बुधवार, जून 20, 2018

संपादकीय: नापाक पड़ोसी को नहीं हो रहा दोस्ती के रिश्तों का एहसास

अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ भारत ने हमेशा दोस्ती कायम रखने की नीतियों को प्राथमिकता दी है, लेकिन पाकिस्तान ने भारत की उन्हीं नीतियों के विपरीत जाते हुए हमेशा छल की नीतियों को प्राथमिकता देकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे की साजिशें रची हैं। भारत-पाक सरहद पर पिछले कई वर्षों से लगातार पाकिस्तानी रेंजरों की तरफ से संघर्ष विराम का उल्लंघन करने की हरकतों को अंजाम दिया जा रहा है। इन्हीं संघर्ष विराम नियमों के उल्लंघन की गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए इसी माह दिनांक बारह जून मंगलवार को चमलियाल जीरो लाइन क्षेत्र में नापाक रेजरों ने ऐसी हरकत को अंजाम दिया, जिसने पूरे भारतवर्ष के संयम को झकझोर कर रख दिया।
सांबा सेक्टर के चमलियाल जीरो लाइन क्षेत्र में पाक रेंजरों ने बीएसएफ. जवानों की गश्ती पार्टी पर धावा बोलकर सात जवानों को घायल कर दिया। घायल हुए बीएसएफ  जवानों में से चार ने जख्मों की ताव न सहते हुए वीरगति प्राप्त कर ली और तीन जवान अभी भी गंभीरावस्था में हैं। राज्य जम्मू-कश्मीर सरकार के आग्रह पर केंद्र सरकार ने रमजान जैसे पवित्र माह में सरहद के अलावा आतंकी प्रभावित जिलों में भी अपना संघर्ष विराम लागू कर दिया। रमजान जैसे पवित्र माह की एहमियत को देखते हुए भारत देश ने जिस महानता के साथ हर तरफ  संघर्ष विराम को यकीनी बनाया, उस संघर्ष विराम की आड़ में पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों की मदद से हर तरफ अपनी नापाक करतूतों को अंजाम देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जहां एक तरफ  आतंक की आग से झुलसने वाली वादी कश्मीर में आतंकी घटनाएं होती रहीं और मासूमों का खून बहता रहा। वहीं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लागू संघर्ष विराम नियम का भी नापाक पड़ोसी ने पालन करना गवारा नहीं समझा। संघर्ष विराम के दौरान पाक रेंजरों द्वारा सरहद पर की गई इस नापाक हरकत से फिर एक बार पाकिस्तान का वो चेहरा सामने आया है, जो बार-बार भारत के हाथों मिली हार का सामना करने से शर्मसार हुआ है। नापाक पड़ोसी की बढ़ती नापाक हरकतों को देखते हुए अब भारत को भी यही विचार बनाना चहिए कि दोस्ती की अहमियत को न समझने वाले पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाए। भारत ने पाकिस्तान के साथ हमेशा अपने बेहतर रिश्ते बनाए रखने पर बल दिया। लेकिन भारत की इस सोच का पाकिस्तान ने हमेशा गलत फायदा उठाया। भारत जैसे महान देश का पड़ोसी होना पाकिस्तान के लिए सबसे बड़े गर्व की बात थी। लेकिन पाकिस्तान ने बजाय गर्व महसूस करने के, उल्टे जलन की भावना पाल ली। ऐसा करके पाकिस्तान ने अपने कदम उन रास्तों की तरफ  बढा लिए हैं, जहां से विनाश की शुरूआत होती है। भारत-पाक विभाजन से लेकर वर्तमान समय तक भारत देश ने अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ हमेशा अच्छे सबंध और भविष्य के मजबूत रिश्तों को बनाए रखने की पहल की है। बीते सात दशकों से भी अधिक समय में भारत ने पाकिस्तान के साथ ऐसे कई दोस्ताना प्रस्ताव रखे। लेकिन नापाक पड़ोसी हमेशा बेगुनाहों के लहु की मुहर लगाकर अपनी कायराना हरकतों का सबूत देते हुए भारत के इन दोस्ताना प्रस्तावों को नकारता आया है। पूरा विश्व जानता है कि भारत के आगे पाकिस्तान की कोई ऐसी औकात नहीं जिसके बल पर वह कुछ कर दिखाने का माद्दा रखता हो। सन् 1965 तथा 1971 भारत-पाक युद्धों में भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। बार-बार मुंह की खाने वाले पाकिस्तान को अपनी गलतियों से सबक लेते हुए भारत से अपने सबंध बेहतर बनाए रखने पर बल देने की जरूरत थी। लेकिन नापाक राहों पर निकलने वाले पाकिस्तान ने हमेशा भारत को आघात पहुंचाने के अपने नए-नए हथकंडे अपनाए। आमने-सामने की हिम्मत ना जुटाने वाले पाकिस्तान ने छिपकर वार करने की नीतियों को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया। पाकिस्तान द्वारा अपने स्तर पर ऐसे कई आतंकी संगठनों का समर्थन कर भारत को आघात पहुंचाने की योजनाएं तैयार की गईं। हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा पाकिस्तान के साथ मजबूत रिश्तों की नई शुरूआत करते हुए दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू करवा कर नया इतिहास कायम किया। वहीं वर्ष 1999 के दौरान पाकिस्तान ने भारत की पीठ पीछे वार करने के उद्देश्य से कारगिल युद्ध शुरू कर दिया। पाकिस्तान द्वारा रचा गया कारगिल युद्ध का षड्यंत्र पूरे विश्व में उसकी नापाक करतूतों का सबसे बड़ा सबूत उभर कर सामने आया।
आतंकियों की मदद से भारत की सरहदों को पार कर कारगिल क्षेत्र में अपना कब्जा जमाकर भारत को आघात पहुंचाने के मंसूबे पालने वाले पाक रेंजरों का भारतीय सैनिकों ने नामों निशां मिटा डाला। इस युद्ध की मंशा रखने वाले पाकिस्तान को यह एहसास नहीं था कि जिस देश के साथ वह मुकाबला करने निकला है, उसके आगे उसका यह षड्यंत्र कोई प्रभाव नहीं छोडेगा। कारगिल जैसे युद्ध को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान द्वारा खुद के रचाए गए षड्यंत्र उसी पर भारी पडे और भारत के हाथों एक बार फिर पाक को मुंह की खानी पड़ी। अभी जिस तरह से आतंकवाद, सरहद के तनाव तथा आतंकियों को घुसपैठ करवाने के लिए पाकिस्तान बार-बार भारत के संयम की परीक्षा ले रहा है। कहीं ऐसा न हो कि भारत के सब्र का बांध टूट जाए, और पाक का विश्व के नक्शे से नामों निशां मिट जाए।

बुधवार, अप्रैल 04, 2018

छोटी ही उम्र से सुरों के बेताज बादशाह बनकर अजीत पाल बिखेर रहे अदाओं के जलवे

दीपाक्षर टाइम्स संबाददाता
जम्मू।

पंजाब की धरती पर जन्मे -पले अजीत पाल शर्मा आज सुरों के बेताज बादशाह बनकर हर तरफ अपनी अदाओं के जलवे बिखेर रहे हैं। स्कूल की चारदिवारी तथा गली नुक्कडों से शुरू हुआ उनकी जिंदगी का सफर आज कामयाबी की राहों पर है। कम समय में अपनी विशेष पहचान कायंम कर चुके अजीत पाल शर्मा उन बुलंदियों को छूना चाहते हैं, जिनको समाज प्रेरणा की नजर से देखता है। पडोसी राज्य पंजाब के गांव जीरा फिरोजपुर में अजीत पाल शर्मा का सन् पन्द्रहं जनवरी 1974 को जन्म हुआ। सन् 1986 के दौराण छठी कक्षा में श्री सावन मल अगरवाल पब्लिक स्कूल जीरा फिरोजपुर के स्टेज-शो गायकी के सफर में अपना पहला कदम रखा।
स्कूली समारोह में अपनी सुरीली आवाज की छटा बिखेरने वाले अजीत पाल शर्मा को पढाई के दोराण गायकी, नुक्कड़ नाटकों में अपनी अदाकारी की प्रतिभा को दर्शाने का मौका मिलता रहा। फिरोजपुर जिले के इसी स्कूल से सन् 1993 में बाहरवीं की कक्षा उतीर्ण करने के बाद उन्होंने गायकी, कलाकारी, अदाकारी और समाजसेवा के कार्यों को विशेष महत्व दिया। सन् 1984 में पंजाब के बिगडे हालातों के दौराण उनके पिता श्री राम दास का निधन हो गया। पिता के निधन के बाद परिवार अकेला पड़ गया और सन् 1993 में माता पूरो देवी अपने परिवार को लेकर पुशतैनी गांव सहजादपुर रामगढ़ पहुंच गईं। सहजादपुर में पहुंचने पर अजीत पाल शर्मा ने समाजसेवा हेतू पहले ग्रामीण यूथ सेवा क्लब का चयन कर उसका नेेतृत्व संभाला।
समाजसेवा के साथ उन्होंने अपने अदाकारी, कलाकारी और गायकी के जज्वे को ठंडा नहीं पडने दिया। गांव स्तर, पंचायत स्तर, ब्लाक स्तर, तहसील स्तर पर जहां भी उनको अपनी प्रतिभा को दर्शाने का कोई मौका मिला, उस मौके को उन्होंने बेकार नहीं जाने दिया। वर्ष 2012 के दौराण प्रादेशिक संस्कृतिक अकादमी जम्मू ने उनको अपने स्तर पर बाबा सिद्ध गोरिया स्थल स्वांखा में भक्ति रस कार्यक्रम के आयोजन का मौका दिया। अजीत पाल शर्मा को मिले इस मौके से उनकी जिंदगी का पांसा ही पलट गया। देखते ही देखते उनको एक शहर से दूसरे शहर, जिला स्तर, राज्य स्तर पर आयाजित होने वाले समाजिक, धार्मिक कार्यक्रमों, जागरूक्ता कैंपों, किसान मेलों में अपनी प्रतिभा के जलवे बिखेरने के मौके मिलते रहे। अकादमी व प्रशासन की तरफ से मिले इन विशेष मौकों से उनको अब तक चालीस प्रोत्साहन पत्र मिल चुके हैं। यही नहीं विशेष अदाकार, गायक, कलाकार एवं प्रायोजक के तौर पर भी उनको विशेष सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। हाल ही में राज्य स्तर पर आयोजित किए गए किसान मेले राजोरी में उनको भाजपा सांसद जुगल किशोर शर्मा द्वारा विशेष तौर पर सम्मानित भी किया गया। मंत्रियों, विधायकों, प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से भी उनको दर्जनों पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। जहां राज्य जम्मू-कश्मीर के कोने-कोने में अजीत पाल शर्मा ने अपनी प्रतिभा के रंग बिखेरे, वहीं बाहरी राज्य पंजाब, तामिलनाडू, पांडीचेरी, महाराष्ट्र में भी उन्होंने प्रादेशिक संस्कृतिक अकादमी की तरफ से अपने विशेष कार्यक्रम पेश किए हैं। छोटे से गांव में रहने वाले अजीत पाल शर्मा ने अपनी प्रतिभा के बल पर आज एक बडी पहचान प्राप्त की है। उनकी इसी पहचान को लोग विशेष सम्मान देते हैं। अपने जिंदगी के सफर को मुकांम तक पहुंचाने का संकल्प ले चुके अजीत पाल शर्मा भी यही चाहते हैं, कि उनके आदर्श, संस्कार और जागरूक्ता के प्रसार से समाज को एक नई दिशा मिले। उनका सपना है कि देश के लिए कुछ ऐसा किया जाए, जिससे समूचा भारतवर्ष एक महान और अमनप्रस्त देश बन सके। 

बेरुखी का शिकार हो रहा सरकार का कमाऊ पुत्र 'वेयर हाउस'

  • सरकारी उपेक्षाओं के बावजूद पुश्तैनी पेशा अपना रही चौथी पीढ़ी

  • वेयर हाउस में नहीं दिख रही डिजिटल इंडिया की चमक

  • परिवार बढ़ा, सामान बढ़ा, जगह वही की वही


दीपाक्षर टाइम्स संबाददाता
जम्मू।
जिस पुराने ढांचे से सन् 1958 में जम्मू के तत्कालीन राज्यशासक बख्शी गुलाम मुहम्मद द्वारा वेयर हाउस की स्थापना की गई थी। 21वीं सदी में भी राज्य का खाद्य भंडार वेयर हाउस जम्मू अपनी दशकों पुरानी अवस्था में है। वेयर हाउस ही सरकार का ऐसा कमाऊ पुत्र है, जिससे सरकार के राजस्व में अरबों रुपये के भंडार भर रहे हैं। वेयर हाउस जम्मू में छोटे-बड़े करीब चार सौ से अधिक व्यापार के अड्डे स्थापित हैं। इन स्थापित व्यापार के अड्डों से सैकड़ों परिवारों के पेट पलते हैं। होलसेल व्यापारियों से लेकर पल्लेदार सदस्यों तक, हर कोई वेयर हाउस के विकास और खुशहाली को लेकर परेशान है। यहां तक कि बाहरी राज्यों से अपने आयात निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जम्मू पहुंचने वाले उद्योगपति भी वेयर हाउस के विकास को लेकर अपनी तरजीह देते हैं। सरकार को चहिए कि जेडीए के माध्यम से वेयर हाउस के विकास और खुशहाली को नई दिशा दी जाए, ताकि व्यापारी वर्ग की लंबित समस्याऔं का स्थायी समाधान हो सके।
वेयर हाउस के किए गए निरीक्षण के बाद व्यापारियों, पल्लेदार व ग्राहकों से बातचीत करने के बाद पाया गया कि जेडीए ने पिछले साठ सालों से वेयर हाउस व्यापारियों को उनकी दुकानों के न तो मालिकाना हक दिए, और न ही बेहतर दुकानदारी के मूलभूत ढांचे को उपलब्ध करवाया। एक किराएदार की तरह व्यापारी वर्ग वेयर हाउस में अपने रोजगार को पाल रहे हैं, और सरकार के खजानों को भर रहे हैं। एक तरफ  सरकार नए युग की स्थापना करते हुए समूचे भारतवर्ष को डिजिटल इंडिया बनाने पर तरजीह दे रही है, लेकिन वहीं दशकों पुराने वेयर हाउस ढांचे के विस्तारीकरण का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
दशकों पुराने वेयर हाउस खाद्यान, दुकानें, शैड व अन्य मूलभूत ढांचा वर्तमान समय में किसी जर्जर खंडहरों से कम नहीं हैं। व्यापारियों के पास पहुंचने वाले सामान को सुरक्षित जगहों, खाद्यानों में रखने के बेहतर प्रबंध न होने से हर मौसम में कीमती सामान बाहर खुले आसमान के तले ही रहने से कीमती सामान के खराब होने का खतरा भी बना रहता है।चूंकि सरकार द्वारा आधुनिक और पारदर्शी तरीके से कामकाज करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और हर काम कम्प्यूटर द्वारा किए जाने की हिदायत दी जा रही है ताकि हर तरह की पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन, यह कैसे संभव है, जब इतनी बड़ी मंडी में भी बिजली के कट लगातार चल रहे हों?
वेयर हाउस में काम कर रही व्यापारियों की चौथी पीढ़ी, जो आज के समय में आधुनिक शिक्षा के ज्ञान से लैस है, उस पीढ़ी का पुराने नक्शेकदम पर चल पाना आसान नहीं बन रहा। नई पीढ़ी की शैक्षिक तकनीक और उनकी मौजूदा समय की जरूरतों का पूरा होना ही 21वीं सदी का विकास माना जाएगा। सरकार को व्यापारियों की चौथी पीढ़ी का आभारी होना चहिए कि अच्छी पढ़ाई के साथ नई शैक्षिक तकनीक का ज्ञान प्राप्त होने के बाद भी वह सरकार पर नौकरियों का बोझ बढ़ाने के वजाय अपने पुश्तैनी व्यापार के रोजगार को बढावा दे रहे हैं।
पानी, जो कि हर-एक इंसान की मूलभूत जरूरत है, उसकी तरफ भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा और वेयर हाउस के एक व्यापारी का कहना है कि सरकार की तरफ से यहां पर पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कुछ नहीं किया गया है और कोई हैंडपंप तक नहीं लगवाया जिससे लोगों को कुछ राहत मिल सके। वेयर हाउस के व्यापारियों ने ही एक हैंडपंप वेयर हाउस और एक हैंडपंप नेहरू मार्किट में लगवाया है, जो दूरदराज क्षेत्रों से हजारों की संख्या में यहां आने वाले लोगों के लिए नाकाफी साबित होते हैं। गर्मियों के दिनों में तो यह परेशानी और बढ़ जाती है।
जेडीए ने पिछले कई सालों से एक असमंजस की तलवार को व्यापारियों के सिर पर लटका रखा है। इस लटकी हुई असमंजस की तलवार से किसी भी किस्म की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही। जेडीए वेयर हाउस कांप्लेक्स को शिफ्ट कर किसी दूसरी जगह पर स्थापित करने की योजना बना रहा है। नई जगह पर शिफ्ट होने वाले वेयर हाउस कांप्लेक्स से स्थानीय व्यापारियों की दिक्कतों में भी बढ़ोतरी होने के आसार बन रहे हैं। आने वाले कुछ दिनों में वेयर हाउस नेहरू मार्किट व्यापारी संगठन की नई समिति का गठन होने जा रहा है। नए व्यापारी संगठन के गठन से वेयर हाउस के विकास, खुशहाली और लंबित मांगों व समस्याओं के समाधान की उम्मीद भी लगाई जा रही है।

ग्राहकों को लुभाता है गुच्छे वाली बेेसन की सेवियों व चाय का 'स्वाद'

दीपाक्षर टाइम्स संबाददाता
जम्मू।
नेशनल हाइवे जम्मू-पठानकोट के राया मोड़ पर बनने वाली गुच्छे वाली बेसन की सेवियों का स्वाद ग्राहकों को खूब लुभाता है। अधुनिक तकनीक से बनाई जाने वाली गुच्छेदार बेसन की सेवियों की लंबाई दो मीटर तक रहती है। लंबे आकार वाली सेवियों को चूर करके ग्राहकों में बेचा जाता है, जिनका आकार अन्य सेवियों की तुलना में दस गुणा अधिक रहता है। हर दिन तीस से पैंतीस किलो गुच्छे वाली बेसन की सेंवियों की दुकान पर बिक्री होती है, और दूर-दराज से यात्री एवं पर्यटक गुच्छेदार बेसन की सेवियों को खदीद कर अपने स्वाद का लुत्फ उठाते हैं। सन् 1966 के दौराण स्थानीय निवासी बाबा धनी राम द्वारा राया मोड़ में सबसे पहले छाबा लगाकर सेवियां तथा चाय बनाने का धंधा शुरू किया गया। कडी धूप और बारिश के दिनों में बिना छत की मोबाइल दुकान पर भी ग्राहकों की खासी भीड़ रहती थी। दूर-दराज गांवों, शहरों के लोग राया मोड़ पर रूककर बाबा धनी राम की चाय व गुच्छे वाली बेसन की सेवियों का पूरा आनंद उठाते थे। करीब दस वर्ष तक उन्होंने इसी दुकानदारी से ग्राहकों की सेवा की और अपने स्वरोजगार को बढावा दिया। सन् 1975 में उन्होंने चलती फिरती दुकान की जगह पर छपरा दुकान का निर्माण किया।बाबा धनी राम ने पन्द्रहं वर्ष तक छपरा दुकानदारी से ग्राहकों को हर तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद प्रदान किया। सन् 1990 के दशक में बाबा धनी राम ने राया मोड़ के छोटे से कोने पर जगह खरीद कर वहां पर टी-स्टाल का निर्माण किया।जब राया मोड़ अड्डे पर धनी राम टी-स्टाल का स्थायी निर्माण हो गया, तो वहां पर सेवियों के साथ मठ्ठी, मिठाईयां, दूध, दही, चाय, पकौडे, पनीर आदि की बिकवाली भी शुरू हो गई। सन् 2014 में बाबा धनी राम का निधन होने के बाद उनकी दुकानदारी को उनके बेटे राम पाल ने आगे बढाया। धनी राम के बेटे राम पाल के साथ अब उनके पौते शुभम ने भी बाबा के व्यापार को आगे बढाने का संकल्प ले लिया है। ग्रेजुएट शुभम का कहना है कि हमारे पुरखों ने कडी मेहनत के बल पर जिस पहचान को हासिल किया है, उसे समाज में बनाए रखना ही उनका पहला धर्म होगा। किसी सरकारी नौकरी से बेहतर है कि वह पुश्तैनी व्यापार को आगे बढाकर स्वरोजगार व सेवा का पुण्य कमाएं।

जम्मू विश्वविद्यालय में 14वीं राष्ट्रीय युवा संसद का आयोजन

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।

जम्मू विश्व विद्यालय में डिपार्टमेंट आफ स्टूडेंट वेलफेयर द्वारा १४वीं राष्ट्रीय युवा संसद का आयोजन विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह ऑडिटोरियम में करवाया गया। युवा संसद का आयोजन भारत सरकार के संसदीय मामलों के मंत्रालय की देखरेख में हुआ। इसका मकसद युवाओं में राजनीति के प्रति जागरुकता लाना, संसद की कार्यवाही समझाना और लोकतंत्र को मजबूत करना रहा। जम्मू विश्वविद्यालय की टीम 2017 में हुए क्षेत्रीय स्तर पर 70 में से टॉप 15 में जगह बनाकर राष्ट्रीय युवा संसद तक पहुंची। इस अवसर पर पूर्व सांसद चौ. तालिब हुसैन मुख्य अतिथि थे। साथ ही शेरे कश्मीर कृषि, विज्ञान और तकनीकी विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो. प्रदीप शर्मा निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में मौजूद थे। इस कार्यक्रम के समन्वयक विवि के लॉ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डा. विजय सैगल थे। विवि के लॉ स्कूल के छात्र ज़ीरगम हामिद ने श्रेष्ठ प्रवक्ता का खिताब जीता।

बुधवार, मार्च 28, 2018

13 साल की बच्ची ने बनाई स्कूल बैग के बोझ पर शॉर्ट फिल्म, होगी स्क्रीनिंग

पुणे
बच्चों पर पड़ते पढ़ाई के दबाव और इसके साथ बढ़ते बस्ते के वजन को शायद ही बड़े समझ पाएं, यही वजह है कि 13 साल की एक बच्ची ने यह तकलीफ बड़ों तक पहुंचाई है। 13 साल की नंदिता नाचारे ने इसके लिए शॉर्ट फिल्म बनाई है, जिससे लोग सिर्फ इस तकलीफ को सुने नहीं, करीब से देख और महसूस कर सकें। 
स्कूल बैग नाम की इस फिल्म में नंदिता ने भारी बैग से होने वाली परेशानियों और बच्चों पर पड़ने वाले बोझ को दिखाया है। नंदिता की फिल्म को नैशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग के लिए चुना गया है। भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीक विभाग के अंतर्गत आने वाला संगठन विज्ञान प्रसार इस फिल्म फेस्टिवल का आयोजन करता है। 16 अन्य फिल्मों के साथ इसे भी बच्चों के 'डी वर्ग' में शामिल किया गया है।
फिल्म के बारे में माधव सदाशिवराव गोलवलकर गुरुजी स्कूल सातवीं में पढ़ने वाली नंदिता बताती हैं, 'मेरे मन में एक शॉर्ट फिल्म बनाने का ख्याल आया और इसके लिए मैंने अलग से क्लास भी की। यहां मैंने डायरेक्शन, स्टोरी राइटिंग और फिल्म मेकिंग से जुड़ी चीजें सीखीं।' वह बताती हैं कि जब मैंने शॉर्ट फिल्म बनाने के लिए विषय चुना तो पहला ख्याल भारी स्कूल बैग का ही आया।
नंदिता का कहना है कि हर दिन हमें हद से ज्यादा भारी बैग उठाकर स्कूल जाना पड़ता है और इस तरह थकने के बाद कैसे पढ़ाई
हो सकती है? नंदिता खुश है कि सबको उसकी बनाई शॉर्ट फिल्म सबको पसंद आ रही है। 

10वीं के गणित और 12वीं के इकनॉमिक्स की परीक्षा दोबारा होगी

नई दिल्ली
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के स्टूडेंट्स के लिए बड़ी खबर है। 10वीं के गणित और 12वीं के इकनॉमिक्स की परीक्षा दोबारा ली जाएगी। हालांकि अभी यह जानकारी सामने नहीं आई है कि यह परीक्षा किस दिन कराई जाएगी। इस साल सीबीएसई बोर्ड के एग्जाम में पेपर लीक होने की चर्चाएं थीं। पुलिस कुछेक मामलों की जांच भी कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक परीक्षा को दोषमुक्त रखने के लिए बोर्ड ने यह फैसला लिया है। बुधवार को सीबीएसई ने इन दो पेपरों में फिर से परीक्षा लेने की पुष्टि कर दी है। आपको बता दें कि 12वीं इकनॉमिक्स की परीक्षा 27 मार्च और 10वीं गणित की परीक्षा 28 मार्च को हुई थी। सीबीएसई ने बताया है कि परीक्षा की तारीख की घोषणा एक सप्ताह के भीतर वेबसाइट पर कर दी जाएगी।
इस साल 5 मार्च से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं शुरू हुई थीं। इन परीक्षाओं में देशभर से 28 लाख, 24 हजार, 734 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। सीबीएसई के मुताबिक इस साल दसवीं की परीक्षा में 16 लाख, 38 हजार, 428 और बारहवीं की परीक्षा में 11 लाख, 86 हजार, 306 परीक्षार्थी रजिस्टर हुए थे।

शुक्रवार, मार्च 23, 2018

नवरात्रों में 'पहल वाटिका' में बढ़ी बच्चों की रौनक

बुजुर्गों के आदर-सम्मान बनाए रखने के लिए पहल वाटिका का निर्माण: दीपक अग्रवाल 

 बच्चों को लुभा रहे विदेशी पक्षी


 दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। नेशनल हाइवे 17वें मील से महज डेढ़ किमी. दूरी पर गांव सलमेरी में स्थित 'बजुर्गांं दा बेह्ड़ा' पहल वाटिका में नवरात्रों के पावन अवसर पर हर तरफ रौनक का आलम बन रहा है। परीक्षाओं के तनाव से राहत पा चुके स्कूली बच्चे भी 'पहल वाटिका' में पहुंच कर मनोरंजन का पूरा लुत्फ उठा रहे हैं। विजयपुर क्षेत्र के कई प्रसिद्ध स्कूलों तथा टयुशन केंन्द्रों के बच्चे हर दिन 'बजुर्गां दा बेह्डा' पहल वाटिका में पहुंच रहे हैं।

पहल वाटिका पहुंचने वाले बच्चे जहां अपनी मौज मस्ती करने में व्यस्त रह रहे हैं, वहीं उनको कुछ नया सीखने समझने का मौका भी मिल रहा है। स्कूल प्रबंधन व 'बुजुर्गों दा बेह्ड़ा' प्रबंधन स्कूली बच्चों को अपनी तरफ से हर बेहतर सेवाएं और सुविधाएं उपलब्घ करवा रहे हैं।

'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' स्थित पहल वाटिका में पहुंचने वाले निजी चाड़क ट्यूटोरियल सेंटर के बच्चे जिनमें रिया चाड़क, संयोगिता चाड़क, गौरव, नितिश, रिशव, अदिति, अक्षिता, वंशिका, श्रीधर, काव्या, अंबिका, त्रिशना, श्रुति, रूची, रूबी, विशाली, चंदन ने कहा कि 'बजुर्गां का बेह्ड़ा' मनोरंजन का खास जरिया बनरहा है। अपने निजी क्षेत्र में इस तरह के मनोरंजन के जरिये का होना उनके लिए एक सौभाग्य की बात है। पहले हर साल गर्मियों की छुटिटयों, परीक्षाओं के खत्म होने के बाद के दिनों में उनको दूर-दराज शहरों व क्षेत्रों में स्थित मनोरंजन के ठिकानों तक पहुंचने में कई परेशानियां झेलनी पड़ती थी। माता-पिता भी उनको दूर शहरों व क्षेत्रों में इस तरह घूमने के लिए जाने का मौका कम ही देते थे। लेकिन यहां नजदीक में इस तरह के आकर्षक स्थल का होना उनको एक विशेष सौगात देता है। बच्चों का कहना है कि इस आकर्षण के केन्द्र 'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' में वह कभी भी और किसी भी वक्त पहुंच कर अपना मनोरंजन कर सकते हैं। ट्यूटोरियल के संचालक बख्तावर सिंह ने भी इस नजदीकी सेवा और मनोरंजन के जरिये को खास करार दिया। दिन व दिन 'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' पहल वाटिका की प्रसिद्धता बढ़ रही है और हर दिन यहां बच्चों के मेले लग रहे हैं।



बुजुर्गों के आदर-सम्मान को बनाए रखने के लिए पहल वाटिका स्थल का निर्माण: दीपक अग्रवाल

बुजुर्गां दा बेहडा संचालक समाजसेवी दीपक अग्रवाल के अनुसार उनका यही मकसद था कि समाज के लिए कुछ अलग किया जाए, ताकि उनके किए कार्यों की बदौलत समाज को एक नई दिशा मिले। जिस तरह से आज के दौर में बुजुर्गों का अपने घरों में आदर-सम्मान कम हो रहा है। उस कम होते बुजुर्गों के आदर-सम्मान को बनाए रखने के लिए उन्होंने 'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' पहल वाटिका स्थल का निर्माण करवाया। पहल वाटिका स्थल पर पहुंच कर जहां बुजुर्ग सदस्य अपना सम्मान प्राप्त कर रहे हैं, वहीं उनके साथ आने वाले बच्चे भी उनका आदर सम्मान करना सीख रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस मकसद के साथ उन्होंने 'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' पहल वाटिका स्थल का निर्माण करवाया है, उसे कामयाब बनाने की कवायद जारी है। भविष्य में भी वह समाज के लिए कुछ ऐसा करने की चाह रखेंगे, जिससे बुजुर्गों तथा परिवारिक सदस्यों के बीच के रिश्ते मजबूत बने रहें।

 बच्चों को लुभा रहे विदेशी पक्षी

'बजुर्गां दा बेह्ड़ा' पहल वाटिका के छोटे से चिडियाघर में रखे गए विदेशी पक्षी स्कूली बच्चों को लुभाने का काम कर रहे हैं। अमेरिका का टर्की, फ्रांस के कबूतर, रूस के सिल्की कॉक, जापान के बटेर, अंगूरा ब्रांड के भारतीय खरगोश सहित अन्य प्रजातियों के पक्षी, बत्तखें तथा हंस आदि बच्चों को आकर्षित कर रहे हैं। इन पक्षियों की प्रजातियों को देखकर बच्चे गदगद हो रहे हैं, और उनके बारे में विस्तृत जानकारियां भी प्राप्त कर रहे हैं।



 

बुधवार, मार्च 21, 2018

द्वापर युग के इतिहास की यादों का प्रतीक नमंदर राधा-कृष्ण मन्दिर

ब्रटिश शासन के समय नमंदर मेले की थी खास पहचान

दीपाक्षर टाइम्स संबाददाता
जम्मू
:  द्वापर युग के दौराण जब कौरव शासन द्वारा पंाड़वों को बारहं वर्ष के बनवास का दंड़ देकर उनको हस्तीनापुर से निकल जाने के आदेश जारी हुए। उस समय पांड़वों द्वारा बनवास के आदेश का पालन करते हुए जगह-जगह अपना समय बिताया। उसी द्वापर युग और बनवास के दौराण पांड़वों ने जम्मू डिविजन के नेशनल हाइवे सपवाल चौक से कुछ दूरी पर बसंतर तट क्षेत्र नमंदर में कुछ पलों के लिए अपने बनवास को विरांम दिया। पांड़वों द्वारा नमंदर स्थल पर बिताए गए कुछ पल द्वापर युग के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए। नमंदर स्थल पर पांड़वों द्वारा बिताए गए कुछ समय की यादों को उन्होंने वहां पर एक अस्थायी मंन्दिर के रूप में सर्वजनिक किया। पांड़वों द्वारा बनाए गए अस्थायी मंन्दिर की जानकारी उस समय के स्थानीय लोगों व साधु-संतों को मिली, तो संगत व संत-महात्माऔं के नमंदर में डेरे जमना शुरू हो गए। हर दिन लोग पांड़वों द्वारा बनाए गए मंन्दिर के दर्शनों के लिए वहां पहुंचते, और पूजा पाठ करके अपना निष्ठा भक्ति का सबूत देते रहे। देखते ही देखते इस जगह की प्रसिद्धता के चर्चे जम्मू देश के 18वीं सदी के राजा रणबीर सिंह तक पहुंच गए। सन् 1870 के दशक के एक दिन राजा रणबीर सिंह ने नमंदर क्षेत्र पहुंच कर वहां पर बनाए गए पांड़वों के हस्तनिर्मित मंन्दिर के दर्शनों की योजना बनाई। राजा रणबीर सिंह जब नमंदर क्षेत्र में पहुंचे, तो उन्होंने पाड़व मंन्दिर के दर्शन किए। पांड़व मंन्दिर के दर्शन करने के बाद उनके मन में ऐसा विचार आया कि उन्होंने उस अस्थायी मंन्दिर की जगह भव्य स्थायी मंन्दिर के निर्माण की घौषण कर दी। 1870 के दशक के दौराण ही नमंदर स्थल पर अस्थायी पांड़व मंन्दिर की जगह पर भव्य राधा-कृष्ण मंन्दिर का निर्माण हुआ। 18वीं सदी में हुए इस मंन्दिर के निर्माण के बाद वहां पर हर दिन श्रद्धालुऔं की भीड़ लगने लगी और देश के कोने-कोने से श्रद्धालु नमंदर पहुंचने लगे। राजा रणबीर सिंह द्वारा नमंदर में बनाए गए मन्दिर के कारण इस प्रसिद्ध स्थल को एक नई पहचान मिली। आज भी नमंदर स्थल पर हर साल बैसाखी मेले का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन किया जाता है। नमंदर मेले में देश के हर हिस्से से श्रद्धालु नमंदर पहुंचते हैं, और द्वापर युग के इतिहास की गाथाऔं का ज्ञान प्राप्त करते हैं।

नमंदर मेले की खास पहचान
जिस समय भारत देश ब्रिटिश सम्राज्य की गुलामी की जंजीरों में बंधा हुआ था, उस समय भी नमंदर बैसाखी मेले की एक खास पहचान हुआ करती थी। राज्य जम्मू-कश्मीर भारत से अलग देश था, और इस देश में राजाऔं की हुकूमत चलती थी। नमंदर वार्षिक बैसाखी मेले में जम्मू देश के अलावा भारत, पाकिस्तान के हजारों श्रद्धालु नमंदर बैसाखी मेले में शिरकत करके इसकी रौणक को चार-चांद लगाते थे। नमंदर बैसाखी मेले को खास बनाने के लिए ब्रिटिश शासकों द्वारा कई प्रकार की प्रतियोगिताऔं का आयोजन करवाया जाता था। मेले में भंगडा, मवेशियों के मुकावले और घौडा दौड प्रतियोगिताएं आदि को खास महत्व दिया जाता था। आयोजित की जाने वाली विभिन्न प्रतियोगिताऔं में अपनी प्रतिभा को दर्शाने के लिए हर देश की प्रतिभागी टोलियां मेले में जोश के साथ पहुंचती थीं। भारत देश के प्रत्येक हिस्से तथा पाकिस्तान की प्रसिद्ध जगहें जिनमें लाहौर, सियालकोट, शक्करगढ़ रावलपिंडी आदि से सैकडों प्रतिभागी मेले में अपनी प्रतिभाऔं को दर्शाने के लिए शरीक होते थे। जो प्रतिभागी टोलियां प्रतियोगिताऔं में अव्बल रहती थीं, उनको ब्रिटिश शासकों द्वारा इनाम भी दिए जाते थे। ब्रिटिश शासन के दौराण नमंदर बैसाखी मेले को मिली इस खास पहचान का वाजूद आज भी स्थापित है। हर साल नमंदर बैसाखी मेले परं आज भी कई प्रकार की प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं, जिनमें प्रतिभागी भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं।

रविवार, मार्च 18, 2018

बीएसएनएल का लूट लो ऑफर री-लॉन्च,60 प्रतिशत छूट

लूट लो ऑफर


नई दिल्ली। 
 बीएसएनएल ने अपने लूट लो पोस्टपेड ऑफर को दोबारा लॉन्च किया है। इस प्लान के तहत प्रीमियम पोस्टपेड प्लान्स पर 60 प्रतिशत तक का डिस्काउंट दिया जाएगा।
इस प्लान को कंपनी द्वारा पिछले नवम्बर में पेश किया गया था। आपको बता दें, इस ऑफर का लाभ 6 मार्च 2018 से 31 मार्च 2018 तक ही उठाया जा सकता है।
बीएसएनएल के इस ऑफर के तहत पोस्टपेड प्लान्स पर कंपनी 60 प्रतिशत का डिस्काउंट दे रही है। इसी के साथ फ्री एक्टिवेशन चार्ज और फ्री नई सिम भी दी जा रही है। इस ऑफर का फायदा बीएसएनएल के सभी ग्राहक उठा पाएंगे। यानि की कंपनी के नए और पुराने दोनों ग्राहकों के लिए यह ऑफर वैध है।
इस ऑफर के तहत जो ग्राहक नए कनेक्शन लेंगे, उन्हें सिम एक्टिवेशन शुल्क अदा नहीं करना पड़ेगा। इसी के साथ सिर्फ महंगे नहीं, बल्कि एंट्री-लेवल के पोस्टपेड प्लान्स पर भी यह डिस्काउंट मान्य है।
इनमें 99 और 145 रुपये वाले प्लान भी शामिल हैं।
कंपनी के 1525 रुपए के प्रीमियम पोस्टपेड प्लान में भी 60 प्रतिशत का रेंटल डिस्काउंट दिया जा रहा है। इस प्लान में यूजर्स को अनलिमिटेड वॉयस कालिंग, एसएमएस और डाटा मिलता है। ध्यान रहे, इसका लाभ उठाने के लिए ग्राहकों को 12 महीने का एडवांस रेंटल वाले प्लान का चयन करना होगा। 6 महीने एडवांस रेंटल वाले प्लान्स में 45 प्रतिशत और 3 महीने एडवांस रेंटल वाले प्लान में ग्राहकों को 30 प्रतिशत डिस्काउंट मिलेगा। इसी तरह आप अपने पसंद के प्लान की जानकारी कंपनी आउटलेट से ले सकते हैं।

फैमिली टाइम विद कपिल शर्मा

6 महीने के बाद कपिल की टीवी पर दोबारा वापसी

कपिल के शो में नहीं होंगे सुनील ग्रोवर,
 नेहा करेंगी होस्ट
कपिल शर्मा अपना नया शो लेकर आ रहे हैं। इसका नाम है फैमिली टाइम विद कपिल शर्मा। इस बार शो को खास बनाने के लिए ग्लैमर का तड़का भी लगेगा। स्पॉटबाय में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शो में टीवी एक्ट्रेस बतौर होस्ट नजर आएंगी।कपिल का शो एक गेम शो होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कपिल के साथ जो एक्ट्रेस शो में नजर आएंगी वो हैं नेहा। इसके पहले नेहा 'मे आई कम इन मैड' में नजर आईं थी। टीवी का पॉपुलर चेहरा बन चुकीं नेहा मराठी इंडस्ट्री में भी अपनी पहचान बना चुकीं हैं। पछले दिनों नेहा अपने वजन को लेकर काफी चर्चा में रही थीं। खबरें आईं थीं कि मे आई कम इन मैडम शो के प्रोड्यूसर्स ने नेहा को वजन कम करने को कहा था और अगर ऐसा ना कर पाने की सूरत में उन्हें शो से निकालने की धमकी भी दी गई थी। ऐसे में नेहा ने पोल डांस सीख कर अपना वजन काफी कम कर लिया है। इन दिनों नेहा का ग्लैमर्स लुकस सोशल मीडिया पर पॉपुलर है। वहीं डॉक्टर गुलाटी का किरदार निभाने वाले सुनील ग्रोवर की नए शो में वापसी नहीं होगी। कपिल की पुरानी टीम के सदस्य चंदन प्रभाकर, कीकू शारदा एक बार फिर कॉमेडी का तड़का लगाने आ रहे हैं।हाल ही में कपिल ने अपने शो के प्रमोशन के लिए एक वीडियो बनाया था। इसमें वे एक बड़े स्टार को अपने शो में फिल्म प्रमोशन के लिए बुला रहे हैं।  ये स्टार कोई और नहीं बद्घल्क अजय देवगन हैं। इससे यह साफ हो गया है कि इस बार शो में पहले सेलेब अजय देवगन हैं। एक्टर अपनी फिल्म रेड का प्रमोशन करने कपिल के शो में आएंगे। बताया जा रहा है कि ये शो 25 मार्च से शुरू होगा। इसका प्रसारण सोनी चैनल पर होगा।
बता दें कपिल शर्मा 6 महीने के ब्रेक के बाद टीवी पर दोबारा वापसी कर रहे हैं।
ब्लड प्रेशर की परेशानी, गुस्सा और डिप्रेशन के चलते कपिल को अपने कॉमेडी शो को बंद करना पड़ा था। नशे की लत से उबरने के लिए कपिल ने बेंगलुरु के एक रिहैबीलिएशन सेंटर से मदद भी ली थी। बाद में उनकी दूसरी फिल्म फिरंगी रिलीज हुई जो बॉक्स ऑफिस पर नाकाम हो गई। अब नए प्रोमो में कपिल काफी रिलेक्स नजर आ रहे हैं।

भामूचक का प्राचीन मंन्दिर

किसी समय में अपनी अलग पहचान से प्रसिद्ध था


दीपाक्षर टाइम्स संबाददाता
जम्मू:
हमारे पूर्वजों द्वारा अपनी निष्ठा का सबूत देते हुए कई ऐतिहासिक धरोहरों का निर्माण करवाया। सीमांत क्षेत्र रामगढ़ के गांव भामूंचक में स्थित प्राचीन ऐतिहासिक राधा-कृष्ण किला रूपी मंन्दिर आज पुराने समय की जीती जागती तस्वीर बनकर लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करता है। करीब एक एकड़ में स्थित इस ऐतिहासिक किला रूपी मन्दिर का इतिहास सदियों पुराना है। क्षेत्र के बुजुर्गों के अनुसार 18वीं सदी में जब महाराजा गुलाब सिंह ने जम्मू के प्रसिद्ध ऐतिहासिक रघुनाथ मन्दिर के निर्माण का नीव पत्थर रखा, ठीक उसी समय उनके महल में दीवान का कार्यभार संभालने वाले भामूचक गांव के निवासी भामूं शाह ने भी महाराजा गुलाब सिंह के समक्ष अपने निजि गांव में राधा-कृष्ण मन्दिर के निर्माण की पेशकश की। महाराजा गुलाब सिंह ने उनकी इस पेशकश को मंजूरी दे दी, और भामूं शाह ने अपने पैत्रिक गांव में मन्दिर का निर्माण शुरू करवा दिया। इस प्राचीन ऐतिहासिक मन्दिर के निर्माण से सीमांत क्षेत्र का आकर्षण पड़ोसी देश पाकिस्तान तक भी पहुंच गया। जिस समय दोनों देशों के बीच सरहद की दिवार नहीं थी। उस समय पाकिस्तान से माता वैष्णों देवी के दर्शनों को जाने वाले श्रद्धालु इसी गांव तथा मन्दिर परिसर में रूककर आराम फरमाते थे। माता वैष्णों देवी तथा पाकिस्तान के लाहौर के बीच भामूंचक केन्द्र बिंदु था। हर दिन जहां पर मन्दिर परिसर में मेला लगा रहता था, और लोग आपस में बैठकरे सुख-दुख साझा करते थे। लेकिन जैसे ही दोनों देशों के बीच बटवारे की दिवार बनी। उसी समय से दोनों देशों के बीच पैदा हुई खटास से भामूचक गांव उजड़ गया। लोगों ने सुरक्षित जगहों पर आश्रय ले लिए, और ऐतिहासिक प्राचीन मन्दिर एक पुरानी याद बनकर रह गया। अगर मौजूदा समय में भी देखा जाए तो प्राचीण राधा-कृष्ण मंन्दिर भामूचक में आज भी उन आकृतियों, कलाकृतियों की झलक सामने आती है, जो हमारे जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों पर कलाकारों द्वारा दर्शाई गई हैं। मंन्दिर की दीवारों पर की गई पेंटिंग जम्मू के प्रसिद्ध रघुनाथ मंन्दिर जैसी है। इसके अलावा मंन्दिर के आस-पास बनाए गई श्राइंन व दीवारें भी किसी किले से कम नहीं हैं। बाबा चमलियाल दरगाह दग-छन्नी में जब भी हर साल जून माह के चौथे वीरवार के दिन वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है, तो मेले में आने वाले बाहरी राज्यों के श्रद्धालु भामूचक मंन्दिर को देखने का मौका नहीं गंवाते। लेकिन बीतते समय के साथ भामूचक का मंन्दिर आज भी प्राचीण समय की यादों को संजोए हुए है।

ठंडी खुई दी बरफी

तांगे वाले अड्डे दी बरफी दा 'स्वाद'

बरगद के पेड तले आज भी स्थापित है बाबा खजान का थडा

देश के कौने-कौने में अपना जलवा बिखेर रही ठंडी खुई की 'बरफी'

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू: नेशनल हाइवे जम्मू-पठानकोट के मध्य पडते तांगे वाले अड्डे वर्तमान ठंडी खुई जख के छोटे से बाजार की बरफी देश के कोने-कोने में अपने जलवे बिखेर रही है। देश का ऐसा कोई कोना नहीं है, जहां पर इस बरफी के स्वाद का लोगों ने लुत्फ न उठाया हो। यही नहीं बाबा अमरनाथ बर्फानी तथा माता वैष्णो देवी के दरवार कटरा तथा वादी कश्मीर में आने वाले विदेशी पर्यटकों को भी ठंडी खुई की बरफी का स्वाद अपनी तरफ आकर्षित करता है। हर कोई ठंडी खुई की बरफी की महक को महसूस करते ही हाइवे के उस छोटे से कोने की तरफ ख्ंिाचा चला आता है, जहां पर इस जादुई महक वाली बरफी को तैयार किया जाता है। ठंडी खुई क्षेत्र की महानता आज देश में हर तरफ फैली हुई है। कभी ऐसा भी समय था, जब ठंडी खुई जगह के नाम का किसी को कोई ज्ञान नहीं था। जिस समय जम्मू-पठानकोट नेशनल हाइवे का कोई नामो-निशंन नहीं था, सिर्फ एक पथ था जिसपर चलकर लोग जम्मू के लिए निकलते थे। उस समय वर्ष 1953 के दौराण जोगपुरा निवासी खजान चंद द्वारा अपने निजि रोजगार को बढावा देने हेतू सुनसान जगह ठंडी खुई स्थित बरगद के पेड तले अपना अड्डा बनाया। जो लोग विजयपुर से जम्मू जाते थे, और जम्मू से विजयपुर, सांबा, लखनपुर, पठानकोट के लिए निकलते थे, वह ठंडी खुई में रूककर खजान चंद की चाय पकौडी का लुत्फ उठाना नहीं भूलते थे। कई वर्षों तक यह सिलसिला जारी रहा और ठंडी खुई के खजान चंद की चाय पकौडी की प्रसिद्धता बढने लगी। वर्तमान में जिस जगह को आज ठंडी खुई के नाम की पहचान मिली है, उस जगह का पहला नाम तांगे वाला अड्डा के नाम से प्रसिद्ध था। तांगे पर सफर करने वाले यात्री भी ठंडी खुई पर ही रूकते थे, और यात्री व चालक आराम फरमाते थे। यात्रियों व आम राहगीरों के लिए तांगे वाला अड्डा ठंडी खुई क्षेत्र एक आरामगाह बनता गया। ठंडी खुई की एक विशेष पहचान जहां पर स्थित कूएं से भी की जाती है। इस कूएं की प्रसिद्धता यह है कि इसका पानी हर मौसम में अपना रूप बदलता है। सर्दियों के दिनों में कूएं का पानी गर्म रहता है, और गर्मियों के दिनों में पानी ठंडा हो जाता है। यही नहीं इस पानी का सेवन करने वाले किसी भी व्यक्ति को पेट रोगों से निजात मिल जाती है, और पाचन तंत्र भी तेज हो जाता हो जाता है। आज भी दूर-दराज शहरों के लोग ठंडी खुई के कूएं का जल मटकों में भरकर अपने घरों के लिए ले जाते हैं। इस ठंडी खुई के बरगद के पेड तले जहां खजान चंद का चाय पकौडी वाला अड्डा स्थापित था, वहीं युवा अवस्था में विधवा हो चुकी कुलियां कमाला निवासी जयंति देवी ने जनसेवा का उद्ेश्य पालते हुए राहगीरों को कूएं का जल पिलाने की सेवा का प्रण ले लिया। खजान चंद और जयंति देवी के बीच मुहंबोले भाई-बहन का रिश्ता एक अटूट रिश्ते का बंधन बनता चला गया। वर्ष 1965-1971 भारत-पाक युद्धों के बाद जब फिर से हर तरफ अमन बहाली हुई तो ठंडी खुई तांगे वाले अड्डे की गतिविधियां भी अपने नए रंग में नजर आने लगीं। जिस बरगद के पेड तले खजान चंद का चाय पकौडी वाला अड्डा था, वहां पर झौंपडी नुमा दुकान की स्थापना हुई। पहले राहगीरों व यात्रियिों को चाय के साथ पकौडी मिलती थी, वहीं कुछ नए व्यंजन जिनमें मेसू, बरफी, मटठी, मटर, सेवियां आदि की महक लोगों को अपनी तरफ खीचने लगी। 19वीं सदी से निकल कर जब भारतवर्ष ने 21वीं सदी में प्रवेश किया, तो ठंडी खुई क्षेत्र का नाम देश के गिने-चुने क्षेत्रों की सूची में शामिल हो गया। आज इसी ठंडी खुई क्षेत्र में बनने वाली बरफी सबसे खास बरफी बन चुकी है। अगर किसी के घर में कोई विशेष समारोह आयोजित होता है, या किसी को विशेष मुबारकवाद का अदान-प्रदान करना होता है, तो लोग ठंडी खुई की बरफी को तोहफे के तौर पर भेंट देना सबसे खास मानते हैं। 
बरगद के पेड तले स्थापित बाबा खजान का थडा
वर्तमान समय में ठंडी खुई क्षेत्र एक प्रसिद्ध स्थल बन चुका है, और जहां पर संत, महात्मा, नेता, अभिनेता व गणमान्य सदस्य बरफी चाय का स्वाद लेने के लिए रूकते हैं, और जहां पर बनने वाले विशेष व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं। ठंडी खुई में बरफी के साथ अन्य प्रकार के व्यंजन पकौडे, दुब्बारे, पनीर पकौडा, स्नेक्स, चाय आदि का विशेष स्वाद का पूरा आनंद मिलता है।


 

 

गोरखे दी हट्टी

ग्रामीण स्तर पर शुरू किया गया कारोबार आज शहरों मे छोड रहा अपनी छाप

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू: आज के तेज रफ्तार युग में जहां देश की नई पीढी अपने पुरखों के दिए हुए संस्कारों को भुलाकर अपने ही तरीके का जीवन बसर करने की होड में हैं, वहीं कुछ पीढियां ऐसी भी हैं, जो अपनी पुशतैनी परंपराऔं तथा हुनर के माध्यम से अपने स्व:रोजगार को बढावा देकर बुजुर्गों का मान बढा रही हैं। जिला सांबा के छोटे से सीमांत क्षेेत्र के कस्बे रामगढ़ में रहने वाला महाजन परिवार कभी सीमांत लोगों के लिए मिट्टी के वर्तनों की खरीद-ओ-फरोख्त करके लोगों की जरूरतों को पूरा करके अपने निजि कारोवार को पालते थे। लेकिन ग्रामीण स्तर पर रोजगार को बढावा न मिलने के कारण भारत-पाक विभाजन से सात वर्ष पूर्व रामगढ़ कस्बे में रहने वाले महाजन परिवार ने जम्मू के उर्दु बाजार आज का शहीदी चौक में अपना बसेरा डालकर अपने हुनर और कारोवार को नई दिशा दी। जिस समय महाजन परिवार जम्मू में आकर बसा, उस समय दिवंगत मंगत राम ने परिवार का भरण-पोषण करने और निजि आमदनी में अतिरिक्त बढोतरी करने के लिए गांवों में रहने वाले में कुम्हार जाति लोगों से मिट्टी के वर्तन व अन्य प्रकार के सामन को खरीद कर लोगों में बेचने लगे। चालीस के दशक में जब कहीं पर भी अधुनिक बिजली उपकरण उपलब्घ नहीं थे, उस समय कुम्हार जाति द्वारा हस्तकला से घडे बनाकर उनको लोगों की जरूरतों के लिए उपलब्घ करवाते थे। उस चालीस के दशक में मिट्टी के घडे हर वर्ग के लोगों के लिए ठंडे पानी के फ्रीजर हुआ करते थे। आज गरीब परिवारों के लिए मिट्टी के घडे ही उनके लिए ठंडे पानी की सुविधा को उपलब्घ करवाने का सस्ता और आसान जरिया हैं। जहां गरीब परिवार मिट्टी के घडों का स्वच्छ ठंडा पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी रहीश लोग हैं, जो मिट्टी से बने वर्तनों व घडों को अपने घरों की शान समझ कर उनको खरीदते हैं।

कैसे गांव से शहर में बनी महाजन परिवार की पहचान:-
जिस समय महाजन परिवार ने रामगढ़ गांव से परिवार सहित कूच कर जम्मू के उर्दु बाजार आज के शहीदी चौक में अपना बसेरा जमाया। उस समय शहर के लोगों में उनकी कोई ऐसी पहचान नहीं थी, जिसके बल पर उनको लोग याद रखते। लेकिन चालीस के दशक से शुरू हुई महाजन परिवार की परीक्षा 21वीं सदी में अपने परिणाम और मुकांम तक पहुंची। महाजन परिवार के बुजुर्ग दिवंगत मंगत राम ने जिस राह पर अपने जीवन के मकसद को डाला। उस मकसद को उनके पुत्र दिवंगत सरदारी लाल, उसके बाद दिवंगत मोहन गुप्ता, दिवंगत जोगिंद्र गुप्ता तथा वर्तमान साहिल गुप्ता ने शिखर तक पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाई। आज के तेज रफ्तार और प्रतियोगिता के इस युग में हर पढा लिखा नौजवान अपने उज्जवल भविष्य की चाह में सरकारी नौकरियां, अच्छा करोवार तथा अलग पहचान कायंम करने की कोशिश में है। वहीं साहिल गुप्ता ने बाहरवीं की कक्षा उतीर्ण करने के बाद किसी भी मन की लालसा को खुद पर हावी नहीं होने दिया, और पुरखों के दिए संस्कारों व उनके आदर्शों को ही अपना मकसद मान लिया। वर्तमान समय में जम्मू शहर में महाजन परिवार की पहचान 'गोरखे दी हट्टी' के नाम से की जाती है। महाजन परिवार को मिली यह पहचान से आज हर तरफ लोगों में प्रसिद्ध है और लोग उनको इसी पहचान से जानते हैं।
 
बुजुर्गों का सम्मान करना सीखे नई पीढी
बदलते समय की चमक-दमक भरी जिंदगी में हमारी युवा पीढी के सपनों को पंख लग चुके हैं। युवाऔं को अपने ही विचार और आदर्श अच्छे लगते हैं। लेकिन महाजन परिवार की पंाचवी पीढी के इक्लौते वारिस साहिल गुप्ता का कहना है कि बुजुर्गों के संस्कार और आदर्श ही इंसान की कामयाबी का मुख्य जरिया हैं। समाज में जीवित उदाहरण के तौर पर 'गोरखे दी हट्टी' के संचालक साहिल गुप्ता अपनी पांचवी पीढी के इक्लौते वारिस ने पिता जोगिन्द्र गुप्ता के स्वर्ग सिधार जाने के बाद माता शक्ति देवी सहित चार बहनों का पालन-पोषण करने वाले इस युवक की सोच लाजवाब है। साहिल गुप्ता ने अपने मन में ऐसा विचार बनाया, जिससे पुरखों की परंपरा भी आगे बढी और आमदनी के नए स्रोत भी सामने आए।
उर्दु बाजार आज के शहीदी चौक में स्थित 'गोरखे दी हट्टी' पर हस्तकला की आकृतियां अपने मुहंबोलती चीजें हैं। हर कोई उन मुहंबोलती बस्तुऔं को खरीद कर अपने घरों की सजावट करके एक नया आकर्षण पैदा कर रहा है।
अगर हमारी युवा पीढी बुजुर्गों से मिली शिक्षा पर अपना ध्यान दे, और उनका मान करे, तो कोई मंजिल ऐसी नहीं जिसे हासिल न किया जाए। युवाऔं को अपने बुजुर्गों, माता-पिता और भाई-बहनों का आदर करना चहिए। सदा आज्ञाकारी और सत्यवादी बनकर अपने जीवन के सफर को मुकांम तक पहुंचाना चहिए।

शुक्रवार, फ़रवरी 02, 2018

इस बार क्यों नहीं दी मिडल क्लास को टैक्स में छूट : अरुण जेटली


नई दिल्ली
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में मिडल क्लास को कोई राहत नहीं देने के सवाल पर कहा है कि उन्होंने अलग-अलग तरीकों से छोटे करदाताओं को राहत दी है। जेटली ने अपने कार्यकाल में दी गई विभिन्न राहतों का जिक्र करते हुए कहा कि यह जरूरी नहीं कि मध्य वर्ग के लोगों की राहत के लिए टैक्स स्लैब ही बदलें।
सिर्फ भारत में 5% का टैक्स स्लैब
उन्होंने कहा कि छोटे टैक्सपेयर्स को टैक्स के दायरे में लाने के लिए पिछले साल 2.5 लाख से 5 लाख रुपये वाले स्लैब पर टैक्स की दर 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी थी। जेटली ने कहा, '5 प्रतिशत का स्लैब दुनिया के सिर्फ एक ही देश में हैं- वह है भारत। यह दुनिया का न्यूनतम टैक्स स्लैब है।' विभिन्न मीडिया घरानों के प्रतिनधियों के साथ ओपन हाउस मीटिंग में जेटली ने कहा, 'हमने 50, 60, 70 हजार रुपये महीना आमदनीवाले छोटे कर दाताओं को राहत देने के ये अलग-अलग तरीके अपनाए। हमने इन परोक्ष तरीकों से उनके पॉकिट में ज्यादा पैसे डालने की कोशिश की। छोटे करदाताओं को राहत देने के लिए यह जरूरी नहीं है कि टैक्स स्लैब को ही बदलें।'
पहले 2 लाख था, 3 लाख कर दिया टैक्स फ्री
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में टैक्स वसूलना और टैक्स पेयर्स की तादाद बढ़ाना एक गंभीर चुनौती है। इसलिए उनके पिछले चार-पांच बजट का पूरा हिसाब-किताब करने पर पता चलेगा कि करीब-करीब सभी बजट में छोटे टैक्स पेयर्स को चरणबद्ध तरीके से राहत दी गई है। उन्होंने कहा, 'जब मैं वित्त मंत्री बना तो टैक्स छूट की सीमा 2 लाख रुपये थी। मैंने इसे 3 लाख रुपये कर दी। दरअसल, दो साल बाद मैंने कहा कि अगले 50 हजार रुपये के लिए आपको कोई टैक्स नहीं देना है। तो छोटे टैक्स पेयर्स के लिए टैक्स छूट की प्रभावी सीमा 3 लाख रुपये हो गई।'
क्या है जेटली का मतलब?
दरअसल, जेटली का कहना यह है कि उन्होंने टैक्स छूट का स्लैब 2 लाख से बढ़ाकर 2.50 लाख कर दिया और 2017-18 के बजट में 3.5 लाख तक की सालाना आमदनी वालों को टैक्स में 2,500 रुपये की छूट दे दी। ऐसे में 3 लाख रुपये तक की कमाई वालों को टैक्स से पूरी तरह मुक्ति मिल गई क्योंकि 2.50 लाख रुपये की कमाई टैक्स फ्री है। बाकी के 50 हजार रुपये पर 5 प्रतिशत से 2,500 रुपये का जो टैक्स लगता, वह फ्री हो गया। ऐसे में 3 लाख रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री हो गई जबकि 3.5 लाख तक की सालाना आमदनी पर महज 2500 रुपये का टैक्स देना पड़ रहा है।
सेविंग्स पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाईः जेटली
वित्त मंत्री ने बचत पर भी टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'हमने बचत के लिए 50 हजार रुपये की अतिरिक्त छूट फिर से दी। अब सेविंग्स पर 1 लाख की छूट 1.5 लाख रुपये हो गई। फिर मैंने हाउजिंग लोन रीपेमेंट्स पर 50 हजार की अतिरिक्त छूट दी। 1.50 लाख रुपये बढ़कर 2 लाख रुपये हो गई।' जेटली ने कहा कि ये सारे कदम ईमानदार कर दाताओं को राहत देने के लिए उठाए गए हैं।' मिडल इनकम प्रफेशनल्स को दी राहतः जेटली
जेटली ने मिडल इनकम वाले प्रफेशनल्स की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, 'सभी कैटिगरीज के प्रफेशनल्स के लिए 50 लाख रुपये तक की आमदनी वालों को कोई अकाउंट बुक मेंटेन करने से मुक्ति दे दी। इसमें 50 प्रतिशत को खर्च मान लिया जाएगा और आधी आमदनी को इनकम मान कर टैक्स देना होगा।'
 छोटे व्यापारियों को दी राहतें गिनाईं
वित्त मंत्री छोटे व्यापारियों और कारोबारियों के हित में उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, '1.5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली ट्रेडिंग कम्यूनिटी के लिए जीएसटी में हमने कहा कि टर्नओवर का सिर्फ 1 प्रतिशत कंपोजिशन दीजिए। अब 2 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों और कारोबारियों की बात कर लें। ये भी छोटे कारोबारी होते हैं। मैंने कहा कि अगर आप बुक मेंटेन नहीं कर सकते तो 6 प्रतिशत को हम प्रीजंप्टिव इनकम मानेंगे। आप आमदनी के सिर्फ इसी हिस्से पर टैक्स दीजिए।'
वरिष्ठ नागरिकों के हित में उठाए कदमः जेटली
जेटली ने वरिष्ठ नागरिकों को दी गई राहतों के बारे में कहा कि सरकार ने उनकी कई मोर्चों पर मदद की। उन्होंने कहा, 'हमने अलग-अलग तरीके से वरिष्ठ नागरिकों को राहत दी है। दो साल पहले ट्रांसपोर्ट अलाउंस के रूप में 800 रुपये का डिडक्शन हुआ करता था। हमने इसे दोगुना कर 1600 रुपये कर दिया। इस बार हमने कहा कि आप 40 हजार रुपये का एकमुश्त डिडक्शन ले लीजिए।'
जेटली के सवाल
जेटली ने सैलरीड क्लास और छोटे व्यापारियों को राहत नहीं दिए जाने के सवाल पर हैरानी जातई और कहा, 'मैं सच में पर्याप्त जानकारी के अभाव में पूछे गए इस सवाल को लेकर दंग हूं। जब डायरेक्ट टैक्स में 5 प्रतिशत और इनडायरेक्ट टैक्स में 1 प्रतिशत का स्लैब हो तब सवाल उठता है कि अब आप इसे कितना कम कर सकते हैं? क्या हमें सेना के जवानों की तादाद कम कर दें क्योंकि हम इसे अफोर्ड नहीं कर सकते? क्या हम अस्पताल नहीं बनाएं या हेल्थकेयर की सुविधा नहीं दें

बुधवार, जनवरी 31, 2018

69वें गणतंत्र दिवस पर 61 अफसरों और जवानों को शेर-ए-कश्मीर पुलिस मेडल

जम्मू।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राज्य पुलिस के 61 अधिकारियों व जवानों को उत्कृष्ट सेवा तथा बहादुरी के लिए शेर-ए-पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया है।
मेडल हासिल करने वालों में आइजीपी राजेश कुमार, एसएसपी अब्दुल रशीद बट्ट, एसएसपी कुलबीर सिंह, एसएसपी शौकत हुसैन, एसपी मनोज कुमार पंडित, डीएसपी अल्ताफ अहमद डार शामिल है। डीएसपी रियाज अहमद, सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल अल्ताफ हुसैन, सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल मुनीर अहमद, डीएसपी मीर मुर्तजा सोहिल, एसआई गुरदीप सिंह, कांस्टेबल बशारत अहमद, हेड कांस्टेबल निसार अहमद, कांस्टेबल ईजाज अहमद, एसपी श्री राम दिनकर, एसआई संजीव देव सिंह, फालोअवर मोहम्मद रमजान वानी, एसएसपी इम्तियाज इस्माइल परे, कांस्टेबल मोहम्मद रफीक, एएसपी इजाज अहमद जरगर, डीएसपी शेख इख्फाक अहमद, इंस्पेक्टर अतर समद, कांस्टेबल बिलाल अहमद, कांस्टेबल इम्तियाज अहमद सोफी, कांस्टेबल मुदसर, डीएसपी सादिक गिनाई, कांस्टेबल इरशाद अहमद, एसपी संदीप कुमार, कांस्टेबल मोहम्मद मकबूल, कांस्टेबल हमीद ऋषि, एसपी अतुल शर्मा, एसएचओ कुलदीप कृष्ण, कांस्टेबल रणधीर सिंह, हेड कांस्टेबल सुरेंद्र कुमार, कांस्टेबल ओवेज अहमद, कांस्टेबल मोहम्मद याकूब, डीएसपी शौकत अहमद डार, एसआई सज्जाद अहमद, सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल दाऊद अहमद बट्ट, सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल अकील अहमद, डीएसपी रमीज रशीद, हेड कांस्टेबल मोहम्मद सादिक लोन, डीएसपी मशकूर अहमद, एसआइ जिया-उर-रहमान, कांस्टेबल सोहेल अहमद, कांस्टेबल मंजूर अहमद, डीएसपी जावेद इकबाल, डीएसपी ईजाज अहमद, एसआई फारूक अहमद खान, कांस्टेबल भरत पंडिता, डीएसपी हिलाल खालिक, इंस्पेक्टर विशाल शूर, कांस्टेबल अनिल सिंह, कांस्टेबल रशीद अहमद, इंस्पेक्टर आदिल रशीद, हैड कांस्टेबल देवेंद्र कुमार, फालोअर सतपाल सिंह, डीएसपी अजगर अली, इंस्पेक्टर मसरत अहमद मीर, एसआई मोहम्मद फारूक तथा सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल बिलाल अहमद शामिल है। वहीं, उत्कृष्ट सेवा के लिए इंस्पेक्टर अक्षय खजूरिया को प्रेजिडेंट पुलिस मेडल दिया गया।
भारतीय वायु सेना के गरुड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया जाएगा। यह शांति के समय दिया जानेवाला सबसे बड़ा सैन्य सम्मान होता है। निराला ने कश्मीर में पिछले साल नवंबर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में अकेले ही दो आतंकियों को ढेर कर दिया था। वह बिहार के रोहतास जिले के बदलादीह गांव के रखने वाले थे। उनसे पहले सिर्फ दो वायुसेना के कर्मियों को ही यह सर्वोच्च वीरता पुरस्कार मिला है। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि 69वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 390 शौर्य एवं अन्य रक्षा सम्मान को मंजूरी दी है। शौर्य एवं रक्षा सम्मान सशस्त्र बलों के जवानों दिया जाता है। सीआरपीएफ के दो जवानों को
 झारखंड के लातेहार जिले में नक्सल विरोधी अभियान में बहादुरी का प्रदर्शन करने के लिए सीआरपीएफ के दो कोबरा कमांडो को शौर्य चक्र के लिए चुना गया है। 2016 में चलाए गए अभियान में छह नक्सली मारे गए थे। शौर्य चक्र पाने वालों में सहायक कमांडेंट विकास जाखर और उपनिरीक्षक रियाज आलम अंसारी शामिल हैं। दोनों कोबरा के लिए कमांडो बटालियन की 209वीं बटालियन से संबंधित हैं। अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद शौर्य चक्र शांति के समय में दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है।
सीआइएसएफ के 32 कर्मियों को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। गुरुवार को सम्मानित होने वालों में डीआइजी एनजी गुप्ता, वरिष्ठ कमांडेंट वर्तुल सिंह, निर्विकार और पी. प्रताप सिंह व निरीक्षक नरेश शामिल हैं। कांस्टेबल सत्येन सिंह और पीएम वर्मा को क्रमश: उत्तम जीवन रक्षक पदक और जीवन रक्षक पदक से सम्मानित किया गया है।
 भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के 14 अधिकारियों को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया है। 90,000 कर्मियों वाले बल के कंधों पर 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा की निगरानी करने का भार है। इसके अलावा यह बल नक्सल विरोधी अभियान सहित आंतरिक सुरक्षा में भी भाग लेता है। सम्मानित होने वालों में कमांडेंट विश्वत्रि आनंद और निरीक्षक जीएस नेगी भी शामिल हैं।
 एनसीबी अधिकारी रोहित कटियार को राष्ट्रपति पुलिस पदक से नवाजा गया है। एनसीबी से सम्मानित होने वाले वह अकेले अधिकारी हैं। सीआइएसएफ में 1995 बैच के अधिकारी कटियार 2008 में प्रधानमंत्री पुलिस पदक से सम्मानित किए गए थे।
सीबीआइ के 27 अधिकारियों को राष्ट्रपति पदक : सीबीआइ के 27 अधिकारियों को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है। एजेंसी ने कहा कि उल्लेखनीय सेवा और मेधावी सेवा के लिए गणतंत्र दिवस के मौके पर अधिकारी सम्मानित किए हैं। सम्मानित होने वाले अधिकारियों में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जोए सुनील एम्मानुएल, सीबीआइ अकादमी एवं रोहित श्रीवास्तव, एसी-3, उपाधीक्षक रोशनलाल यादव, एसी-1, सहायक उपनिरीक्षक वी. कविदास आदि शामिल हैं।

फिर गहरा सकता है डोकलाम विवाद, चीन ने इलाके पर किया दावा; निर्माण कार्य जारी

 डोकलाम विवाद पर चीन ने एक बार फिर पैंतरा दिखाना शुरू कर दिया है।
बीजिंग ।
डोकलाम विवाद पर चीन ने एक बार फिर पैंतरा दिखाना शुरू कर दिया है। उसने डोकलाम पर दावा करते हुए कहा है कि उस इलाके में निर्माण कार्य कराना उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। हालांकि, इसके साथ ही चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने भारत-चीन सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से और मौजूदा तंत्र के जरिये सुलझाने पर जोर दिया है।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को भारतीय राजदूत गौतम बंबावले द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर प्रतिक्रिया देते हुए चुनयिंग ने सोमवार को कहा, 'हमने हमेशा डोकलाम समेत अपने सीमावर्ती इलाकों में संप्रभुता कायम रखा है। मैं जोर देकर कहना चाहूंगी कि यह इलाका चीन की संप्रभुता में आता है, जिसमें हम सुविधाओं का निर्माण कर रहे हैं।
भारतीय राजदूत ने अपने साक्षात्कार में कहा था कि 3,488 किलोमीटर की सीमा के संवेदनशील क्षेत्रों में यथास्थिति को नहीं बदला जाना चाहिए। इस पर चुनयिंग ने कहा, मुझे कहना चाहिए कि दोनों देशों को सीमा मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से देखना चाहिए और मौजूदा तंत्रों के जरिये इनका समाधान करना चाहिये। इससे हम मतभेदों के उचित समाधान के लिए स्थितियां और सक्षम माहौल बना सकेंगे।
 उल्लेखनीय है कि भारत और चीन में सीमा विवाद को लेकर मतभेद सुलझाने के लिए विशेष तंत्र मौजूद है। इसके अलावा विशेष प्रतिनिधि स्तर की सीमा वार्ता का तंत्र भी मौजूद है।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने 1890 में ब्रिटेन और चीन की संधि का हवाला देते हुए कहा कि चीन-भारत सीमा का सिक्किम क्षेत्र इस ऐतिहासिक संधि से सीमांकित है। यह चीन के न्यायक्षेत्र में आता है। चीन कहता रहा है कि उस ऐतिहासिक संधि के जरिये सिक्किम क्षेत्र का सीमांकन कर लिया गया है। चुनयिंग ने कहा कि भारतीय मीडिया में डोकलाम इलाके में सैन्य जमाव और आधारभूत संरचनाओं के निर्माण को लेकर खबरें आई हैं। वे इसे लेकर काफी उत्साहित हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल 16 जून को दोनों देशों के बीच डोकलाम में सड़क निर्माण को लेकर विवाद शुरू हुआ था। भारत-चीन की सेनाएं वहां लगभग ढाई महीने तक तंबू गाड़े रहीं। 28 अगस्त को 73 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से पहले विवाद सुलझा लिया गया था।

समुद्र में छूटेंगे चीन और पाकिस्तान के पसीने

पनडुब्बी आइएनएस 'करंज की लांचिंग 31 को

नई दिल्ली। 
समुद्र में दुश्मनों के होश ठिकाने लगाने वाली स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस 'करंज लॉन्च होने जा रही है। आईएनएस करंज कल बुधवार को मुंबई मझगांव डॉक पर लॉन्च की जाएगी। इस दौरान नेवी चीफ सुनील लांबा भी मौजूद रहेंगे। पहली स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को 14 दिसंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम समर्पित किया था। कलवरी में पिछली डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में बेहतर छुपने वाली प्रौद्योगिकी है। आईएनएस करंज की खास बात यह है कि यह एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई है। कलवरी और खांदेरी के बाद करंज की ताकत देखकर दुश्मनों के पसीने छूट जाएंगे।
अपने आधुनिक फीचर्स और सटीक निशाने की क्षमता वाली स्कॉर्पीन पनडुब्बी करंज दुश्मनों को चकमा देकर सटीक निशाना लगा सकती है। करंज की यह खूबी चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की मुश्किलें बढ़ा देगा। इसके साथ ही करंज टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती है।
युद्ध की स्थिति में करंज पनडुब्बी हर तरह की अड़चनों से सुरक्षित और बड़ी आसानी से दुश्मनों को चकमा देकर बाहर निकल सकती है। यानी इसमें सतह पर पानी के अंदर से दुश्मन पर हमला करने की खासियत भी है। इस पनडुब्बी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे किसी भी तरह की जंग में ऑपरेट किया जा सकता है। यह पनडुब्बी हर तरह के वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस को इक_ा करने जैसे कामों को भी बखूबी अंजाम दे सकती है। बता दें कि कंरज पनडुब्बी 67.5 मीटर लंबा, 12.3 मीटर ऊंचा, 1565 टन वजनी है।
करंज रडार की पकड़ में नहीं आ सकता है।
जमीन पर हमला करने में सक्षम है करंज।
करंज पनडुब्बी में ऑक्सीजन बनाने की भी क्षमता।
लंबे समय तक पानी में रह सकती है करंज पनडुब्बी।
स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी खांदेरी 12 जनवरी 2019 को लॉन्च की गई थी। फ्रांस की रक्षा व ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस द्वारा डिजाइन की गईं पनडुब्बियां भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के तहत बनाई जा रही हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत अगली पीढ़ी की स्वदेशी पनडुब्बियों का निर्माण करेगा। आईएनएस कलवरी के भारतीय नौसेना में शामिल होने से भारत का हिंदमहासागर में दबदवा और बढ़ जाएगा। यह पनडुब्बी नौसेना की ताकत को भी एक अलग सिरे से परिभाषित करेगी।
स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली दो पनडुब्बियां कलवरी, और खांदेरी है।
13 दिसंबर, 2017 को प्रधानमंत्री मोदी ने आइएनएस कलवरी को देश के नाम समर्पित किया था।
वहीं, खांदेरी पनडुब्बी को 12 जनवरी, 2017 को लॉन्च किया गया था।
कलवरी और खंडेरी पनडुब्बियां आधुनिक फीचर्स से लैस है।
यह दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगा सकती हैं।
इसके साथ ही टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती हैं।
आईएनएस कलवरी में पिछली डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में बेहतर छुपने वाली प्रौद्योगिकी है।
इस पनडुब्बी के माध्यम से टारपीडो के साथ एक हमले शुरू किए जा सकते है। यह उष्णकटिबंधीय समेत सभी सेटिंग्स में काम कर सकती हैं। माइन बिछाने, क्षेत्र निगरानी, खुफिया जानकारी और युद्ध गतिविधियों सहित इस गुप्तता वाली पनडुब्बी के माध्यम से कई रक्षा गतिविधियों का संचालन किया जा सकता है। इस पनडुब्बी के माध्यम से पानी की सतह पर या नीचे की सतह से एंटी शिप मिसाइल लॉन्च की जा सकती है। कलवारी को विशेष इस्पात से बनाया गया है । जिससे ये उच्च तीव्रता के हाइड्रोस्टाटिक बल का सामना कर सकती है और महासागरों में गहराई से गोता लगा सकती है।
स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बी खांदेरी की खास बातें-
स्कॉर्पीन श्रेणी की यह पनडुब्बी अत्याधुनिक फीचरों से लैस है।
इनमें रडार से बच निकलने की इसकी उत्कृष्ट क्षमता और सधा हुए वार कर दुश्मन पर जोरदार हमला करने की योग्यता शामिल है।
यह हमला टॉरपीडो से भी किया जा सकता है और ट्यूब-लॉन्च्ड पोत विरोधी मिसाइलों से भी रडार से बच निकलने की क्षमता इसे अन्य कई पनडुब्बियों की तुलना में अभेद्य बनाएगी।
यह पनडुब्बी हर तरह के मौसम और युद्धक्षेत्र में संचालन कर सकती है।
यह किसी भी अन्य आधुनिक पनडुब्बी की तरह सतह-रोधी युद्धक क्षमता, पनडुब्बी-रोधी युद्धक क्षमता, खुफिया जानकारी जुटाना, क्षेत्र की निगरानी कर सकती है।
क्क-75 प्रोजेक्ट के तहत बन रही हैं पनडुब्बी
 आईएनएस कलवरी देश में बनी पहली परमाणु पनडुब्बी है जो भारतीय नौसेना में शामिल की गई थी। क्क-75 प्रोजेक्ट के तहत मुंबई के मझगांव डॉक लीमिटेड में बनी कलवरी क्लास की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलावरी है। कलवरी क्लास की 6 पनडुब्बी मुंबई के मझगांव डॉक में एक साथ बन रही हैं और मेक इन इंडिया के तहत इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जा रहा है। कलवरी के बाद खांदेरी और अब प्रोजक्ट की तीसरी पनडुब्बी करंज 31 जनवरी को लॉन्च होगी।
 

मेजर पर एफआईआर को लेकर आमने-सामने बीजेपी-पीडीपी

जम्मू।
कश्मीर के शोपिया में सेना की फायरिंग से दो नागरिकों की मौत के मामले में सेना के मेजर पर हत्या का केस दर्ज किया गया है।  इसको लेकर राज्य में गठबंधन सरकार चला रहे पीडीपी और बीजेपी आमने सामने हो गए हैं।  जहां सीएम महबूबा मुफ्ती मेजर पर एफआईआर के पक्ष में हैं तो वहीं बीजेपी ने एफआईआर में से मेजर का नाम हटाने की मांग की है।
सोमवार को विधानसभा में महबूबा मुफ्ती ने कहा, रक्षा मंत्री से बात करने के बाद ही सेना के अफसर पर केस दर्ज किया गया है।  साथ ही मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं, जिसकी रिपोर्ट 20 दिनों में आएगी।
बता दें, शापिया में शनिवार को करीब 200 लोगों की भीड़ ने आर्मी के दस्ते पर हमला कर दिया।  जवाबी कार्यवाही में सेना ने भी फायरिंग की जिसमें 2 युवाओं की मौत हो गई और एक युवक घायल हो गया।  इस मामले में रविवार को पुलिस ने मेजर आदित्य और 10, गढ़वाल यूनिट के एक सैनिक पर हत्या और हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया।  सोमवार को विधानसभा में इसी मुद्दे को लेकर हंगामा हुआ।
विधानसभा में बीजेपी ने एफआईआर में से मेजर का नाम हटाने की मांग की।  बीजेपी का कहना है कि इससे सेना का मनोबल गिरेगा।  बीजेपी की इस मांग को सीएम महबूबा मुफ्ती ने खारिज कर दिया।  उन्होंने कहा राज्य सरकार ने इसमें जांच के  आदेश दे दिए हैं।
महबूबा ने कहा, ये एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।  आर्मी का मनोबल सिर्फ एक एफआईआर से नहीं गिरेगा।  सेना में भी काली भेड़ मौजूद हैं।  महबूबा ने कहा, आर्मी ने उस पुलिस एडवाइजरी को भी नहीं माना, जिसमें उस रूट से न जाने का जिक्र था।  महबूबा ने कहा, मैंने खुद सुरक्षाबलों से कह रखा है कि घाटी में कानून व्यवस्था को बहाल करने की दिशा में काम करना है।  मैंने उन्हें निर्देश भी दिए हैं कि वे हवा में फायरिंग करें।
वहीं, विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्?यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी सरकार को घेरा।  उन्होंने कहा, अगर मेजर के खिलाफ एफआईआर है तो फिर मजिस्ट्रियल जांच की क्या जरूरत? उमर ने कहा, सेना की ओर से गोलियां सीने पर चलाई गईं, इससे पता चलता है कि स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास नहीं किए गए।  मैं निवेदन करता हूं कि इस मामले पर पर राजनीति न करें। 
भारत-प्रशासित कश्मीर में शनिवार को सेना की फ़ायरिंग में मारे गए दो युवाओं के मामले में पुलिस ने सेना के खिलाफ़ मामला दर्ज किया है।
दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जि़ले के गोवांपोरा में सेना की फ़ायरिंग में 20 साल के जावेद अहमद बट और 24 साल के सुहैल जावेद की मौत हुई थी।
पुलिस ने शोपियां के सदर थाने में सेना की यूनिट के ख़िलाफ़ हत्या (धारा 302), हत्या की कोशिश (धारा 306) और जि़ंदगी को ख़तरे (धारा 336) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
दर्ज की गई एफआईआर में सेना के मेजर आदित्य का नाम दर्ज किया गया है और बताया गया है कि जिस समय सेना ने गोली चलाई उस समय मेजर अद्वितीय 10 गढ़वाल यूनिट का नेतृत्व कर रहे थे।
पुलिस प्रमुख शेष पॉल वैद ने बताया कि इस मामले में सेना के खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया है।  साथ ही उनका यह भी कहना था कि इस मामले में आगे देखा जाएगा कि यह घटना किस हालात में पेश आई।
सेना के प्रवक्ता से उनकी प्रतिकिया जानने की कोशिश की गई तो सेना ने किसी भी फ़ोन कॉल का जवाब नहीं दिया।
सेना ने शनिवार को घटना के बाद बताया था कि उन्होंने मजबूर होकर आत्मसुरक्षा में गोली चलाई थी।
सरकार ने भी शनिवार को इस मामले में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं और 20 दिनों तक रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।
अलगाववादियों ने रविवार को शोपियां में मारे गए दो युवकों की मौत के ख़िलाफ़ बंद बुलाया था।  अलगाववादियों द्वारा बंद बुलाने पर कश्मीर घाटी में सभी दुकानें बंद रहीं और सड़कों पर ट्रैफिक गायब रहा।
शोपियां में युवकों की मौतों के बाद कश्मीर में तनाव जैसे हालात हैं।  कश्मीर में बंद को देखते हुए रविवार को रेल सेवा को बंद कर दिया गया है।  शनिवार रात से ही दक्षिणी कश्मीर में इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया गया है।
राज्य की मुख्य्मंत्री महबूबा मुफ़्ती ने शोपियां में मारे गए युवाओं पर शोक व्यक्त किया।  मुख्यमंत्री ने इस घटना के बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री से फ़ोन पर बात की थी और उनसे कहा कि शोपियां जैसी घटनाओं से जम्मू-कश्मीर में शुरू की गई शांति वार्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।