बुधवार, जून 15, 2016

डिप्रेशन संबंधी जागरूकता अभियान में जुटी साना

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। वर्ष 2014 में कश्मीर में आई विनाशकारी बाढ़ में बहुत-से लोगों की प्राण रक्षा करने वाली 28 वर्षीया साना इकबाल अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्तियों के बारे में देश के लोगों को शिक्षित करने के एक साहसी अभियान में जुटी है।
अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चय के साथ यह महिला बाइकर बरेली में हुई एक सड़क दुर्घटना में गंभीर चोटें लगने के बावजूद अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्तियों के बारे में जन-जागरूकता की अलख जगाती हुई 8 जून को जम्मू पहुंची।
नानक नगर स्थित फ्यूचर्ज स्टेडी सेन्टर में विद्याोर्थियों को अवसाद और आत्महत्या के संबंध में जागरूक करने के उपरांत साना ने बताया कि वर्ष 2014 में कश्मीर में आई बाढ़ की खबर मिलने के बाद वह घाटी के लिए रवाना हो गई और 40 दिनों तक एक राहत कार्यकर्ता के रूप में रहकर काम किया और कई लोगों की जान बचाई। वह अपने साथ बाढ़ प्रभावितों के लिए दवाईयां भी लाई थी। उन्होंने कहा कि वह कई बार शवों को बरामद करने के लिए गहरे पानी में भी उतर गई थी। मुझे याद नहीं है कि बाढ़ के दौरान मैंने कितने शव निकाले।
देश के आतंकवाद प्रभावित राज्यों में कार्य करने की इच्छा जताते हुए साना ने कहा कि वैश्विक आतंकवाद ने सामाजिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, जिससे अवसाद में वृद्धि हुई हैं और लोग आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं।
साना ने देश के सभी राज्यों में युवाओं को अवसाद के प्रति शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। पेशे से कॉर्पोरेट ट्रेनर और मनोविज्ञान में  एमएससी साना इकबाल अपने गृह राज्य तेलंगाना से 23 नवम्बर 2015 को सफेद रॉयल एनफील्ड  से भारत यात्रा पर निकली थी। भारत के 28 राज्यों की यात्रा करने के उपरांत वह जम्मू पहुंची।
अपने व्याख्यान में वह अपनी व्यक्तिगत भावनाओं और अनुभवों के साथ युवाओं को अवसाद और आत्महत्या के कारणों के बारे में जागरूक करती है। उन्होंने कहा कि युवाओं का मन अपरिपक्व होने के कारण वे बड़े लोगों की तुलना में अच्छी तरह से आत्मसात कर सकते हैं और समाज में परिवर्तन ला सकते हैं।
इस अभियान में सरकारी सहायता के संबंध में प्रश्न किए जाने पर साना ने कहा किउनके सभी प्रयास स्वयं के धन से होते हैं। मैं किसी पुरस्कार की इच्छा के बिना अच्छा काम करने का प्रयास कर रही हूं। अगर सरकार इस कार्य में मेरा समर्थन करती है, तो मैं मदद लेने के खिलाफ भी नहीं हूँ।
अपने पुत्र के पहले जन्मदिन पर वह 12 जून को अपने घर हैदराबाद वापस पहुंच रही हैं।

0 टिप्पणियाँ :

एक टिप्पणी भेजें