पंचकूला।
पंचकूला की सी.बी.आई. अदालत द्वारा राम रहीम को दोषी करार देने के बाद उनके समर्थकों ने बहुत बवाल किया। हर तरफ तोडफ़ोड़ और आगजनी की। कई मीडिया कर्मियों पर भी हमला किया किया। इस मामले में हरियाणा पुलिस की छवि खराब हो गई क्योंकि जिन पर लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी वहीं पुलिस पीठ दिखाकर भाग खड़ी हुई। इस दौरान जहां हरियाणा पुलिस पीठ दिखाकर भागी वहीं डिप्टी कमिश्नर गौरी पराशर जोशी ने डेरा समर्थकों से अकेले ही लोहा लेते रही।
जिन लोगों की सुरक्षा का जिम्मा हरियाणा पुलिस पर था वहीं डेरा समर्थकों का गुस्सा देखकर गौरी पराशर को मुश्किल हालातों में छोड़कर भाग खड़े हुए थे। वहीं पंचकूला की डिप्टी कमिश्नर गौरी पराशर जोशी ने अकेले ही उपद्रवियों का सामना किया। जिसके बाद उन्हें काफी चोटें भी आई थी। यही नहीं उनके कपड़े भी फट जाने के बाद भी गौरी अपनी ड्यूटी पर खड़ी रही। गौरी पंचकूला के हालात देखकर वहां से भागी नहीं बल्कि वहीं आक्रोशित भीड़ को शांत करने की कोशिश करती रहीं।
गौरी पराशर 11 साल के बच्चे की मां है। सिर्फ एक पीसीओ के साथ अकेले छूट जाने के बाद भी गौरी ने सामना करना जारी रखा। घायल होने पर भी गौरी ऑफिस पहुंचीं और सेना को एक आदेश की कॉपी थमाई। इस आदेश की मदद से सेना ने पंचकूला में माहौल को और बिगडऩे से रोका।
घायल होने के बाद भी गौरी ने मोर्चा नहीं छोड़ा और सुबह 3 बजे हालात सामान्य होने पर ही घर वापस लौटीं। उनके घर लौटने से पहले उन्होंने बिगड़े माहौल को अंडर कंट्रोल कर लिया था। गौरी ने अपने करियर में इससे पहले भी नाजुक और गंभीर हालातों का सामना किया है। इससे पहले वह ओडिशा के नक्सल प्रभावित इलाके कालाहांडी में सेवा दे चुकी हैं। वह ओडिशा कैडर की ही आई.ए.एस. अफसर हैं और डेपुटेशन पर हरियाणा आई हैं।
पंचकूला की सी.बी.आई. अदालत द्वारा राम रहीम को दोषी करार देने के बाद उनके समर्थकों ने बहुत बवाल किया। हर तरफ तोडफ़ोड़ और आगजनी की। कई मीडिया कर्मियों पर भी हमला किया किया। इस मामले में हरियाणा पुलिस की छवि खराब हो गई क्योंकि जिन पर लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी वहीं पुलिस पीठ दिखाकर भाग खड़ी हुई। इस दौरान जहां हरियाणा पुलिस पीठ दिखाकर भागी वहीं डिप्टी कमिश्नर गौरी पराशर जोशी ने डेरा समर्थकों से अकेले ही लोहा लेते रही।
जिन लोगों की सुरक्षा का जिम्मा हरियाणा पुलिस पर था वहीं डेरा समर्थकों का गुस्सा देखकर गौरी पराशर को मुश्किल हालातों में छोड़कर भाग खड़े हुए थे। वहीं पंचकूला की डिप्टी कमिश्नर गौरी पराशर जोशी ने अकेले ही उपद्रवियों का सामना किया। जिसके बाद उन्हें काफी चोटें भी आई थी। यही नहीं उनके कपड़े भी फट जाने के बाद भी गौरी अपनी ड्यूटी पर खड़ी रही। गौरी पंचकूला के हालात देखकर वहां से भागी नहीं बल्कि वहीं आक्रोशित भीड़ को शांत करने की कोशिश करती रहीं।
गौरी पराशर 11 साल के बच्चे की मां है। सिर्फ एक पीसीओ के साथ अकेले छूट जाने के बाद भी गौरी ने सामना करना जारी रखा। घायल होने पर भी गौरी ऑफिस पहुंचीं और सेना को एक आदेश की कॉपी थमाई। इस आदेश की मदद से सेना ने पंचकूला में माहौल को और बिगडऩे से रोका।
घायल होने के बाद भी गौरी ने मोर्चा नहीं छोड़ा और सुबह 3 बजे हालात सामान्य होने पर ही घर वापस लौटीं। उनके घर लौटने से पहले उन्होंने बिगड़े माहौल को अंडर कंट्रोल कर लिया था। गौरी ने अपने करियर में इससे पहले भी नाजुक और गंभीर हालातों का सामना किया है। इससे पहले वह ओडिशा के नक्सल प्रभावित इलाके कालाहांडी में सेवा दे चुकी हैं। वह ओडिशा कैडर की ही आई.ए.एस. अफसर हैं और डेपुटेशन पर हरियाणा आई हैं।
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