गुरुवार, सितंबर 21, 2017

रोहिंग्याओं पर सरकार के दायर हलफनामे पर उमर ने उठाए सवाल

श्रीनगर। 
 जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला नें केंद्र सरकार द्वारा रोहिंग्याओं के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामें पर सवाल खड़े किए हैं।
रोहिंग्याओं पर दायर सरकार के हलफनामें के बाद उमर ने ट्वीट करते हुए कहा कि अगर ये एक खतरा है तो ऐसा 2014 के बाद हुआ होगा। उमर ने कहा कि इससे पहले तो यूनिफाइड हेडक्वार्टर की बैठक में इस तरह की कोई इंटेलिजेंस रिपोर्ट सामने नहीं आई थी। उमर का बयान उस वक्त आया है जबकि केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमान भारत में अवैध तरीके से रह रहे हैं। उनका यहां रहना देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
ऐसी खुफिया सूचनाएं मिली हैं कि कुछ रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकवादी संगठन आईएसआईएस और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी संबंध हैं।
केंद्र द्वारा दिए गए हलफनामे के अनुसार, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, मेवात (हरियाणा) और हैदराबाद में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों में से कुछ आतंकी पृष्ठभूमि के भी मिले हैं। इसके अलावा, कुछ रोहिंग्या देशविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। कुछ हवाला के लेनदेन और मानव तस्करी में भी शामिल पाए गए हैं। ऐसे बहुत से लोगों ने गैरकानूनी तरीके से वोटर आईडी और पैन कार्ड जैसे पहचान पत्र भी बनवा लिए हैं।  आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन इन रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में हिंसा फैलाने के लिए टारगेट कर सकते हैं।
वहीं हलफनामे पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एक अन्य कार्यक्रम में कहा कि गैरकानूनी तरीके से भारत आये रोहिंग्या समुदाय के लोगों को वापस भेजने के मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख दिया है। अब इस मामले में अदालत के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए।

0 टिप्पणियाँ :

एक टिप्पणी भेजें