दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। जम्मू की दो प्रतिष्ठित परियोजनाओं को शीघ्र पूर्ण करने के संबंध में अनेक बयान देने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार ने आखिरकार स्वीकार किया कि कृत्रिम झील और जम्मू रोपवे कम से कम और दो वर्ष तक पूर्ण नहीं हो पाएंगे। इससे स्वतंत्र पर्यटन स्थल के रूप में शीतकालीन राजधानी को बढ़ावा देने के लिए इन परियोजनाओं के उपयोग की योजना को जोर का झटका लगा है।
इस बात की जानकारी जम्मू के लिए बेहद महत्वपूर्ण इन दोनों परियोजनाओं के निष्पादन में अपनाए जा रहे रवैये से चिंतित जम्मू पश्चिम से भाजपा विधायक सतपाल शर्मा के प्रश्न के उत्तर में विधानसभा में पर्यटन मंत्री ने दी।
'डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ आटो मैक्निकल आपरेटेड गैटेड बैराज' नामक परियोजना के अंतर्गत कई वर्ष पूर्व 70 करोड़ रूपए की लागत से 'कृत्रिम झील' के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। हालांकि इस परियोजना पर 31 मार्च 2016 तक 57.35 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा चुकी है।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि 13वें वित्त आयोग के अंतर्गत केन्द्रीय अनुदान की अनुपलब्धता और वर्ष 2013 एवं 2014 में आई बाढ़ के कारण परियोजना में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए तीसरी किश्त के रूप में 6.25 करोड़ रूपए जारी करने हेतु सिफारिश की थी कि यह मामला वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को भेजा जाए। हालांकि मंत्रालय द्वारा कोई पैसा जारी नहीं किया गया।
शुरूआत में इस परियोजना के पूर्ण होने का समय दो वर्ष था लेकिन अब परियोजना के पूर्ण होने की संशोधित या प्रस्तावित तिथि 31 मार्च 2017 है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि केन्द्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से तीसरी किश्त समय पर जारी न होने का तथ्य जानने के बावजूद राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से धन का प्रबंध करने के कोई प्रयास नहीं किए, ताकि कृत्रिम झील परियोजना के लंबित कार्य में गति सुनिश्चित की जा सकें।
हालांकि, उपरोक्त उत्तर में उन 13 प्रमुख नालों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई, जिनका गंदा पानी अभी भी तवी नदी में डाला जा रहा हैं। ये नाले प्रदूषण का स्रोत होने के अलावा असलियत में जम्मू में कृत्रिम झील बनाने की राह में प्रमुख रूकावट बन रहे हैं। हालांकि अगर धन जारी हो तो सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग तवी नदी पर यंत्रवत् संचालित गेटेड बांध बनाने का लक्ष्य पूरा कर सकता हैं। लेकिन इस परियोजना के अंतर्गत 'कृत्रिम झील का निर्माण' पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। यहां तक कि नालों का रूख मोडऩे के लिए आवश्यक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी आज तक तैयार नहीं की गई है। जम्मू रोपवे परियोजना के संबंध में कहा गया कि इस परियोजना के क्रियान्वयन में लोअर टर्मिनल प्वाइंट और अपर टर्मिनल प्वाइंट पर भूमि के अधिग्रहण में तथा वन्यजीव बोर्ड के अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी में ज्यादा समय लगने के चलते देरी हुई है। अब यह दावा किया गया है कि इस परियोजना पर काम चल रहा है और अगले दो साल के भीतर पूर्ण कर लिया जाएगा। परियोजना पर टालमटोल वाला रवैया अपनाए जाने के कारण मैसर्स राईटस (आरआईटीइएस)द्वारा अनुमानित 43.83 करोड़ रूपए की लागत अब बढ़ कर 62.02 करोड़ रुपये हो गई है। सबसे बड़ा प्रश्न अब यह है कि क्या परियोजना की लागत अब और नहीं बढ़ेगी? इस प्रकार से दोनों परियोजनाओं के कम से कम दो साल तक पूर्ण होने की संभावना नहीं हैं। यहां तक कि रघुनाथ बाजार जम्मू के नवीकरण/ आधुनिकीकरण का कार्य पूरा होने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है। पर्यटन मंत्री का कहना है कि काम अंतिम चरण में है और शीघ्र ही पूर्ण किया जा रहा है। जहां तक अखनूर में सुम्हा क्षेत्र के विकास का संबंध है, मंत्री ने कहा यह परियोजना इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएगी। लेकिन इसे इस समय सीमा में कैसे पूरा किया जाएगा जबकि जल स्त्रोत, इस्पात पुल और पार्क पर काम अभी पूरा किया जाना है। यहाँ तक कि पर्यटन विभाग ने खुद स्वीकार किया है कि 4.71 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना पर आज तक केवल 2.80 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
जम्मू। जम्मू की दो प्रतिष्ठित परियोजनाओं को शीघ्र पूर्ण करने के संबंध में अनेक बयान देने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार ने आखिरकार स्वीकार किया कि कृत्रिम झील और जम्मू रोपवे कम से कम और दो वर्ष तक पूर्ण नहीं हो पाएंगे। इससे स्वतंत्र पर्यटन स्थल के रूप में शीतकालीन राजधानी को बढ़ावा देने के लिए इन परियोजनाओं के उपयोग की योजना को जोर का झटका लगा है।
इस बात की जानकारी जम्मू के लिए बेहद महत्वपूर्ण इन दोनों परियोजनाओं के निष्पादन में अपनाए जा रहे रवैये से चिंतित जम्मू पश्चिम से भाजपा विधायक सतपाल शर्मा के प्रश्न के उत्तर में विधानसभा में पर्यटन मंत्री ने दी।
'डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ आटो मैक्निकल आपरेटेड गैटेड बैराज' नामक परियोजना के अंतर्गत कई वर्ष पूर्व 70 करोड़ रूपए की लागत से 'कृत्रिम झील' के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। हालांकि इस परियोजना पर 31 मार्च 2016 तक 57.35 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा चुकी है।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि 13वें वित्त आयोग के अंतर्गत केन्द्रीय अनुदान की अनुपलब्धता और वर्ष 2013 एवं 2014 में आई बाढ़ के कारण परियोजना में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए तीसरी किश्त के रूप में 6.25 करोड़ रूपए जारी करने हेतु सिफारिश की थी कि यह मामला वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को भेजा जाए। हालांकि मंत्रालय द्वारा कोई पैसा जारी नहीं किया गया।
शुरूआत में इस परियोजना के पूर्ण होने का समय दो वर्ष था लेकिन अब परियोजना के पूर्ण होने की संशोधित या प्रस्तावित तिथि 31 मार्च 2017 है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि केन्द्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से तीसरी किश्त समय पर जारी न होने का तथ्य जानने के बावजूद राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से धन का प्रबंध करने के कोई प्रयास नहीं किए, ताकि कृत्रिम झील परियोजना के लंबित कार्य में गति सुनिश्चित की जा सकें।
हालांकि, उपरोक्त उत्तर में उन 13 प्रमुख नालों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई, जिनका गंदा पानी अभी भी तवी नदी में डाला जा रहा हैं। ये नाले प्रदूषण का स्रोत होने के अलावा असलियत में जम्मू में कृत्रिम झील बनाने की राह में प्रमुख रूकावट बन रहे हैं। हालांकि अगर धन जारी हो तो सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग तवी नदी पर यंत्रवत् संचालित गेटेड बांध बनाने का लक्ष्य पूरा कर सकता हैं। लेकिन इस परियोजना के अंतर्गत 'कृत्रिम झील का निर्माण' पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। यहां तक कि नालों का रूख मोडऩे के लिए आवश्यक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी आज तक तैयार नहीं की गई है। जम्मू रोपवे परियोजना के संबंध में कहा गया कि इस परियोजना के क्रियान्वयन में लोअर टर्मिनल प्वाइंट और अपर टर्मिनल प्वाइंट पर भूमि के अधिग्रहण में तथा वन्यजीव बोर्ड के अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी में ज्यादा समय लगने के चलते देरी हुई है। अब यह दावा किया गया है कि इस परियोजना पर काम चल रहा है और अगले दो साल के भीतर पूर्ण कर लिया जाएगा। परियोजना पर टालमटोल वाला रवैया अपनाए जाने के कारण मैसर्स राईटस (आरआईटीइएस)द्वारा अनुमानित 43.83 करोड़ रूपए की लागत अब बढ़ कर 62.02 करोड़ रुपये हो गई है। सबसे बड़ा प्रश्न अब यह है कि क्या परियोजना की लागत अब और नहीं बढ़ेगी? इस प्रकार से दोनों परियोजनाओं के कम से कम दो साल तक पूर्ण होने की संभावना नहीं हैं। यहां तक कि रघुनाथ बाजार जम्मू के नवीकरण/ आधुनिकीकरण का कार्य पूरा होने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है। पर्यटन मंत्री का कहना है कि काम अंतिम चरण में है और शीघ्र ही पूर्ण किया जा रहा है। जहां तक अखनूर में सुम्हा क्षेत्र के विकास का संबंध है, मंत्री ने कहा यह परियोजना इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएगी। लेकिन इसे इस समय सीमा में कैसे पूरा किया जाएगा जबकि जल स्त्रोत, इस्पात पुल और पार्क पर काम अभी पूरा किया जाना है। यहाँ तक कि पर्यटन विभाग ने खुद स्वीकार किया है कि 4.71 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना पर आज तक केवल 2.80 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
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