बुधवार, जून 15, 2016

मंदी से प्रभावित व्यापारी भविष्य को लेकर चिंतित

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। वैश्विक मंदी और विकास योजनाओं की कमी के कारण जम्मू शहर की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो रहा है। शहर में विभिन्न स्थानों पर बहुमंजिला व्यावसायिक प्रतिष्ठान मंदी के कारण छोटी दुकानों में सिकुड़ गए हैं और कुछ तो बंद भी हो गए हैं।
जम्मू शहर की अर्थव्यवस्था को,जो ज्यादातर माता वैष्णो देवी तीर्थयात्रा और वेयर हाऊस एवं कनक मंडी से राज्य के अन्य हिस्सों के लिए आवश्यक उत्पादों की थोक आपूर्ति पर निर्भर करती है,इन दिनों गंभीर मंदी का सामना करना पड़ रहा है।
व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने 'दीपाक्षर टाइम्स ' से कहा कि कश्मीर के व्यापारी अब देश के अन्य हिस्सों से सीधे माल मंगवाने लगे हैं। दालों की बढ़ती कीमतों के कारण गत दो वर्ष से वेयर हाऊस के व्यापार में  20 प्रतिशत की कमी आई हैं।  उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू की अर्थव्यवस्था के प्रति गंभीर दिखाई नहीं देती है। शहर के अधिकांश व्यापारिक केन्द्रों में विभिन्न समस्याओं के कारण व्यापारी परेशान हो रहे हैं। यहां तक कि व्यापारिक गतिविधियों के प्रमुख केन्द्र वेयर हाऊस जैसे बाजार में कई वर्षों से सड़कों की मरम्मत तक नहीं करवाई गई हैं। नरवाल मंडी में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है।  
मंदी और सरकार के उदासीन रवैये के कारण शहर के अधिकांश बाजार  सुनसान नजऱ आते हैं। मंदी के चलते कई बड़े व्यापारिक घरानों और व्यापारियों ने प्रमुख स्थानों और शहर के शॉपिंग मॉल में अपनी किराए की दुकानों को खाली कर दिया है।
शहर में रेडीमेड कपड़ों के बड़े व्यापारियों में से एक युगल संस ने जम्मू शहर के पहले मॉल सिटी स्क्वायर में स्थित अपने शोरूम को बंद कर दिया है। मॉल की दो मंजिलों को लोगों की सुस्त प्रतिक्रिया के कारण व्यापारियों द्वारा खाली कर दिया गया है।
विशेषज्ञ मंदी के लिए कई कारणों को जिम्मेदार बताते है। उनका कहना है कि मुख्य कारण वैश्विक मंदी है, इसके अतिरिक्त ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल, भीषण गर्मी और सरकारी विकास कार्यों की कमी भी इसका कारण है।
अधिकांश व्यापारियों ने कहा कि वैश्विक मंदी भी एक कारण हो सकती है। लेकिन मुख्य कारण जम्मू के लिए विकास परियोजनाओं की कमी है। स्वीकृत परियोजनाओं में से अधिकांश को अभी तक पूरा नहीं किया गया है। यहाँ व्यापारिक समुदाय को बचाने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है और आने वाले दिनों में व्यापारियों के लिए स्थिति काफी मुश्किल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार को जम्मू के व्यापार जगत को सुरक्षित करने के लिए कोई योजना तैयार करनी चाहिए, ताकि यहां की अथव्यवस्था भी सुरक्षित रहें।
उन्होंने कहा कि जम्मू शहर में व्यापारिक गतिविधियां धीरे-धीरे थमती जा रही हैं। जम्मू के अधिकांश बाजारों में अब वो पहले वाली चमक नजर नहीं आती हैं, जो कुछ वर्ष पहले होती थी। इसका प्रमुख कारण है माता वैष्णो देवी यात्रा के आधार शिविर कटड़ा कस्बे को रेल संपर्क से जोड़ा जाना। इसके साथ ही जम्मू के निकटवर्ती धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
व्यापारियों ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के उदासीन रवैये के कारण आज जम्मू और इसके आसपास के इलाकों में कुछ भी ऐसा नहीँ है जो यात्रियों/पर्यटकों को आकर्षित कर सके। आज राज्य में आने वाले श्रद्धालु/पर्यटक सीधे माता वैष्णो देवी जाते हैं या फिर कश्मीर का रुख कर लेते हैं। वे जम्मू में नहीं रुकते, क्योंकि जम्मू मेँ पर्यटकों के आकर्षण का एकमात्र केन्द्र ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर ही एक ऐसा स्थान था जहां पर श्रद्धालु और सैलानी आकर रुकते और दर्शन करते हैं। शहर के निकटवर्ती पर्यटन स्थलों तक पहुंचने की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है। शहर में पार्किंग स्थलों जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी एक प्रमुख कारण है, जिसके कारण पर्यटक अब शहर में ना आकर ट्रेन से या अन्य वाहनों से सीधे माता वैष्णो देवी या शहर के बाहर से ही श्रीनगर चले जाते हैं। इसी प्रकार कश्मीर में आने वाले पर्यटक भी जम्मू में दाखिल  हुए बिना बाहर से ही अपने गंतव्य की ओर चले जाते हैं। इस कारण गत दो-तीन वर्षोँ से जम्मू आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आई हैं। जिसके परिणामस्वरूप पर्यटकों/श्रद्धालुओं पर आश्रित शहर के व्यापारी व होटल मालिक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। जिसका प्रभाव शहर के प्रत्येक नागरिक पर पड़ रहा है। अगर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कुछ प्रभावी उपाय शीघ्र नहीं किए गए तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
उन्होंने कहा कि  राज्य सरकार को जम्मू की ओर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। जम्मू के लिए प्रस्तावित विकास योजनाएं वर्षों से लंबित पड़ी हुई हैं। अगर इन परियोजनाओं को शीघ्र प्रारम्भ करवाकर युद्धस्तर पर निर्धारित समय में पूर्ण करवाया जाए, तब ही पर्यटकों को आकर्षित करने के सफल प्रयास किए जा सकते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार को कुल राजस्व का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा जम्मू संभाग विशेषरूप से जम्मू द्वारा दिए जाने के बावजूद पूर्ववर्ती सरकारों ने विकास के क्षेत्र में जम्मू की पूर्णतया अनदेखी की।
हैरानी की बात यह है कि पर्यटकों

को जम्मू की ओर आकर्षित करने के जिन विकास परियोजना की ओर व्यापारिक समुदाय की उम्मीदें टिकी थी, उनके लिए हाल ही में सरकार ने स्वीकार किया है कि इन परियोजनाओं के आगामी २ वर्षों तक पूर्ण होने की संभावना नहीं हैं।

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