गुरुवार, अक्तूबर 12, 2017

जम्मू में डेंगू का आतंक

लगातार बढ़ रही है पीडि़तों की संख्या से दहशत
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। 
जम्मू में डेंगू ने अपने पैर इस कदर पसार लिए हैं कि डेंगू के आतंक से लोग बुरी तरह से दहशत में हैं और मामूली बुखार होने पर भी डेंगू की आशंका से परेशान हो उठते हैं। शहर में लगातार बढ़ती डेंगू पीडि़तों की संख्या से जम्मू की जनता में दहशत का माहौल है।
मलेरिया मुक्त होने की कगार पर खड़े जम्मू-कश्मीर में इस वर्ष जम्मू जिले में प्रशासन की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा से डेंगू ने पांव पसार रखे हैं। लोगों में इतनी दहशत है कि बुखार होते ही वे अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। सैकड़ों मरीज ऐसे हैं, जो अन्य राज्यों में इलाज करवा रहे हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जम्मू संभाग में डेंगू पीडि़तों की संख्या ३००  है। गैर अधिकारिक सूत्रों के अनुसार सांबा जिले में डेंगू से एक मौत भी हो चुकी है। पीडि़तों में अधिकांश जम्मू जिले के हैं। इसके बाद कठुआ, सांबा, ऊधमपुर, राजौरी और पुंछ जिले का नंबर आता है। राज्य में यह दूसरा अवसर है, जब इतनी अधिक संख्या में डेंगू के मामले दर्ज हुए हैं। 2013 में डेंगू के डेढ़ हजार से अधिक मामले दर्ज हुए थे और चार मौतें हुई थीं।
इस वर्ष डेंगू के अधिक मामले दर्ज होने के कई कारण हैं। बेशक प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग फॉगिंग अभियान चलाने के दावे करता हो, लेकिन हकीकत यह है कि डेंगू के मामले सामने आने से पहले न तो जम्मू नगर निगम और न ही अन्य किसी जिले में अभियान चलाए गए। इतने मामले दर्ज होने के बाद भी मच्छर मारने के लिए कुछ नहीं किया गया।
विभागों की इस रवैये से मच्छर पनपता गया और मलेरिया व डेंगू के मामले बढ़ते गए। अब स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू से लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया है, लेकिन कोई गंभीरता नजर नहीं आ रही है। हालात यह है कि हर दिन कहीं न कहीं डेंगू के मामले की पुष्टि हो रही है। लोगों को मालूम ही नहीं कि इसका इलाज जम्मू में है या नहीं।
स्वास्थ्य निदेशक डॉ. गुरजीत सिंह का कहना है कि डेंगू से निपटने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए गए हैं और जांच की सुविधा भी दी गई है।
डेंगू के लक्षण
अकस्मात तेज सिर दर्द व बुखार। मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द।
आंखों के पीछे दर्द होना, जो आंखें घुमाने से बढ़ता है।
जी मिचलाना एवं उल्टी होना।
गंभीर मामलों में नाक, मुंह, मसूड़ों से खून आाना।
कैसे बचाव करें
डेंगू फैलाने वाला मच्छर खड़े पानी में पनपता है। पानी की टंकी, बर्तन को ढक कर रखें।
कूलर को खाली कर सुखा दें।
यह मच्छर दिन के समय काटता है। ऐसे में वह कपड़े पहने जो बदन को पूरी तरह ढके।
डेंगू के उपचार के लिए कोई दवा या वैक्सीन नहीं है। बुखार उतारने के लिए पैरासिटामोल ले सकते हैं।
मरीजों के लिए सबसे अधिक परेशानी का सबब डेंगू की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास जिला स्तर पर अपनी लेबोरेटरी नहीं होना है। सरकारी अस्पतालों में जम्मू संभाग में केवल मेडिकल कॉलेज ही है, जहां डेंगू का टेस्ट होता है। सरवाल और गांधीनगर अस्पताल में भी सुविधा है, मगर वहां पर किट की कमी है। जिला अस्पतालों में पैथोलॉजिस्ट नहीं हैं, जिससे यह टेस्ट नहीं हो रहे हैं।
सिर्फ जीएमसी में ही टेस्ट की सुविधा होने के कारण जांच रिपोर्ट आने में पांच से छह दिन लग जाते हैं। इस कारण मरीज की हालत गंभीर हो जाती है और समय पर उसका उपचार नहीं हो पाता है।
आधिकारिक तौर पर डेंगू के ढाई सौ से अधिक मामले सामने आने के बावजूद जम्मू शहर के कई स्थानों पर सड़कों पर पानी खड़ा नजर आ जाएगा। भगवती नगर, बावे, तालाब तिल्लो, गांधीनगर में पहले ही मच्छर बहुत हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में मच्छर को खत्म करने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा।
डेंगू के सबसे अधिक मामले जम्मू जिले में हैं, मगर आश्चर्य इस बात का है कि अधिकांश मरीज जिला अस्पतालों में इलाज नहीं करवा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में जरूर मरीज उपचार करवा रहे हैं, लेकिन सैकड़ों मरीज अन्य राज्यों में इलाज करवा रहे हैं।
डेंगू से पीडि़त मरीजों की शिकायत है कि उनकी कोई सुध नहीं ले रहा है। हालांकि जीएमसी में मरीज संतुष्ट नजर आ रहे हैं। मरीजों की शिकायत है कि जिला अस्पतालों में इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि मरीजों की जांच रिपोर्ट भी समय पर नहीं आ रही।
डेंगू होने पर इसका कोई विशेष इलाज नहीं है। मरीज को पैरासिटामोल देकर उसका बुखार कम किया जाता है। कई बार मरीज के ब्लड प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, जो चिंता का विषय होता है। इन मरीजों को ब्लड प्लेटलेट्स दिए जाते हैं।

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