बुधवार, मई 25, 2016

सिर्फ कागजों पर मौजूद हैं आयुर्वेदिक, यूनानी कॉलेज

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। तत्कालीन यूपीए-2 सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर  के लिए की गई आयुर्वेदिक और यूनानी कॉलेजों की घोषणा सिर्फ कागजों में ही मौजूद हैं, क्योंकि सात वर्ष गुजरने के बावजूद इस घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए सेन्ट्रल कौंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) से मंजूरी का इंतजार है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर के लिए दो डिग्री कॉलेजों की घोषणा की थी। लगभग 58 करोड़ रुपये की लागत से जम्मू क्षेत्र के अखनूर में आयुर्वेदिक कॉलेज और कश्मीर के गांदरबल में यूनानी मेडिकल कॉलेज शुरू करने की घोषणा की गई थी। घोषणा के दो वर्ष बीत जाने के बाद राज्य सरकार ने दोनों कॉलेजों के भवनों का निर्माण कार्य शुरू करवाया और घोषणा की कि दोनों कॉलेज भवन का निर्माण कार्य वर्ष 2013-14 तक पूर्ण कर लिया जाएगा, लेकिन दिलचस्पी की बात है कि समय सीमा समाप्त हो जाने के दो वर्ष बाद भी निर्माण कार्य चल रहा है।
उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दावा किया कि दोनों व्यावसायिक कॉलेजों में बीएएमएस और बीयूएमएस डिग्री पाठ्यक्रम के पहले बैच 2014-15 के शैक्षणिक सत्र से शुरू कर दिए जाएंगे, लेकिन राज्य सरकार इनके पंजीकरण का मुद्दा केंद्र सरकार के समक्ष उठाने में नाकाम रही। उनका प्रशासन,भारत सरकार की सीसीआईएम के पास औपचारिकताएं,जो प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक के बीच कम समय अवधि में प्रस्तुत की जाती है, प्रस्तुत नहीं कर पाया।
अब 2016 में विभाग ने पंजीकरण के लिए सीसीआईएम को औपचारिकताएं प्रस्तुत की है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अभी तक अनुमति नहीं दी गई हैं। सूत्रों ने बताया कि हालांकि दोनों कॉलेजों के बुनियादी ढांचे को लगभग पूरा कर लिया गया है, लेकिन डिग्री कोर्स के शुरू करने की कुछ औपचारिकताओं और आवश्यकताओं को अभी भी विभाग द्वारा पूरा किया जा रहा है।
कॉलेजों को कई और औपचारिकताओं को, जिनमें विश्वविद्यालय से संबद्धता का अनुदान शामिल हैं, पूरा करना है, अधिकारियों ने गत वर्र्ष राज्य के दोनों राजकीय विश्वविद्यालयों के समक्ष मामला उठाया था और उम्मीद है कि इस वर्ष इसे स्वीकृति मिल जाएगी। कॉलेजों में पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए, प्रोफेसरों, रिडरों, पैरा मेडिकल स्टॉफ आदि सहित लगभग 500 लोगों की जरूरत है, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक कर्मचारियों की संख्या को मंजूर नहीं किया है, इससे स्पष्ट है कि अगर केंद्र सरकार द्वारा अनुमति दी जाती है तो राज्य के दोनों कॉलेजों में  चालू शैक्षणिक सत्र से पाठ्यक्रम शुरू करना संभव नहीं होगा।

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