अगर कश्मीर मुद्दा सरदार पटेल के जिम्मे सौंपा गया होता तो अब कोई विवाद ना रह गया होता
जम्मू।
देश भर में 'लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मंगलवार को मनाई गई। इस मौके पर जम्मू सहित देशभर में केंद्र सरकार की ओर से रन फॉर यूनिटी का आयोजन किया गया जिसे दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाई। साथ ही अपने संबोधन में कहा कि युवा पीढ़ी को सरदार पटेल के योगदान को भूलना नहीं चाहिए।
वैसे तो सरदार पटेल कांग्रेस के नेता थे, उस जमाने में जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी के साथ आजादी दिलवाने में उनकी भूमिका काफी अहम थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में नरेंद्र मोदी ने पटेल को लेकर इस तरह माहौल बनाया है कि मानो वह भारतीय जनता पार्टी के नेता ही रहे हों। मोदी लगातार कहते हैं कि महापुरुष किसी पार्टी के नहीं होते हैं, वो देश के होते हैं।
मोदी का 'सरदार प्रेमÓ देश के सामने जब उजागर हुआ, जब उन्होंने 2013 में सरदार साहब की सबसे ऊंची मूर्ति 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटीÓ के लिए देशभर के किसानों से लोहा मांगना शुरू किया। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और राष्ट्रीय राजनीति में अपने आप को पेश करने की कोशिश कर रहे थे। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का काम चल रहा है और जल्द ही पूरा भी होने वाला है।
इसके बाद जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने रन फॉर यूनिटी की शुरुआत की। और इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। इसके अलावा अभी हाल ही में गुजरात में मोदी ने सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन किया। मोदी ने कहा कि इस डैम का सपना सरदार साहब ने ही देखा था, जिसे आज हम पूरा कर रहे हैं। मोदी ने इसको लेकर लगातार कांग्रेस पर निशाना साधा है। मोदी कहते हैं कि कांग्रेस ने सरदार साहब के योगदान को भुलाने की कोशिश की। मोदी कई मौकों पर कह चुके हैं कि अगर सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो शायद देश की तस्वीर अलग होती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह पिछले कुछ समय में महात्मा गांधी और सरदार पटेल को लेकर माहौल बनाया है उस पर कांग्रेस भी उनपर निशाना साधती आई है। पीएम मोदी ने लगातार आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी ने इतिहास से सरदार पटेल के नाम को मिटाने की कोशिश की। देश की युवा पीढ़ी को उनके बारे में कुछ बताया नहीं गया। सरदार पटेल ने साम-दाम-दंड-भेद, कूटनीति और रणनीति के जरिये देश को एक सूत्र में बांधा। सरदार पटेल को हमारी देश की युवा पीढ़ी से परिचित नहीं कराया, इतिहास के झरोखे से इस महापुरुष के नाम को मिटाने की कोशिश की गई।
सरदार पटेल को आक्रामक नेता माना जाता था, उन्होंने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। इसके लिए उन्होंने रजवाड़ों, नवाबों को समझाया और जो प्यार से नहीं समझें उन्हें सख्ती से भी पाठ पढ़ाया। सरदार पटेल गुजरात से आते हैं, इसलिए मोदी गुजराती अस्मिता को साथ जोड़ते हुए अपना नाम लगातार उनके साथ जोड़ते हैं।
पीएम मोदी ने कई बार कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि अगर कश्मीर मुद्दा भी सरदार पटेल के जिम्मे सौंपा गया होता तो अब कोई विवाद ना रह गया होता। कुछ दिनों में गुजरात में चुनाव भी हैं, उम्मीद की जा सकती है कि गुजराती अस्मिता का मुद्दा अभी प्रचार के दौरान और भी जोर पकड़ेगा।
वैसे तो सरदार पटेल कांग्रेस के नेता थे, उस जमाने में जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी के साथ आजादी दिलवाने में उनकी भूमिका काफी अहम थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में नरेंद्र मोदी ने पटेल को लेकर इस तरह माहौल बनाया है कि मानो वह भारतीय जनता पार्टी के नेता ही रहे हों। मोदी लगातार कहते हैं कि महापुरुष किसी पार्टी के नहीं होते हैं, वो देश के होते हैं।
मोदी का 'सरदार प्रेमÓ देश के सामने जब उजागर हुआ, जब उन्होंने 2013 में सरदार साहब की सबसे ऊंची मूर्ति 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटीÓ के लिए देशभर के किसानों से लोहा मांगना शुरू किया। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और राष्ट्रीय राजनीति में अपने आप को पेश करने की कोशिश कर रहे थे। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का काम चल रहा है और जल्द ही पूरा भी होने वाला है।
इसके बाद जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने रन फॉर यूनिटी की शुरुआत की। और इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। इसके अलावा अभी हाल ही में गुजरात में मोदी ने सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन किया। मोदी ने कहा कि इस डैम का सपना सरदार साहब ने ही देखा था, जिसे आज हम पूरा कर रहे हैं। मोदी ने इसको लेकर लगातार कांग्रेस पर निशाना साधा है। मोदी कहते हैं कि कांग्रेस ने सरदार साहब के योगदान को भुलाने की कोशिश की। मोदी कई मौकों पर कह चुके हैं कि अगर सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो शायद देश की तस्वीर अलग होती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह पिछले कुछ समय में महात्मा गांधी और सरदार पटेल को लेकर माहौल बनाया है उस पर कांग्रेस भी उनपर निशाना साधती आई है। पीएम मोदी ने लगातार आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी ने इतिहास से सरदार पटेल के नाम को मिटाने की कोशिश की। देश की युवा पीढ़ी को उनके बारे में कुछ बताया नहीं गया। सरदार पटेल ने साम-दाम-दंड-भेद, कूटनीति और रणनीति के जरिये देश को एक सूत्र में बांधा। सरदार पटेल को हमारी देश की युवा पीढ़ी से परिचित नहीं कराया, इतिहास के झरोखे से इस महापुरुष के नाम को मिटाने की कोशिश की गई।
सरदार पटेल को आक्रामक नेता माना जाता था, उन्होंने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। इसके लिए उन्होंने रजवाड़ों, नवाबों को समझाया और जो प्यार से नहीं समझें उन्हें सख्ती से भी पाठ पढ़ाया। सरदार पटेल गुजरात से आते हैं, इसलिए मोदी गुजराती अस्मिता को साथ जोड़ते हुए अपना नाम लगातार उनके साथ जोड़ते हैं।
पीएम मोदी ने कई बार कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि अगर कश्मीर मुद्दा भी सरदार पटेल के जिम्मे सौंपा गया होता तो अब कोई विवाद ना रह गया होता। कुछ दिनों में गुजरात में चुनाव भी हैं, उम्मीद की जा सकती है कि गुजराती अस्मिता का मुद्दा अभी प्रचार के दौरान और भी जोर पकड़ेगा।
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