दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। मुंह के कैंसर के लिए प्रमुख कारण माने जा चुके चबाने वाले तंबाकू उत्पादों पर 3 वर्ष पूर्व प्रतिबंध लागू होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर सरकार इसे जमीनी स्तर पर लागू करने में विफल रही है।
स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार 6 मार्च 2013 को इन उत्पादों की बिक्री, खरीद, भंडारण और यहां तक कि इन उत्पादों के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन संबंधित विभाग (स्वास्थ्य विभाग) के उदासीन रवैये के कारण चबाने वाले तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया जा सका है। जिसके कारण विक्रेता, खुदरा विक्रेता और यहां तक कि थोक विक्रेता खुलेआम शिक्षा संस्थानों औैर स्वास्थ्य संस्थानों एवं केन्द्रों के बाहर इन प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं।
्रसूत्रों ने आगे बताया कि आदेश : एचडी / ड्रग / 58/2012 के द्वारा चबाने वाले तंबाकू उत्पादों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है और स्वास्थ्य विभाग, जम्मू नगर निगम, स्थानीय प्रशासन और प्रवर्तन एजेंसी (पुलिस) सहित सभी संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है कि प्रतिबंध को पूर्ण रूप से लागू किया जा सके।
एक नागरिक ने कहा कि प्रतिबंध का यह प्रभाव हुआ है कि इससे पहले हमें बाजार कीमतों पर गुटखा मिल जाता था, लेकिन तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद वो ही उत्पाद ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है।
सूत्रों ने खुलाया किया कि शुरूआत में स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक स्थानों पर जाकर इन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया जाना सुनिश्चित करने के लिए राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग और जम्मू नगर निगम के कुछ अधिकारियों के साथ एक टीम गठित की थी, लेकिन कुछ महीनों के बाद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इस टीम को भंग करके प्रतिबंध को अप्रभावी कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया है कि सभी प्रवर्तन एजेंसियों राज्य भर में प्रतिबंध को लागू करने में बुरी तरह से नाकाम रही हैं।
जिसके कारण तस्कर प्रवर्तन एजेंसियों की मदद से पड़ोसी राज्यों से राज्य में सभी चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का आयात कर रहे हैं और इन उत्पादों पर सरकार को टैक्स भी नहीं दे रहे हैं। यहां तक कि पूर्ववर्ती सरकारें उन्हें दंडित के बजाय चबाने वाले तंबाकू उत्पादो की अवैध बिक्री पर मूक दर्शक बनी रही हैं।
सूत्रों ने कहा कि यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि नवीनतम ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार जम्मू-कश्मीर की 26.6 प्रतिशत आबादी विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल कर रही है।
जम्मू। मुंह के कैंसर के लिए प्रमुख कारण माने जा चुके चबाने वाले तंबाकू उत्पादों पर 3 वर्ष पूर्व प्रतिबंध लागू होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर सरकार इसे जमीनी स्तर पर लागू करने में विफल रही है।
स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार 6 मार्च 2013 को इन उत्पादों की बिक्री, खरीद, भंडारण और यहां तक कि इन उत्पादों के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन संबंधित विभाग (स्वास्थ्य विभाग) के उदासीन रवैये के कारण चबाने वाले तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया जा सका है। जिसके कारण विक्रेता, खुदरा विक्रेता और यहां तक कि थोक विक्रेता खुलेआम शिक्षा संस्थानों औैर स्वास्थ्य संस्थानों एवं केन्द्रों के बाहर इन प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं।
्रसूत्रों ने आगे बताया कि आदेश : एचडी / ड्रग / 58/2012 के द्वारा चबाने वाले तंबाकू उत्पादों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है और स्वास्थ्य विभाग, जम्मू नगर निगम, स्थानीय प्रशासन और प्रवर्तन एजेंसी (पुलिस) सहित सभी संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है कि प्रतिबंध को पूर्ण रूप से लागू किया जा सके।
एक नागरिक ने कहा कि प्रतिबंध का यह प्रभाव हुआ है कि इससे पहले हमें बाजार कीमतों पर गुटखा मिल जाता था, लेकिन तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद वो ही उत्पाद ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है।
सूत्रों ने खुलाया किया कि शुरूआत में स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक स्थानों पर जाकर इन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया जाना सुनिश्चित करने के लिए राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग और जम्मू नगर निगम के कुछ अधिकारियों के साथ एक टीम गठित की थी, लेकिन कुछ महीनों के बाद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इस टीम को भंग करके प्रतिबंध को अप्रभावी कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया है कि सभी प्रवर्तन एजेंसियों राज्य भर में प्रतिबंध को लागू करने में बुरी तरह से नाकाम रही हैं।
जिसके कारण तस्कर प्रवर्तन एजेंसियों की मदद से पड़ोसी राज्यों से राज्य में सभी चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का आयात कर रहे हैं और इन उत्पादों पर सरकार को टैक्स भी नहीं दे रहे हैं। यहां तक कि पूर्ववर्ती सरकारें उन्हें दंडित के बजाय चबाने वाले तंबाकू उत्पादो की अवैध बिक्री पर मूक दर्शक बनी रही हैं।
सूत्रों ने कहा कि यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि नवीनतम ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार जम्मू-कश्मीर की 26.6 प्रतिशत आबादी विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल कर रही है।
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