बुधवार, जून 15, 2016

पहलवान दी हट्टी - कामयाबी का मूलमंत्र : सफाई, सच्चाई एवं इमानदारी


दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। वर्ष 1934 में अनंत राम जी अबरोल ने पीर मि_ा,जम्मू में जिस दुकान 'पहलवान दी हट्टी' की शुरूआत की थी वह आज ना सिर्फ उत्तर भारत बल्कि  विदेशों में भी एक विश्वसनीय ब्रांडनेम के रूप में लोकप्रिय हो चुकी है।
अनंत राम जी अबरोल ने इस कार्य में सिद्धहस्त होने से पूर्व वर्ष 1920 से 1934 तक लाहौर में उस्ताद मनीराम जी पहलवान से हलवाई के कार्य का पूरा प्रशिक्षण प्राप्त किया। 14 वर्ष तक बिना वेतन काम करने के उपरांत वह मात्र 14 रूपए लेकर जम्मू आए और यहां अपनी दुकान अपने उस्ताद के नाम पर 'पहलवान दी हट्टी' प्रारम्भ की। उस समय 8-10 फुट चौड़े ढक्की शिराजा बाजार में अधिकांश दुकानों पर सर्राफ चांदी का काम करते थे।
उन्होंने सफाई, सच्चाई एवं इमानदारी के मूलमंत्र के साथ धीरे-धीरे अपना काम बढ़ाना शुरू किया। पहले वह दूध, दही, पकौड़े की बिक्री करते थे, फिर उन्होंने रबड़ी, बर्फी बनानी शुरू की। उनके उत्पादों का स्वाद जम्मूवासियों को अपना मुरीद बनाने लगा था। हमेशा सफेद कपड़े धारण करने वाले अनंत राम जी इतने सफाई पसंद थे कि कोयले की भट्टी पर काम करने के बावजूद अपने कपड़ों पर दाग तक नहीं लगने देते थे। उनकी सच्चाई और इमानदारी के प्रशंसकों में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मोदी भी शामिल थे। अनंत राम जी दूध की जांच करने में भी इतने माहिर थे कि उनकी एक आवाज पर संबंधित विभाग शहर में आने वाला मिलावटी दूध सड़कों पर बहा देता था। वर्ष 1952 में सदर-ए-रियासत डॉ.कर्ण सिंह एवं राज्य के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने  'पहलवान दी हट्टी' को सफाई के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया था।
धीरे-धीरेे 'पहलवान दी हट्टी' पर बुग्गा, कलाकंद, पनीर की जलेबी आदि की बिक्री होने लगी। इसके बाद विभिन्न प्रकार की मिठाइयां तैयार की जाने लगी।
अनंत राम जी के भाई लाला बैसाखी राम जी के 5 पुत्र हैे, जिनमें से 4 पुत्र 1974 से कारोबार में हाथ बंटाने लगे। वर्ष 1975 में लाला बैसाखी राम जी का निधन हो गया। 1985 में अनंत राम जी का निधन होने के उपरांत उनके भाई के पुत्रों ने काम संभाल लिया, लेकिन उन्होंने सफाई, सच्चाई एवं इमानदारी के मूलमंत्र की परंपरा को आज तक बरकरार रखा है। वर्तमान में 1945 में जन्म लेने वाले यशपाल अबरोल जी सारा काम देख रहे हैं। इस कार्य में उनके परिवार के अन्य सदस्य हाथ बंटा रहे हैं। वर्तमान में 'पहलवान दी हट्टी' की मुख्य ब्रांच के अतिरिक्त शहर के मुख्य स्थानों पर में भी ब्रांचें चल रही है।
'पहलवान दी हट्टी' के उत्पाद देश-विदेश में काफी लोकप्रिय है। इनकी स्वादिष्ट सूंड ने तो लोकप्रियता की सारी सीमाएं लांघ दी है। दिल्ली जैसे स्थानों पर लोग जम्मू से आने वाले अपने मित्रों से सूंड जरूर लाने की फरमाइश करते हैं।
यशपाल अबरोल ने बताया कि आज भी हमने स्व.अनंत राम जी द्वारा स्थापित परंपराओं और मूल मंत्र को बरकरार रखा है। ह
मारा प्रयास होता है कि हमारे यहां आने वाला प्रत्येक ग्राहक हमारी सेवाओं और उत्पादों की गुणवत्ता से पूरी तरह से संतुष्ट होकर जाएं।

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