दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। प्रतिस्पद्र्धा के दौर में जब हर क्षेत्र में गलाकाट स्पद्र्धा है,युवाओं में सरकारी नौकरियों में आई कमी से तेजी से बढ़ती हुई बेरोजगारी के कारण युवाओं में हताशा फैली है, तभी अचानक एक ऐसा चेहरा नजर आता है, जिसने अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए राह का निर्माण भी खुद ही किया है। यह हैं तारा चंद शर्मा जिन्होंने बेरोजगार युवाओं के लिए एक आर्दश स्थापित किया है।
1989 में अखनूर तहसील के चौकी चौरा क्षेत्र के बुध चारियां गांव के निवासी तारा चंद शर्मा ने बेरोजगारी से निजात पाने के लिए जम्मू का रूख किया। उन्होंने शहर के अति-व्यस्त शालामार रोड़ पर सड़क किनारे एक पीपल के वृक्ष के नीचे अपनी छोटी-सी दुकान सजा दी। आज करीब 27 वर्ष बाद उनकी यह दुकान इस क्षेत्र की एक प्रमुख पहचान बन गई है। लोग दूर-दूर से उनके कुलचे खाने आते हैं। वर्ष 2000 में उन्होंने न्यूट्री कुलचा तैयार करना शुरू किया तो उसने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ा दिया। प्रतिदिन सुबह 10.30 बजे वह अपनी दुकान सजा लेते हैं और करीब तीन बजे तक उनके यहां कुलचे समाप्त हो जाते हैं। उनके कुलचों के हजारोंं मुरीद है। उनके द्वारा पारंपरिक मसालों से तैयार किए गए कुलचे जहां मैकडोनाल्ड जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के मंहगे बर्गर से टक्कर ले रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ये स्वादिष्ट कुलचे बेरोजगार युवाओं को भी यही संदेश दे रहे हैं कि सरकारी नौकरी का इंतजार करने से बेहतर कोई छोटा-सा ऐसा रोजगार शुरू किया जाए, जिससे उनका और उनके परिजनों का पालन-पोषण हो सके।
तारा चंद शर्मा प्रतीक है डुग्गरवासियों की जीवटता एवं धैर्य का। अनेक शुरूआती समस्याओं का मुकाबला करते हुए उन्होंने अपनी इस छोटी-सी दुकान को शहर के प्रतिष्ठित रेस्टोरेंटों के मुकाबले पर ला खड़ा किया है।
जिंदादिल व्यक्तित्व के धनी तारा चंद अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देते हैं। उनकी पत्नी पुष्पा सुबह जल्दी ही जरूरी सामग्री तैयार करने में उनकी मदद करती है। 10वीं तक शिक्षा प्राप्त तारा चंद अपने दोनों बच्चों विवेक एवं नीतिका को उच्च शिक्षा दिलवाने के इच्छुक है।
राज्य के बेरोजगार युवाओं की उम्मीद के प्रतीक तारा चंद कहते है कि युवाओं को सरकारी नौकरी का इंतजार करने के बजाय आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वयं का रोजगार छोटे स्तर पर शुरू कर बेरोजगारी से निजात पाने की कोशिश करनी चाहिए। उनका कहना है कि अगर कुछ करने की इच्छा हो तो सफलता जरूर मिलती है।
जम्मू। प्रतिस्पद्र्धा के दौर में जब हर क्षेत्र में गलाकाट स्पद्र्धा है,युवाओं में सरकारी नौकरियों में आई कमी से तेजी से बढ़ती हुई बेरोजगारी के कारण युवाओं में हताशा फैली है, तभी अचानक एक ऐसा चेहरा नजर आता है, जिसने अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए राह का निर्माण भी खुद ही किया है। यह हैं तारा चंद शर्मा जिन्होंने बेरोजगार युवाओं के लिए एक आर्दश स्थापित किया है।
1989 में अखनूर तहसील के चौकी चौरा क्षेत्र के बुध चारियां गांव के निवासी तारा चंद शर्मा ने बेरोजगारी से निजात पाने के लिए जम्मू का रूख किया। उन्होंने शहर के अति-व्यस्त शालामार रोड़ पर सड़क किनारे एक पीपल के वृक्ष के नीचे अपनी छोटी-सी दुकान सजा दी। आज करीब 27 वर्ष बाद उनकी यह दुकान इस क्षेत्र की एक प्रमुख पहचान बन गई है। लोग दूर-दूर से उनके कुलचे खाने आते हैं। वर्ष 2000 में उन्होंने न्यूट्री कुलचा तैयार करना शुरू किया तो उसने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ा दिया। प्रतिदिन सुबह 10.30 बजे वह अपनी दुकान सजा लेते हैं और करीब तीन बजे तक उनके यहां कुलचे समाप्त हो जाते हैं। उनके कुलचों के हजारोंं मुरीद है। उनके द्वारा पारंपरिक मसालों से तैयार किए गए कुलचे जहां मैकडोनाल्ड जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के मंहगे बर्गर से टक्कर ले रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ये स्वादिष्ट कुलचे बेरोजगार युवाओं को भी यही संदेश दे रहे हैं कि सरकारी नौकरी का इंतजार करने से बेहतर कोई छोटा-सा ऐसा रोजगार शुरू किया जाए, जिससे उनका और उनके परिजनों का पालन-पोषण हो सके।
तारा चंद शर्मा प्रतीक है डुग्गरवासियों की जीवटता एवं धैर्य का। अनेक शुरूआती समस्याओं का मुकाबला करते हुए उन्होंने अपनी इस छोटी-सी दुकान को शहर के प्रतिष्ठित रेस्टोरेंटों के मुकाबले पर ला खड़ा किया है।
जिंदादिल व्यक्तित्व के धनी तारा चंद अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देते हैं। उनकी पत्नी पुष्पा सुबह जल्दी ही जरूरी सामग्री तैयार करने में उनकी मदद करती है। 10वीं तक शिक्षा प्राप्त तारा चंद अपने दोनों बच्चों विवेक एवं नीतिका को उच्च शिक्षा दिलवाने के इच्छुक है।
राज्य के बेरोजगार युवाओं की उम्मीद के प्रतीक तारा चंद कहते है कि युवाओं को सरकारी नौकरी का इंतजार करने के बजाय आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वयं का रोजगार छोटे स्तर पर शुरू कर बेरोजगारी से निजात पाने की कोशिश करनी चाहिए। उनका कहना है कि अगर कुछ करने की इच्छा हो तो सफलता जरूर मिलती है।
0 टिप्पणियाँ :
एक टिप्पणी भेजें