कौन हैं षडय़ंत्र का सूत्रधार? कौन बनाता है तील का ताड़?
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। गत कुछ वर्षों की भांति इस वर्ष भी जैसे-जैसे वार्षिक अमरनाथ यात्रा शुरू होने का समय नजदीक आ रहा है कश्मीर वादी की फिजाओं में जहर घुलने लगा है। वादी में जहां एक तरफ देश विरोधी प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है वहीं आतंकवादी हमलों में भी तेजी आई है। हर वर्ष गर्मियों को और गर्म करने की साजिशें रची जाती है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उभरता है कि हर बार यही मौसम और समय क्यों?
कश्मीर वादी से उठती चिंता की लपटों ने बड़ी उम्मीदों से वार्षिक अमरनाथ यात्रा का इंतजार करते जम्मू संभाग के व्यापार जगत को एक बार फिर आशंकीत कर दिया है।
जम्मू के व्यापारियों का कहना है कि एक तो पहले से ही मंदी का दौर है और अगर कश्मीर में वर्तमान स्थिति जारी रही तो अमरनाथ यात्रा भी प्रभावित होगी। जिससे हमारी स्थिति और खराब होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि अभी यह हालत है कि कई बाजारों में तो व्यापारी सुबह से देर शाम तक एक पैसा तक नहीं कमा पा रहे हैं। जिसके कारण बैंकों की किश्तें चुकाना तो बहुत दूर की बात है,रोज का खर्च निकालना भी काफी मुश्किल हो रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सिलसिला वर्ष 2008 से शुरू हुआ और अभी तक जारी है। वर्ष 2010 में घाटी में इसी मौसम के दौरान 100 से अधिक लोगों की मौत हुई। इस बार अलगाववादियों ने कशमीरी पंडितों क ो घाटी में बसाने का मुद्दा अपना हथियार बनाया है। ये लोग हर बार किसी ना किसी बात का बतंगड बना कर पूरा माहौल तो खराब करते ही है, व्यापार भी चौपट कर देते हैं।
कश्मीर में गत कुछ दिनों के दौरान सुरक्षा बलों और पुलिसकर्मियों पर हो रहे तोबड़तोड़ आतंकवादी हमलों पर पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर हमले न रूके तो राज्य में पर्यटन पर आतंकवाद की काली परछाई एक बार फिर छा जाएगी।
इन हमलों ने पर्यटकों के लिए खतरा पैदा कर दिया है इससे भी कोई इंकार नहीं करता है। पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोग मानते हैं कि हमलों की खबर मिलने के बाद राज्य में आने की योजना बनाए बैठे पर्यटकों और श्रद्धालुओं में अफरातफरी और दहशत का माहौल है। ऐसे में टूरिज्म से जुड़े लोगों को चिंता इस बात की है कि कहीं हमलों में तेजी न आए और अगर ऐसा हुआ तो इस बार के टूरिस्ट सीजन का बंटाधार तय है। जो पहले ही विभिन्न विवादों के कारण हिचकोले खा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि केन्द्र एवं राज्य सरकार को स्थिति में सुधार के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। गत कुछ वर्षों की भांति इस वर्ष भी जैसे-जैसे वार्षिक अमरनाथ यात्रा शुरू होने का समय नजदीक आ रहा है कश्मीर वादी की फिजाओं में जहर घुलने लगा है। वादी में जहां एक तरफ देश विरोधी प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है वहीं आतंकवादी हमलों में भी तेजी आई है। हर वर्ष गर्मियों को और गर्म करने की साजिशें रची जाती है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उभरता है कि हर बार यही मौसम और समय क्यों?
कश्मीर वादी से उठती चिंता की लपटों ने बड़ी उम्मीदों से वार्षिक अमरनाथ यात्रा का इंतजार करते जम्मू संभाग के व्यापार जगत को एक बार फिर आशंकीत कर दिया है।
जम्मू के व्यापारियों का कहना है कि एक तो पहले से ही मंदी का दौर है और अगर कश्मीर में वर्तमान स्थिति जारी रही तो अमरनाथ यात्रा भी प्रभावित होगी। जिससे हमारी स्थिति और खराब होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि अभी यह हालत है कि कई बाजारों में तो व्यापारी सुबह से देर शाम तक एक पैसा तक नहीं कमा पा रहे हैं। जिसके कारण बैंकों की किश्तें चुकाना तो बहुत दूर की बात है,रोज का खर्च निकालना भी काफी मुश्किल हो रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सिलसिला वर्ष 2008 से शुरू हुआ और अभी तक जारी है। वर्ष 2010 में घाटी में इसी मौसम के दौरान 100 से अधिक लोगों की मौत हुई। इस बार अलगाववादियों ने कशमीरी पंडितों क ो घाटी में बसाने का मुद्दा अपना हथियार बनाया है। ये लोग हर बार किसी ना किसी बात का बतंगड बना कर पूरा माहौल तो खराब करते ही है, व्यापार भी चौपट कर देते हैं।
कश्मीर में गत कुछ दिनों के दौरान सुरक्षा बलों और पुलिसकर्मियों पर हो रहे तोबड़तोड़ आतंकवादी हमलों पर पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर हमले न रूके तो राज्य में पर्यटन पर आतंकवाद की काली परछाई एक बार फिर छा जाएगी।
इन हमलों ने पर्यटकों के लिए खतरा पैदा कर दिया है इससे भी कोई इंकार नहीं करता है। पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोग मानते हैं कि हमलों की खबर मिलने के बाद राज्य में आने की योजना बनाए बैठे पर्यटकों और श्रद्धालुओं में अफरातफरी और दहशत का माहौल है। ऐसे में टूरिज्म से जुड़े लोगों को चिंता इस बात की है कि कहीं हमलों में तेजी न आए और अगर ऐसा हुआ तो इस बार के टूरिस्ट सीजन का बंटाधार तय है। जो पहले ही विभिन्न विवादों के कारण हिचकोले खा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि केन्द्र एवं राज्य सरकार को स्थिति में सुधार के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
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