैया कुमार जैसे उम्मीदवार को लेकर अन्य पार्टियों को भी कोई ऐतराज नहीं हो सकता है। जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के चुनावी मैदान में उतारे जाने की खबर से सियासी गलियारों में उथल-पुथल शुरू हो गयी है।
कन्हैया कुमार का बेगूसराय से चुनाव लडऩा आसान नहीं होगा। वामपंथियों का गढ़ माना जानेवाली बेगूसराय की सीट पिछले दो बार से भाजपा की झोली में जा रही है। हालांकि, पिछली बार का अंतर काफी मामूली था। वहीं, बेगूसराय से कन्हैया कुमार के चुनाव लडऩे पर टक्कर का मुकाबला होने की संभावना व्यक्त की गयी है। क्योंकि, राजद और कांग्रेस से वामपंथी दलों का गठबंधन होने से लालू प्रसाद समर्थन दे सकते हैं। ऐसे में भाजपा को अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखना आसान नहीं होगा।
जेल से रिहा होने के बाद पटना दौरे पर आये कन्हैया कुमार तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव दोनों से मिले थे। उस समय लालू प्रसाद यादव को पैर छू कर प्रणाम करने पर उनके विरोधियों ने जमकर निशाना भी साधा था। पटना दौरे पर आये कन्हैया का स्वागत भी वीआईपी अंदाज में हुआ था। कन्हैया के पटना एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही उनकी सुरक्षा में दो डीएसपी समेत दर्जनों पुलिसकर्मी तैनात थे। कन्हैया कुमार के स्वागत के लिए जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार भी पटना एयरपोर्ट पहुंचे थे।
पटना में हुई राज्य परिषद की कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में भी कन्हैया कुमार का मामला उठा था। बैठक में शामिल सीपीआई राष्ट्रीय काउंसिल के  सचिव केआर नारायण ने कहा था कि कन्हैया को केरल से भी लोकसभा चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव है, लेकिन बिहार इकाई की मांग है किउन्हें बिहार से ही खड़ा किया जाये। वहीं, सीपीआई के बिहार प्रदेश सचिव सत्यनारायण सिंह ने कहा है कि कन्हैया कुमार आनेवाले 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की बेगूसराय सीट से सीपीआई के उम्मीदवार होंगे। साथ ही कहा कि चुनाव लडऩे के मुद्दे पर कन्हैया कुमार से भी बातचीत भी हो गयी है।

कांग्रेस की अहम बैठक के बाद राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी पर साधा निशाना

नई दिल्ली।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में पार्टी महासचिवों और राज्यों के प्रभारियों के साथ अहम बैठक की। बैठक के बाद उन्होंने सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के दिन 8 नवंबर को किस बात का जश्न होगा? मुझे समझ में नहीं आता। राहुल ने नोटबंदी और जीएसटी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका बताते हुए इसकी तुलना बम और टॉर्पीडो से की।
उन्होंने कहा, मोदी सरकार की दो बड़ी आर्थिक नीतियों नोटबंदी और जीएसटी से लोगों को अपार दुख हुआ है। अच्छे आइडिया को कैसे भ्रष्ट किया जा सकता है, जीएसटी इसका उदाहरण है। राहुल ने कहा कि मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी और जीएसटी के दो बम मारे हैं। इसके बाद राहुल ने नोटबंदी और जीएसटी को टॉर्पीडो बताते हुए कहा, एक टॉर्पीडो ने अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया, तो दूसरे ने उसे डुबो ही दिया। पहला टॉर्पीडो नोटबंदी का था, तो दूसरा ठीक तरीके से लागू नहीं की गई जीएसटी का।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव के मद्देनजर यह बैठक काफी अहम है। इसके अलावा 8 नवंबर को नोटबंदी के भी एक साल पूरे हो रहे हैं और कांग्रेस उस दिन देशभर में विरोध-प्रदर्शन करने वाली है। ऐसे में मोदी सरकार के घेरने के लिए रणनीतिक चर्चा के लिहाज से भी यह बैठक काफी अहम रही।
बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम भी शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं ने नोटबंदी और जीएसटी पर मोदी सरकार को घेरने की कारगर रणनीति सुझाई। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू में है। नोटबंदी के एक साल पूरा होने पर कांग्रेस 8 नवंबर को देशभर में विरोध-प्रदर्शन करने वाली है। कांग्रेस के विरोध-प्रदर्शन का थीम एमएमडी यानी मोदी मेड डिजास्टर (मोदी की लाई हुई त्रासदी) रहेगा। माना जा रहा है कि बैठक में उस विरोध-प्रदर्शन की विस्तृत रूप-रेखा पर चर्चा हुई।
सूत्रों के मुताबिक बैठक के अजेंडे में गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की रणनीति भी शामिल थे। गुजरात में पाटीदारों की बीजेपी से नाराजगी और पिछले साल सूबे में दलित आंदोलन का चेहरा रहे जिग्नेश मेवानी के कांग्रेस को समर्थन से पार्टी उत्साहित है। इसके अलावा ओबीसी आंदोलन का चेहरा रहे अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इससे कांग्रेस को उम्मीद बंधी है कि सूबे की सत्ता से उसका 22 साल का वनवास खत्म हो सकता है।
पाटीदार अनामत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को साधना कांग्रेस के लिए अब भी बड़ी चुनौती है। बीजेपी का खुलकर विरोध कर रहे पटेल ने कांग्रेस को समर्थन देने के मुद्दे पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उन्होंने कांग्रेस को अल्टिमेटम दिया है कि पार्टी पटेल आरक्षण के मुद्दे पर 3 नंवबर तक अपना रुख स्पष्ट करे। पटेल चाहते हैं कि कांग्रेस स्पष्ट करे कि वह किस तरह से पटेल समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देगी। सूत्रों के मुताबिक बैठक में हार्दिक पटेल को लेकर भी चर्चा होनी थी, हालांकि बैठक के बाद किसी भी नेता ने इस बात का जिक्र नहीं किया।
कांग्रेस को इस बार गुजरात में स्थितियां अपने लिए अनुकूल लग रही हैं, जिससे पार्टी उत्साहित है। पार्टी अब केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाकर दूसरे राज्यों में भी पार्टी कार्यकर्ताओं में नए जोश और उत्साह का संचार करना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक बैठक में पार्टी महासचिवों और राज्यों के प्रभारियों के साथ मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर विस्तृत चर्चा होनी है। अगले कुछ हफ्तों में राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी होनी है और माना जा रहा है कि इस बैठक के जरिये कांग्रेस उपाध्यक्ष यह संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह पार्टी की कमान संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

नवंबर में जीएसटी से मिलेगा तोहफा!

चीजें होंगी सस्ती, कारोबारियों पर टैक्स का भार कम

नई दिल्ली। 
नवंबर महीने में जीएसटी काउंसिल आम आदमी के साथ ही छोटे और मझोले कारोबारियों को सौगात देने वाली है। 10 नवंबर को गुवाहाटी में जीएसटी परिषद की बैठक है। इसमें आम आदमी को जहां सस्ते सामान और सेवा का तोहफा मिल सकता है। वहीं, कारोबारियों पर टैक्स का भार कम किया जा सकता है।
कंपोजिशन स्कीम को लेकर असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्वशर्मा की अध्यक्षता में बने मंत्री समूह ने कुछ अहम सुझाव दिए हैं। जीएसटी परिषद आने वाली बैठक में इन सुझावों को अपना सकती है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि नवंबर में कौन-कौन सी चीजें सस्ती हो सकती हैं।
बाहर खाना होगा सस्ता  मंत्री समूह ने सुझाव दिया है कि एसी रेस्तरां पर लगने वाले 18 फीसदी जीएसटी को घटाकर 12 फीसदी कर दिया जाए। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी पहले एसी होटलों पर लगने वाले रेट को घटाने का संकेत दे चुके हैं।
माना जा रहा है कि 10 नवंबर की बैठक में परिषद एसी रेस्तरां पर लगने वाले रेट को कम जरूर करेगी। इससे आपको ऐसे होटलों में खाना खाने पर कम बिल चुकाना होगा।
कंपोजिशन स्कीम के तहत मिलेगा फायदा : कंपोजिशन स्कीम की सीमा 1 करोड़ से बढ़ा कर डेढ़ करोड़ की जा सकती है। इससे कई और कारोबार इस स्कीम के तहत आ सकते हैं। इसके अलावा मैन्युफैक्चर्स को सकल बिक्री पर 2 की जगह 1 प्रतिशत, रेस्टोरेंट के लिए 5 की जगह 1 प्रतिशत और ट्रेडर्स के लिए 1 की जगह 0.5 प्रतिशत कर भुगतान का सुझाव दिया गया है।
आम आदमी को मिलेगी ये राहत : कंपोजिशन स्कीम की सीमा बढऩे और होटल व मैन्युफैक्चरर्स के लिए टैक्स दर घटने से आम आदमी को भी फायदा मिलेगा। कंपोजिशन स्कीम का फायदा लेने वाले कारोबारी इसका लाभ ग्राहकों तक बढ़ा सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो इन होटलों में लंच करना आपके लिए दूसरे होटलों के मुकाबले काफी सस्ता हो सकता है।
घर खरीदना हो सकता है सस्ता : इस बैठक में रियल इस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली यह संकेत दे चुके हैं। जेटली ने कह चुके हैं कि रियल इस्टेट के जीएसटी के दायरे में आने से लोगों को कई तरह के टैक्स भरने से राहत मिलेगी। इसके बाद उन्हें सिर्फ एक ही टैक्स भरना होगा।
10 नवंबर की बैठक में इस पर मुहर लग सकती है। एक ही टैक्स भरने से घर की कीमतों में कमी आ सकती है और आम आदमी के लिए घर खरीदना सस्ता हो सकता है।
घर में यूज होने वाले सामान होंगे सस्ते : मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को कंपोजिशन स्कीम के तहत लगने वाले टैक्स के मामले में राहत देने की तैयारी है। मंत्री समूह ने भी यह सुझाव दिया है। ऐसे में आपके घर में इस्तेमाल होने वाली कई चीजें जैसे कि बाथरूम टाइल, स्टील का सामान समेत अन्य चीजें सस्ती हो सकती हैं।
राजस्व सचिव हंसमुख अधिया कह चुके हैं कि 28 फीसदी के स्तर पर कुछ उत्पादों का रेट कम किया जा सकता है। इन पर 12 से 18 फीसदी रेट लगाया जा सकता है। ऐसे में 28 फीसदी की रेंज में आने वाले आम लोगों के काम की चीजें सस्ती हो सकती हैं।

कर्नाटक में बोले पीएम मोदी- हम रहें या न रहें, नहीं होने देंगे देश को बर्बाद

बेंगलुरु।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक दिवसीय दौरे पर कर्नाटक पहुंचे पर सबसे पहले धर्मस्थाला में स्थित हरि मंजूनाथ स्वामी मंदिर के दर्शन किए। मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद मोदी उजीर में जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि आप सबके दर्शन हुए। श्री क्षेत्र धर्मस्थल ग्रामीण विकास परियोजना में लाभार्थियों को रुपे कार्ड बांटे। डॉक्टर वीरेन्द्र हेगड़े का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने वन लाइफ वन मिशन में अपने आप को समर्पित किया। उनका सम्मान करने के लिए मैं व्यक्ति के तौर पर बहुत छोटा हूं लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के प्रतिनिधि के रूप में, जिस पद पर आपने बैठाया उस पद की गरिमा के कारण मैं यह कर सकता हूं। जिस लक्ष्य को जीवन में तय किया उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए यह वीरेन्द्र हेगड़े के जीवन से सीखना चाहिए। हेगड़े ने कहा था कि 50 साल पूरे हुए इसका सम्मान नहीं है आप तो मुझसे इसकी गारंटी मांग रहे हो कि मैं अगले 50 साल तक ऐसे ही काम करूं। जीवन में प्रतिपल काम के प्रति ईमानदार होना हेगड़े जी से सीखना चाहिए।
मोदी के संबोधन के प्रमुख अंश
नोटबंदी के बाद अब भारत में शुरू हुआ डिजिटल करेंसी का दौर।
भारत एक युवा राष्ट्र है और हमें इस युवा शक्ति का लाभ उठाना चाहिए।
12 लाख लोग अपना कार्यभार कैशलेस ट्रांजेक्शन से करेंगे। 12 लाख लोगों ने कैशलेस लेनदेन का संकल्प लिया है।
हम रहें या न रहें, देश को बर्बाद नहीं होने देंगे। हमने अपने लिए जीना ही नहीं सीखा।
यूरिया इस्तेमाल हमें 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखना चाहिए। अल्पावधि लाभ के बारे में नहीं सोचना चाहिए। हमें यूरिया के उपयोग को कम करने की जरूरत है। बता दें कि इस प्रोजेक्ट की आधारशीला 1996 में रखी गई थी लेकिन फंड की कमी के चलते इसका काम लटक गया था। देरी के चलते 370 करोड़ के प्रोजेक्ट की लागत बढ़कर 1,542 करोड़ हो गई।

बुधवार, नवंबर 01, 2017

महबूबा ने बारामूला का दौरा कर जन समस्या निवारण शिविर आयोजित किए

श्रीनगर।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने  बारामूला का दौरा कर जनसमस्या निवारण शिविर आयोजित किया जिसमें जिले के पहाडी तथा दूर दराज़ के क्षेत्रों के प्रतिनिधिमंडलों तथा अल्पसंख्यक लोगों ने मुख्यमंत्री को अपनी समस्याओं से अवगत करवाया।
तकनीकी शिक्षा, युवा सेवा एवं खेल मंत्री मौलवी इमरान रजा अंसारी, विधायक जावेद हुसैन बेग, मोहम्मद अब्बास वानी तथा जावर दिलावर मीर इस अवसर पर उपस्थित थे। प्रतिनिधिमंडलों ने क्षेत्र में आकर समस्याओं एवं मांगों  को सुनने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया।
 ग्रेटर बारामूला फोरम के एक प्रतिनिधिमंडल ने कस्बे की नगर पालिका सीमितों के विस्तार, युवा होस्टल के निर्माण सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, ठोस कचरा प्रबंधन के अतिरिक्त फुटबाल एकेडमी अशकूरा के कार्य में तेजी लाने की मांग की।
नगर समाज सदस्यों के अन्य प्रतिनिधिमंडल ने बारामूला मेडिकल कालेज के कार्य में तेजी लाने, कस्बे के केन्द्र में पार्किंग स्लाट तथा आराम कक्षों के निर्माण की मांग की। उन्होंने कस्बों के जेहलम के किनारों के सौंर्दयीकरण, पार्कों के रखरखाव, सकुर्लर सड़कों के निर्माण तथा यातायात के भारी भीड का कम करने हेतु सड़कों की चौडाई की मांग भी की।
बारामूला कालेज एलुमनी एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर विश्वविद्यालय के नार्थ केम्पस बनाने के लिए एक विशेष पैकेज की मांग की। उन्होंने बारामूला डिग्री कालेज को स्वयत्ता स्टेटस के अनुदान की मांग भी की। प्रतिनिधिमंडल ने उडी में भू विज्ञानों के लिए एक कालेज स्थापित करने की मांग भी की।
 ओल्ड टाउन बारामूला के स्थानीय लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बाग-ए-इस्लाम में स्वास्थ्य केन्द्र को 24 घंटे क्रियशील बनाने हेतु एक आवास कालोनी बनाने के अतिरिक्त प्रमुख कस्बे मे समुदायिक केन्द्रों के निर्माण की मांग की। उन्होंने कस्बे में बिजली की तारों के सुधार, पुराने कस्बे में ड्रग डी एडीक्शन, बाढ वाले नालो की साफ सफाई की मांग भी की।  रफियाबाद से कई प्रतिनिधिमंडलों ने अच्छाबल में एक स्वास्थ्य केन्द्र तथा खेल का मैदान बनाने के अतिरिक्त क्षेत्र मे सड़कों की चौडाई की मांग की। उन्होंने ढांगीवाची मेडिकल ब्लाक के लिए एक एम्बूलेंस तथा बेहरामपोरा में एक कोल्ड स्टोर स्थापित करने  की मांग भी की। उन्होंने वाटरगाम, हादीपोरा, अच्छाबल तथा नोपोरा में ग्रिड स्टेशनों की वृद्धि के अतिरिक्त कितरदाजी तथा बोसिया को राज्य के पर्यटक मानचित्र पर लाने की मांग भी की।
सोपोर से छात्राओं के प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय पुस्तकालय के स्तर को बढाने, क्षेत्र के लिए स्कूटी योजना के विस्तार, कस्बे के युवाओं के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं हेतु खेल सुविधा तथा कोचिंग कैम्प की मांग की। मांगों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने सोपोर पुस्कालय के लिए पुस्तकें खरीदने के लिए 10 लाख रु की राशि जारी करने तथा इंडोर स्टेडियम के निर्माण हेतु संभावनाओं को बढ़ाने के निर्देश दिये। शहर के अन्य प्रतिनिधिमंडल ने एक नर्सिंग कालेज स्थापित करने, पेयजल सुविधा में वृद्धि लाने तथा ठोस कचरा प्रबंधन की मांग की। दूसरे प्रतिनिधिमंडल ने कस्बे में शैक्षिक ढांचे को मजबूत बनाने की मांग की।
महबूबा मुफ्ती ने खेल स्टेडियम के निर्माण के लिए भूमि की पहचान करने, लडके तथा लडकियों के कालेजों के लिए 2 बसें घोषित करने तथा उपलब्ध स्थल पर सार्वजानिक पार्क के विकास के निर्देश दिये।
बोनियार के प्रतिनिधिमंडलों ने त्रिकंजन में एक जेके बैंक शाखा स्थापित करने, बेला से गबेवार तक सड़क के विकास के अतिरिक्त एक तहसील सामाजिक कल्याण कार्यालय स्थापित करने की मांग की। उन्होंने बोनियार में एक दमकल स्टेशन, नौशहरा में जेहलम दरिया पर पैदल पुल के निर्माण, नौशहरा में जेके बैंक शाखा की बहाली तथा क्षेत्र के लिए सिंचाई सुविधाओं की मांग भी की।
गुरूद्व़ारा प्रबंधक समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने सिख समुदाय से सम्बंधित उम्मीदवारों के लिए रोजगार में एक विशेष अनुमति तथा गुरूद्वारा चटटी पादशाही बारामूला तक सड़क पर तारकोल बिछाने की मांग की।
बलाइंड स्कूल कानीसपोरा से छात्रों के समूह ने अधिक से अधिक सुविधाओं की मांग की । मुख्यमंत्री ने उपायुक्त को इस स्कूल के  अपने भवन के निर्माण के मामले को आगे बढाने के निर्देश दिये।
पटन के कई प्रतिनिधिमंडलों ने ट्रामा अस्पताल के कार्य को पूरा करने,लगातार बढती यातायात के भार को कम करने के लिए कदम उठाने, एक विशेष इंजीनियरिंग सब डिविजन के सृजन, अगलार वुसन जलापूर्ति योजना को पूरा करने की मांग की।
तिलगाम, तापर, वानीगाम,नेहलपोरा, बुरान तथा सिरपोरा क्षेत्रों के प्रतिनिधिमंडलों ने क्षेत्र में फलोद्यानों के लिए नई सिचंाई सुविधाओं के अलावा तीलगाम रिसीविंग स्टेशन की वृद्धि तथा स्थानीय हाई स्कूल को एक हायर सैकेडरी स्कूल बनाने की मांग की। टंगमर्ग के प्रतिनिधिमंडल ने फिरोजपोरा नाले पर सुरक्षा बांधों के अतिरिक्त क्षेत्र में ऊर्जा ढांचे को मजबूत बनाने तथा एक महिला कालेज स्थापित करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने क्षेत्र में ऊर्जा ढांचे को मजबूत बनाने हेतु 15 लाख रु की राशि जारी करने के निर्देश दिये।
करीरी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के सभी क्षेत्रों के विकास हेतु उनके प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया। उन्होंने मुख्यमंत्री को अपने क्षेत्र के दौरे हेतु आमंत्रित किया।अपर कंडी, संग्रामा के अन्य प्रतिनिधिमंडल ने पीएचसी दूधबग को मजबूत बनाने तथा सुलतानपोरा में स्कूल के स्तर को बढ़ाने के अतिरिक्त बंगी बाला में एक खेल के मैदान के निर्माण की मांग की।
 कमलकोट, उडी, संग्रामा, जेहानपोर, तुजरशरीफ, नौशहरा, नरवाव तथा अन्य क्षेत्रों के अन्य प्रतिनिधिमंडलों ने मुख्यमंत्री से भेंटकर उन्हें अपनी मांगों से अवगत करवाया तथा उनका समाधान करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडलों की मांगों को सुना तथा उन्होंने इनका समाधान करने का आश्वासन दिया। कई मामलों में महबूबा मुफ्ती ने प्रतिनिधिमंडलों द्वारा उठाई गई समस्याओं का समाधान करने के लिए तत्काल निर्देश दिये। मुख्यमंत्री अपने दौरे के दौरान सोपोर का दौरा कर जेके बैंक की एक करंसी चेस्ट का उद्घाटन करेंगी तथा लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनेंगी।मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव रोहित कंसल, मुख्यमंत्री सचिवालय एवं योजना विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न विभागों के प्रमुख, कई इंजीनियरिंग विंग के मुख्य, उपायुक्त, डॉ नसीर नकाश, एसएसपी इम्ति हुसैन तथा जिला प्रशासन के अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।


 

अल्ताफ बुखारी ने बोर्ड परीक्षाओं को सुचारू रूप से आयोजित करने पर बल दिया

श्रीनगर।
शिक्षा मंत्री सईद अल्ताफ अहमद बुखारी ने शनिवार को अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर कश्मीर तथा जम्मू के विंटर ज़ोन के छात्रों के लिए आने वाली बोर्ड परीक्षाओं को परेशानी मुक्त आयोजित करने हेतु रूपरेखाओं पर चर्चा की।
मंडलायुक्त कश्मीर बसीर अहमद खान, स्कूली शिक्षा सचिव फारूक अहमद शाह, डीसी श्रीनगर सईद आविद रशीद शाह, स्कूली शिक्षा निदेशक कश्मीर डॉ जी एन इत्तू, बोस के चेयरपर्सन वीना पंडिता, पुलिस अधिकारी तथा अन्य सम्बंधित अधिकारी बैठक में उपस्थित थे। मंडलायुक्त जम्मू डॉ मंदीप के भंडारी तथा विभिन्न जिलों के जिला विकासायुक्तों ने भी विडियो कान्फ्रैंसिंग के माध्यम से बैठक में भाग लिया।
 मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे अनुशासित तरीके से परेशानी मुक्त परीक्षाएं सुनिश्चित करें और उन्होंने पुलिस अधिकारियों से परीक्षा के दौरान कानून एवं व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देने हेतु परीक्षा केन्द्रों के पास पुलिस कर्मियों को तैनात करने को कहा।
बुखारी ने जिला विकासायुक्तों को परीक्षाओं को सुचारू रूप से आयोजित करने हेतु निगरानी टीमें गठित करने के निर्देश दिये तथा उन्हें परीक्षा के दिनों में सभी परीक्षा केन्द्रों के आस पास दफा 144 लगाने के लिए भी कहा।
मंत्री ने बोस को निर्देश दिये कि छात्रों को रोल नम्बर स्लीप दी जाये और उन्होंने उन्हें परीक्षाओं से सम्बंधित मुद्दों तथा शिकायतों का निवारण करने के लिए भी कहा। इस सम्बंध मे जेके बोस ने शिकायतों के निवारण हेतु हैल्पलाईन सैंटर स्थापित किया है। छात्र परीक्षा सम्बंधी सूचना के लिए 0194-2494965, 0194-2494985, 0194-2495310 तथा 2491179 पर सम्पर्क कर सकते है।

'लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जयंती समारोह में बोले मोदी

अगर कश्मीर मुद्दा सरदार पटेल के जिम्मे सौंपा गया होता तो अब कोई विवाद ना रह गया होता
जम्मू। 
देश भर में 'लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मंगलवार को मनाई गई। इस मौके पर जम्मू सहित देशभर में केंद्र सरकार की ओर से रन फॉर यूनिटी का आयोजन किया गया जिसे दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाई। साथ ही अपने संबोधन में कहा कि युवा पीढ़ी को सरदार पटेल के योगदान को भूलना नहीं चाहिए।
वैसे तो सरदार पटेल कांग्रेस के नेता थे, उस जमाने में जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी के साथ आजादी दिलवाने में उनकी भूमिका काफी अहम थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में नरेंद्र मोदी ने पटेल को लेकर इस तरह माहौल बनाया है कि मानो वह भारतीय जनता पार्टी के नेता ही रहे हों। मोदी लगातार कहते हैं कि महापुरुष किसी पार्टी के नहीं होते हैं, वो देश के होते हैं।
मोदी का 'सरदार प्रेमÓ देश के सामने जब उजागर हुआ, जब उन्होंने 2013 में सरदार साहब की सबसे ऊंची मूर्ति 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटीÓ के लिए देशभर के किसानों से लोहा मांगना शुरू किया। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और राष्ट्रीय राजनीति में अपने आप को पेश करने की कोशिश कर रहे थे। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का काम चल रहा है और जल्द ही पूरा भी होने वाला है।
इसके बाद जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने रन फॉर यूनिटी की शुरुआत की। और इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। इसके अलावा अभी हाल ही में गुजरात में मोदी ने सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन किया। मोदी ने कहा कि इस डैम का सपना सरदार साहब ने ही देखा था, जिसे आज हम पूरा कर रहे हैं। मोदी ने इसको लेकर लगातार कांग्रेस पर निशाना साधा है। मोदी कहते हैं कि कांग्रेस ने सरदार साहब के योगदान को भुलाने की कोशिश की। मोदी कई मौकों पर कह चुके हैं कि अगर सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो शायद देश की तस्वीर अलग होती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह पिछले कुछ समय में महात्मा गांधी और सरदार पटेल को लेकर माहौल बनाया है उस पर कांग्रेस भी उनपर निशाना साधती आई है। पीएम मोदी ने लगातार आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी ने इतिहास से सरदार पटेल के नाम को मिटाने की कोशिश की। देश की युवा पीढ़ी को उनके बारे में कुछ बताया नहीं गया। सरदार पटेल ने साम-दाम-दंड-भेद, कूटनीति और रणनीति के जरिये देश को एक सूत्र में बांधा। सरदार पटेल को हमारी देश की युवा पीढ़ी से परिचित नहीं कराया, इतिहास के झरोखे से इस महापुरुष के नाम को मिटाने की कोशिश की गई।
सरदार पटेल को आक्रामक नेता माना जाता था, उन्होंने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। इसके लिए उन्होंने रजवाड़ों, नवाबों को समझाया और जो प्यार से नहीं समझें उन्हें सख्ती से भी पाठ पढ़ाया। सरदार पटेल गुजरात से आते हैं, इसलिए मोदी गुजराती अस्मिता को साथ जोड़ते हुए अपना नाम लगातार उनके साथ जोड़ते हैं।
पीएम मोदी ने कई बार कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि अगर कश्मीर मुद्दा भी सरदार पटेल के जिम्मे सौंपा गया होता तो अब कोई विवाद ना रह गया होता। कुछ दिनों में गुजरात में चुनाव भी हैं, उम्मीद की जा सकती है कि गुजराती अस्मिता का मुद्दा अभी प्रचार के दौरान और भी जोर पकड़ेगा।  

सचिवालय आने से बढऩे लगी रौनक

जम्मू में छह नवंबर से दरबार काम करने लगेगा
जम्मू। 
जम्मू सचिवालय के कार्यालयों के ताले सोमवार को खुलते ही एडवांस पार्टियां हरकत में आ गई। एडवांस पार्टियों ने श्रीनगर से आए सरकारी रिकॉर्ड को कब्जे में लेकर कार्यालयों तक पहुंचाया। जम्मू सचिवालय में कामकाज सुचारु बनाने के लिए मंगलवार से इस रिकॉर्ड को सेट करने का अभियान तेज हो जाएगा। जम्मू में छह नवंबर से दरबार काम करने लगेगा।
बुधवार से सचिवालय में बंद पड़ी बिजली व टेलीफोन के कनेक्शन भी काम करने लगेंगे। रिकॉर्ड को कार्यालयों में सेट करने की प्रक्रिया तीन नवंबर तक जारी रहेगी। ऐसे में कुछ दिन बाद सचिवालय मार्ग को आम ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया जाएगा। सोमवार दोपहर चार बजे तक एडवांस पार्टियों की देखरेख में एसआरटीसी के ट्रकों में लोड सरकारी रिकॉर्ड को संबंधित कार्यालयों तक पहुंचाया गया। इस दौरान कुछ विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। कड़ी सुरक्षा के बीच सरकारी रिकॉर्ड रविवार शाम जम्मू पहुंच गया था।
अब जम्मू सचिवालय में सरकारी रिकॉर्ड को शुक्रवार तक विभागों में सेट कर दिया जाएगा। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों के दौरे के साथ सचिवालय में कामकाज को सुचारु बनाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य प्रशासन की उच्च स्तरीय बैठकें भी होंगी। सचिवालय कर्मचारी यूनियन के उप प्रधान सुरेश बेदी ने बताया कि सचिवालय के कार्यालयों को खोलने के साथ छह माह से बंद पड़े बिजली और टेलीफोन कनेक्शनों को सुचारु करने के लिए संबंधित विभागों से आवेदन कर दिया गया है। अगले दो दिन में ये सुचारु हो जाएंगे।