दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। 63 वर्ष पूर्व स्व.गिरधारी लाल ने बुलंद हौंसलों के साथ शहर के कच्ची छावनी इलाके में छाबा लगाकर कचालू चाट का छोटा-सा काम शुरू किया था। धीरे-धीरे उनकी जायकेदार चटपटी चाट की शोहरत पूरे शहर और आस-पास के इलाकों तक फैलने लगी। उनका मानना था कि कोई काम छोटा नहीं होता है, उसे बड़ा बनाने के लिए बस कड़ी मेहनत, ईमानदारी और हौंसले की जरूरत होती है। लगभग 20 वर्ष के बाद उन्होंने रेहड़ी पर स्वादिष्ट कचालू चाट की बिक्री शुरू की। इस दौरान उनकी चाट के प्रशंसकों की तादाद में भी बढ़ोतरी होती गई। वर्ष 1997 में उन्होंने कच्ची छावनी क्षेत्र में ही दीवाना मंदिर के पास अपनी दुकान 'गिरधारी चाट हाऊस' के नाम से शुरू की। उनके निधन के बाद उनके पुत्र राम प्रकाश ने काम संभाल लिया है। अब तो उनकी तीसरी पीढ़ी के रूप में उनका पौत्र रोहित भी काम में हाथ बटाता है। राम प्रकाश ने बताया कि पिताजी द्वारा बताए गए मसालों के मिश्रण का इस्तेमाल कर हम आज भी कचालू चाट का स्वाद बरकरार रखे हुए हैं। जिस प्रकार से वह ईमानदारी से शुद्ध मसालों का इस्तेमाल करते थे, वह भी उसी तरह से अपने ग्राहकों की कसौटी पर खरे उतरने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी दुकान पर मिर्च वाली कचालू चाट, बगैर मिर्च वाली कचालू चाट, केले की चाट, कुलचा और आइसक्रीम की बिक्री की जाती है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में होने वाले विवाह समारोहों आदि में भी उनकी सुप्रसिद्ध कचालू चाट के स्टॉल लगाने की फरमाइश भी पूरी करने की कोशिश की जाती है। राम प्रकाश ने कहा कि पिताजी कहते थे कि अपने काम से प्रेम करो और ग्राहकों से नम्रता से बात करों, तो कामयाबी जरूर मिलेगी। यही वजह है कि दूर-दूर से आने वाले ग्राहक स्वादिष्ट कचालू चाट का स्वाद लेने के लिए उनकी दुकान पर दस्तक देते हैं। उनकी दुकान पर जो एक बार आता है वह उनके नियमित ग्राहकों में शामिल हो जाता है।
जम्मू। 63 वर्ष पूर्व स्व.गिरधारी लाल ने बुलंद हौंसलों के साथ शहर के कच्ची छावनी इलाके में छाबा लगाकर कचालू चाट का छोटा-सा काम शुरू किया था। धीरे-धीरे उनकी जायकेदार चटपटी चाट की शोहरत पूरे शहर और आस-पास के इलाकों तक फैलने लगी। उनका मानना था कि कोई काम छोटा नहीं होता है, उसे बड़ा बनाने के लिए बस कड़ी मेहनत, ईमानदारी और हौंसले की जरूरत होती है। लगभग 20 वर्ष के बाद उन्होंने रेहड़ी पर स्वादिष्ट कचालू चाट की बिक्री शुरू की। इस दौरान उनकी चाट के प्रशंसकों की तादाद में भी बढ़ोतरी होती गई। वर्ष 1997 में उन्होंने कच्ची छावनी क्षेत्र में ही दीवाना मंदिर के पास अपनी दुकान 'गिरधारी चाट हाऊस' के नाम से शुरू की। उनके निधन के बाद उनके पुत्र राम प्रकाश ने काम संभाल लिया है। अब तो उनकी तीसरी पीढ़ी के रूप में उनका पौत्र रोहित भी काम में हाथ बटाता है। राम प्रकाश ने बताया कि पिताजी द्वारा बताए गए मसालों के मिश्रण का इस्तेमाल कर हम आज भी कचालू चाट का स्वाद बरकरार रखे हुए हैं। जिस प्रकार से वह ईमानदारी से शुद्ध मसालों का इस्तेमाल करते थे, वह भी उसी तरह से अपने ग्राहकों की कसौटी पर खरे उतरने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी दुकान पर मिर्च वाली कचालू चाट, बगैर मिर्च वाली कचालू चाट, केले की चाट, कुलचा और आइसक्रीम की बिक्री की जाती है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में होने वाले विवाह समारोहों आदि में भी उनकी सुप्रसिद्ध कचालू चाट के स्टॉल लगाने की फरमाइश भी पूरी करने की कोशिश की जाती है। राम प्रकाश ने कहा कि पिताजी कहते थे कि अपने काम से प्रेम करो और ग्राहकों से नम्रता से बात करों, तो कामयाबी जरूर मिलेगी। यही वजह है कि दूर-दूर से आने वाले ग्राहक स्वादिष्ट कचालू चाट का स्वाद लेने के लिए उनकी दुकान पर दस्तक देते हैं। उनकी दुकान पर जो एक बार आता है वह उनके नियमित ग्राहकों में शामिल हो जाता है।
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