पाकिस्तान नहीं आ रहा बाज तो सिखाया भारतीय सेना ने सबक
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।
जम्मू।
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पांच दिन से गोलाबारी कर रहे पाकिस्तान को भारत ने कड़ा जवाब दिया। सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने एक के बदले तीन गोले दागकर पाकिस्तान की छह चौकियों को तबाह कर दिया।
भारत के कड़े प्रहार का ही नतीजा था कि पाकिस्तान रेंजर्स रविवार रात को हमारे इलाकों में सटीक गोलाबारी नहीं कर पाए। सोमवार सुबह तक हुई गोलाबारी में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन लोगों में दहशत है। सीमा पर गोलाबारी से दोनों तरफ तनाव बना हुआ है। भारत ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों को देखते हुए और सोमवार रात सीमा से सटे कई गांवों से लोगों को पीछे हटा दिया। रात को आरएसपुरा के कोरोटाना खुर्द, अब्दुल्लियां व साथ सटे कुछ इलाकों के लोगों को अपने रिश्तेदारों के घर चले जाने की सलाह दी गई। इन गांवों के कुछ ही घरों में अब केवल पुरुष ही हैं। पाकिस्तान ने रविवार रात साढ़े नौ बजे से गोलाबारी शुरू की जो सोमवार सुबह सुबह साढ़े पांच बजे तक जारी रही। पाकिस्तान की गोलाबारी से अरनिया व साथ लगते आरएसपुरा के करीब दो दर्जन गांव प्रभावित हुए। इन इलाकों में लोग रात को आठ घंटे घरों में दुबके रहे। जिला प्रशासन के आदेश पर सीमा के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूल भी पांच दिन से बंद हैं। अरनिया में पांच दिन से गोलाबारी में सीमा प्रहरी समेत दो लोगों की मौत हो गई है व छह लोग घायल हो चुके हैं। एक दर्जन से अधिक घरों को भी नुकसान पहुंचा है। छह मवेशी मारे गए हैं, जबकि तीन दर्जन के घायल होने की सूचना है।
गोलाबारी से अरनिया में पलायन भी जारी है। करीब बीस हजार लोग सुरक्षित इलाकों में अपने रिश्तेदारों के घर पहुंच चुके हैं।
पाक गोलाबारी से रामगढ़ सब सेक्टर के दो दर्जन गावों के करीब 25 हजार लोग दहशत में हैं। वे अपनी व परिवार की जान की सलामती के लिए हर पल ईश्वर से दुआएं मांग रहे हैं।
अरनिया सेक्टर में हो रही पाक गोलाबारी का असर रामगढ़ सब सेक्टर के लोगों की जिंदगी पर भी पडऩे लगा है। रामगढ़ क्षेत्र में भले ही सरहद पर खामोशी कायम है, मगर सीमात लोग इसके पीछे किसी बड़े तूफान की आशकाओं को महसूस कर रहे हैं।
वहीं जिला प्रशासन हर आपात स्थिति से निपटने के लिए अपनी सभी तैयारियों को अंजाम दे रहा है, लेकिन अगर कहीं रामगढ़ सब सेक्टर में भी पाक गोलाबारी शुरू हो गई, तो सरहद के साथ लगते करीब 23 गावों के 25 हजार लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।
पिछले करीब तीन साल से पाक रेंजर्स सरहद पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करके भारतीय क्षेत्र के गावों को निशाना बनाकर गोलाबारी कर रहे हैैं। पाक रेंजर्स द्वारा की जाने वाली गोलाबारी में जानमाल को नुकसान पहुंचाने का इरादा साफ दिखाई देता है।
गत वर्ष भी पाक रेंजर्स ने एक नवंबर 2016 को रामगढ़ सब सेक्टर में भारी हथियारों से गोलाबारी करके हर तरफ कोहराम मचाया था। पाक गोलाबारी में रामगढ़ सब सेक्टर के छह लोगों की मौत तथा नौ लोग घायल हुए थे।
इसके अलावा गृहस्थी मूलभूत ढाचा, निजी औद्योगिक इकाइया, माल-मवेशी आदि का भी भारी नुकसान हुआ था। उसी तरह से वर्तमान में भी अरनिया सब सेक्टर में पाक रेंजर्स अपनी नापाक हरकतों को अंजाम दे रहे हैं, उससे रामगढ़ क्षेत्र के लोगों को भी आने वाले बुरे दिनों की आशका सताने लगी है। पाक गोलाबारी की आशका को देखते हुए रामगढ़ क्षेत्र के निवासी संयोगिता देवी, कमला देवी, लक्ष्मी देवी, बचनो देवी, नागर मल, सुरेश कुमार, पवन कुमार, बोधराज, मंगल राम आदि ने कहा कि करीब ग्यारह माह की खामोशी के बाद फिर सरहद पर तोपें गूंजने लगी हैं।
उन्होंने कहा कि जब भी सरहद पर तनाव की स्थिति बनती है, तो सबसे पहले लोगों को अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सीमात लोगों की सुरक्षा के कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किए गए। ऐसे में खुले आसमान के तले रहकर लोग अपने बाल-बच्चों की सुरक्षा कैसे कर पाएंगे।
अरनिया सेक्टर में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऐसे कई स्कूल हैं जहां हर समय गोलाबारी की आशंका बनी रहती है। इस कारण जब भी संघर्ष विराम उल्लंघन होता है इन स्कूलों को बंद कर दिया जाता है। यहां पढऩे वाले हजारों बच्चों का भविष्य पाकिस्तान गोलाबारी में धूमिल होकर रह जाता है। इस समय अरनिया सेक्टर में पचास से अधिक सरकारी व निजी स्कूल बंद पड़े हुए हैं। ये स्कूल पांच दिनों से बंद हैं। अभी इनके जल्दी खुलने की कोई संभावना भी नहीं है। अगर पाकिस्तान इसी तरह संघर्ष विराम उल्लंघन करता रहा तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित रहेगी। इससे बच्चे व उनके अभिभावकों के चेहरों पर भी चिंता की लकीरें हैं। वे चाहते हैं कि सरकार को ऐसे स्कूली बच्चों के लिए कोई वैकल्पिक प्रबंध करना चाहिए। अला गांव के रहने वाले बलबीर सिंह पूर्व सरपंच भी हैं। उनका कहना है कि हर साल कई दिन स्कूल गोलाबारी के कारण बंद रहते हें और इससे पढाई का बहुत नुकसान होता है। सरकार को इस बारे में कुछ सोचना चाहिए। गांव सुहागपुर के पूर्व सरपंच मोहन लाल और चानना के रघुवीर सिंह का भी यही दर्द है। कैसे उनके बच्चे शहरी क्षेत्रों में रहने वालों से प्रतिस्पर्धा करें। हर साल तो स्कूल बंद रहते हैं और बच्चों व सभी को दरबदर होना पडता है।
सीमांत क्षेत्रों में पढऩे वाले बच्चों का दर्द यह है कि हर बार उन्हें दरबदर होना पड़ता है। कैंप में रह रहे आठवीं कक्षा के छात्र सोहन शर्मा ने बताया कि दो साल पहले कई दिन स्कूल बंद रहे थे। बाद में उन्हें पाठ्यक्रम पूरा करने में बहुत परेशानी आई थी। विद्यार्थियों का कहना है कि स्कूल बंद होना ही परेशानी नहीं है। घरों से बेघर होना सबसे अधिक समस्या देता है।
सिर्फ अरनिया सेक्टर में ही नहीं बल्कि परगवाल, राजौरी, पुंछ, आरएस पुरा सहित कई जगहों पर पाकिस्तान की गोलाबारी के कारण स्कूल प्रभावित हैं। इन स्कूलों को प्रशासन को बंद करना पडता है।
भारत के कड़े प्रहार का ही नतीजा था कि पाकिस्तान रेंजर्स रविवार रात को हमारे इलाकों में सटीक गोलाबारी नहीं कर पाए। सोमवार सुबह तक हुई गोलाबारी में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन लोगों में दहशत है। सीमा पर गोलाबारी से दोनों तरफ तनाव बना हुआ है। भारत ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों को देखते हुए और सोमवार रात सीमा से सटे कई गांवों से लोगों को पीछे हटा दिया। रात को आरएसपुरा के कोरोटाना खुर्द, अब्दुल्लियां व साथ सटे कुछ इलाकों के लोगों को अपने रिश्तेदारों के घर चले जाने की सलाह दी गई। इन गांवों के कुछ ही घरों में अब केवल पुरुष ही हैं। पाकिस्तान ने रविवार रात साढ़े नौ बजे से गोलाबारी शुरू की जो सोमवार सुबह सुबह साढ़े पांच बजे तक जारी रही। पाकिस्तान की गोलाबारी से अरनिया व साथ लगते आरएसपुरा के करीब दो दर्जन गांव प्रभावित हुए। इन इलाकों में लोग रात को आठ घंटे घरों में दुबके रहे। जिला प्रशासन के आदेश पर सीमा के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूल भी पांच दिन से बंद हैं। अरनिया में पांच दिन से गोलाबारी में सीमा प्रहरी समेत दो लोगों की मौत हो गई है व छह लोग घायल हो चुके हैं। एक दर्जन से अधिक घरों को भी नुकसान पहुंचा है। छह मवेशी मारे गए हैं, जबकि तीन दर्जन के घायल होने की सूचना है।
गोलाबारी से अरनिया में पलायन भी जारी है। करीब बीस हजार लोग सुरक्षित इलाकों में अपने रिश्तेदारों के घर पहुंच चुके हैं।
पाक गोलाबारी से रामगढ़ सब सेक्टर के दो दर्जन गावों के करीब 25 हजार लोग दहशत में हैं। वे अपनी व परिवार की जान की सलामती के लिए हर पल ईश्वर से दुआएं मांग रहे हैं।
अरनिया सेक्टर में हो रही पाक गोलाबारी का असर रामगढ़ सब सेक्टर के लोगों की जिंदगी पर भी पडऩे लगा है। रामगढ़ क्षेत्र में भले ही सरहद पर खामोशी कायम है, मगर सीमात लोग इसके पीछे किसी बड़े तूफान की आशकाओं को महसूस कर रहे हैं।
वहीं जिला प्रशासन हर आपात स्थिति से निपटने के लिए अपनी सभी तैयारियों को अंजाम दे रहा है, लेकिन अगर कहीं रामगढ़ सब सेक्टर में भी पाक गोलाबारी शुरू हो गई, तो सरहद के साथ लगते करीब 23 गावों के 25 हजार लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।
पिछले करीब तीन साल से पाक रेंजर्स सरहद पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करके भारतीय क्षेत्र के गावों को निशाना बनाकर गोलाबारी कर रहे हैैं। पाक रेंजर्स द्वारा की जाने वाली गोलाबारी में जानमाल को नुकसान पहुंचाने का इरादा साफ दिखाई देता है।
गत वर्ष भी पाक रेंजर्स ने एक नवंबर 2016 को रामगढ़ सब सेक्टर में भारी हथियारों से गोलाबारी करके हर तरफ कोहराम मचाया था। पाक गोलाबारी में रामगढ़ सब सेक्टर के छह लोगों की मौत तथा नौ लोग घायल हुए थे।
इसके अलावा गृहस्थी मूलभूत ढाचा, निजी औद्योगिक इकाइया, माल-मवेशी आदि का भी भारी नुकसान हुआ था। उसी तरह से वर्तमान में भी अरनिया सब सेक्टर में पाक रेंजर्स अपनी नापाक हरकतों को अंजाम दे रहे हैं, उससे रामगढ़ क्षेत्र के लोगों को भी आने वाले बुरे दिनों की आशका सताने लगी है। पाक गोलाबारी की आशका को देखते हुए रामगढ़ क्षेत्र के निवासी संयोगिता देवी, कमला देवी, लक्ष्मी देवी, बचनो देवी, नागर मल, सुरेश कुमार, पवन कुमार, बोधराज, मंगल राम आदि ने कहा कि करीब ग्यारह माह की खामोशी के बाद फिर सरहद पर तोपें गूंजने लगी हैं।
उन्होंने कहा कि जब भी सरहद पर तनाव की स्थिति बनती है, तो सबसे पहले लोगों को अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सीमात लोगों की सुरक्षा के कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किए गए। ऐसे में खुले आसमान के तले रहकर लोग अपने बाल-बच्चों की सुरक्षा कैसे कर पाएंगे।
अरनिया सेक्टर में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऐसे कई स्कूल हैं जहां हर समय गोलाबारी की आशंका बनी रहती है। इस कारण जब भी संघर्ष विराम उल्लंघन होता है इन स्कूलों को बंद कर दिया जाता है। यहां पढऩे वाले हजारों बच्चों का भविष्य पाकिस्तान गोलाबारी में धूमिल होकर रह जाता है। इस समय अरनिया सेक्टर में पचास से अधिक सरकारी व निजी स्कूल बंद पड़े हुए हैं। ये स्कूल पांच दिनों से बंद हैं। अभी इनके जल्दी खुलने की कोई संभावना भी नहीं है। अगर पाकिस्तान इसी तरह संघर्ष विराम उल्लंघन करता रहा तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित रहेगी। इससे बच्चे व उनके अभिभावकों के चेहरों पर भी चिंता की लकीरें हैं। वे चाहते हैं कि सरकार को ऐसे स्कूली बच्चों के लिए कोई वैकल्पिक प्रबंध करना चाहिए। अला गांव के रहने वाले बलबीर सिंह पूर्व सरपंच भी हैं। उनका कहना है कि हर साल कई दिन स्कूल गोलाबारी के कारण बंद रहते हें और इससे पढाई का बहुत नुकसान होता है। सरकार को इस बारे में कुछ सोचना चाहिए। गांव सुहागपुर के पूर्व सरपंच मोहन लाल और चानना के रघुवीर सिंह का भी यही दर्द है। कैसे उनके बच्चे शहरी क्षेत्रों में रहने वालों से प्रतिस्पर्धा करें। हर साल तो स्कूल बंद रहते हैं और बच्चों व सभी को दरबदर होना पडता है।
सीमांत क्षेत्रों में पढऩे वाले बच्चों का दर्द यह है कि हर बार उन्हें दरबदर होना पड़ता है। कैंप में रह रहे आठवीं कक्षा के छात्र सोहन शर्मा ने बताया कि दो साल पहले कई दिन स्कूल बंद रहे थे। बाद में उन्हें पाठ्यक्रम पूरा करने में बहुत परेशानी आई थी। विद्यार्थियों का कहना है कि स्कूल बंद होना ही परेशानी नहीं है। घरों से बेघर होना सबसे अधिक समस्या देता है।
सिर्फ अरनिया सेक्टर में ही नहीं बल्कि परगवाल, राजौरी, पुंछ, आरएस पुरा सहित कई जगहों पर पाकिस्तान की गोलाबारी के कारण स्कूल प्रभावित हैं। इन स्कूलों को प्रशासन को बंद करना पडता है।
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