मंगलवार, जून 28, 2016

सरल भाव से संवेदनशील लेखन में माहिर डॉ.निर्मल विनोद

-प्रशांत भारद्वाज
डोगरी एवं हिन्दी भाषा के सशक्त हस्ताक्षर डॉ.निर्मल विनोद बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। साहित्यिक क्षेत्र में उनकी एक अलग पहचान है। आपने साहित्य की विभिन्न विधाओं में अपनी लेखनी का प्रयोग बहुत-ही सहज भाव से किया है। जिसके चलते आप गीतकार, गज़लगो शायर, साहित्यकार, संपादक जैसी भूमिकाओं का प्रतिबद्ध होकर सहजता से निर्वाह कर रहे हैं। आप अपने संवेदनशील लेखन से जहां अपनी सहृदयता का परिचय देते हैं, वहीं एक परिपक्व आलोचक की भूमिका में हर रचना, हर पुस्तक पर अपनी आलोचनात्मक सूझबूझ का भी परिचय देते हैं। अपने नाम के अनुरूप स्वच्छंद भाव से सृजित उनकी प्रत्येक रचना भी अपनी निर्मलता से पाठक को एक नये एहसास की अनुभूति करवाती है। लेकिन कुछ रचनाएं वर्तमान समय के ''मैं,'मनी' (धन) एवं मुनाफा'' प्रधान समाज के असामाजिक एवं अव्यवहारिक लोकाचार को भी मुखर होकर उजागर करती है:-
जरबें-तक्सीमें दे
जमां बाकिये द
तुस माहिर लोक
तु'न्दे नेह़ दुनियादारें नै
अस निभचै तां कि'यां जी
1 जून 1950 को जन्म लेने वाले डॉ.निर्मल विनोद ने बी.एस.सी तक शिक्षा प्राप्त की। उसके उपरांत आपने हिन्दी में एम.ए. किया और फिर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। साहित्य की हर विधा में निपुण डॉ.निर्मल विनोद ने सतत साहित्य साधना कर बहुत-सी पुस्तकों का सृजन किया है। आपने ''निराला'' और भाई वीर सिंह के काव्य का तुलनात्मक अध्ययन'' एवं फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यासों में क्रांति के स्वर'' विषय पर शोध पत्रों का सृजन किया।  इसके उपरांत आपने वर्ष 1999 में हिन्दी में ''कविता का सामाजिक सरोकार'' तथा 2002 में डोगरी में ''डोगरी शोध ते समीक्षा'' पर शोधपत्र प्रकाशित करवाए। आपके द्वारा डोगरी एवं हिन्दी में रचित साहित्य संबंधी शोध तथा समीक्षात्मक निबंध 'शिराजा'(डोगरी),'साढ़ा साहित्य', 'नमीं चेतना', जम्मू विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका-'डोगरी शोध', 'शिराजा'(हिन्दी),'हमारा साहित्य(हिन्दी)' आदि पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं।
डॉ. निर्मल विनोद ने हिन्दी एवं डोगरी में कई पुस्तकों की रचना की है। हिन्दी में 1976 में गीत,नवगीत एवं गजल संग्रह 'पत्थरों का दरिया',1978 में छन्द-मुक्त वे मुक्त-छंद की कविता संग्रह 'बयार के पंखों में',1982 में नवगीत संग्रह 'साक्षी संध्याओं के',1996 में नवगीत संग्रह 'टूटते क्षितिज के साये', 1998 में गजल संग्रह 'धूप-धूप फासला' का सृजन किया। डोगरी में 1990 में बाल गीत संग्रह 'आपूं राजा',2004 में दोहा संग्रह 'निर्मल सतसई', 2015 में नवगीत संग्रह 'में कस्तूरी हिरन',का सृजन किया। आपके द्वारा डोगरी में रचित दोहा संग्रह 'निर्मल हजारा' शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है। इसके साथ ही आपने काव्य संकलन 'चोराहे पर खड़े चेहरे','युवा कविता', 'मधुरिमा', एवं 'कला परिक्रमा' तथा कहानी संकलन 'अधूरी कहानी का हीरो','देवदारों की छाया तले', 'प्रिज्मों में बंटी किरणें','चीड़ों में ठहरी बयार(विविधा)','हमारा साहित्य(विविधा)','साढ़ा साहित्य(निबंध)', डोगरी शोध(निबंध)','जम्मू-कश्मीर दी प्रतिनिध पंजाबी कवता'(संकलन- प्रो.करतार सिंह सूरी)','कश्मीर दी प्रतिनिध पंजाबी कवता'(संकलन- प्रो.देवेन्द सिंह) तथा साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा प्रकाशित प्रकाशनों में भी अपनी रचनाओं के माध्यम से सहयोग दिया। आपने 1975 में दो सहयोगी संपादकों के साथ संयुक्त रूप से 'प्रिज्मों में बंटी किरणें' का संकलन व संपादन किया। 1977 में डुग्गर संस्कृति पर आधारित निबंध संग्रह ''तवी के आर-पार' का संकलन व संपादन किया। आपने हिन्दी पत्रिका 'घोषवती', 'नीलकंठ' एवं मधुरिमा' का तथा हिन्दी/डोगरी पत्रिका 'वैष्णवी' एवं डोगरी पत्रिका 'त'वी' का संपादक कार्य भी किया है। आपकी साहित्यिक रचनाएं समय-समय पर देश भर के सहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं जथा समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही है। आप राष्ट्रीय स्तर के लेखक सम्मलनों, रेडियो व दूरदर्शन के विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहते हैं। आपने नाटय लेखन के साथ-साथ  संस्कृत, डोगरी, पंजाबी, हिन्दी, राजस्थानी, सिंधी, अंग्रेजी, आदि भाषाओं की रचनाओं का अनुवाद कार्य भी किया है। डॉ. निर्मल विनोद विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से भी जुड़े हैं। आप रेडिया एवं दूरदर्शन पर समाचार वाचन के साथ ही हिन्दी व पंजाबी रंगमंच पर अपनी अभिनय कला के रंग  भी बिखरने में सफल रहे हैं। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा हिंदीतर भाषी पुरस्कार से सम्मानित डॉ.निर्मल विनोद गत 5 दशकों से अनवरत साहित्य साधना में रत हैं। उन्होंने प्रतिबद्धता से हिन्दी एवं डोगरी साहित्य में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया है।

प्रशासनिक उपेक्षा से गंदगी का साम्राज्य

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
राज्य में प्रशासनिक उदासीनता शायद आम बात हो गई है। चारो ओर प्रशासनिक अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण अराजकता का माहौल है। अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाले व्यापारिक समुदाय की समस्याओं के प्रति संबंधित अधिकारी मूकदर्शकों की भांति व्यवहार करते हैं। किसी समय शहर की शान माने जाने वाले एक्जीबिशन ग्राउंड की वर्तमान हालत भी इसी प्रशासनिक उपेक्षा का परिणाम है।
संबंधित अधिकारियों के नकारात्मक रवैये के चलते अब यहां चारो ओर गंदगी का साम्राज्य है। आस-पास फैली गंदगी एक्जीबिशन ग्राउंड के दुकानदारों के लिए परेशानी का कारण बन रही है।      
ट्रैडर्स एंड मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन, सेन्ट्रल मार्केट एक्जीबिशन ग्राउंड के प्रधान प्रमोद कपाही का कहना है कि जम्मू नगर निगम एक्जीबिशन ग्राउंड  की सफाई की ओर बिलकुल भी ध्यान नहीं देता है। निगम अधिकारी दुकानदारों के सफाई करवाने संबंधी हर आग्रह पर सिर्फ आश्वासन देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर देते हैं। यहां तक कि डिस्ट्रीक इंडस्ट्रीज सेन्टर के जरनल मैनेजर से भी अनेक बार एक्जीबिशन ग्राउंड की सफाई व्यवस्था के संबंध में बात की गई, लेकिन उन्होंने भी आज तक कोई कदम नहीं उठाया है। कपाही ने बताया कि जम्मू पूर्व के विधायक राजेश गुप्ता ने जरूर दुकानदारों की परेशानियों को समझते हुए यहां कुछ विकास कार्य शुरू करवाएं है। विधायक ने शौचालय निर्माण समेत और भी विकास करवाने का वादा किया है। उन्होंने कहा किे प्रशासन को हमारी समस्याओं की ओर तत्काल ध्यान देना चाहिए।
एसोसिएशन के वरिष्ठ उप-प्रधान सरबजीत सिंह पोला ने कहा कि एक्जीबिशन ग्राउंड में शौचालय नहीं होने के कारण दुकानदारों और यहां आने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। शौचालय ना होने के कारण यहां दुर्गंध फैली रहती है। इस संबंध में अनेक बार संबंधित अधिकारियों से कहा गया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
एसोसिएशन के महासचिव सुरेश कुमार मंजोत्रा का कहना है कि जम्मू नगर निगम के अधिकारी एक्जीबिशन ग्राउंड की सफाई करवाने के लिए गंभीर नहीं है। यहां तक यहां स्थित नाले के भी पिछले कई वर्षों से सफाई नहीं करवाई गई हैं। नाले की सफाई के लिए सैंकड़ों बार गुजारिश करने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं किया जा रहा है। अधिकारियों को इस संबंध में जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।
एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष पवन गुप्ता का कहना है कि संबंधित अधिकारियों की लापरवाही के चलते भोड़ी-सी बरसात होते ही पूरे एक्जीबिशन ग्राउंड में पानी भर जाता है। जिसके कारण काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है।

सरकारी विभागों में तालमेल के अभाव से जनता बेहाल

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के बीच सहयोग और समन्वय का अभाव आम जनता को भुगतना पड़ रहा है और इससे इन विभागों पर राज्य में मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था के नियंत्रण की कमी का पता चलता है।
विभिन्न सरकारी एजेंसियों में सहयोग और समन्वय की कमी के कारण राज्य में सबसे खराब स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ निहित स्वार्थी तत्व इसका अनुचित लाभ ले रहे हैं।
सरकारी एजेंसियों के निराशाजनक प्रदर्शन से संबंधित तथ्य यह है कि 21 जून को मानसून की पहली बरसात से पूरा एमएएम स्टेडियम, निकट स्थित नाले के गंदे पानी से भर गया और दो पहिया वाहन और चार पहिया वाहन बारिश के पानी में तैर रहे थे।
वैसे तो बरसात के मौसम में यह स्थिति पिछले कई वर्षों से सामने आती है, लेकिन इस बार सबका ध्यान इसलिए इस पर गया क्योंकि एमएएम स्टेडियम में उस दिन प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्य मंत्री भी हिस्सा लेने आए थे। अगर वह नहीं आते तो प्रशासन के लिए शायद यह कोई मुद्दा ही नहीं बनता।
जम्मू नगर निगम (जेएमसी) जो उल्लेखनीय काम करने के दावे कर रही थी, वह नालों को साफ करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने में नाकाम रही। जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह में हिस्सा लेने शहर के विभिन्न भागों से आए स्कूली बच्चों समेत 2000 से अधिक लोग स्टेडियम में फंस गए थे।
शहरी विकास मंत्रालय निराशाजनक प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। शहर के लोगों में इसलिए गंभीर रोष व्याप्त है। नागरिकों ने सरकार विशेषरूप से शहरी विकास मंत्रालय के निराशाजनक प्रदर्शन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि अगर आधे घ्ंाटे की बरसात से ऐसी विकट स्थिति सामने आई है, तो अगर भविष्य में घंटों तक बरसात जारी रही तो शहर का क्या हाल होगा?
विभागों के बीच समन्वय की कमी ने लोगों की मुश्किलों को इस हद तक बढ़ा दिया है कि उनके पास न्याय की तलाश में सड़कों पर उतरने के सिवा कोई विकल्प नहीं रहता है।
गंग्याल के हनीष शर्मा ने कहा कि निजी दूरसंचार कंपनियों द्वारा एक माह पूर्व रात के समय विभिन्न मुहल्लों और कॉलोनियों में खुदाई कर दी गई थी और अपना काम करके मलबा सड़कों के किनारे नालियों में छोड़ दिया गया था। जिसके परिणामस्वरूप नालियां जाम हो गई और बरसात होते ही सारी गंदगी इन कॉलोनियों में लोगों के घरों तक जा पहुंची।
एक अन्य नागरिक ने कहा कि कांगड फोर्ट के पास बरनाई क्षेत्र में एक निजी दूरसंचार कंपनी द्वारा रात के समय तीन किलोमीटर लंबी पूरी संपर्क सड़क को खोद दिया गया था और बाद में किसी सरकारी एजेंसी ने मलबा हटाने, नालियों की सफाई और सड़कों की मरम्मत की जिम्मेदारी नहीं ली है। मु_ी, पटोली, राजिंदर नगर, बनतालाब और बरनाई में सड़कों को खोदा गया है और जब लोगों ने सार्वजनिक निर्माण विभाग (आर एंड बी)के  अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि किसी को भी सड़कों की खुदाई की अनुमति नहीं दी गई है। जब ठेकेदारों से संपर्क किया गया तो जवाब मिला कि उसने 4-जी केबल बिछाने के लिए सड़क खुदाई की अनुमति ली है। ठेकेदार से पहले आर एंड बी के अधिकारियों का कहना है कि उसे अनुमति जेएमसी द्वारा दी गई थी, लेकिन वह आदेश प्रस्तुत करने में विफल रहा है। विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण सड़कों की बुरी हालत हैं और लोगों का परेशानियां भुगतना जारी है। लोगों ने कहा कि सरकार में कोई नहीं सुन रहा है और आर एंड बी के अधिकारियों ने सड़कों और गलियों की मरम्मत करने से इंकार कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि सड़क खोदने से पहले उनसे अनुमति नहीं ली गई थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में जनता की मुसीबतों को सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है। आम आदमी को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए इधर से उधर भटकने को मजबूर किया जा रहा है।

बुधवार, जून 15, 2016

डिप्रेशन संबंधी जागरूकता अभियान में जुटी साना

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। वर्ष 2014 में कश्मीर में आई विनाशकारी बाढ़ में बहुत-से लोगों की प्राण रक्षा करने वाली 28 वर्षीया साना इकबाल अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्तियों के बारे में देश के लोगों को शिक्षित करने के एक साहसी अभियान में जुटी है।
अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चय के साथ यह महिला बाइकर बरेली में हुई एक सड़क दुर्घटना में गंभीर चोटें लगने के बावजूद अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्तियों के बारे में जन-जागरूकता की अलख जगाती हुई 8 जून को जम्मू पहुंची।
नानक नगर स्थित फ्यूचर्ज स्टेडी सेन्टर में विद्याोर्थियों को अवसाद और आत्महत्या के संबंध में जागरूक करने के उपरांत साना ने बताया कि वर्ष 2014 में कश्मीर में आई बाढ़ की खबर मिलने के बाद वह घाटी के लिए रवाना हो गई और 40 दिनों तक एक राहत कार्यकर्ता के रूप में रहकर काम किया और कई लोगों की जान बचाई। वह अपने साथ बाढ़ प्रभावितों के लिए दवाईयां भी लाई थी। उन्होंने कहा कि वह कई बार शवों को बरामद करने के लिए गहरे पानी में भी उतर गई थी। मुझे याद नहीं है कि बाढ़ के दौरान मैंने कितने शव निकाले।
देश के आतंकवाद प्रभावित राज्यों में कार्य करने की इच्छा जताते हुए साना ने कहा कि वैश्विक आतंकवाद ने सामाजिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, जिससे अवसाद में वृद्धि हुई हैं और लोग आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं।
साना ने देश के सभी राज्यों में युवाओं को अवसाद के प्रति शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। पेशे से कॉर्पोरेट ट्रेनर और मनोविज्ञान में  एमएससी साना इकबाल अपने गृह राज्य तेलंगाना से 23 नवम्बर 2015 को सफेद रॉयल एनफील्ड  से भारत यात्रा पर निकली थी। भारत के 28 राज्यों की यात्रा करने के उपरांत वह जम्मू पहुंची।
अपने व्याख्यान में वह अपनी व्यक्तिगत भावनाओं और अनुभवों के साथ युवाओं को अवसाद और आत्महत्या के कारणों के बारे में जागरूक करती है। उन्होंने कहा कि युवाओं का मन अपरिपक्व होने के कारण वे बड़े लोगों की तुलना में अच्छी तरह से आत्मसात कर सकते हैं और समाज में परिवर्तन ला सकते हैं।
इस अभियान में सरकारी सहायता के संबंध में प्रश्न किए जाने पर साना ने कहा किउनके सभी प्रयास स्वयं के धन से होते हैं। मैं किसी पुरस्कार की इच्छा के बिना अच्छा काम करने का प्रयास कर रही हूं। अगर सरकार इस कार्य में मेरा समर्थन करती है, तो मैं मदद लेने के खिलाफ भी नहीं हूँ।
अपने पुत्र के पहले जन्मदिन पर वह 12 जून को अपने घर हैदराबाद वापस पहुंच रही हैं।

इंडोर स्टेडियम की मंजूरी में भी भेदभाव

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। कठुआ में बहुप्रचारित इंडोर स्टेडियम की मंजूरी देने में देरी से खिन्न भाजपा विधायक ने इस संबंध में जारी प्रक्रिया में देरी का आरोप लगाते हुए गठबंधन सरकार के लिए एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
भाजपा विधायक ने इस मुद्दे को राज्य विधानसभा में उठाया। उन्होंने अपने वादे को पूरा करने में सरकार की विफलता और पिछले सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दिए गए निर्देशों की अनदेखी किए जाने को लेकर अपने साथी विधायकों के साथ सदन से वाकआऊट किया।
भाजपा विधायक ने कहा कि गत वर्ष जिला विकास बोर्ड की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद द्वारा आश्वासन दिया गया था कि कठुआ में स्टेडियम का निर्माण किया जाएगा लेकिन बाद में एक और समीक्षा बैठक में एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि स्टेडियम का निर्माण  बिलावर में किया जाएगा।
इंडोर स्टेडियम के बिलावर स्थानांतरण पर सवाल उठाते हुए विधायक ने कहा कि कठुआ की आबादी बिलावर से ज्यादा है और स्टेडियम बिलावर स्थानांतरित किए जाने का कोई औचित्य नहीं है। अन्य भाजपा विधायकों ने भी यह कहकर भेदभाव का आरोप लगाया कि कुल आवंटित 12 इंडोर स्टेडियमों में से जम्मू को सिर्फ तीन, कश्मीर के लिए सात और लद्दाख के लिए दो की मंजूरी दी गई है। सूत्रों के अनुसार कठुआ के लिए मंजूर किया गया इंडोर स्टेडियम बिलावर स्थानांतरित किए जाने से कठुआ विधानसभा क्षेत्र के लोगों में गहरा रोष है। स्थानीय विधायक द्वारा पिछले दो वर्षों के दौरान जिला विकास बौर्ड की बैठक समेत सभी प्रशासनिक बैठकों और पार्टी के सभी मंचों पर कड़ा विरोध किया गया है।
भाजपा विधायक ने कठुआ में इंडोर स्टेडियम के निर्माण की अपनी मांग को न्यायोचित ठहराते हुए कहा कि केन्द्र में स्थित एक जगह और जिला मुख्यालय पर इंडोर स्टेडियम का निर्माण करने के बजाए इसका निर्माण ग्रामीण क्षेत्र या एक तहसील मुख्यालय में सिर्फ इसलिए नहीं किया जा सकता कि वह उप मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में पड़ता है।
अपने निर्वाचन क्षेत्र में इंडोर स्टेडियम की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे भाजपा विधायक ने अपनी मांग को न्यायोचित ठहराते हुए यह स्पष्ट किया कि किसी भी वरिष्ठ मंत्री को ज़ुल्म करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और वह इस लड़ाई को सार्वजनिक रूप से लड़ेंगे।
भाजपा विधायक ने कहा कि वह पार्टी या सरकार में बैठे किसी भी प्रभावशाली को अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के अधिकारों को हड़पने नहीं देंगे और इसके लिए हरसंभव लड़ाई लडेंगे।

पर्यावरण संरक्षण को समर्पित निलांबर डोगरा

-प्रशांत भारद्वाज
पर्यावरण संरक्षण के नाम पर जहां एक ओर सरकारी अधिकारी वातानुकुलित कमरों में बैठकों के आयोजन पर प्रतिवर्ष करोड़ों रूपए खर्च कर देते हैं, लेकिन उनका परिणाम शून्य ही रहता है। वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे स्वयंसेवी भी है जो पर्यावरण संरक्षण के कार्य में नि:स्वार्थ भाव से तन-मन-धन से इस आस से जुटे है कि आने वाली संतानों को शुद्ध पर्यावरण मिले। ऐसे ही एक नि:स्वार्थी पर्यावरण कार्यकत्र्ता हैं केहली मंडी सांबा के निवासी निलांबर डोगरा।    
निलांबर डोगरा ने बताया कि वर्ष 1989 में कॉलेज जीवन के दौरान एनएसएस शिविर में काम करने के बाद पर्यावरण संरक्षण की ऐसी लगन लगी कि इसे अपनी दिनचर्या का अंग ही बना लिया। छात्र जीवन में झीड़ी, काना चक्क आदि स्थानों पर वृक्षारोपण का कार्य किया। गत 25 वर्षों के दौरान हर वर्ष हजारों वृक्ष लगाए और जहां तक संभव हो सका उनका पालन-पोषण भी किया। इस समयकाल में सांबा, कठुआ और जम्मू जिले के विभिन्न स्कूलों में जाकर बच्चों को पर्यारण संरक्षण के प्रति प्रेरित करने के प्रयास किए। इसके साथ ही इन स्थानों के शिक्षा संस्थानों और पंचायत घरों में वृक्षारोपण किया। उन्होंने कहा कि अब मेरा प्रयास है कि उन सभी स्कूलों तक एक बार फिर से पहुंचु जहां कई वर्ष पूर्व वृक्षारोपण किया था, ताकि उन वृक्षों को देख सकूं। आने वाली  पीढ़ी के लिए स्वच्छ पर्यावरण विकसित करने की कोशिश के तहत बरसात के मौसम में करीब 10000 पौधों का रोपण और वितरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पहले स्वयं के धन से पौधे खरीदते थे अब सोशल फारेस्ट्री से पौधें लेकर उनका वितरण करते हैं। डोगरा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से एक नया अभियान 'पेड़ लगाओ, बेटी बचाओ-अपनों का भविष्य उज्जवल बनाओ' प्रारम्भ किया है। इस अभियान के अंतर्गत जिन घरों में एक बेटी होती है, उस बेटी के द्वारा गांव में वृक्षारोपण की शुरूआत करवाते हैं। डोगरा का कहना है कि हर स्थान पर विकास ने वृक्षों की बलि ली है। इसलिए हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि हम हर वर्ष कम से कम एक वृक्ष तो अवश्य लगाए।
अपने पर्यावरण संरक्षण अभियान के तहत उन्होंने अब ऊर्जा संरक्षण की ओर भी कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने सांबा जिले के पिछड़े गांव रेओर को गोद लिया है। इस अभियान के अंतर्गत गांव के 70 घरों में ऊर्जा संरक्षण के लिए एलइडी लाइटें लगवाई हैं। अब गांव के हर घर में वृक्षारोपण किया जा रहा है। इसके साथ ही विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से इस गांव के विकास की योजना तैयार की गई है। डोगरा ने कहा कि पहले सांबा जिले में फिर पूरे राज्य में ऊर्जा संरक्षण कार्यक्रम को पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।  
पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ निलांबर डोगरा ने एक और महत्वपूर्ण कार्य किया हैं, जिसे अनोखे अभियान का नाम दिया जा सकता है। उन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की खोज में 7-8 वर्ष तक देश के विभिन्न राज्यों की यात्रा की। इस कठीन कार्य के लिए वह घर में अपने वृद्ध माता-पिता को छोड़कर निकल पड़े थे। इस दौरान उन्होंने गुमनामी का जीवन व्यतीत कर रहे १५ स्वतंत्रता सेेनानियों को खोज निकाला। नेताजी सुभाष चंद्र बोस विचार मंच का गठन कर पहला कार्यक्रम कैहली मंडी, सांबा में आयोजित कर इन स्वतंत्रता सेेनानियों को सम्मानित किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस विचार मंच के बैनर तले पहले हर वर्ष नेताजी के जन्मदिवस पर स्कूलों में वृक्षारोपण किया जाता था। अब शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि देशभक्तों के जन्मदिवस के अवसर पर सांबा जिले की सभी तहसीलों के स्कूलों में वृक्षारोपण अभियान आयोजित किए जाते हैं।  निलांबर डोगरा ने दो बार सांबा से शुरू कर पंजाब और हिमाचल प्रदेश तक सदभावना यात्रा का आयोजन किया है। इस यात्रा के दौरान पर्यावरण जागरूकता संबंधी साहित्य का वितरण कर जनता को जागरूक करने का प्रयास किया गया।
डोगरा एक मान्यता प्राप्त रक्तदाता भी है। 1989 में पहली बार रक्तदान करने के बाद से वह 32 बार रक्तदान कर चुके हैं। एक बार तो वह रक्तदान करने के लिए दिल्ली तक जा पहुंचे थे।
एक प्रश्न के उत्तर में डोगरा ने कहा कि एक जुनून में यह कार्य शुरू किया था। जो व्यक्ति अपनों का समय एवं धन लेकर समाज सुधार का कार्य करता है, वहीं सही अर्थों में समाज सेवक होता है। उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य जन-जन तक पर्यावरण संरक्षण का संदेश पहुंचाना है। उन्होंने राज्य विशेषरूप से जम्मू संभाग में तालाबों के विनाश पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जनता से शेष बचे तालाबों का संरक्षण करने का आग्रह किया। डोगरा ने युवाओं से पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आने की अपील की, ताकि आने वाली पीढ़ीयां प्रदूषण मुक्त वातावरण में श्वांस ले सकें।

पार्किंग स्थलों के अभाव से गंभीर हो रही ट्रैफिक समस्या

दीपाक्षर टाइम्स संवादाता
जम्मू। सड़कों पर दिन-प्रतिदिन बढ़ती वाहनों की संख्या और पार्किंग स्थलों की कमी के कारण शहर में ट्रैफिक समस्या धीरे-धीरे गंभीर रूप लेती जा रही है।
सड़कों के किनारे पर की गई अवैध पार्किंग के कारण न केवल समस्याएं उत्पन्न हो रही है, बल्कि ट्रैफिक जाम होने का भी यह प्रमुख कारण है। रजिडेंसी रोड़, जैन बाजार, पंजतिर्थी, गुम्मट चौक, परेड, शालामार, पुरानी मंडी, कनक मंडी, रघुनाथ बाजार, बीसी रोड़, हाईकोर्ट रोड़, गांधी नगर और कनाल रोड़ आदि क्षेत्रों में खुलेआम की जा रही अवैध पार्किंग के चलते ही ट्रैफिक जाम की समस्या बनी रहती है। यहां तक कि फायर ब्रिगेड एवं एम्बुलेंस जैसे वाहनों को निकलने में काफी परेशानी होती है। उचित प्रबंधन एवं कर्मचारियों की कमी के कारण ट्रैफिक पुलिस विभाग शहर की ट्रैफिक समस्या से निपटने में विफल साबित हो रहा है।
पूर्ववती राज्य सरकारों के उदासीन रवैये और नौकरशाही की लापरवाही के कारण शहर के लिए प्रस्तावित सभी बहुमंजिला पर्किंग स्थल अभी कागजों में ही सिमटे हैं। इसलिए नये वाहनों की तादाद में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के चलते लोग अपने वाहन पहले से ही सिकुड़ रही सड़कों के किनारे लगाकर ट्रैफिक समस्या को और बढ़ा रहे हैं। पुराने शहर में पार्किंग समस्या के कारण सड़कों के किनारे खड़े वाहनों से ट्रैफिक संचालन में काफी कठिनाईयां आ रही है।
परिवहन विभाग के अधिकारी स्वीकार करते हैं कि जम्मू-कश्मीर में ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसकी मदद से किसी व्यक्ति को यह प्रमाण देने को कहा जाए कि वाहन खरीदने से पूर्व उसके पास वाहन पार्क करने का स्थान है या नहीं। उनका कहना है कि जम्मू की सड़कों पर हर माह करीब 4000 नये वाहन जुड़ते हैं। सिर्फ वर्ष 2014 में ही करीब 40,000 वाहन जम्मू में पंजिकृत किए गए। परिवहन विभाग जम्मू में प्रतिदिन करीब 140 नये वाहनों का पंजिकरण किया जाता है। केवल जम्मू संभाग में ही लगभग 7 लाख पंजिकृत वाहन है, जिनमें से करीब 6 लाख तो सिर्फ जम्मू जिले में ही है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हमने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वर्तमान कानून में यह संशोधन किया जाए कि वाहन खरीदने के इच्छुक व्यक्ति से मजिस्ट्रेट द्वारा सत्यापित यह प्रमाण प्रस्तुत करना अनिवार्य किया जाए कि उसके पास वाहन पार्क करने के लिए स्थान है या नहीं। शहर में नये पार्किंग स्थल बनाए जाने की चर्चा तो गत काफी वर्षों से चल रही है, लेकिन ये परियोजनाएं कागजों से निकलकर कब अस्तित्व में आएंगी अभी यह कहना बहुत ही मुश्किल है। संबंधित अधिकारियों के रूची ना दिखाने के कारण अभी जम्मूवासी ट्रैफिक समस्या से परेशान होने को विवश हो रहे हैं। इन परियोजनाओं में सबसे महत्वाकांक्षी वर्तमान बस स्टैंड में बनने वाली बहुमंजिला पार्किंग परियोजना है। यह परियोजना 200 करोड़ रूपए की लागत से पूर्ण की जानी है। इस मल्टी फलोर पार्किंग में 1300 कारों, 80 बसों को पार्क करने की सुविधा के साथ एक टैक्सी स्टैंड भी होगा।
इसके अतिरिक्त एयर-कंडीशनड टिकट बुकिंग ऑफिस,  वेटिंग हाल के साथ कामर्शियल काम्पलेक्स,रेस्टोरेंट, जन-सुविधाओं का निर्माण भी किया जाएगा। जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) द्वारा तैयार की गई परियोजना के अनुसार मल्टी फलोर पार्किंग के साथ शापिंग प्लॉजा का भी निर्माण किया जाएगा। इसी प्रकार के बहुमंजिला पार्किंग स्थलों का निर्माण सुपर बाजार, परेड, पंजतिर्थी और शालामार में भी किया जाना है। इसके साथ ही महाराजा हरि सिंह पार्क के सामने वन भवन के निकट 233 कारों के लिए पार्किंग स्थल विकसित किया जाना है।
गौरतलब है कि शहरी ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उददेश्य से 40 वर्ष पूर्व जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) का गठन किया गया था। जेडीए अभी तक सिर्फ 1700 वाहनों की पार्किंग के लिए ही शहर में स्थान उपलब्ध करवा पाया है। जेडीए परियोजनाओं के लिए भूमि चिंहित करने में विफल साबित हो रहा है। बस स्टैंड और पंजतिर्थी में बनने वाली बहुमंजिला पार्किंग परियोजनाएं भी निर्धारित समय से काफी पीछे सिर्फ कागजों में ही चल रही है। लंबी अवधि की योजनाओं के अभाव में जेडीए और जम्मू नगर निगम अतिरिक्त स्थान तैयार करने में विफल हो रहे हैं, तो कुछ परियोजनाएं धन की कमी के कारण साकार नहीं हो पा रही है।

मंदी से प्रभावित व्यापारी भविष्य को लेकर चिंतित

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। वैश्विक मंदी और विकास योजनाओं की कमी के कारण जम्मू शहर की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो रहा है। शहर में विभिन्न स्थानों पर बहुमंजिला व्यावसायिक प्रतिष्ठान मंदी के कारण छोटी दुकानों में सिकुड़ गए हैं और कुछ तो बंद भी हो गए हैं।
जम्मू शहर की अर्थव्यवस्था को,जो ज्यादातर माता वैष्णो देवी तीर्थयात्रा और वेयर हाऊस एवं कनक मंडी से राज्य के अन्य हिस्सों के लिए आवश्यक उत्पादों की थोक आपूर्ति पर निर्भर करती है,इन दिनों गंभीर मंदी का सामना करना पड़ रहा है।
व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने 'दीपाक्षर टाइम्स ' से कहा कि कश्मीर के व्यापारी अब देश के अन्य हिस्सों से सीधे माल मंगवाने लगे हैं। दालों की बढ़ती कीमतों के कारण गत दो वर्ष से वेयर हाऊस के व्यापार में  20 प्रतिशत की कमी आई हैं।  उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू की अर्थव्यवस्था के प्रति गंभीर दिखाई नहीं देती है। शहर के अधिकांश व्यापारिक केन्द्रों में विभिन्न समस्याओं के कारण व्यापारी परेशान हो रहे हैं। यहां तक कि व्यापारिक गतिविधियों के प्रमुख केन्द्र वेयर हाऊस जैसे बाजार में कई वर्षों से सड़कों की मरम्मत तक नहीं करवाई गई हैं। नरवाल मंडी में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है।  
मंदी और सरकार के उदासीन रवैये के कारण शहर के अधिकांश बाजार  सुनसान नजऱ आते हैं। मंदी के चलते कई बड़े व्यापारिक घरानों और व्यापारियों ने प्रमुख स्थानों और शहर के शॉपिंग मॉल में अपनी किराए की दुकानों को खाली कर दिया है।
शहर में रेडीमेड कपड़ों के बड़े व्यापारियों में से एक युगल संस ने जम्मू शहर के पहले मॉल सिटी स्क्वायर में स्थित अपने शोरूम को बंद कर दिया है। मॉल की दो मंजिलों को लोगों की सुस्त प्रतिक्रिया के कारण व्यापारियों द्वारा खाली कर दिया गया है।
विशेषज्ञ मंदी के लिए कई कारणों को जिम्मेदार बताते है। उनका कहना है कि मुख्य कारण वैश्विक मंदी है, इसके अतिरिक्त ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल, भीषण गर्मी और सरकारी विकास कार्यों की कमी भी इसका कारण है।
अधिकांश व्यापारियों ने कहा कि वैश्विक मंदी भी एक कारण हो सकती है। लेकिन मुख्य कारण जम्मू के लिए विकास परियोजनाओं की कमी है। स्वीकृत परियोजनाओं में से अधिकांश को अभी तक पूरा नहीं किया गया है। यहाँ व्यापारिक समुदाय को बचाने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है और आने वाले दिनों में व्यापारियों के लिए स्थिति काफी मुश्किल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार को जम्मू के व्यापार जगत को सुरक्षित करने के लिए कोई योजना तैयार करनी चाहिए, ताकि यहां की अथव्यवस्था भी सुरक्षित रहें।
उन्होंने कहा कि जम्मू शहर में व्यापारिक गतिविधियां धीरे-धीरे थमती जा रही हैं। जम्मू के अधिकांश बाजारों में अब वो पहले वाली चमक नजर नहीं आती हैं, जो कुछ वर्ष पहले होती थी। इसका प्रमुख कारण है माता वैष्णो देवी यात्रा के आधार शिविर कटड़ा कस्बे को रेल संपर्क से जोड़ा जाना। इसके साथ ही जम्मू के निकटवर्ती धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
व्यापारियों ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के उदासीन रवैये के कारण आज जम्मू और इसके आसपास के इलाकों में कुछ भी ऐसा नहीँ है जो यात्रियों/पर्यटकों को आकर्षित कर सके। आज राज्य में आने वाले श्रद्धालु/पर्यटक सीधे माता वैष्णो देवी जाते हैं या फिर कश्मीर का रुख कर लेते हैं। वे जम्मू में नहीं रुकते, क्योंकि जम्मू मेँ पर्यटकों के आकर्षण का एकमात्र केन्द्र ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर ही एक ऐसा स्थान था जहां पर श्रद्धालु और सैलानी आकर रुकते और दर्शन करते हैं। शहर के निकटवर्ती पर्यटन स्थलों तक पहुंचने की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है। शहर में पार्किंग स्थलों जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी एक प्रमुख कारण है, जिसके कारण पर्यटक अब शहर में ना आकर ट्रेन से या अन्य वाहनों से सीधे माता वैष्णो देवी या शहर के बाहर से ही श्रीनगर चले जाते हैं। इसी प्रकार कश्मीर में आने वाले पर्यटक भी जम्मू में दाखिल  हुए बिना बाहर से ही अपने गंतव्य की ओर चले जाते हैं। इस कारण गत दो-तीन वर्षोँ से जम्मू आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आई हैं। जिसके परिणामस्वरूप पर्यटकों/श्रद्धालुओं पर आश्रित शहर के व्यापारी व होटल मालिक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। जिसका प्रभाव शहर के प्रत्येक नागरिक पर पड़ रहा है। अगर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कुछ प्रभावी उपाय शीघ्र नहीं किए गए तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
उन्होंने कहा कि  राज्य सरकार को जम्मू की ओर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। जम्मू के लिए प्रस्तावित विकास योजनाएं वर्षों से लंबित पड़ी हुई हैं। अगर इन परियोजनाओं को शीघ्र प्रारम्भ करवाकर युद्धस्तर पर निर्धारित समय में पूर्ण करवाया जाए, तब ही पर्यटकों को आकर्षित करने के सफल प्रयास किए जा सकते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार को कुल राजस्व का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा जम्मू संभाग विशेषरूप से जम्मू द्वारा दिए जाने के बावजूद पूर्ववर्ती सरकारों ने विकास के क्षेत्र में जम्मू की पूर्णतया अनदेखी की।
हैरानी की बात यह है कि पर्यटकों

को जम्मू की ओर आकर्षित करने के जिन विकास परियोजना की ओर व्यापारिक समुदाय की उम्मीदें टिकी थी, उनके लिए हाल ही में सरकार ने स्वीकार किया है कि इन परियोजनाओं के आगामी २ वर्षों तक पूर्ण होने की संभावना नहीं हैं।

पहलवान दी हट्टी - कामयाबी का मूलमंत्र : सफाई, सच्चाई एवं इमानदारी


दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। वर्ष 1934 में अनंत राम जी अबरोल ने पीर मि_ा,जम्मू में जिस दुकान 'पहलवान दी हट्टी' की शुरूआत की थी वह आज ना सिर्फ उत्तर भारत बल्कि  विदेशों में भी एक विश्वसनीय ब्रांडनेम के रूप में लोकप्रिय हो चुकी है।
अनंत राम जी अबरोल ने इस कार्य में सिद्धहस्त होने से पूर्व वर्ष 1920 से 1934 तक लाहौर में उस्ताद मनीराम जी पहलवान से हलवाई के कार्य का पूरा प्रशिक्षण प्राप्त किया। 14 वर्ष तक बिना वेतन काम करने के उपरांत वह मात्र 14 रूपए लेकर जम्मू आए और यहां अपनी दुकान अपने उस्ताद के नाम पर 'पहलवान दी हट्टी' प्रारम्भ की। उस समय 8-10 फुट चौड़े ढक्की शिराजा बाजार में अधिकांश दुकानों पर सर्राफ चांदी का काम करते थे।
उन्होंने सफाई, सच्चाई एवं इमानदारी के मूलमंत्र के साथ धीरे-धीरे अपना काम बढ़ाना शुरू किया। पहले वह दूध, दही, पकौड़े की बिक्री करते थे, फिर उन्होंने रबड़ी, बर्फी बनानी शुरू की। उनके उत्पादों का स्वाद जम्मूवासियों को अपना मुरीद बनाने लगा था। हमेशा सफेद कपड़े धारण करने वाले अनंत राम जी इतने सफाई पसंद थे कि कोयले की भट्टी पर काम करने के बावजूद अपने कपड़ों पर दाग तक नहीं लगने देते थे। उनकी सच्चाई और इमानदारी के प्रशंसकों में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मोदी भी शामिल थे। अनंत राम जी दूध की जांच करने में भी इतने माहिर थे कि उनकी एक आवाज पर संबंधित विभाग शहर में आने वाला मिलावटी दूध सड़कों पर बहा देता था। वर्ष 1952 में सदर-ए-रियासत डॉ.कर्ण सिंह एवं राज्य के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने  'पहलवान दी हट्टी' को सफाई के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया था।
धीरे-धीरेे 'पहलवान दी हट्टी' पर बुग्गा, कलाकंद, पनीर की जलेबी आदि की बिक्री होने लगी। इसके बाद विभिन्न प्रकार की मिठाइयां तैयार की जाने लगी।
अनंत राम जी के भाई लाला बैसाखी राम जी के 5 पुत्र हैे, जिनमें से 4 पुत्र 1974 से कारोबार में हाथ बंटाने लगे। वर्ष 1975 में लाला बैसाखी राम जी का निधन हो गया। 1985 में अनंत राम जी का निधन होने के उपरांत उनके भाई के पुत्रों ने काम संभाल लिया, लेकिन उन्होंने सफाई, सच्चाई एवं इमानदारी के मूलमंत्र की परंपरा को आज तक बरकरार रखा है। वर्तमान में 1945 में जन्म लेने वाले यशपाल अबरोल जी सारा काम देख रहे हैं। इस कार्य में उनके परिवार के अन्य सदस्य हाथ बंटा रहे हैं। वर्तमान में 'पहलवान दी हट्टी' की मुख्य ब्रांच के अतिरिक्त शहर के मुख्य स्थानों पर में भी ब्रांचें चल रही है।
'पहलवान दी हट्टी' के उत्पाद देश-विदेश में काफी लोकप्रिय है। इनकी स्वादिष्ट सूंड ने तो लोकप्रियता की सारी सीमाएं लांघ दी है। दिल्ली जैसे स्थानों पर लोग जम्मू से आने वाले अपने मित्रों से सूंड जरूर लाने की फरमाइश करते हैं।
यशपाल अबरोल ने बताया कि आज भी हमने स्व.अनंत राम जी द्वारा स्थापित परंपराओं और मूल मंत्र को बरकरार रखा है। ह
मारा प्रयास होता है कि हमारे यहां आने वाला प्रत्येक ग्राहक हमारी सेवाओं और उत्पादों की गुणवत्ता से पूरी तरह से संतुष्ट होकर जाएं।

कृत्रिम झील, जम्मू रोपवे अभी दूर का सपना

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। जम्मू की दो प्रतिष्ठित परियोजनाओं को शीघ्र पूर्ण करने के संबंध में अनेक बयान देने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार ने आखिरकार स्वीकार किया कि कृत्रिम झील और जम्मू रोपवे कम से कम और दो वर्ष तक पूर्ण नहीं हो पाएंगे। इससे  स्वतंत्र पर्यटन स्थल के रूप में शीतकालीन राजधानी को बढ़ावा देने के लिए इन परियोजनाओं के उपयोग की योजना को जोर का झटका लगा है।
इस बात की जानकारी जम्मू के लिए बेहद महत्वपूर्ण इन दोनों परियोजनाओं के निष्पादन में अपनाए जा रहे रवैये से चिंतित जम्मू पश्चिम से भाजपा विधायक सतपाल शर्मा के प्रश्न के उत्तर में विधानसभा में पर्यटन मंत्री ने दी।
'डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ आटो मैक्निकल आपरेटेड गैटेड बैराज' नामक परियोजना के अंतर्गत कई वर्ष पूर्व 70 करोड़ रूपए की लागत से 'कृत्रिम झील' के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। हालांकि इस परियोजना पर 31 मार्च 2016 तक 57.35 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा चुकी है।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि 13वें वित्त आयोग के अंतर्गत केन्द्रीय अनुदान की अनुपलब्धता और वर्ष 2013 एवं 2014 में आई बाढ़ के कारण परियोजना में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए तीसरी किश्त के रूप में 6.25 करोड़ रूपए जारी करने हेतु सिफारिश की थी कि यह मामला वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को भेजा जाए। हालांकि मंत्रालय द्वारा कोई पैसा जारी नहीं किया गया।
शुरूआत में इस परियोजना के पूर्ण होने का समय दो वर्ष था लेकिन अब परियोजना के पूर्ण होने की संशोधित या प्रस्तावित तिथि 31 मार्च 2017 है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि केन्द्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से तीसरी किश्त समय पर जारी न होने का तथ्य जानने के बावजूद राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से धन का प्रबंध करने के कोई प्रयास नहीं किए, ताकि कृत्रिम झील परियोजना के लंबित कार्य में गति सुनिश्चित की जा सकें।  
हालांकि, उपरोक्त उत्तर में उन 13 प्रमुख नालों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई, जिनका गंदा पानी अभी भी तवी नदी में डाला जा रहा हैं। ये नाले  प्रदूषण का स्रोत होने के अलावा असलियत में जम्मू में कृत्रिम झील बनाने की राह में प्रमुख रूकावट बन रहे हैं। हालांकि अगर धन जारी हो तो सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग तवी नदी पर यंत्रवत् संचालित गेटेड बांध बनाने का लक्ष्य पूरा कर सकता हैं। लेकिन इस परियोजना के अंतर्गत 'कृत्रिम झील का निर्माण' पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। यहां तक कि नालों का रूख मोडऩे के लिए आवश्यक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी आज तक तैयार नहीं की गई है। जम्मू रोपवे परियोजना के संबंध में कहा गया कि इस परियोजना के क्रियान्वयन में लोअर टर्मिनल प्वाइंट और अपर टर्मिनल प्वाइंट पर भूमि के अधिग्रहण में तथा वन्यजीव बोर्ड  के अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी में ज्यादा समय लगने के चलते देरी हुई है। अब यह दावा किया गया है कि इस परियोजना पर काम चल रहा है और अगले दो साल के भीतर पूर्ण कर लिया जाएगा। परियोजना पर टालमटोल वाला रवैया अपनाए जाने के कारण मैसर्स राईटस (आरआईटीइएस)द्वारा अनुमानित 43.83 करोड़ रूपए की लागत अब बढ़ कर  62.02 करोड़ रुपये हो गई है। सबसे बड़ा प्रश्न अब यह है कि क्या परियोजना की लागत अब और नहीं बढ़ेगी? इस प्रकार से दोनों परियोजनाओं के कम से कम दो साल तक पूर्ण होने की संभावना नहीं हैं। यहां तक कि रघुनाथ बाजार जम्मू के नवीकरण/ आधुनिकीकरण का कार्य पूरा होने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है। पर्यटन मंत्री का कहना है कि काम अंतिम चरण में है और शीघ्र ही पूर्ण किया जा रहा है। जहां तक अखनूर में सुम्हा क्षेत्र के विकास का संबंध है, मंत्री ने कहा यह परियोजना इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएगी। लेकिन इसे इस समय सीमा में कैसे पूरा किया जाएगा जबकि जल स्त्रोत, इस्पात पुल और पार्क पर काम अभी पूरा किया जाना है। यहाँ तक कि पर्यटन विभाग ने खुद स्वीकार किया है कि 4.71 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना पर आज तक केवल 2.80 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

कल्याण फिर प्रधान निर्वाचित

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। शेख मोहम्मद कल्याण एक बार पुन:युवा हिन्दी लेखक संघ के प्रधान पद पर निर्वाचित हुए हैं।
युवा हिन्दी लेखक संघ के वार्षिक चुनाव की संयोजक डॉ.परविंदर कौर की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए। इस अवसर पर डॉ.वंदना शर्मा के अनुमोदन पर शेख मोहम्मद कल्याण को एक बार पुन: प्रधान पद के लिए चुन लिया गया। रवीन्द्र के अनुमोदन पर उप प्रधान का कार्यभार सुश्री मुकेश कुमारी को सौंपा गया। इसके अतिरिक्त मंत्री पद के लिए डॉ.वंदना शर्मा, सहमन्त्री के लिए रवि कुमार और उपमंत्री के लिए वंदना शर्मा तथा कोषाध्यक्ष के लिए सर्वसम्मति से अरविंद शर्मा को चुन लिया गया। प्रधान शेख मोहम्मद कल्याण ने कार्यकारिणी के सदस्यों के रूप में जिनमें वंदना ठाकुर, भगवती देवी, रजनी कुमारी, ज्योति शर्मा, किशोर कुमार तथा रविंदर कुमार के नाम घाषित किए। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में पूरे वर्ष के कार्यक्रमों के लिए जल्द ही एक सूची बनाइ जाएगी।
संयोजक डॉ.परविंदर कौर ने चुनाव में भाग लेने के लिए सभी का धन्यवाद करते हुए उम्मीद जताई कि अब शहर में आने वाले दिनों में युहिले की ओर से स्तरीय कार्यक्रम आयोजित होंगे।

ट्रैफिक पुलिस वाहनों के सुचारू संचालन को नजरअंदाज कर चालानों का टारगेट पूरा करने में व्यस्त

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। मंदिरों की नगरी में अनियंत्रित वाहनों के कारण ट्रैफिक समस्या दिन-दिनों गंभीर होती जा रही है। लेकिन इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस शहर की सड़कों पर यातायात का सुचारू संचालन करनेे के स्थान पर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों के चालान काटने पर ही ज्यादा ध्यान दे रही लगती है।
जम्मू शहर में लगभग हर चौक, जहां ट्रैफिक लाइट है या नहीं, अक्सर वाहनों का जाम लगा होता है। यहां तक कि व्यस्त बिक्रम चौक पर भी, जहां यातायात के बिना रूकावट के संचालन के लिए ट्रैफिक लाइट स्थापित की गई है, अभी भी सबसे खराब ट्रैफिक अराजकता का सामना करना पड़ रहा है । प्राइवेट मेटाडोरों द्वारा बीच सड़क पर वाहन रोक कर यात्रियों को बैठाने से अन्य वाहनों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
लोगों का कहना है कि ट्रैफिक के सुचारू संचालन के लिए यहां कई ट्रैफिक पुलिस कर्मी तैनात किए जाने के बाद भी अक्सर जाम लगते हैं। ट्रैफिक कर्मी चालान काटने में व्यस्त रहते हैं और वहां जारी फ्लाईओवर परियोजना के कारण निकलने की पर्याप्त जगह ना होने से वाहनों की लंबी कतार लग जाती हैं।
जम्मू शहर के व्यस्त मार्गों में से एक ज्वैल-तालाब तिल्लो सड़क पर भी ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ रहा है। ट्रैफिक कर्मियों के होने के बावजूद  यहां नियमित रूप से जाम लगना अब रोज की बात हो गई है। ट्रैफिक पुलिस कर्मी सड़क किनारे खड़े होकर चालान काटते हैं, जिसके परिणामस्वरूप घंटों तक लंबे जाम लगे रहते हैं। ट्रैफिक पुलिस इस सड़क पर मिनी बसों की आवाजाही को कोई उचित व्यवस्था करने में पूरी तरह से विफल साबित हो रही है। हालांकि कई स्थानों पर ट्रैफिक लाईटें लगा दी गई है, लेकिन अधिकांश समय वे बंद ही रहती हैं। सतवारी चौक में भी ट्रैफिक का यही हाल है। जबकि वहां ट्रैफिक लाइट भी लगी हैं और पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं। यहां  यातायात पुलिसकर्मियों की उपस्थिति में कार्य दिवसों के दौरान मिनी बसों, निजी वाहनों या दो-पहिया वाहनों की लंबी कतार देखी जा सकती है।
इसी तरह की स्थिति लास्ट मोड़ , गांधी नगर, इंदिरा चौक, बस स्टैंड जैसे शहर के अन्य इलाकों में हैं। शहर की विभिन्न सड़कों पर यह रोजमर्रा का दृश्य होता है कि चार से पांच ट्रैफिक पुलिसकर्मी  किसी दुपहिया वाहन चालक को घेर कर अपने वरिष्ठ अधिकारी के पास ले जाते हैं। वह अधिकारी ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के लिए चालान जारी करता है। लेकिन जब अधिकांश बार मिनी बसों द्वारा यातायात नियमों का उल्लंंघन किया जाता है तो ये ही ट्रैफिक  पुलिसकर्मी  मूकदर्शकों की भांति व्यवहार करते हैं। ट्रैफिक  पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर नियंत्रण रखने के लिए चालान जारी करना महत्वपूर्ण हैं। उनका कहना है कि ट्रैफिक  पुलिसकर्मी इस भीषण गर्मी में भी ट्रैफिक को सुचारू बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं, जोकि सड़कों पर हर दिन बढ़ रही वाहनों की संख्या को देखते हुए कोई आसान काम नहीं है।

व्यापार के लिए पर्यटकों को सुविधाएं मुहैया करवाना जरूरी

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू (राजेन्द्र)। व्यापार की दृष्टि से पिछड़ते जा रहे जम्मू शहर की दास्तान सुनने वाला कोई नहीं हैं।  पिछले कुछ वर्षों से शहर की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है। शहर के अधिकांश पुराने बाजार आज सूने नजर आते हैं।  होटल मालिक, व्यापारी, सब मंदी के दौर से गुजर रहे हैं।
इस मंदी से निजात दिलाने का फार्मूला ना तो सरकार के पास है और ना ही किसी व्यापारीक संगठन के बस की बात है।  शायद इसका कारण यह है कि सरकार ने इस समस्या की ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया।  कुछ वर्ष पहले जम्मू के यह बाजार हमेशा सैलानियों से भरे रहते थे परंतु आज इन बाजारो  में सैलानियों का जैसे अकाल पड़ चुका है। जम्मू के व्यापार जगत की यह हालत सरकार के गलत रवैए के कारण हुई है। कुछ पर्यटकों और यात्रियों से जब इन वाजारो तक ना पहुंचने का कारण पूछा गया तो हैरान करने वाली समस्याएं सामने आई, कुछ यात्रियों ने बताया कि जम्मू शहर में प्रवेश करना ऐसा हो गया है जैसे हम किसी दूसरे देश में जा रहे हैं।  उन्होंने बताया कि हमारी गाडिय़ों को लखनपुर से दाखिल होते ही जगह-जगह रोका जाता है।  पूछताछ के नाम पर हमसे ट्रैफिक कर्मचारी पैसे माँगते हैं और यह सिलसिला खत्म होने का नाम ही नहीं लेता। इसके बावजूद हमें शहर में घुसने नहीं दिया जाता हर जगह पर पर्ची पकड़े लोग हम से पैसे मांगते हैं। शहर में कोई पार्किंग नजर नहीं आती पूरा दिन पार्किंग की व्यवस्था करते ही निकल जाता है। शहर में आराम करने के लिए कोई स्थान नहीं मिलता इसलिए हम जम्मू शहर में प्रवेश किए बगैर ही कश्मीर या अन्य स्थानों की ओर निकल जाना चाहते हैंं। कहने को तो यह सैलानियों की बातें आम सी लगने वाली थी परंतु शहर की मंदी से देखा जाए तो यह अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारियां थी क्योंकि अगर बाजारों मे पर्यटको और यात्रियों का प्रवेश ही नहीं होगा तो फिर बाजारों का महत्व क्या रहेगा।
प्रशासन को भी इस ओर ध्यान देना होगा कि सैलानियों से शहर में बार-बार पूछताछ ना हो। अगर सैलानी राज्य में प्रवेश करते हैं तो उसके लिए लखनपुर में ही सारी पूछताछ कर ली जाए तथा उन्हें ऐसा टोकनपास  दिया जाए जो यह साबित करता हो कि इस यात्री की गाड़ी तथा उसका सामान जांचा जा चुका है। सैलानियों की सुविधा के लिए जम्मू शहर में अलग से पार्किंग व्यवस्था की जाए ताकि सैलानी आसानी से अपने वाहनों को पार्किंग कर के बाजारों में घूम सके। सैलानियों को आकर्षित करने के लिए प्रशासन को अपने उस वादे को भी पूर्ण करना होगा जिसमें जम्मू के कुछ बाजारों को हेरिटेज का दर्जा देने की बात की गई थी। अक्सर देखा गया है कि इन बाजारों में वाहनों के बड़े-बड़े जाम लगे रहते हैं जो राहगीरों के साथ-साथ सैलानियों के लिए भी परेशानी का कारण बनते हैं। इन बाजारों में जानेसे चारपहिया वाहनों को प्रतिबंधित किया जाए ताकि इन सिकुड़ते हुए बाजारों में सैलानी आसानी से खरीद-फरोख्त कर सकें।

सौतेले व्यवहार से हताश हैं हरि मार्केट के व्यापारी

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। हरि मार्केट के व्यापारी राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे सौतेले व्यवहार और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उनकी जायज समस्याओं की अनदेखी  किए जाने से हताश हैं। हरि मार्केट को ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर का प्रवेश द्वार कहा जा सकता है। इस बाजार में करीब 45 दुकानें हैं।
हरि मार्केट ट्रैडर्स एसोसिएशन के प्रधान राजेश रैणा का कहना है कि हरि मार्केट के साथ राज्य सरकार एवं नागरिक प्रशासन द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। सरकार द्वारा बाजार में ना पार्किंग की व्यवस्था की गई है और ना ही स्ट्रीट लाइटों की। बाजार में जैसे ही यात्रियों या पर्यटकों का कोई वाहन आता है तो पुलिस कर्मी तुरंत वाहन हटवा देते हैं। वैसे ही मंदी का दौर है। कोई यात्री अपने वाहन में आता है तो उसे यहां आने से रोका जाता है। यात्रियों और पर्यटकों के वाहनों को बाजार में आने से रोका जाता है। यहां तक कि इंदिरा चौक से ही वाहन टर्न करवा दिया जाता है। रघुनाथ बाजार के सौंदर्यकरण पर सरकार करोड़ों रूपए खर्च कर रही है, लेकिन हमारे बाजार के विकास के लिए कोई योजना तक तैयार नहीं की गई है। यह बाजार भी वर्षों पुराना है फिर क्यों इसका विकास करवाने से परहेज किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि हरि मार्केट को भी हैरिटेज बाजार का दर्जा देकर यहां विकास कार्य करवाएं जाएं।  
एसोसिएशन के महासचिव सुमीत जैन का कहना है कि कटरा से आने वाले यात्री वाहन श्रद्धालुओं को आयुर्वेदिक अस्पताल के पास ही उतार देते हैं। हरि मार्केट तक आने के लिए आटो वाले यात्रियों से 150 रूपए तक की मांग करते हैं। जिसके परिणामस्वरूप यात्री बाजार में आने से परहेज करते हैं। माननीय सांसद ने चुनाव में विजय प्राप्त करने के बाद एक बार भी बाजार का रूख नहीं किया है। इसी प्रकार से अधिकारी भी बाजार की ज्वलंत समस्याओं के प्रति उदासीन रवैेया अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रेन कटरा जाने से ना सिर्फ हरि मार्केट बल्कि आसपास के सभी बाजारों के कामकाज पर असर पड़ा हँै। सरकार को गंभीरता से यह प्रयास करना चाहिए कि पर्यटक कम से कम एक-दो दिन जम्मू में रूके। उन्होंने मांग की कि बाजार की सभी लंबित समस्याओं को शीघ्र दूर किया जाए। स्थानीय विधायक ने पूरे क्षेत्र को हैरिटेज क्षेत्र बनाने का जो आश्वासन दिया था उसे शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए।्र
एसोसिएशन के सचिव संकुल गुप्ता ने कहा कि श्री माता वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए प्रतिदिन करीब 50000 श्रद्धालु जाते हैं, हम प्रशासन से यह ही अपील करते हैंं कि इनमें से सिर्फ 5000 श्रद्धालुओं को आसानी से बाजार क्षेत्र में आने दिया जाए, ताकि इस क्षेत्र के सहारे अपनी रोजी-रोटी चला रहे हजारों लोगों की आजीविका चलती रहे। उन्होंने कहा कि हरि मार्केट स्थित श्री रघुनाथ मंदिर का गेट मनमर्जी से खोला जाता है,अगर इस गेट को समयबद्ध तरीके से खोला जाए तो ना सिर्फ मंदिर प्रबंधन को आसानी होगी, बल्कि बाजार के व्यापारियों को भी लाभ होगा। गुप्ता ने कहा कि सरकार और प्रशासन सिर्फ रघुनाथ बाजार की ओर ही ध्यान देते हैं, जबकि आसपास के अन्य बाजारों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। हमारी समस्याएं दूर करने की किसी को चिंता नहीं है। अगर सरकार सहयोग करें तो हालात सुधर सकते हैं और जारी मंदी का असर भी कम हो सकता है। उन्होंने मांग की कि अनियमित बिजली कटौती पर तत्काल रोक लगाई जाए, ताकि होटलों में ठहरे यात्रियों को असुविधा ना हो। यात्रियों और पर्यटकों को कटरा से जम्मू तक लाने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने की जरूररत है। बाजार के सौंदर्यकरण के प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि पर्यटकों को आसानी से इस क्षेत्र की ओर आकर्षित किया जा सकें।

यात्रा के समय ही क्यों होता है माहौल खराब?

कौन हैं षडय़ंत्र का सूत्रधार? कौन बनाता है तील का ताड़?

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता

जम्मू। गत कुछ वर्षों की भांति इस वर्ष भी जैसे-जैसे वार्षिक अमरनाथ यात्रा शुरू होने का समय नजदीक आ रहा है कश्मीर वादी की फिजाओं में जहर घुलने लगा है। वादी में जहां एक तरफ देश विरोधी प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है वहीं आतंकवादी हमलों में भी तेजी आई है। हर वर्ष गर्मियों को और गर्म करने की साजिशें रची जाती है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उभरता है कि हर बार यही मौसम और समय क्यों?  
कश्मीर वादी से उठती चिंता की लपटों ने बड़ी उम्मीदों से वार्षिक अमरनाथ यात्रा का इंतजार करते जम्मू संभाग के व्यापार जगत को एक बार फिर आशंकीत कर दिया है।
जम्मू के व्यापारियों का कहना है कि एक तो पहले से ही मंदी का दौर है और अगर कश्मीर में वर्तमान स्थिति जारी रही तो अमरनाथ यात्रा भी प्रभावित होगी। जिससे हमारी स्थिति और खराब होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि अभी यह हालत है कि कई बाजारों में तो व्यापारी सुबह से देर शाम तक एक पैसा तक नहीं कमा पा रहे हैं। जिसके कारण बैंकों की किश्तें चुकाना तो बहुत दूर की बात है,रोज का खर्च निकालना भी काफी मुश्किल हो रहा है।  
उन्होंने कहा कि यह सिलसिला वर्ष 2008 से शुरू हुआ और अभी तक जारी है। वर्ष 2010 में घाटी में इसी मौसम के दौरान 100 से अधिक लोगों की मौत हुई। इस बार अलगाववादियों ने कशमीरी पंडितों क ो घाटी में बसाने का मुद्दा अपना हथियार बनाया है। ये लोग हर बार किसी ना किसी बात का बतंगड बना कर पूरा माहौल तो खराब करते ही है, व्यापार भी चौपट कर देते हैं।
कश्मीर में गत कुछ दिनों के दौरान सुरक्षा बलों और पुलिसकर्मियों पर हो रहे तोबड़तोड़ आतंकवादी हमलों पर पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर हमले न रूके तो राज्य में पर्यटन पर आतंकवाद की काली परछाई एक बार फिर छा जाएगी।
इन हमलों ने पर्यटकों के लिए खतरा पैदा कर दिया है इससे भी कोई इंकार नहीं करता है। पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोग मानते हैं कि हमलों की खबर मिलने के बाद राज्य में आने की योजना बनाए बैठे पर्यटकों और श्रद्धालुओं में अफरातफरी और दहशत का माहौल है। ऐसे में टूरिज्म से जुड़े लोगों को चिंता इस बात की है कि कहीं हमलों में तेजी न आए और अगर ऐसा हुआ तो इस बार के टूरिस्ट सीजन का बंटाधार तय है। जो पहले ही विभिन्न विवादों के कारण हिचकोले खा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि केन्द्र एवं राज्य सरकार को स्थिति में सुधार के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने चाहिए।