नई दिल्ली।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी विदेश दौरे पर गए हुए हैं। हाल ही में उन्होंने नॉर्वे दौरे पर वहां के केंद्रीय बैंक के प्रमुख इंग्वा श्लिंग्स्ता से मुलाकात की और इस मुलाकात की तस्वीर उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट की।
इस तस्वीर को देखने के बाद राहुल की तुलना राजीव गांधी से की जाने लगी। आखऱि उन्होंने इस तस्वीर में क्या पहना हुआ था जिससे इतनी हलचल मच गई?
दरअसल, राहुल ने इस तस्वीर में बंद गले का सूट पहना हुआ था।
क्या सूट पहनने से जनता के बीच राहुल की छवि राजीव जैसी पहुंची है? क्या केवल सूट पहन लेने से जनता पर कोई फ़र्क पड़ता है? इस पर एड गुरु प्रह्लाद कक्कड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि अगर सूट पहनने से छवि न बनती तो आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्या छवि होती। वह कहते हैं, प्रधानमंत्री मोदी के पहले के कपड़ देखिए और अब के कपड़े देखिए। अब उनके कपड़े एकदम कड़क नजऱ आते हैं और उसके बाद उन्होंने अपना वजऩ भी कम किया है जिसके बाद वह जचने लगे हैं।
प्रह्लाद कहते हैं कि राहुल के अक्सर दो लुक नजऱ आते हैं और पहली बार उन्होंने बंद गले का सूट नहीं पहना है, पहले भी वह बंद गले में नजऱ आते रहे हैं।
आम लोगों की तरह नेताओं के भी दो लुक अक्सर देखे जाते रहे हैं, केज़ुअल और फॉर्मल। प्रह्लाद राहुल के इस लुक को फॉर्मल बताते हैं।
वह कहते हैं कि राहुल का अगर केज़ुअल लुक देखा जाए तो वह कुर्ता-पायजामा पहने हुए एक व्यक्ति का है, जिसमें वह दाढ़ी बढ़ाए हुए दिखते हैं। जब वह किसी राजनयिक से मिलते हैं या किसी दौरे पर होते हैं तो उनका यह लुक दिखता है।
राहुल गांधी नॉर्वे की राजधानी ओस्लो के मेयर से मुलाकात के दौरान और पोलर इंस्टीट्यूट के दौरे के दौरान भी बंद गले का सूट पहने हुए दिखे और इसकी तस्वीर भी उन्होंने ट्वीट की।
नॉर्वे के दौरे के बाद राहुल अमरीका के दौरे पर जा रहे हैं और वह वहां 11 सितंबर को यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया, बार्कले में इंडिया एट 70- रिफ्लेक्शन्स ऑन द पाथ फॉरवर्ड विषय पर भाषण देंगे। 1949 में बार्कले में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी भाषण दिया था।
बंद गले के सूट और नेहरू की तुलना करते हुए फैशन डिज़ाइनर रोहित वर्मा बताते हैं कि यह सूट यूनिवर्सल डिज़ाइन है और नेहरू भी इस सूट को पहना करते थे और इसका नाम ही नेहरू कॉलर बन गया था।
रोहित कहते हैं, यह एक क्लासिक सूट है जो सब पर अच्छा लगता है। यह ज़रूरी नहीं है कि राहुल अगर इसे पहने तो वह अपने पिता राजीव की तरह लगेंगे। मोदी जी भी जब विदेश दौरे पर होते हैं या किसी विदेशी मेहमान से मिलते हैं तो बंद गले का सूट पहनते हैं।
बंद गले का सूट पहनना या फिऱ बार्कले में भाषण देना क्या यह दिखाता है कि राहुल की जनता के आगे छवि गढऩे की रणनीति बदल चुकी है? इस सवाल पर कक्कड़ कहते हैं, इससे ज़रूर यह संदेश जाता दिखता है कि वह अब बच्चे नहीं रहे। उनके इन तरीकों से लगता भी है कि उनकी जो पप्पू की छवि गढ़ी गई थी, उससे वह निकल रहे हैं। इससे लोगों का नज़रिया भी ज़रूर बदलेगा।
कक्कड़ कहते हैं कि भारत की मध्यमवर्ग जनता पर कुर्ता-पायजामे के साथ-साथ बंद गले का सूट भी असर डालता है क्योंकि जनता भी अपने आप को वैसा देखना चाहती है।
राहुल गांधी के सूट-बूट के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नाम लिखा हुआ सूट पहने पहले ही देखा जा चुका है जबकि राहुल वर्तमान एनडीए सरकार को 'सूट-बूटÓ की सरकार कहते रहे हैं।
इसके अलावा राहुल की बहन प्रियंका गांधी के हेयरस्टाइल और साड़ी पहनने की तुलना भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से की जाती रही है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी विदेश दौरे पर गए हुए हैं। हाल ही में उन्होंने नॉर्वे दौरे पर वहां के केंद्रीय बैंक के प्रमुख इंग्वा श्लिंग्स्ता से मुलाकात की और इस मुलाकात की तस्वीर उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट की।
इस तस्वीर को देखने के बाद राहुल की तुलना राजीव गांधी से की जाने लगी। आखऱि उन्होंने इस तस्वीर में क्या पहना हुआ था जिससे इतनी हलचल मच गई?
दरअसल, राहुल ने इस तस्वीर में बंद गले का सूट पहना हुआ था।
क्या सूट पहनने से जनता के बीच राहुल की छवि राजीव जैसी पहुंची है? क्या केवल सूट पहन लेने से जनता पर कोई फ़र्क पड़ता है? इस पर एड गुरु प्रह्लाद कक्कड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि अगर सूट पहनने से छवि न बनती तो आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्या छवि होती। वह कहते हैं, प्रधानमंत्री मोदी के पहले के कपड़ देखिए और अब के कपड़े देखिए। अब उनके कपड़े एकदम कड़क नजऱ आते हैं और उसके बाद उन्होंने अपना वजऩ भी कम किया है जिसके बाद वह जचने लगे हैं।
प्रह्लाद कहते हैं कि राहुल के अक्सर दो लुक नजऱ आते हैं और पहली बार उन्होंने बंद गले का सूट नहीं पहना है, पहले भी वह बंद गले में नजऱ आते रहे हैं।
आम लोगों की तरह नेताओं के भी दो लुक अक्सर देखे जाते रहे हैं, केज़ुअल और फॉर्मल। प्रह्लाद राहुल के इस लुक को फॉर्मल बताते हैं।
वह कहते हैं कि राहुल का अगर केज़ुअल लुक देखा जाए तो वह कुर्ता-पायजामा पहने हुए एक व्यक्ति का है, जिसमें वह दाढ़ी बढ़ाए हुए दिखते हैं। जब वह किसी राजनयिक से मिलते हैं या किसी दौरे पर होते हैं तो उनका यह लुक दिखता है।
राहुल गांधी नॉर्वे की राजधानी ओस्लो के मेयर से मुलाकात के दौरान और पोलर इंस्टीट्यूट के दौरे के दौरान भी बंद गले का सूट पहने हुए दिखे और इसकी तस्वीर भी उन्होंने ट्वीट की।
नॉर्वे के दौरे के बाद राहुल अमरीका के दौरे पर जा रहे हैं और वह वहां 11 सितंबर को यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया, बार्कले में इंडिया एट 70- रिफ्लेक्शन्स ऑन द पाथ फॉरवर्ड विषय पर भाषण देंगे। 1949 में बार्कले में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी भाषण दिया था।
बंद गले के सूट और नेहरू की तुलना करते हुए फैशन डिज़ाइनर रोहित वर्मा बताते हैं कि यह सूट यूनिवर्सल डिज़ाइन है और नेहरू भी इस सूट को पहना करते थे और इसका नाम ही नेहरू कॉलर बन गया था।
रोहित कहते हैं, यह एक क्लासिक सूट है जो सब पर अच्छा लगता है। यह ज़रूरी नहीं है कि राहुल अगर इसे पहने तो वह अपने पिता राजीव की तरह लगेंगे। मोदी जी भी जब विदेश दौरे पर होते हैं या किसी विदेशी मेहमान से मिलते हैं तो बंद गले का सूट पहनते हैं।
बंद गले का सूट पहनना या फिऱ बार्कले में भाषण देना क्या यह दिखाता है कि राहुल की जनता के आगे छवि गढऩे की रणनीति बदल चुकी है? इस सवाल पर कक्कड़ कहते हैं, इससे ज़रूर यह संदेश जाता दिखता है कि वह अब बच्चे नहीं रहे। उनके इन तरीकों से लगता भी है कि उनकी जो पप्पू की छवि गढ़ी गई थी, उससे वह निकल रहे हैं। इससे लोगों का नज़रिया भी ज़रूर बदलेगा।
कक्कड़ कहते हैं कि भारत की मध्यमवर्ग जनता पर कुर्ता-पायजामे के साथ-साथ बंद गले का सूट भी असर डालता है क्योंकि जनता भी अपने आप को वैसा देखना चाहती है।
राहुल गांधी के सूट-बूट के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नाम लिखा हुआ सूट पहने पहले ही देखा जा चुका है जबकि राहुल वर्तमान एनडीए सरकार को 'सूट-बूटÓ की सरकार कहते रहे हैं।
इसके अलावा राहुल की बहन प्रियंका गांधी के हेयरस्टाइल और साड़ी पहनने की तुलना भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से की जाती रही है।
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