दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। आम लोगों को आवास मुहैया कराने वाले जेडीए यानी जम्मू विकास प्राधिकरण को अभी तक यह मालूम नहीं है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू-कश्मीर, गिलगिट व बालटिस्तान पर भारतीय संसद का क्या फैसला है।
दरअसल जेडीए ने वर्ष 2032 के लिए ड्रॉफ्ट किए गए मास्टर प्लॉन में पाक के कब्जे वाले उक्त इलाकों पर उसका शासन लिखा है, न कि उसका उन इलाकों पर गैरकानूनी कब्जा, जो भारतीय संसद ने सर्वसम्मति से 22 फरवरी 1994 को पारित किया था। इस फैसले में साफतौर पर कहा गया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के अलावा गिलगिट व बालटिस्तान, जो अभिवाजित जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है, लेकिन पाकिस्तान ने गैरकानूनी कब्जा कर रखा है। लेकिन, हैरत की बात है कि जेडीए के रिवाइजड मास्टर प्लॉन जम्मू-2032 के ड्रॉफ्ट की प्रस्तावना के प्रथम पृष्ठ की तीसरी पंक्ति में लिखा है कि जम्मू-कश्मीर भारत संघ का उत्तर का अहम राज्य है, जो हिमालय की पहाडिय़ों से सटा है। दरअसल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर व गिलगिट तथा बालटिस्तान पर पाकिस्तान का शासन दिखाने का मामला तब खुला जब हाल ही में जम्मू के 2032 के मास्टर प्लॉन को लेकर यहां एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें जेडीए के वायस चेयरमैन मुबारक सिंह के अलावा जम्मू के गांधीनगर क्षेत्र से विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष कविंद्र गुप्ता, विजयपुर से विधायक एवं उद्योग मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा के अलावा भाजपा के एमएलसी रमेश अरोड़ा, जम्मू के मंडलायुक्त डॉ.पवन कोतवाल तथा जम्मू के उपायुक्त सिमरनदीप सिंह आदि उपस्थित थे। जम्मू मेट्रोपालिटन रीजन (जेएमआर) यानी ग्रेटर जम्मू को लेकर तैयार किए गए 2032 के इस मास्टर प्लॉन में हालांकि कई कमियां हैं, लेकिन पीओके तथा गिलगिट बालटिस्तान पर पाकिस्तान का शासन लिखे जाने वाले घोर आपत्तिजनक वाक्य पर भाजपा एमएलसी रमेश अरोड़ा की नजर गई। उन्होंने इसको लेकर इस अहम बैठक में सवाल खड़े किए। 'दीपाक्षर टाइम्स' से बात करते हुए एमएलसी रमेश अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने जेडीए वाइस चेयरमैन को इस संबंध में एक पत्र लिखकर कड़ा विरोध किया है। इस पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने उपमुख्यमंत्री डॉ.निर्मल कुमार को भी भेजी है।
जम्मू। आम लोगों को आवास मुहैया कराने वाले जेडीए यानी जम्मू विकास प्राधिकरण को अभी तक यह मालूम नहीं है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू-कश्मीर, गिलगिट व बालटिस्तान पर भारतीय संसद का क्या फैसला है।
दरअसल जेडीए ने वर्ष 2032 के लिए ड्रॉफ्ट किए गए मास्टर प्लॉन में पाक के कब्जे वाले उक्त इलाकों पर उसका शासन लिखा है, न कि उसका उन इलाकों पर गैरकानूनी कब्जा, जो भारतीय संसद ने सर्वसम्मति से 22 फरवरी 1994 को पारित किया था। इस फैसले में साफतौर पर कहा गया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के अलावा गिलगिट व बालटिस्तान, जो अभिवाजित जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है, लेकिन पाकिस्तान ने गैरकानूनी कब्जा कर रखा है। लेकिन, हैरत की बात है कि जेडीए के रिवाइजड मास्टर प्लॉन जम्मू-2032 के ड्रॉफ्ट की प्रस्तावना के प्रथम पृष्ठ की तीसरी पंक्ति में लिखा है कि जम्मू-कश्मीर भारत संघ का उत्तर का अहम राज्य है, जो हिमालय की पहाडिय़ों से सटा है। दरअसल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर व गिलगिट तथा बालटिस्तान पर पाकिस्तान का शासन दिखाने का मामला तब खुला जब हाल ही में जम्मू के 2032 के मास्टर प्लॉन को लेकर यहां एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें जेडीए के वायस चेयरमैन मुबारक सिंह के अलावा जम्मू के गांधीनगर क्षेत्र से विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष कविंद्र गुप्ता, विजयपुर से विधायक एवं उद्योग मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा के अलावा भाजपा के एमएलसी रमेश अरोड़ा, जम्मू के मंडलायुक्त डॉ.पवन कोतवाल तथा जम्मू के उपायुक्त सिमरनदीप सिंह आदि उपस्थित थे। जम्मू मेट्रोपालिटन रीजन (जेएमआर) यानी ग्रेटर जम्मू को लेकर तैयार किए गए 2032 के इस मास्टर प्लॉन में हालांकि कई कमियां हैं, लेकिन पीओके तथा गिलगिट बालटिस्तान पर पाकिस्तान का शासन लिखे जाने वाले घोर आपत्तिजनक वाक्य पर भाजपा एमएलसी रमेश अरोड़ा की नजर गई। उन्होंने इसको लेकर इस अहम बैठक में सवाल खड़े किए। 'दीपाक्षर टाइम्स' से बात करते हुए एमएलसी रमेश अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने जेडीए वाइस चेयरमैन को इस संबंध में एक पत्र लिखकर कड़ा विरोध किया है। इस पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने उपमुख्यमंत्री डॉ.निर्मल कुमार को भी भेजी है।
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