महात्मा गांधी ने अपना पूरा जीवन सादगी के साथ व्यतीत किया। महात्मा गांधी कभी भी नहीं चाहते थे कि उनकी फोटो कहीं छापी जाये लेकिन फिर भी तब से लेकर आज महात्मा गांधी की तस्वीर ही सबसे ज्यादा देखी जाती है यहां तक कि नोटों पर भी गांधी जी की तस्वीर ही लगाई गई है। क्या है इसकी वजह, कब से हो रहा है ऐसा ये सारी बातें जानिये यहां
रिजर्व बैंक के मुताबिक, साल 1996 में गांधी जी वाले नोट चलन में आए, इसके बाद 5,10,20,100,500 और 1000 रुपए वाले नोट छापे गए। नोट पर अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की फोटो और अशोक स्तंभ की फोटो नोट के बाईं तरफ निचले हिस्से पर प्रिंट करने जाने लगी। साल 1987 में महात्मा गांधी की तस्वीर को वाटरमार्क के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, जो नोट के बाईं तरफ दिखाई देते थे।
एक आरटीआई के जवाब में बताया गया कि साल 1993 में रिजर्व बैंक ने नोट के दाहिनी तरफ महात्मा गांधी की तस्वीर छापने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी लेकिन हमेशा से एक बात पर बहस होती आई है कि गांधी जी की तस्वीर की जगह अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर क्यों नहीं छापी गई। महात्मा गांधी को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में माना जाता है, बापू राष्ट्रपिता की उपाधि हासिल कर चुके गांधी उस वक्त राष्ट्र का चेहरा थे, इसी कारण नाम पर फैसला लिया गया था। नोटों पर छपने वाली गांधी जी की यह तस्वीर तस्वीर 1946 में खिंची गई थी और ये असली तस्वीर है। यह फोटो उस वक्त खींची गई थी जब गांधी जी लार्ड फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस विक्ट्री हाउस में आए ।
रिजर्व बैंक के मुताबिक, साल 1996 में गांधी जी वाले नोट चलन में आए, इसके बाद 5,10,20,100,500 और 1000 रुपए वाले नोट छापे गए। नोट पर अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की फोटो और अशोक स्तंभ की फोटो नोट के बाईं तरफ निचले हिस्से पर प्रिंट करने जाने लगी। साल 1987 में महात्मा गांधी की तस्वीर को वाटरमार्क के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, जो नोट के बाईं तरफ दिखाई देते थे।
एक आरटीआई के जवाब में बताया गया कि साल 1993 में रिजर्व बैंक ने नोट के दाहिनी तरफ महात्मा गांधी की तस्वीर छापने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी लेकिन हमेशा से एक बात पर बहस होती आई है कि गांधी जी की तस्वीर की जगह अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर क्यों नहीं छापी गई। महात्मा गांधी को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में माना जाता है, बापू राष्ट्रपिता की उपाधि हासिल कर चुके गांधी उस वक्त राष्ट्र का चेहरा थे, इसी कारण नाम पर फैसला लिया गया था। नोटों पर छपने वाली गांधी जी की यह तस्वीर तस्वीर 1946 में खिंची गई थी और ये असली तस्वीर है। यह फोटो उस वक्त खींची गई थी जब गांधी जी लार्ड फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस विक्ट्री हाउस में आए ।
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