चुनाव प्रचार के लिए गुजरात दौरे पर निकले पूर्व प्रधानमंत्री
नई दिल्ली।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र सरकार पर जमकर कटाक्ष किए। उन्होंने नोटबंदी को 'विनाशकारी आर्थिक नीति यानी कैटस्ट्रॉफिक इकोनॉमी पॉलिसी करार देते कहा कि इससे असमानता बढ़ सकती है और भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में यह अब तक की सबसे बड़ी सामाजिक विपत्ति साबित होगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि इस 'भारी गलती' को स्वीकार करें और अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए आम सहमति की दिशा में काम करें।
उन्होंने ब्लूमबर्गक्विंट डॉटकॉम से कहा, नोटबंदी एक विनाशकारी आर्थिक नीति साबित होने जा रही है। इसके कारण कई तरह की आर्थिक, सामाजिक, प्रतिष्ठात्मक और संस्थागत क्षति हुई है। जीडीपी का गिरना आर्थिक नुकसान का महज एक संकेतक है। इसका हमारे समाज के गरीब तबकों पर तथा व्यापार पर जो असर हुआ है, वह किसी आर्थिक सूचक की तुलना में कहीं अधिक हानिकारक है।पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि नोटबंदी का तुरंत असर नौकरियों पर पड़ा है। हमारे देश की तीनचौथाई गैर-कृषि रोजगार छोटे और मझोले उद्यमों के क्षेत्र में हैं। नोटबंदी से इस क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इसलिए नौकरियां चली गईं और नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं। उन्होंने कहा, मैं नोटबंदी के दीर्घकालिक असर के बारे में चिंतित हूं। हालांकि जीडीपी में हाल की गिरावट के बाद सुधार दिख रही है लेकिन हमारे आर्थिक विकास की प्रकृति के लिए बढ़ती असमानता एक बड़ा खतरा है। नोटबंदी इसे बढ़ा सकती है, जिसे भविष्य में सुधारना कठिन होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी और कहा था कि इससे काले धन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा और आतंकवादियों के वित्त पोषण पर रोक लगेगी। हालांकि बाद में उन्होंने यह कहा किया कि इसका उद्देश्य नकदी लेन-देन को कम करने तथा अर्थव्यवस्था को डिजिटल भुगतान की तरफ ले जाना है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि यह लक्ष्य प्रशंसनीय हैं लेकिन सरकार को आर्थिक प्राथमिकताओं को दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह साफ नहीं है कि नकदीरहित अर्थव्यवस्था का लक्ष्य छोटे उद्योग को बड़ा बनाने में सक्षम होगा ही जबकि यह हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।
कुछ इन्हीं मुद्दों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मंगलवार को गुजरात का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान वे जीएसटी तथा अन्य आर्थिक मुद्दों पर गुजरात के कारोबारियों से बात करेंगे। वे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता को भी संबोधित करेंगे।
उन्होंने ब्लूमबर्गक्विंट डॉटकॉम से कहा, नोटबंदी एक विनाशकारी आर्थिक नीति साबित होने जा रही है। इसके कारण कई तरह की आर्थिक, सामाजिक, प्रतिष्ठात्मक और संस्थागत क्षति हुई है। जीडीपी का गिरना आर्थिक नुकसान का महज एक संकेतक है। इसका हमारे समाज के गरीब तबकों पर तथा व्यापार पर जो असर हुआ है, वह किसी आर्थिक सूचक की तुलना में कहीं अधिक हानिकारक है।पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि नोटबंदी का तुरंत असर नौकरियों पर पड़ा है। हमारे देश की तीनचौथाई गैर-कृषि रोजगार छोटे और मझोले उद्यमों के क्षेत्र में हैं। नोटबंदी से इस क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इसलिए नौकरियां चली गईं और नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं। उन्होंने कहा, मैं नोटबंदी के दीर्घकालिक असर के बारे में चिंतित हूं। हालांकि जीडीपी में हाल की गिरावट के बाद सुधार दिख रही है लेकिन हमारे आर्थिक विकास की प्रकृति के लिए बढ़ती असमानता एक बड़ा खतरा है। नोटबंदी इसे बढ़ा सकती है, जिसे भविष्य में सुधारना कठिन होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी और कहा था कि इससे काले धन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा और आतंकवादियों के वित्त पोषण पर रोक लगेगी। हालांकि बाद में उन्होंने यह कहा किया कि इसका उद्देश्य नकदी लेन-देन को कम करने तथा अर्थव्यवस्था को डिजिटल भुगतान की तरफ ले जाना है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि यह लक्ष्य प्रशंसनीय हैं लेकिन सरकार को आर्थिक प्राथमिकताओं को दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह साफ नहीं है कि नकदीरहित अर्थव्यवस्था का लक्ष्य छोटे उद्योग को बड़ा बनाने में सक्षम होगा ही जबकि यह हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।
कुछ इन्हीं मुद्दों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मंगलवार को गुजरात का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान वे जीएसटी तथा अन्य आर्थिक मुद्दों पर गुजरात के कारोबारियों से बात करेंगे। वे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता को भी संबोधित करेंगे।
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