दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। जिन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के दम पर पीएचई विभाग का सारा दारोमदार टिका हुआ है उन्हीं हजारों कर्मचारियों को अपनी मांगों को लेकर पिछले करीब दो माह से आवाज बुलंद करने को मजबूर होना पड़ रहा है। पीएचई विभाग के उच्चाधिकारी और राज्य सरकार उनकी जायज मांगों से भलि-भांति परिचित होने के बावजूद मूकदर्शकों की भांति व्यवहार कर रहे हैं। इन दैनिक वेतन भोगियों को गत कई वर्षों से मात्र आश्वासनों का झुनझुना थमाया जा रहा है।
गौरतलब है कि पीएचई विभाग के 70 प्रतिशत से अधिक अस्थायी कर्मचारियों के पिछले करीब 2 माह से हड़ताल पर होने के कारण पूरे जम्मू संभाग में आम जनता इस भीषण गर्मी में पेयजल किल्लत से परेशान हो रही है। सबसे बुरी हालत जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों के कंडी क्षेत्रों,राजौरी,कालाकोट,कोटरांका,मेंढर(पुंछ),ऊधमपुर,रियासी और डोडा के कई हिस्सों में है। इन ग्रामीण क्षेत्रों में ७५ प्रतिशत से अधिक पीएचई कर्मचारी अस्थायी / दिहाड़ी मजदूर है। उनमें से ज्यादातर पिछले दो महीनों से काम नहीं कर रहे हैं, तो लोगों को भीषण गर्मी में 3-4 दिन बाद भी पीने का पानी नहीं मिल रहा है। जम्मू शहर के कई इलाके भी पानी की भारी कमी से जूझ रहे हैं।
पीएचई विभाग के 70 प्रतिशत से अधिक अस्थायी कर्मचारियों की हड़ ताल को करीब 73 दिन हो चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद ना तो सरकार और ना ही पीएचई विभाग उनकी ज्वलंत मांगों की ओर ध्यान दे रहा है। आंदोलन कर रहे कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि 1994 से दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए उचित नीति तैयार की जाए, 48 माह से बकाया उनके भत्तों का भुगतान किया जाए। उनका कहना है कि राज्य सरकार द्वारा अनेक कमेटी, सब-कमेटी, हाई पावर कमेटी और स्टेट एडमिनिस्ट्रेटीव कौंसिल का गठन किए जाने के बावजूद हमारी चिरलंबित मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है। ऑल जे एंड के आई टी आई ट्रैंड एंड सीपी वर्कर्स के प्रधान तनवीर हुसैन का कहना है कि 7-8 माह पूर्व भी वित्त मंत्री एवं पीएचई मंत्री ने कहा था कि उनकी मांगों को २-३ माह में पूरा कर दिया जाएगा, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अस्थायी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अपना संर्घष जारी रखेंगे। इस दौरान अगर कोई अप्रिय स्थिति सामने आती है तो उसकी जिम्मेदारी सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार की होगी।
जम्मू। जिन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के दम पर पीएचई विभाग का सारा दारोमदार टिका हुआ है उन्हीं हजारों कर्मचारियों को अपनी मांगों को लेकर पिछले करीब दो माह से आवाज बुलंद करने को मजबूर होना पड़ रहा है। पीएचई विभाग के उच्चाधिकारी और राज्य सरकार उनकी जायज मांगों से भलि-भांति परिचित होने के बावजूद मूकदर्शकों की भांति व्यवहार कर रहे हैं। इन दैनिक वेतन भोगियों को गत कई वर्षों से मात्र आश्वासनों का झुनझुना थमाया जा रहा है।
गौरतलब है कि पीएचई विभाग के 70 प्रतिशत से अधिक अस्थायी कर्मचारियों के पिछले करीब 2 माह से हड़ताल पर होने के कारण पूरे जम्मू संभाग में आम जनता इस भीषण गर्मी में पेयजल किल्लत से परेशान हो रही है। सबसे बुरी हालत जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों के कंडी क्षेत्रों,राजौरी,कालाकोट,कोटरांका,मेंढर(पुंछ),ऊधमपुर,रियासी और डोडा के कई हिस्सों में है। इन ग्रामीण क्षेत्रों में ७५ प्रतिशत से अधिक पीएचई कर्मचारी अस्थायी / दिहाड़ी मजदूर है। उनमें से ज्यादातर पिछले दो महीनों से काम नहीं कर रहे हैं, तो लोगों को भीषण गर्मी में 3-4 दिन बाद भी पीने का पानी नहीं मिल रहा है। जम्मू शहर के कई इलाके भी पानी की भारी कमी से जूझ रहे हैं।
पीएचई विभाग के 70 प्रतिशत से अधिक अस्थायी कर्मचारियों की हड़ ताल को करीब 73 दिन हो चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद ना तो सरकार और ना ही पीएचई विभाग उनकी ज्वलंत मांगों की ओर ध्यान दे रहा है। आंदोलन कर रहे कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि 1994 से दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए उचित नीति तैयार की जाए, 48 माह से बकाया उनके भत्तों का भुगतान किया जाए। उनका कहना है कि राज्य सरकार द्वारा अनेक कमेटी, सब-कमेटी, हाई पावर कमेटी और स्टेट एडमिनिस्ट्रेटीव कौंसिल का गठन किए जाने के बावजूद हमारी चिरलंबित मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है। ऑल जे एंड के आई टी आई ट्रैंड एंड सीपी वर्कर्स के प्रधान तनवीर हुसैन का कहना है कि 7-8 माह पूर्व भी वित्त मंत्री एवं पीएचई मंत्री ने कहा था कि उनकी मांगों को २-३ माह में पूरा कर दिया जाएगा, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अस्थायी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अपना संर्घष जारी रखेंगे। इस दौरान अगर कोई अप्रिय स्थिति सामने आती है तो उसकी जिम्मेदारी सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार की होगी।
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