-प्रशांत भारद्वाज
पर्यावरण संरक्षण के नाम पर जहां एक ओर सरकारी अधिकारी वातानुकुलित कमरों में बैठकों के आयोजन पर प्रतिवर्ष करोड़ों रूपए खर्च कर देते हैं, लेकिन उनका परिणाम शून्य ही रहता है। वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे स्वयंसेवी भी है जो पर्यावरण संरक्षण के कार्य में नि:स्वार्थ भाव से तन-मन-धन से इस आस से जुटे है कि आने वाली संतानों को शुद्ध पर्यावरण मिले। ऐसे ही एक नि:स्वार्थी पर्यावरण कार्यकत्र्ता हैं केहली मंडी सांबा के निवासी निलांबर डोगरा।
निलांबर डोगरा ने बताया कि वर्ष 1989 में कॉलेज जीवन के दौरान एनएसएस शिविर में काम करने के बाद पर्यावरण संरक्षण की ऐसी लगन लगी कि इसे अपनी दिनचर्या का अंग ही बना लिया। छात्र जीवन में झीड़ी, काना चक्क आदि स्थानों पर वृक्षारोपण का कार्य किया। गत 25 वर्षों के दौरान हर वर्ष हजारों वृक्ष लगाए और जहां तक संभव हो सका उनका पालन-पोषण भी किया। इस समयकाल में सांबा, कठुआ और जम्मू जिले के विभिन्न स्कूलों में जाकर बच्चों को पर्यारण संरक्षण के प्रति प्रेरित करने के प्रयास किए। इसके साथ ही इन स्थानों के शिक्षा संस्थानों और पंचायत घरों में वृक्षारोपण किया। उन्होंने कहा कि अब मेरा प्रयास है कि उन सभी स्कूलों तक एक बार फिर से पहुंचु जहां कई वर्ष पूर्व वृक्षारोपण किया था, ताकि उन वृक्षों को देख सकूं। आने वाली पीढ़ी के लिए स्वच्छ पर्यावरण विकसित करने की कोशिश के तहत बरसात के मौसम में करीब 10000 पौधों का रोपण और वितरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पहले स्वयं के धन से पौधे खरीदते थे अब सोशल फारेस्ट्री से पौधें लेकर उनका वितरण करते हैं। डोगरा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से एक नया अभियान 'पेड़ लगाओ, बेटी बचाओ-अपनों का भविष्य उज्जवल बनाओ' प्रारम्भ किया है। इस अभियान के अंतर्गत जिन घरों में एक बेटी होती है, उस बेटी के द्वारा गांव में वृक्षारोपण की शुरूआत करवाते हैं। डोगरा का कहना है कि हर स्थान पर विकास ने वृक्षों की बलि ली है। इसलिए हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि हम हर वर्ष कम से कम एक वृक्ष तो अवश्य लगाए।
अपने पर्यावरण संरक्षण अभियान के तहत उन्होंने अब ऊर्जा संरक्षण की ओर भी कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने सांबा जिले के पिछड़े गांव रेओर को गोद लिया है। इस अभियान के अंतर्गत गांव के 70 घरों में ऊर्जा संरक्षण के लिए एलइडी लाइटें लगवाई हैं। अब गांव के हर घर में वृक्षारोपण किया जा रहा है। इसके साथ ही विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से इस गांव के विकास की योजना तैयार की गई है। डोगरा ने कहा कि पहले सांबा जिले में फिर पूरे राज्य में ऊर्जा संरक्षण कार्यक्रम को पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ निलांबर डोगरा ने एक और महत्वपूर्ण कार्य किया हैं, जिसे अनोखे अभियान का नाम दिया जा सकता है। उन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की खोज में 7-8 वर्ष तक देश के विभिन्न राज्यों की यात्रा की। इस कठीन कार्य के लिए वह घर में अपने वृद्ध माता-पिता को छोड़कर निकल पड़े थे। इस दौरान उन्होंने गुमनामी का जीवन व्यतीत कर रहे १५ स्वतंत्रता सेेनानियों को खोज निकाला। नेताजी सुभाष चंद्र बोस विचार मंच का गठन कर पहला कार्यक्रम कैहली मंडी, सांबा में आयोजित कर इन स्वतंत्रता सेेनानियों को सम्मानित किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस विचार मंच के बैनर तले पहले हर वर्ष नेताजी के जन्मदिवस पर स्कूलों में वृक्षारोपण किया जाता था। अब शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि देशभक्तों के जन्मदिवस के अवसर पर सांबा जिले की सभी तहसीलों के स्कूलों में वृक्षारोपण अभियान आयोजित किए जाते हैं। निलांबर डोगरा ने दो बार सांबा से शुरू कर पंजाब और हिमाचल प्रदेश तक सदभावना यात्रा का आयोजन किया है। इस यात्रा के दौरान पर्यावरण जागरूकता संबंधी साहित्य का वितरण कर जनता को जागरूक करने का प्रयास किया गया।
डोगरा एक मान्यता प्राप्त रक्तदाता भी है। 1989 में पहली बार रक्तदान करने के बाद से वह 32 बार रक्तदान कर चुके हैं। एक बार तो वह रक्तदान करने के लिए दिल्ली तक जा पहुंचे थे।
एक प्रश्न के उत्तर में डोगरा ने कहा कि एक जुनून में यह कार्य शुरू किया था। जो व्यक्ति अपनों का समय एवं धन लेकर समाज सुधार का कार्य करता है, वहीं सही अर्थों में समाज सेवक होता है। उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य जन-जन तक पर्यावरण संरक्षण का संदेश पहुंचाना है। उन्होंने राज्य विशेषरूप से जम्मू संभाग में तालाबों के विनाश पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जनता से शेष बचे तालाबों का संरक्षण करने का आग्रह किया। डोगरा ने युवाओं से पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आने की अपील की, ताकि आने वाली पीढ़ीयां प्रदूषण मुक्त वातावरण में श्वांस ले सकें।
पर्यावरण संरक्षण के नाम पर जहां एक ओर सरकारी अधिकारी वातानुकुलित कमरों में बैठकों के आयोजन पर प्रतिवर्ष करोड़ों रूपए खर्च कर देते हैं, लेकिन उनका परिणाम शून्य ही रहता है। वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे स्वयंसेवी भी है जो पर्यावरण संरक्षण के कार्य में नि:स्वार्थ भाव से तन-मन-धन से इस आस से जुटे है कि आने वाली संतानों को शुद्ध पर्यावरण मिले। ऐसे ही एक नि:स्वार्थी पर्यावरण कार्यकत्र्ता हैं केहली मंडी सांबा के निवासी निलांबर डोगरा।
निलांबर डोगरा ने बताया कि वर्ष 1989 में कॉलेज जीवन के दौरान एनएसएस शिविर में काम करने के बाद पर्यावरण संरक्षण की ऐसी लगन लगी कि इसे अपनी दिनचर्या का अंग ही बना लिया। छात्र जीवन में झीड़ी, काना चक्क आदि स्थानों पर वृक्षारोपण का कार्य किया। गत 25 वर्षों के दौरान हर वर्ष हजारों वृक्ष लगाए और जहां तक संभव हो सका उनका पालन-पोषण भी किया। इस समयकाल में सांबा, कठुआ और जम्मू जिले के विभिन्न स्कूलों में जाकर बच्चों को पर्यारण संरक्षण के प्रति प्रेरित करने के प्रयास किए। इसके साथ ही इन स्थानों के शिक्षा संस्थानों और पंचायत घरों में वृक्षारोपण किया। उन्होंने कहा कि अब मेरा प्रयास है कि उन सभी स्कूलों तक एक बार फिर से पहुंचु जहां कई वर्ष पूर्व वृक्षारोपण किया था, ताकि उन वृक्षों को देख सकूं। आने वाली पीढ़ी के लिए स्वच्छ पर्यावरण विकसित करने की कोशिश के तहत बरसात के मौसम में करीब 10000 पौधों का रोपण और वितरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पहले स्वयं के धन से पौधे खरीदते थे अब सोशल फारेस्ट्री से पौधें लेकर उनका वितरण करते हैं। डोगरा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से एक नया अभियान 'पेड़ लगाओ, बेटी बचाओ-अपनों का भविष्य उज्जवल बनाओ' प्रारम्भ किया है। इस अभियान के अंतर्गत जिन घरों में एक बेटी होती है, उस बेटी के द्वारा गांव में वृक्षारोपण की शुरूआत करवाते हैं। डोगरा का कहना है कि हर स्थान पर विकास ने वृक्षों की बलि ली है। इसलिए हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि हम हर वर्ष कम से कम एक वृक्ष तो अवश्य लगाए।
अपने पर्यावरण संरक्षण अभियान के तहत उन्होंने अब ऊर्जा संरक्षण की ओर भी कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने सांबा जिले के पिछड़े गांव रेओर को गोद लिया है। इस अभियान के अंतर्गत गांव के 70 घरों में ऊर्जा संरक्षण के लिए एलइडी लाइटें लगवाई हैं। अब गांव के हर घर में वृक्षारोपण किया जा रहा है। इसके साथ ही विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से इस गांव के विकास की योजना तैयार की गई है। डोगरा ने कहा कि पहले सांबा जिले में फिर पूरे राज्य में ऊर्जा संरक्षण कार्यक्रम को पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ निलांबर डोगरा ने एक और महत्वपूर्ण कार्य किया हैं, जिसे अनोखे अभियान का नाम दिया जा सकता है। उन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की खोज में 7-8 वर्ष तक देश के विभिन्न राज्यों की यात्रा की। इस कठीन कार्य के लिए वह घर में अपने वृद्ध माता-पिता को छोड़कर निकल पड़े थे। इस दौरान उन्होंने गुमनामी का जीवन व्यतीत कर रहे १५ स्वतंत्रता सेेनानियों को खोज निकाला। नेताजी सुभाष चंद्र बोस विचार मंच का गठन कर पहला कार्यक्रम कैहली मंडी, सांबा में आयोजित कर इन स्वतंत्रता सेेनानियों को सम्मानित किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस विचार मंच के बैनर तले पहले हर वर्ष नेताजी के जन्मदिवस पर स्कूलों में वृक्षारोपण किया जाता था। अब शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि देशभक्तों के जन्मदिवस के अवसर पर सांबा जिले की सभी तहसीलों के स्कूलों में वृक्षारोपण अभियान आयोजित किए जाते हैं। निलांबर डोगरा ने दो बार सांबा से शुरू कर पंजाब और हिमाचल प्रदेश तक सदभावना यात्रा का आयोजन किया है। इस यात्रा के दौरान पर्यावरण जागरूकता संबंधी साहित्य का वितरण कर जनता को जागरूक करने का प्रयास किया गया।
डोगरा एक मान्यता प्राप्त रक्तदाता भी है। 1989 में पहली बार रक्तदान करने के बाद से वह 32 बार रक्तदान कर चुके हैं। एक बार तो वह रक्तदान करने के लिए दिल्ली तक जा पहुंचे थे।
एक प्रश्न के उत्तर में डोगरा ने कहा कि एक जुनून में यह कार्य शुरू किया था। जो व्यक्ति अपनों का समय एवं धन लेकर समाज सुधार का कार्य करता है, वहीं सही अर्थों में समाज सेवक होता है। उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य जन-जन तक पर्यावरण संरक्षण का संदेश पहुंचाना है। उन्होंने राज्य विशेषरूप से जम्मू संभाग में तालाबों के विनाश पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जनता से शेष बचे तालाबों का संरक्षण करने का आग्रह किया। डोगरा ने युवाओं से पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आने की अपील की, ताकि आने वाली पीढ़ीयां प्रदूषण मुक्त वातावरण में श्वांस ले सकें।
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