गुरुवार, मई 11, 2017

पत्थरबाजों को रास्ते पर लायेगी मोदी सरकार

तीन मंत्रालयों को सौंपी जिम्मेवारी 

 एजेंसियां
नयी दिल्ली। 
जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाज जल्द हिंसा से दूर होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर केंद्र सरकार इस संबंध में ठोस नीति बनाने पर काम कर रही है। सरकार ने पत्थरबाजी करनेवाले घाटी के युवाओं को मुख्यधारा में लाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। सरकार ने रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के साथ-साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय को निर्देश दिये हैं कि वे ठोस नीतियां उनके सामने पेश करें, जिससे घाटी के गुमराह हुए युवाओं को सही राह पर लाया जा सके।
केंद्र सरकार की कोशिश है कि युवाओं को शिक्षा से जोड़ा जाये, ताकि उन्हें मुख्यधारा में लाने में मुश्किल न हो। इसके लिए स्कूल, कॉलेज, लड़कियों के लिए हॉस्टल और आइआइएम की कैंपस शाखा खोलने के अलावा स्कॉलरशिप की राशि बढ़ाने की भी सरकार की योजना है। घाटी के लोगों को रोजगार से भी जोड़ा जायेगा।
पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के शिक्षा मंत्री सैयद अल्ताफ बुखारी ने दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की थी। इसके बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने घोषणा की थी कि घाटी में आइआइएम की कैंपस शाखा खुलेगी। उनके मंत्रालय की एक टीम कैंपस के लिए सर्वे करने अगले हफ्ते घाटी जायेगी।
जावड़ेकर ने बताया कि पिछले साल 30 स्कूलों को जला दिया गया। फिर भी 98 प्रतिशत छात्र बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि वे राज्य में छात्रों के लिए सात नये हॉस्टल खोलने के साथ स्कॉलरशिप की राशि भी बढ़ाने जा रहे हैं।
जावड़ेकर ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्य को 200 करोड़ रुपये दिये गये हैं। अब हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि शिक्षा पर खर्च के लिए दिया गया पैसा सही जगह और सही लोगों पर खर्च हो। यह भी बताया कि कश्मीरी छात्रों से बातचीत के लिए दो राज्यमंत्री घाटी के स्कूल-कॉलेजों का दौरा करनेवाले हैं।
घाटी में भटक रहे नौजवानों को रोजगार से जोडऩे की जिम्मेदारी अल्पसंख्यक मंत्रालय को सौंपी गयी है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अगले हफ्ते आला अधिकारियों की बैठक बुलायी है, जिसमें ठोस रणनीति तैयार की जायेगी।
सूत्रों के मुताबिक, राज्य के युवाओं के विकास के लिए अभी जो खाका तैयार किया गया है, उसमें कौशल विकास योजना के तहत 'सीखो और कमाओ' को युद्ध स्तर पर शुरू किया जायेगा। इससे युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे।
काउंसलिंग का नयी रोशनी कार्यक्रम भी शुरू होगा। इसके तहत विश्व प्रसिद्ध काउंसलर से युवाओं को ट्रेनिंग दिलायी जायेगी, जो उन्हें लीडरशिप के गुर सिखायेंगे। दो महीने की ट्रेनिंग के बदले युवाओं को पैसा भी दिया जायेगा।
पत्थरबाजी करनेवाले छात्रों के लिए जागरूकता अभियान चलाया जायेगा, जिसमें उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे की कोशिश की जायेगी। इसकी शुरुआत जून से होगी। अभियान के दौरान केंद्र की विकास योजनाओं की जानकारी दी जायेगी और दहशत की वजह से राज्य को हो रहे नुकसान को समझाया जायेगा।
बेहतर स्वास्थ्य और शारीरिक विकास के लिए स्वास्थ्य केंद्र और आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या बढ़ायी जायेगी। घाटी को मुख्यधारा से जोडऩे के लिए सड़क बनाने और नये प्राजेक्ट्स पर काम शुरू हो चुका है, जो आनेवाले दिनों में और तेज होगा। रक्षा मंत्रालय की तरफ से इस बार बाकायदा घाटी के युवाओं को सेना में भरती करने की मुहिम रंग लायी। भारतीय सेना के जम्मू और कश्मीर लाइट इनफ्रैंट्री (जैक लाइट) के लिए कैंप लगा कर राज्य के लोगों को सेना से जोड़ा गया। कश्मीर घाटी के सैकड़ों युवाओं ने भारतीय सेना का हिस्सा बनने के लिए उत्साह दिखाया। हाल ही में कश्मीर के 500 से ज्यादा युवा सेना के भरती अभियान में शामिल हुए।

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